कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 5 अक्टूबर। विकासखंड कोण्डागांव के ग्राम पंचायत कमेला के सरकारी अस्पताल में झोलाछाप के इलाज से 8 वर्ष की मासूम बच्ची के मौत का मामला प्रकाश में आया है।
कोण्डागांव जिले के अंतिम छोर कोसारटेंडा जलाशय की गोद में बसा है ग्राम पंचायत कमेला। इसी गांव में महेंद्र पांडे अपने तीन बेटों, इकलौती बेटी अंजली (8) और पूरे परिवार के साथ रहता है। एक अक्टूबर की रात अंजली की तबीयत बिगड़ गई। पिता महेंद्र रात लगभग 12 बजे घर के ही पास संचालित उप स्वास्थ्य केंद्र हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर कमेला में अंजली को लेकर पहुंचा।
पिता ने आरोप लगाते बताया कि स्वास्थ्य विभाग से किसी भी तरह से संबंध नहीं रखने वाले मनोज कश्यप ने उप स्वास्थ्य केंद्र कमेला में देर रात 12 के आसपास अंजली का इलाज करते हुए उसे दस्त के दौरान दो इंजेक्शन लगाए। इंजेक्शन लगाए जाने के कुछ ही देर बाद अंजली ने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। अंजली की मौत से पिता सदमे में है।
दरअसल, झोलाछाप मनोज कश्यप उप स्वास्थ्य केंद्र कमेला में पदस्थ सेकंड एएनएम जमुना कश्यप का पति है। सेकंड एएनएम जमुना कश्यप ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि, जब भी कमेला या गांव के आसपास कोई बीमार पड़ता तो उसका पति मनोज कश्यप ही बीमार के घर जाकर इलाज करता, इंजेक्शन लगता, आवश्यकता पडऩे पर ग्लूकोज की बोतल आरएल, एनएस या डीआरएल की बोतल भी लगा दिया करता था।
आरोपी ने कबूला गुनाह
8 साल की मासूम अंजली को जेंटा और डेक्सा की इंजेक्शन लगाने वाले मनोज कश्यप ने ‘छत्तीसगढ़’ के सामने कबूला कि, उसने कहीं किसी से कोई प्रशिक्षण या उपचार का अनुभव नहीं लिया है। वह कुछ समय मेडिकल स्टोर में इलाज काम करता था, जहां उसे दवाइयों का ज्ञान मिला। इसी ज्ञान के आधार पर वह लोगों का इलाज किया करता था।
टीम गठित कर की जाएगी कार्रवाई -सीएमएचओ
कोण्डागांव जिला के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरके सिंह ने कहा कि, मीडिया के माध्यम से अभी-अभी मामले की जानकारी मिली है। टीम गठित कर दोषी पाए जाने पर सेकंड एएनएम जमुना कश्यप के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके सिंह ने इलाज करने वाले झोलाछाप मनोज कश्यप के विरुद्ध किसी भी तरह की कोई कार्रवाई के सवाल पर चुप्पी साधे रखा।
कब दिया जाना चाहिए जेंटा और डेक्सा
कोण्डागांव जिला के शिशु एवं मातृत्व अस्पताल में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रूद्र कश्यप ने बताया कि, डेक्सा इंजेक्शन इमरजेंसी में बीपी कम हो जाने जैसे स्थिति में दिया जाता है। जेंटामाइसिन एक एंटीबायोटिक है, इसका इस्तेमाल निमोनिया जैसी स्थिति में किया जाता है। दस्त के दौरान इन दोनों इंजेक्शन का इस्तेमाल करना नैतिक नहीं है।