राजनांदगांव

विक्रांत और गीता को मिला पहला मौका, डेढ़ दशक बाद संजीव पर भाजपा ने लगाया दांव
18-Aug-2023 12:24 PM
विक्रांत और गीता को मिला पहला मौका, डेढ़ दशक बाद संजीव पर भाजपा ने लगाया दांव

   भाजपा ने जारी की पहली सूची  
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 अगस्त।
राजनीतिक रूप से चौंकाने में माहिर भाजपा ने चुनावी बिसात में पहली चाल चलते छत्तीसगढ़ के 21 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में खैरागढ़ से विक्रांत सिंह और मोहला-मानपुर जिले से संजीव शाह को पार्टी ने  अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि राजनंादगांव जिले के खुज्जी विधानसभा सीट से जिला पंचायत अध्यक्ष गीता साहू पर पार्टी ने भरोसा जताया है। यह संयोग है कि पहली सूची में जिला पंचायत में काबिज अध्यक्ष और उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह को भाजपा ने चुनाव लडऩे का मौका दिया है। दोनों नए चेहरे हैं। वहीं आदिवासी आरक्षित मोहला-मानपुर सीट से डेढ़ दशक बाद संजीव शाह को चुनावी राजनीति में वापसी का मौका संगठन ने दिया है। 

2008 में संजीव शाह का पत्ता काट दिया गया था। इस फैसले के बाद लगातार  कांग्रेस वनांचल में काबिज रही है। इसी तरह लंबे समय से टिकट की मांग करते रहे विक्रांत सिंह पर पार्टी ने विश्वास जताया है। विक्रांत हर चुनाव टिकट के प्रबल दावेदार रहे। जातिगत समीकरण के चलते हर बार उन्हें मायूसी हाथ लगी। भाजपा ने अचानक सूची जारी कर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी। आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले भाजपा ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर राजनीतिक पंडि़तों को चौंका दिया। 

बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने समूचे मामले में फैसला लेकर टिकट की घोषणा की है। प्रदेश संगठन को जल्द सूची जारी होने की उम्मीद नहीं थी। भाजपा ने आचार संहिता लागू होने के करीब 60 दिन पहले अपने उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतार दिया है। अविभाजित राजनांदगांव के परिप्रेक्ष्य में नजर डालें तो  साफ जाहिर हो रहा है कि भाजपा ने सिलसिलेवार हार से उबरने के लिए तीनों सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की। मोहला-मानपुर, खैरागढ़ और खुज्जी में लगातार भाजपा को पटखनी मिल रही है। खैरागढ़ में साल 2014 के बाद से भाजपा को जीत नसीब नहीं हुई है। जबकि खुज्जी और मोहला-मानपुर में डेढ़ दशक से पार्टी जीत के लिए तरस रही है। रणनीतिक तौर पर एक अहम फैसला लेते हुए तीनों सीटों पर उम्मीदवारों को प्रचार करने के लिए भरपूर मौका भी देना संगठन का उद्देश्य है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले  पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए उम्मीदवारों को पर्याप्त समय मिलेगा। भाजपा के समय पहले सूची जारी करने से कांग्रेस भी हैरत में पड़ गई है।

तीनों उम्मीदवारों की खासियत

विक्रांत सिंह : खैरागढ़ विधानसभा से उम्मीदवार बने विक्रांत सिंह राजनीतिक रूप से काफी परिपक्व हैं। उनकी राजनीति हमेशा से प्रभावशाली रही है। युवाओं को जोडऩे और आम लोगों से बेहतर तालमेल रखने की उनमें अद्भुत कला है। विक्रांत वर्तमान में जिला पंचायत के उपाध्यक्ष हैं। पूर्व में वह खैरागढ़ नगर पालिका के दो बार के अध्यक्ष रहे हैं। वहीं  जनपद अध्यक्ष के तौर पर भी उन्होंने बेहतर काम किया। विक्रांत ने हर बार चुनावी राजनीति में खुद को साबित किया है। नगर पालिका से लेकर जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में वह मैदानी लड़ाई लडक़र विजयी हुए।

संजीव शाह : आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से डेढ़ दशक बाद संजीव शाह को पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है। इसके पीछे सिलसिलेवार कांग्रेस के हाथों मिल रही हार से उबरना पार्टी का मकसद है। 2008 के बाद से भाजपा को जीत नसीब नहीं हुई। जबकि 1998 से 2008 तक भाजपा का डंका संजीव शाह के नाम से बजता रहा। जिलाध्यक्ष के तौर पर राजनीति में सक्रिय संजीव शाह के प्रति वनांचल में एक अलग भाव है। शाह आदिवासी नेता के रूप में काफी चर्चित हैं। संगठन को उम्मीद है कि शाह को मौका देकर पार्टी ने अपनी वनांचल में वापसी का रास्ता पक्का कर लिया है।

गीता साहू : जिला पंचायत अध्यक्ष गीता साहू को खुज्जी विधानसभा में जातिगत समीकरण के चलते  मौका दिया गया है। साहू समाज से वास्ता रखने वाली गीता को अच्छी खासी तादाद वाले साहू मतदाताओं से भरपूर मदद मिलने की उम्मीद है। वर्तमान विधायक छन्नी साहू के मुकाबले उन्हें समय से काफी पहले प्रचार करने के लिहाज से उम्मीदवार बनाया गया है।  पहली बार जिला पंचायत सदस्य चुनकर अध्यक्ष बनी  गीता लगातार खुज्जी विधानसभा में सक्रिय रही है। अब देखना यह है कि कांग्रेस किसे मौका देने का मन बना चुकी है। जाहिर तौर पर इस विधानसभा में जाति समीकरण नतीजे के मामले में तुरूप का पत्ता साबित होगा।

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