बेमेतरा
पखवाड़ा 4 दिसम्बर तक जारी है, पुरुषों को परिवार नियोजन के लिए आगे आने किया जा रहा प्रेरित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 27 नवंबर। छोटा परिवार सुखी परिवार के लिए महिलाएं अधिक जागरूक रही है। जिले में जारी सत्र में 86 महिलाओं ने नसबंदी कराई। वहीं पुरुषों की संख्या 18 में ही सिमटी हुई है। जानकारी हो कि जिले में जनसंख्या की रफ्तार को रोकने के लिए पुरुषों के भी सामने आने की जरूरत को देखते हुए जिला अस्पताल व अन्य शासकीय अस्पतालों में एनएसवी यानी पुरुष नसबंदी ऑपरेशन के सुविधा उपलब्ध कराई गई है। साथ ही शासन स्तर पर पुरुष नसबंदी के बाद हितग्राही के खाते में प्रोत्साहन राशि के रूप में 3000 रुपए दिए जा रहे हैं। वहीं प्रेरक को 300 रुपए की राशि दी जा रही है। महिला नसबंदी में 2000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
अधिक राशि देकर पुरूषों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है पर इसका व्यापक असर अब तक दिखाई नहीं दिया है। जिले में इस बार पुरुष नसबंदी पखवाड़ा 4 दिसंबर तक मनाया जा रहा है। सीएचएमओ डॉ. जीएल टंडन ने बताया कि ऑपरेशन में कम समय लगता है। एक ही दिन में घर जा सकते हैं। इस बार जिला अस्पताल के अलावा दीगर अस्पतालों में भी ऑपरेशन की सुविधा है।
डॉक्टर की कमी से ऑपरेशन प्रभावित, हड़ताल भी बना कारण
बताना होगा कि जिले में इस बार अप्रैल सेे लेकर बीते अक्टूबर माह तक जिला अस्पताल के एमसीएच यूनिट में 86 महिलाओं ने नंसबंदी ऑपरेशन कराया है। जिला अस्पताल के पुराने भवन के ऑपरेशन थियेटर के खराब रहने व सर्जन डॉक्टरों की कमी व डॉक्टरों के हड़ताल की वजह से भी इस बार नसबंदी ऑपरेशन की रफ्तार कमजोर है। जिले में नसबंदी ऑपरेशन की संख्या बढ़ाने के लिए रायपुर के डॉक्टर को बुलाया गया है।
ऑपरेशन में महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों को कम दिक्कतें आएंगी
प्रभारी ने बताया पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की तुलना में काफी आसान और सुरक्षित प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया बिना चीरा एवं टांके के मात्र आधे घंटे से कम समय में ही पूर्ण हो जाती है। उसके बाद लाभार्थी आराम से घर जा सकते हैं। एक महिला पर घर और बच्चों की जिम्मेदारी भी होती है। इसलिए नसबंदी कराने के बाद आवश्यक शारीरिक आराम उसे मिल पाने की संभावनाएं कम होती हैं। इसलिए पुरुषों की यह नैतिक जिम्मेदारी भी है कि वह आगे बढ़ कर नसबंदी को अपनाएं।
जिले में महिला नसबंदी लक्ष्य - 1700 अब तक 86
जिले में पुरूष नसबंदी लक्ष्य - 100 अब तक 18
एक कारण ये भी, लोग
खेतों में अधिक व्यस्त
जानकारों ने बताया कि आमतौर पर जुलाई-सितबर माह में महिला नसबंदी ऑपरेशन अधिक होता है। इस अवधि में हड़ताल व डॉक्टरों की कमी की वजह से कम ऑपरेशन हुए थे। वहीं बीते तीन माह से लोग कास्तकारी के काम में अधिक समय देते हैं। इस वजह से अब नहीं के समान प्रकरण मिल रहे हैं। आने वाले समय में फसल कटने के बाद ऑपरेशन कराने वालों की संख्या में इजाफा होने लगेगा। आने वाले दिसंबर के अंत व जनवरी में महिला नसबंदी अधिक होने की संभावना है।
लोगों को प्रेरित कर रहे हैं
सीएचएमओ डॉ. जीएल टंडन ने बताया कि जिले में पुरुषों को नसबंदी कराने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। लक्ष्य बनाकर लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।