कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव,13 दिसंबर। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय -बहीगांव में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पहुंचा। उमाविद्या बहीगांव की प्राचार्य टेरेसा फ्रांसिस, एवं शिक्षक शिक्षिकाओं के विशेष सहयोग से शिविर आयोजित कर विद्यार्थियों को कानूनी जानकारी दी गई।
मनीषा तिवारी, रिटेनर अधिवक्ता केशकाल ने बताया कि, पॉक्सो यानी कि, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल आंपेस, एक्ट इस कानून को 2012 में लाया गया था यह बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को अपराध मानता है। यह कानून 18 साल से कम उम्र के लडक़े और लड़कियों दोनों पर लागू होता है। अधिनियम के अनुसार लडक़े और लड़कियां दोनों यौन शोषण के शिकार हो सकते हैं।
पीडि़ता के लिंग की परवाह किए बिना ऐसा दुर्व्यवहार एक अपराध है। यहां इसी सिद्धांत के अनुरूप, है कि सभी बच्चों को यौन दुव्र्यवहार और शोषण से सुरक्षा का अधिकार है तथा लिंग के आधार पर कानूनो के भेदभाव नहीं करता है।
बच्चों का लैंगिक उत्पीडऩ से संरक्षण अधिनियम -2012, इस अधिनियम में यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी 18 वर्ष से कम उम्र के बालक के किसी भी निजी अंक में किसी भी निजी अंक का परमिशन करना या किसी अन्य वस्तु का प्रवेश करना कानूनी अपराध है। गुरुत्व लैंगिक प्रवेश कानून अपराध माना जाता है। और साइबर क्राइम, मोबाइल फोन का सही उपयोग के बारे बताई गई।
पी एल वी -अनिल कुमार मंडावी तालुक विधिक सेवा समिति केशकाल ने मानव तस्करी से संबंधित जानकारी दी, जैसे कि मानव तस्करी जिससे व्यक्तियों की तस्करी के रूप में जाना जाता है, एक अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति को श्रम या सेवाएं प्रदान करने या व्यावसायिक यो कृतियों में शामिल होने के लिए मजबूर करना या मजबूर करना शामिल है। जबरदस्ती सूचना या प्रत्यक्ष शारीरिक या मनोवैज्ञानिक हो सकती है। व्यावसायिक यौन संबंध के लिए किसी नाबालिक का शोषण मानव तस्करी है, भले ही इसमें किसी प्रकार का बाल धोखाधडी या जबरदस्ती का इस्तेमाल किया गया हो। विद्यार्थियों को बताया गया कि अनजान लोगों के किसी प्रकार का बातें पर विश्वास नहीं करना चाहिए।