रायपुर
रायपुर, 11 अक्टूबर। विगत 23 सालों से केन्द्र के समान पेंशनरो को महंगाई भत्ते राहत की राशि के किस्तों के भुगतान में दोनों राज्यों के बीच 74:26 के अनुपात में बजट वहन करने की आपसी सहमति की बाध्यता बनी हुई हैं, इसकी वजह 23 वर्ष पूर्व राज्य विभाजन हेतु बनाये गए मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 (6) को विलोपित करने की मांग प्रदेश सभी पेंशनर्स संगठन विगत 5 वर्षों से संज्ञान में आने के बाद से लगातार आंदोलन, पत्राचार, चर्चा आदि के माध्यम से करते आ रहे हैं. परंतु छत्तीसगढ़ सरकार को इस हेतु बजट विभाजन से लगातार हो रही आर्थिक हानि के बावजूद धारा 49 को हटाने के मामले में सरकार बिल्कुल गम्भीर नहीं होने को आश्चर्यजनक निरूपित किया है.इस मामलें को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन ने घोषणा पत्र में इस मामले को शामिल करने हेतु घोषणा पत्र कमेटी कांग्रेस केअध्यक्ष मो. अकबर और भारतीय जनता पार्टी में घोषणा पत्र कमेटी के प्रमुख विजय बघेल के साथ साथ दोनों पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा अन्य प्रमुख नेताओं तक ज्ञापन पहॅुचाकर इस धारा 49 को विलोपित करने की मांग को घोषणा पत्र में शामिल करने का आग्रह किया है।
जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री एवं छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने आगे बताया है कि छत्तीसगढ़ के दोनों प्रमुख राजनैतिक दलों से मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) को विलोपित करने, केन्द्र द्वारा देय दर और तिथि से महंगाई राहत की किश्त देने, 65 वर्ष की आयु के बाद 10त्न प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन की वृद्धि करने, बस किराया में 50 प्रतिशत की छूट देने, भारत भ्रमण हेतु आर्थिक सहायता देने, 2000 रुपए मासिक मेडिकल भत्ता व केशलेस इलाज की सुविधा देने, रिटायर कर्मचारी के हितों के संरक्षण हेतु पूर्व कर्मचारी कल्याण बोर्ड का गठन करने, 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन की पात्रता देने, पेंशनर्स की मृत्यु पर परिजनों को 50000 रुपए की अग्रेसिया राशि देने।