बेमेतरा

13 हजार टन यूरिया की डिमांड संभावित, लेकिन समितियों के पास 544 टन का स्टॉक शेष
20-Nov-2023 2:44 PM
13 हजार टन यूरिया की डिमांड संभावित, लेकिन समितियों के पास 544 टन का स्टॉक शेष

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 20 नवंबर। जिले में खाद की पर्याप्त आवक नहीं होने की वजह से सहकारी समितियों में रबी फसल सीजन के दौरान यूरिया का स्टॉक आने वाले दिनो में किसानों की जरूरत के हिसाब से कम है। जिले में रबी सीजन के दौरान 12956 टन यूरिया की डिमांड आने की संभावना है। वहीं जिले की समितियों में केवल 1997 टन यूरिया खाद की सप्लाई की गई है, जिसमें से वितरण के बाद समितियो में केवल 544 टन यूरिया का स्टॉक बचा है। यूरिया के अलावा डीएपी, पोटाश व अन्य खादों का स्टॉक कम ही है।

जानकारी हो कि जिले के चारों ब्लॉक बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ में जारी रबी सीजन के दौरान एक लाख 64 हजार 51 हेक्टेयर में किसान फ सल लेते हैं। इस सीजन के दौरान प्रमुख रूप से गेहूं का रकबा 56 हजार हेक्टेयर व अन्य अनाज का रकबा 350 हेक्टेयर, चना, मटर, मसूर, मूंग, उड़द, तिवरा, कुल्थ समेत कुल रकबा 1 लाख हेक्टेयर, अलसी, सरसो, तिल, सूर्यमुखी, कु सुम, मूंगफ ली व अन्य तिलहन फसलों का रकबा 1400 हेक्टेयर तय किया गया है। इसके लिए किसानों को इस सीजन में खरीफ फ सल कटने के बाद तीनों तरह की खाद यूरिया, डीएपी व बारह बत्तीस सोलह समेत कुल 272201 टन खाद के स्टॉक का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें से नए पुराने स्टॉक को मिलाकर अब तक जिले के चारों ब्लॉक की सहकारी समितियों के पास केवल 6447 टन खाद का भंडारण था, जिसमें से अब तक जिले की समितियों ने 4464 टन खाद का वितरण किसानों को किया है, जिसके बाद वितरण के लिए केवल 1983 टन खाद का स्टॉक समितियों के पास है।

सबसे अधिक यूरिया की जरूरत,

इसकी कमी भी अधिक

किसानों ने बताया कि चूंकि त्यौहार व चुनाव होने के कारण फसल कटाई की रफ्तार कम थी पर अब किसानों का लक्ष्य केवल धान काटने को लेकर है। जैसे-जैसे धान की कटाई होगी। वैसे-वैसे रबी फसल का रकबा बढ़ेगा। रबी सीजन के दौरान दीगर खाद की अपेक्षा यूरिया का सबसे अधिक 12956 टन का लक्ष्य तय किया गया है। जिले को अब तक विपणन संघ द्वारा 620 टन यूरिया खाद की आपूर्ति की गई है। वहीं समितियों में पूर्व सीजन का 1377 टन यूरिया बचा था। नए पुराने स्टॉक को मिलाकर जिले की समितियों में 1997 टन यूरिया का स्टॉक हुआ था, जिसमें से किसानों को अब तक 1453 टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है। अब केवल 544 टन यूरिया समितियों के पास है। यूरिया का कम स्टॉक होने की वजह से अनेक समितियों में एक टन का स्टॉक भी नहीं है। स्टॉक की कमी होने के कारण समितियों खाद लेने पहुंच रहे किसानों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। किसान योगेश्वर चौबे , रामाधार साहू ने बताया कि आने वाले दिनों में खाद की जरूरत किसानों को अधिक होगी। ऐसे में समितियों में अधिक से अधिक भंडारण किए जाने की जरूरत है।

मांग के हिसाब से भंडारण

करना बेहद जरूरी

किसानों की फसल के लिए यूरिया के अलावा डीएपी की भी दरकार होती है। जिले में पूर्व सत्र की खपत को आधार रख कर 8183 टन डीएपी की जरूरत होने का अनुमान लगाया गया है। जिले में केवल 839 टन डीएपी की आपूर्ति हुई है। पुराने स्टॉक को मिलाकर कुल 2648 टन में सें 2052 टन डीएपी का वितरण करने के बाद केवल 596 टन का स्टॉक बचा है। विपणन संघ द्वारा सुपर फास्फेट की सप्लाई केवल 15 टन की गई है। इसी तरह 12 बत्तीस 16 खाद का लक्ष्य 2873 टन रखा गया है पर अभी तक इस खाद के एक टन की सप्लाई विपणन संघ द्वारा नहीं की गई है। समितियों में पूर्व स्टॉक 547 टन में से 383 टन खाद किसानो को वितरित किया गया है।

वितरण के बाद समितियों में केवल 163 टन इस खाद का स्टॉक बचा है। वहीं पोटाश की सप्लाई केवल 15 टन हुई है। जिले की समितियों में 269 टन का स्टॉक शेष है। बहरहाल कृषि प्रधान जिले में आने वाले समय में किसानों की जरूरत को देखते हुए रबी फ सल के लिए खाद का भंडारण किया जाना जरूरी हो चुका है। वर्ना जिले में एक बार फि र खाद संकट की स्थिति का सामना किसानों को करना पड़ सकता है। जिला विपणन अधिकारी उपेन्द्र कुमार से इस मुद्दे पर बात करने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया पर अधिकारी का मोबाइल बंद मिला।

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