राजनांदगांव
वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम और डायरिया पीडि़त मरीज रोजाना पहुंच रहे अस्पताल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 21 जुलाई। सिलसिलेवार हो रही बारिश से मौसम का मिजाज बदल गया है। वातावरण में बनी नमी ने मौसमी बीमारियों को पनपने का मौका दिया है। रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने से लोग सर्दी-खांसी और वायरल फीवर के चपेटे में आ गए हैं।
राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में रोजाना दर्जनों अलग-अलग मौसमी बीमारी से पीडि़त लोग पहुंच रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में दाखिला बढऩे से मौसमी बीमारी के गिरफ्त में आए मरीजों की तादाद बढ़ रही है। वायरल फीवर से शरीर के कलपुर्जे कमजोर पड़ रहे हैं। बुखार और सर्दी-खांसी से पीडि़त मरीज उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज के अलावा निजी चिकित्सकों के क्लीनिकों में नजर आ रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों से बारिश के कारण उमस से भी लोग हलाकान हैं। उमस से शारीरिक ताकत जहां गिर रही है। वहीं मौसमी बीमारी से आसानी से लोग रोगग्रस्त हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के ओपीडी में रोजाना सैकड़ों मरीज सर्दी-खांसी की शिकायत के अलावा डायरिया के उपचार के लिए चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। निजी अस्पतालों में भी मौसमी बीमारी ग्रस्त मरीजों की खासी तादाद है।
मौसम में हुए बदलाव के कारण कम उम्र के बच्चे और बुजुर्गों को सर्वाधिक मौसमी बीमारी ने घेर लिया है। छोटे बच्चों को फीवर के अलावा सर्दी और खांसी से कमजोरी का अहसास हो रहा है। उम्रदराज मरीजों की मांसपेशियां वायरल फीवर से ढ़ीली हो गई है।
बताया जा रहा है कि मौसमी बीमारी से सर्वाधिक खतरा वायरल फीवर से है। चिकित्सकों का कहना है कि कम से कम सप्ताहभर का नियमित उपचार से ही वायरल फीवर से छुटकारा मिल रहा है। डायरिया की शिकायत होने से लोग कमजोर हालत में उपचारार्थ दाखिल हो रहे हैं। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉॅ. प्रकाश खूंटे ने बताया कि वायरल फीवर से शरीर में कमजोरी और थकान की शिकायत है। 4 से 5 दिन अथवा सप्ताहभर तक नियमित उपचार से ही वायरल फीवर से लोगों को उबरने का मौका मिलेगा। एक जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। ग्रामीण इलाकों से भी लोग सर्दी-खांसी और डायरिया का इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
सर्पदंश के भी मामले
बारिश में सर्पदंश के मामले में भी बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि मौत होने की जानकारी नहीं है, लेकिन जहरीले सर्पों के काटने से लोग इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। औसतन एक-दो दिन के अंतराल में ग्रामीण क्षेत्रों से सर्पदंश के शिकार मरीजों का चिकित्सक समुचित उपचार कर रहे हैं। सरीसृपों के काटने से लोग तय समय पर उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंच रहे हैं। एंटीस्नैक इंजेक्शन के जरिये लोगों की जान बच रही है।