जशपुर

झूठी शिकायत पर महिला सरपंच को जाना पड़ा जेल, मिली जमानत
19-Dec-2023 3:26 PM
झूठी शिकायत पर महिला सरपंच को जाना पड़ा जेल, मिली जमानत

उत्सवी माहौल में सरपंच पद का दोबारा सौंपा दायित्व

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुरनगर, 19 दिसंबर।
झूठी शिकायत पर महिला सरपंच को जेल जाना पड़ा था। जमानत मिलने पर पूरे ग्रामवासी झूम उठे। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पत्नी कौशल्या साय के नेतृत्व में ढोल नगाड़े की धुन पर, महिला सरपंच चंद्रकला भगत को पंचायत भवन पहुंचाया और उन्हें दोबारा कार्यभार ग्रहण कराया।

बताया जाता है कि कांग्रेस सरकार के दौरान बेकसूर होते हुए भी महिला सरपंच चन्द्रकला भगत को 6 माह तक जेल में रहना पड़ा। संघर्ष के बाद जब, महिला सरपंच को न्याय मिला तो पूरा पंचायत झूम उठा और उनको सरपंच के रूप में दोबारा कार्यभार ग्रहण कराने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पत्नी कौशल्या देवी पंचायत भवन पहुंची। इस दौरान उन्होंने, भावुक हो रही चन्द्रकला भगत को सांत्वना दी और कांग्रेस पर भी जमकर भडक़ी।

श्रीमती साय ने कहा कि चन्द्रकला भगत जैसी सीधी सरल और ईमानदार महिला सरपंच को सत्ता का दुरूपयोग कर, प्रताडि़त करने की कीमत कांग्रेस को चुकाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनाव में मिली करारी पराजय कांग्रेस के लिए एक सबक है कि भविष्य में नारी शक्ति का अपमान ना करें। 

ज्ञात हो कि महिला सरपंच चंद्रकला भगत की मुसीबत 2019 में उस समय शुरू हुई,जब उनके विरूद्ध जनपद पंचायत के सीईओ के विरूद्ध पंचायत में क्वारंटीन सेंटर के संचालन में लापरवाही और वित्तिय अनियमितता की शिकायत की गई। चंद्रकला भगत का आरोप है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दबाव में उनके विरूद्ध बिना किसी जांच,कारण बताओ नोटिस के निलंबित करने के साथ ही,कांसाबेल थाना में उनके विरूद्ध धारा 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर दिया गया। 

इस बीच चन्द्रकला भगत की अपील पर, बगीचा एसडीएम न्यायालय ने जनपद पंचायत कांसाबेल के सीईओ के निलंबन के आदेश को स्थगित कर दिया। लेकिन अधिकारी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए इस आदेश को भी रुकवा दिया। परिवार को पुलिसिया आतंक से बचाने के लिए चंदकला भगत ने आत्म समर्पण कर दिया और 6 माह तक जेल में रही। आखिर में उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दी। इस बीच, एसडीएम न्यायालय के स्थगन आदेश के विरुद्ध अतिरिक्त कलेक्टर के न्यायालय ने सुनवाई करते हुए, आदेश को निरस्त कर दिया। इसके बाद, एसडीएम बगीचा के आदेश पर चन्द्रकला भगत को पूरे सम्मान के साथ उत्सवी माहौल में सरपंच पद का दायित्व दोबारा सौंपा गया।
 

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