राजनांदगांव
शिवालयों में बोलबम की गूंज संग जलाभिषेक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 जुलाई। सावन मास पहले सोमवार को सडक़ों में कांवरियों का रेला नजर आया। कांवरियों के जत्थे में पुरूष-महिलाओं के अलावा युवक-युवतियों की भी खासी तादाद रही। स्थानीय शिवनाथ नदी के मोहारा तट से जल लेकर कांवरिये बोलबम की जयघोष करते शिव मंदिरों में पहुंचे। कांवरियों ने परंपरागत भगवा रंग के पोशाक पहनते हुए माथे में तिलक और चंदन का लेप लगाकर बाबा भोलेनाथ की आराधना की। इस साल दो सावन मास होने के कारण भक्तों में जबर्दस्त उत्साह है। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों ने पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की। इस दौरान मंदिरों में सुबह से ही घंटियों की गंूज और हर-हर महादेव और बोल-बम के जयघोष हुए।
पहला सावन सोमवार होने की वजह से युवा वर्ग भी नदी से कांवर में जल लेकर शिवलिंग में सुबह जल अर्पित किया। हालांकि मंगलवार से सावन महीना प्रारंभ हो गया था। सावन के महीने में सोमवार का विशेष दिन होता है। लोक मान्यता है कि सोमवार को कठिन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है। इसी रिवाज के तहत सालों से सोमवार को भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते भक्त व्रत रखते हैं। लोकमान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से खुशहाली और मनचाही इच्छाएं पूरी होती है। शिवालयों में पहुंचे भक्तों ने बोलबम के जयघोष किए। मंदिरों में युवतियों की भी बड़ी तादाद रही। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पहुंचकर सुबह से घंटों पूजा-अर्चना की। परिजनों के साथ लोगों ने जल अर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान शिव से कामना की। पिछले कुछ सालों में शिवभक्तों की तादाद में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। युवा वर्ग भी भक्ति के वातावरण में पूजा-अर्चना करने मंदिरों में पहुंचने लगा है। वहीं उम्रदराज लोग मंदिरों के अंदर और बाहर बैठकर भगवान शिव की स्तुति गान करते हैं। सावन मास में घरों में भी धार्मिक आयोजन होंगे। भगवान शिव की अलौकिक गाथाओं से जुड़ी कथाओं का जहां वाचन करेंगे। वहीं पार्वती-शिव की महिमा का भी गान करेंगे। महिलाओं में भी सावन मास के दौरान कठिन व्रत रखने के लिए एक अलग उत्साह दिखाई दे रहा है। इधर शिवालयों में भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए विशेष बंदोबस्त किए किए गए हैं। आज सावन का पहला सोमवार होने से भक्तों में उत्साह बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना के लिए यह महीना सबसे पवित्र होता है, इसलिए माहभर घरों से लेकर अन्य सार्वजनिक स्थलों में भगवान शिव की स्तुतिगान होती रहती है। सावन महीने को तप और उपवास के लिए भी जाना जाता है।