राजनांदगांव
कांग्रेस-भाजपा के युवा दमखम दिखाने चुनावी रण पर उतरने तैयार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 जुलाई। सियासत में लंबी पारी खेलने के लिए कांगे्रस और भाजपा के युवा चुनावी रण में उतरने के लिए बरसों से जमीनी स्तर पर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। सियासी जंग में दो-दो हाथ करने के लिए भाजपा और कांग्रेस के युवा चेहरों कठिन मेहनत से एक मजबूत साख बनी है।
राजनांदगांव से लेकर खैरागढ़ और मोहला-मानपुर जिले में युवाओं को चुनावी राजनीति में जगह मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस के युवा विपक्ष में रहते मजबूत चेहरे के रूप में उभरे। वहीं 15 साल तक शासन में रही भाजपा के युवा सियासत में हाथ आजमाने के लिए तन-मन-धन से सक्रिय रहे हैं। नतीजतन दोनों पार्टी में अब युवा चेहरों की लंबी फेहरिस्त तैयार हो गई है। ‘छत्तीसगढ़’ ने कुछ युवा नेताओं से उनकी सोंच और रणनीति को लेकर चर्चा की।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष नवाज भाई युवाओं के बीच काफी चर्चित चेहरे हैं। कम उम्र में उन्होंने लोकसभा का निर्वाचित अध्यक्ष बनकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद नजदीकी माने जाने वाले नवाज भाई बीए में स्नातक हैं। साथ ही उन्हें कम्प्यूटर का अच्छा ज्ञान है। जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष के तौर पर पिछले दो साल से अपने कार्यकाल में किसानों के हित में कारगर कदम उठाए। विपक्ष में रहते उन्होंने पूर्ववर्ती रमन सरकार के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर बड़ा जन आंदोलन चलाया। कांग्रेस में वह युवाओं के बीच दमदार चेहरे के रूप में उभरे हैं।
भाजपा के प्रमुख युवा चेहरों में नीलू शर्मा की एक विशिष्ट पहचान है। अपनी साफगोई के लिए जाने वाले शर्मा भाजयुमो के प्रदेश मंत्री रहे। साथ ही रमन सरकार के आखिरी कार्यकाल में गृह भंडार निगम के अध्यक्ष के तौर उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया। प्रदेश में वर्तमान में वह बतौर प्रवक्ता सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के खिलाफ मुखर हैं। पूर्व सांसद अशोक शर्मा के सुपुत्र होने की वजह से उन्होंने राजनीति में मजबूत पकड़ बनाई। न सिर्फ राजनांदगांव, बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ में वह काबिल युवा भाजपा नेता में गिने जाते हैं।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा की लोकप्रियता किसी से छुपी नहीं है। वर्तमान में राजनांदगांव शहर अध्यक्ष के रूप में वह सत्ता और संगठन में तालमेल रखते हुए विपक्षी भाजपा के खिलाफ मुद्दों को भुनाने में डटे हुए हैं। छाबड़ा लगातार 5वीं बार अपने वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुए हैं। शहर अध्यक्ष वह दूसरी बार नियुक्त हुए हैं। कांग्रेस की सियासत में उन्हें दमदार चेहरा माना जाता है। शहर के अलावा देहात क्षेत्रों में उनकी पैठ बरकरार है। राजनीतिक मामलों के अलावा वह लोगों के निजी समस्याओं को लेकर हमेशा सक्रिय रहे हैं।
खैरागढ़ की सियासत में विक्रांत सिंह एक नामचीन राजनीतिज्ञ हैं। वह लंबे समय से खैरागढ़ विधानसभा से दावेदार रहे हैं। विषम राजनीतिक परिस्थितियों के चलते उनका नाम ऐनवक्त पर टिकट की सूची से काट दिया जाता है। इसके बावजूद वह निष्ठापूर्वक भाजपा के बैनर तले राजनीति कर रहे हैं। जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सियासत में युवाओं के पसंदीदा हैं। उनकी राजनीति हमेशा से युवाओं के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही है। खैरागढ़ नगर पालिका के दो बार अध्यक्ष और जनपद अध्यक्ष निर्वाचित होकर विक्रांत ने अपनी राजनीतिक क्षमता का प्रदर्शन किया। हर चुनाव में वह निर्वाचित होकर ही शीर्ष पद पर काबिज हुए हैं।
युवा आयोग अध्यक्ष जितेन्द्र मुदलियार का राजनीतिक पृष्ठभूमि हमेशा मजबूत रहा है। उनके पिता स्व. उदय मुदलियार राजनांदगांव से विधायक रहे। पिता के गुजर जाने के बाद परिवार और राजनीतिक जिम्मेदारी का जितेन्द्र बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। कम उम्र में उन्होंने साढ़े 4 साल राजनांदगांव शहर कांग्रेस अध्यक्ष का जिम्मा उठाया। पूर्ववर्ती रमन सरकार के कार्यकाल में मुदलियार ने शहर और ग्रामीण जनता के हितों को लेकर सरकार से मुकाबला किया। वह लंबे समय से राजनीतिक क्षेत्र में किस्मत आजमाने के लिए दमखम दिखा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि संगठन आसन्न विधानसभा चुनाव में मौका देगी। मुदलियार के पास युवाओं की अच्छी टीम है।
वनांचल मोहला की युवा नेत्री नम्रता सिंह भी लंबे समय से आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से टिकट की उम्मीद लगाए हुए है। पुणे से कामर्स में ग्रेज्युएट नम्रता वर्तमान में मोहला-मानपुर-अं.चौकी जिले की भाजपा संगठन में महामंत्री है।
वह सामाजिक सरोकार से जुड़े मामलों में भी काफी रूचि लेती है। उन्होंने स्कूली शिक्षा को दुरूस्त करने के लिए 70 शिक्षकों का खर्च निजी तौर पर उठाया। वह धर्मांतरण को लेकर भी मुखर रही है।
घर वापसी अभियान में उन्होंने 25 परिवार को ईसाई धर्म से हिन्दू धर्म में वापस लाया।
युवा चेहरों में महेन्द्र यादव का नाम भी जाना-पहचाना है। डोंगरगांव विधानसभा के बोदेला के रहने वाले महेन्द्र लगातार दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए हैं। कांग्रेस के वह किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष भी रहे। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ में महामंत्री हैं। बेहद कम उम्र में वह बोदेला पंचायत के सरपंच रहे। डोंगरगांव की राजनीति में कांग्रेस संगठन में उन्हें एक दमदार चेहरे के रूप में गिना जा रहा है।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित एकमात्र विधानसभा डोंगरगढ़ सीट से पवन मेश्राम का नाम हर विधानसभा चुनाव में चर्चा में रहा है। वह रमन सरकार के तीसरे कार्यकाल में अंत्यावसायी वित्त विकास निगम के सदस्य रहे। साथ ही वह भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष और बस्तर प्रभारी रहे। वह लगातार डोंगरगढ़ के सभी इलाकों में दौरा कर रहे हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं।
खुज्जी विधानसभा सीट में जगजीत सिंह भाटिया (लक्की) भी युवा चेहरों में से एक हैं। वह पूर्व मंत्री स्व. रजिंदरपाल भाटिया के सुपुत्र हैं। उनके पिता लंबे समय तक खुज्जी विधानसभा से विधायक रहे। यानी जगजीत सिंह पिता से मिले राजनीतिक गुर से अनुभवी बन गए हैं। पिता के विधायक रहने के दौरान जगजीत पारिवारिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहे। इस बार उन्हें एक मजबूत चेहरा होने के कारण सशक्त दावेदार माना जा रहा है।