राजनांदगांव
राजनांदगांव, 23 जुलाई। भाजपा किसान नेता अशोक चौधरी ने कहा कि आषाढ़ मास के अंतिम सप्ताह और सावन के पूरे 15-20 दिन से लगातार वर्षा होने के कारण धान की बुवाई रोपाई एवं लेही पद्धति से किए गए धान की खेती में बहुत परेशानी आई है और प्रारंभ में धान की खेती संकट में दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन-राहर की खेती भी पूर्ण रूप से प्रभावित हुई है। राज्य शासन को अपने एजेंसी से खेती की समीक्षा तत्काल कराना चाहिए, क्योंकि फसल बीमा में खेती की बुवाई यदि प्रभावित होती है तो भी किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान है और स्पष्ट है कि इस वर्ष जहां किसानों ने 40 प्रतिशत बुवाई ही नहीं कर पाए हैं और 60 प्रतिशत किसान किसी तरह से बुवाई या लाईचोपी पद्धति से बुवाई की है, उसमें आधे से ज्यादा खेत का हिस्सा का धान गल गया है, बाकी जो बचा है वह भी अत्यधिक पानी से प्रभावित हो गया है। ऐसे में किसानों के पास धान के बीज भी नहीं बचे हैं और खेती का समय भी बीत रहा है। ऐसे में धान का उत्पादन प्रभावित होगा।
केंद्र सरकार ने धान की खेती में इस वर्ष कमी होगी यह भांपकर चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार को भी किसानों को राहत देने की दिशा में कार्य करना चाहिए। इस वर्ष केंद्रीय पूल में छत्तीसगढ़ से अधिक चावल खरीदने के निर्णय के पश्चात राज्य सरकार ने प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदने का निर्णय किया था, लेकिन अत्यधिक पानी से फसल बुरी तरह प्रभावित है, इसलिए किसानों द्वारा 20 क्विंटल धान की पूर्ति नहीं कर पाएंगे। एक और जहां धान के बीज सड़ गए हैं।
दूसरी तरफ सभी प्रकार के खाद पानी में बह गए हैं। इससे भी उत्पादन में कमी आएगी। राज्य सरकार से आग्रहपूर्वक निवेदन है कि अविलंब ध्यान देकर किसानों को राहत प्रदान करे।