बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 15 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को पत्नी की किसी अन्य व्यक्ति के साथ हुई बातचीत की फोन रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर पेश करने की अनुमति दी थी।
महासमुंद की एक दंपती के बीच विवाद हो गया। साल 2019 में पति ने पत्नी को छोड़ दिया। पत्नी ने अलग होने के बाद भरण-पोषण के लिए धारा 125 के तहत परिवार न्यायालय में परिवाद लगाया। पति ने भरण-पोषण की रकम देने से यह कहते हुए इंकार किया कि उसकी पत्नी का किसी अन्य व्यक्ति के साथ अनैतिक संबंध है। पति ने तर्क दिया कि इसके सबूत के रूप में उसके पास पत्नी और उस व्यक्ति के बीच हुई बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग है। परिवार न्यायालय ने इसे सबूत के रूप में कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
परिवार न्यायालय के आदेश को महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि महिला की अनुमति के बगैर उसकी फोन कॉल की रिकॉर्डिंग उसकी निजता के अधिकार का हनन है। इस संबंध में अधिवक्ता ने पूर्व में आए न्यायालीन आदेशों का हवाला भी दिया। जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच ने माना कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी व्यक्ति की बातचीत को उसकी अनुमति के बगैर मोबाइल में रिकॉर्ड करना, उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया।