रायपुर

अनियमित कर्मचारी, बेरोजगारों को केवल झुनझुना पकड़ाया,अब इनकी बारी है-आप
14-Oct-2023 4:25 PM
अनियमित कर्मचारी, बेरोजगारों को केवल झुनझुना पकड़ाया,अब इनकी बारी है-आप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 अक्टूबर। 
छत्तीसगढ़ राज्य में 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा अनियमित कर्मचारी,संविदा कर्मचारी, बेरोजगारों को रोजगार देने जैसे मुद्दे पर असफलता का लाभ उठाते हुए, कांग्रेस सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में इन बेरोजगारों को रोजगार देने, अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने, पदोन्नति करने जैसे ख्वाबी पुलाव खिलाकर सत्ता प्राप्त की थी। लेकिन 5 साल में कांग्रेस सरकार ने भी कुछ नहीं किया है। अब ऐसे कर्मचारियों की बारी है कि वह मतदान में अपने मान सम्मान व परिवार के भरण पोषण की चिंता करें।

आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया है कि 2018 के चुनाव के पूर्व इन सभी आंदोलनकारी के मंच में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, उप मुख्यमंत्री श्री टी एस सिंहदेव, कद्दावर मंत्री कवासी लखमा आदि मंच साझा कर इनके नियमितीकरण  सरकार बनने पर 10 दिनों में करने का वादा किया था। आज 5 साल बीत जाने के बाद 2018 की स्थिति में ही अनियमित कर्मचारी, स्कूल सफाई कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, बिजली विभाग के ठेका प्रथा के कर्मचारी, मितान, विहान अतिथि शिक्षक, संजीवनी महतारी कर्मचारी, जैसे अनेक संवर्ग के लोग नियमितिकरण से वंचित है। केवल हजार दो हजार, 4000 का झुनझुना पकड़ा कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। हम केवल 15 साल भाजपा शासन, 5 साल कांग्रेस शासन की बात कहकर राजनीति कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि इन संवर्ग के लोगों का 20 वर्ष का जीवन अंधकारमय  हो गया। सभी के आधे नौकरी के समय निकल गए। अब कहीं दूसरे जगह नई नौकरी की संभावना भी नहीं है। इसी प्रकार आरक्षण पर खेला कर पदोन्नति, सीधी भर्ती के  आदि के पद आज भी भरे नहीं गए। इन बेरोजगारों को धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है। श्री झा ने कहा है कि राजनीतिक चश्मे से देखकर छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों के साथ मजाक किया गया है। बेरोजगारी भत्ता भी केवल ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हो रहा है। दोनों दल शिक्षा कर्मियों के संविलियन के लिए स्वयं अपने पीठ थपथपा रहे हैं। लेकिन आज भी संविलियन के बाद सहायक शिक्षकों के द्वारा नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता की गणना करने हेतु 5 साल तक लंबे आंदोलन किए गए। आश्वासन के बाद उन्हें शून्य बटे सन्नाटा ही मिला है। सबसे भयंकर खेल शासकीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने का हुआ। जिसमें आज भी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन व 18 वर्ष में जमा राशि वापस नहीं मिल पा रहा है। एनएसडीएल कंपनी 17,240 करोड रुपए हजम कर ली और कर्मचारियों के खून पसीने की कमाई केंद्र और राज्य के फुटबॉल में फंस गया है। वास्तविक पुरानी पेंशन आज भी लागू नहीं हुई है। 
 

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