बलरामपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलरामपुर, 24 जून। क्षेत्र में बने घटिया इंटकवेल निर्माण को लेकर अधिवक्ता व आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी ने राजपुर के न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में परिवाद पेश किया है।
उक्त घटिया निर्माण में संलग्न अधिकारी भीम सिंह कार्यपालन अभियंता पीएचई विभाग और पीएचई विभाग के संलग्न अन्य अधिकारी और ठेकेदार में. इन्वार्यारो इंजीनियर्स रोहणी दिल्ली के विरुद्ध न्यायालय में धारा 156(3) का परिवाद पेश कर संबंधित ठेकेदार और अधिकारियों के विरुद्ध अपराध दर्ज करने हेतु आवेदन पेश किया गया है।
मामला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग बलरामपुर का है। आरोप है कि वर्ष 2017 में कुसमी के गलफुल्ली नदी पर बने इंटकवेल के संबंध में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी। राज्य सूचना आयोग से उपरोक्त जानकारी प्राप्त होने पर उक्त गड़बड़ी का खुलासा हुआ।
आरोप है कि कुसमी आवर्धन जल प्रदाय योजना के अंतर्गत गलफुली नदी के आपसट्री पर 2 नग आरसीसी जैकवेल 6.0 मीटर आंतरिक व्यास का आरसीसी इंटकवेल सह पंप हाउस अशुद्ध जल पंप 131 एमएलडी क्षमता का जल शुद्धीकरण संयंत्र मय विद्युत एवं यांत्रिकी कार्य सहित शुद्ध जल पंप आरसीसी स्म्पवेल का डिजाइन ड्राइंग निर्माण टेस्टिंग कमिश्निंग संपूर्ण कार्य हेतु 235 लाख , 2 करोड़ 35 लाख रुपए की स्वीकृति प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा प्रदान किया गया था। उक्त कार्य को करने के पूर्व स्वीकृति करने के पूर्व स्टीमेट बनाया जाता है तथा कार्य की रूपरेखा तैयार किया जाता है, लेकिन वर्क आर्डर जारी करने के पूर्व ना तो कार्य का एस्टीमेट बनाया गया और ना ही उसकी कोई प्लानिंग की गई।
आरोप है कि बिना प्लान इन्वेस्टमेंट के किए गए कार्य में कमीशन देकर काफी गड़बड़ी की गई। कुसमी के गलफुली नदी पर बने इंटकवेल निर्माण के संबंध में जो ड्राइंग डिजाइन स्वीकृत किया गया जिसे प्रमुख अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता द्वारा एपरूप किया गया। उक्त दस्तावेज के आधार पर कोई भी कार्य मौके पर नहीं किया गया तथा उसके विपरीत कार्य कर पूरी राशि निकाल ली गई। जिसका मौका स्थल पर जांच करने से उपयोग ड्राइंग डिजाइन में यह गड़बड़ी प्रमाणित है।
क्योंकि वर्क आर्डर दिनांक 10 जून 2009 को जारी किया गया था तथा ड्राइंग डिजाइन अप्रूव दिनांक 27 जनवरी 2010 को किया गया जबकि वर्क आर्डर में 12 माह के अंदर उपरोक्त कार्य करने का उल्लेख किया गया लेकिन 7 साल पूर्ण होने के बाद उक्त कार्य की पूर्णता प्रमाण पत्र दिनांक 28 जून 2016 को जारी किया गया। इसके अलावा वर्क आर्डर में यह भी स्पष्ट रूप से दिया गया था कि कार्य प्रारंभ करने से पूर्व गिट्टी रेत सीमेंट स्टील का परीक्षण शासन द्वारा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थाओं से करा ली जावे एवं कार्य में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न प्रकार की कांक्रीट मिक्स डिजाइन की भी तकनीकी स्वीकृति प्राप्त कर ली जावे लेकिन ठेकेदार द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर किसी भी मान्यता प्राप्त संस्था से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई ठेकेदार अधिकारियों से मिलीभगत कर एसडीओ श्याम क्वालिटी कंट्रोल सब डिवीजन से दिनांक 23/ 11/2009 को एक साधारण टेस्ट रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया, जिसमें सभी सामग्रियों को सही करार दिया गया।
मान्यता प्राप्त संस्था से सामग्रियों की जांच करानी थी लेकिन ऑफिस में बैठकर जांच रिपोर्ट तैयार कराई गई।
जिसके कारण उक्त इंटकवेल बनने के साथ ही क्षतिग्रस्त हो गया तथा गलत जगह नदी के ज्यादा अंदर बनाने से पानी का फोर्स इंटक वेल पर पड रहा है जिसके कारण वह एक तरफ झुक गया है तथा पिलर जमीन से ऊपर उठ गए थे पिलर के ऊपर जगह-जगह गहरी दरारें आ गई है, जिसमें मरम्मत करने से भी उक्त इंटक वेल की मजबूती नहीं आई है तथा आज भी कमजोर है।
आरोप है कि शासन की 235 लाख रुपए ठेकेदार के द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत कर मोटी कमीशन के चक्कर में घटिया निर्माण कराया गया है जो कि शासकीय राशि का गबन है।
पूर्व में अधिवक्ता श्री सोनी के द्वारा बलरामपुर एसपी के समक्ष प्रथम सूचना पत्र दर्ज कराने निवेदन किया गया था परंतु कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
डीके सोनी अधिवक्ता द्वारा अपने अधिवक्ता विपिन जायसवाल के माध्यम से न्यायिक दंडाधिकारी राजपुर के न्यायालय में धारा 156(3)दंड प्रक्रिया संहिता के तहत उक्त घोटाले में संलग्न भीम सिंह कार्यपालन अभियंता , नोहर सिंह सहायक अभियंता, एच एस हुसैन सहायक अभियंता, सी एल कोरी उप अभियंता, एवम ठेकेदार में इन्वायरो इंजीनियर्स रोहणी दिल्ली के विरुद्ध अपराध अंतर्गत धारा 409, 420, 419, 467, 468 एवं 471 भादवी के तहत अपराध पंजीबद्ध किए जाने परिवाद पेश किया गया है।