बेमेतरा
आचार्य की जीवनचर्या को जानकर लोग हुए अभिभूत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 28 नवंबर। नगर में राष्ट्र संत आचार्य विद्यासागर महाराज का आगमन हुआ, यहां जैन समाज द्वारा भब्य मंगल प्रवेश किया। नगर में पहुँचे संत के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में लोग पहुँचे थे। महावीर जैन ने बताया कि भीषण गर्मी में भी कपड़ा, कंबल, चटाई, रजाई, पंखा, कूलर , हीटर और ऐसी आदि का उपयोग आचार्यनहीं करते है। वे सीमित आहार लेते है। लकड़ी के पाटा में बैठकर सुबह से शाम हो जाती हैं। शेष समय ध्यान में लीन रहते हैं। आचार्य24 घंटे में एक बार खड़े होकर आहार लेते है।
नमक, गुड़, फल, सब्जी, मेवा व दूध का किया त्याग
आचार्य विद्यासागर आहारचर्या के लिए निकलते है तो सैकड़ों श्रद्धालु उनके पडग़ाहन के लिए खड़े रहते हैं। उनकी आहारचर्या को देखकर लोग दांतो तले उंगली दबा लेते हैं। आचार्यने नमक, गुड़, फल, सब्जी, सूखे मेवे व दूध का त्याग किया है। केवल दाल, रोटी, चावल और पानी आहारों में लेते हैं। छह रसों में केवल घी लेते है। सर्दी के समय में श्रद्धालु बाजरे की रोटी बनाकर खिलाते है।
कम उम्र में आचार्य पद को किया सुशोभित
आचार्य विद्यासागर महाराज साहब 10 अक्टूबर 1946 को चिक्कोड़ी सदलगा जिला बेलगांव कर्नाटक प्रांत में मल्लप्पा और श्रीमंती जैन अष्टगे के घर जन्मे थे। उनका नाम विद्याधर रखा गया। कक्षा 9वीं तक लौकिक शिक्षा लेने के बाद 1966 में आचार्य देशभूषण महाराज से उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत लिया और 30 जून 1968 को उन्हें आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने मुनि पद की दीक्षा दी। मात्र 26 वर्ष की आयु में 22 नवंबर 1972 को उन्हें उनके गुरु ने अपना आचार्य पद सौंप दिया। छोटी सी उम्र में आचार्य पद पर बैठने वाले वे पहले जैन आचार्य है। आज महान संत को सुनने के लिए व दर्शन के लिए आसपास के लोग जिला मुख्यालय पहुंचे थे।