बिलासपुर

अमन चैन लौटाने का वादा कर रहे अमर को शैलेष ने दो बड़े हत्याकांडों की याद दिलाई
02-Nov-2023 1:19 PM
अमन चैन लौटाने का वादा कर रहे अमर को शैलेष ने दो बड़े हत्याकांडों की याद दिलाई

 कांग्रेस भाजपा के प्रचार ने तेजी पकड़ी, वार्डों में घर-घर दस्तक दे रहे दोनों प्रत्याशी 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 2 नवंबर। प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक बिलासपुर विधानसभा में इस बार भी भाजपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और कांग्रेस उम्मीदवार शैलेष पांडेय के बीच सीधा मुकाबला दिखाई पड़ रहा है लेकिन इस बार मुद्दे बदल गए हैं। भाजपा प्रत्याशी शहर की कानून व्यवस्था बिगडऩे, जमीन माफियाओं का वर्चस्व होने, नशाखोरी बढऩे का आरोप लगाकर मतदाताओं को आश्वस्त कर रहे हैं कि वे जीतने पर शहर का अमन चैन बहाल कराएंगे। इधर विधायक शैलेष पांडेय ने उन्हें पत्रकार सुशील पाठक और गौरांग बोबड़े हत्याकांड की याद दिलाई है।

नामांकन दाखिले के पहले से ही दोनों ही उम्मीदवारों का नाम घोषित हो गया था। करीब 10 दिनों से दोनों ही प्रत्याशी वार्डों में सक्रिय हो चुके हैं। सन् 2018 में अरपा, अंडरग्राउंड सीवरेज परियोजनाओं की विफलता, कांग्रेस भवन में लाठीचार्ज और शहर में विकास कार्यों को ठप होना चुनावी मुद्दा था। इस बार भाजपा प्रत्याशी अमर अग्रवाल और उनकी टीम जनसंपर्क के दौरान कानून व्यवस्था के ठप होने, जमीन, रेत और शराब माफियाओं के हावी होने और चाकूबाजी तथा कानून व्यवस्था का सवाल खड़ा कर रहे हैं।

अमर अग्रवाल कह रहे हैं कि जो भी शहर में विकास हुआ, मोदी की स्मार्ट सिटी परियोजना के चलते हुए। शांत शहर बिलासपुर की कानून व्यवस्था इन पांच सालों में बिगड़ चुकी है। कोई दिन नहीं गुजरता जब चाकूबाजी न होती हो। वे कह रहे हैं कि निजात अभियान पुलिस का वसूली अभियान बन गया है। कोयला, रेत और शराब माफिया घूम रहे हैं। रेलवे परिक्षेत्र में प्रचार के दौरान अग्रवाल ने कहा कि जनता ने मेरे 15 सालों का हिसाब मुझसे ले लिया है, अब कांग्रेस की बारी है कि वह जनता को अपने पांच साल का जवाब दे।

विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष पांडेय ने इसके जवाब में याद दिलाया कि अपने एक समर्थक के साथ हुई घटना के बाद बिलासपुर का सांसद रहने के दौरान स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव ने कहा था कि बिलासपुर सहित पूरे प्रदेश में प्रशासनिक आतंकवाद चल रहा है। तब बिलासपुर में गुंडागर्दी और प्रशासनिक आतंकवाद उनके ही संरक्षण में चरम पर था। कानून व्यवस्था सुधारने की बात करने वाले अग्रवाल को बताना चाहिए कि पत्रकार सुशील पाठक की हत्या की घटना पर क्यों मौन रहे। मैग्नेटो मॉल में हुई गौरांग बोबडे की हत्या को लेकर सारा शहर जानता है कि उन्होंने क्या किया। मोपका में सरकारी जमीन का घोटाला और जमीन की बंदरबांट हुई। सरकारी दस्तावेजों की हेरा फेरी किसके कार्यकाल में हुई, यह भी शहर की जनता अच्छी तरह से जानती है। पूरे प्रदेश में राजस्व विभाग ने 22 बिंदु सिर्फ बिलासपुर में ही लागू क्यों किया था उनके संरक्षण में भू माफिया बड़े और सरकारी तथा निजी जमीन के खसरा नंबर उड़ा कर ले जाते थे। तब राजस्व मंत्री अग्रवाल ही थे। उसकी सजा यहां की जनता आज भी भोग रही है।

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