दुर्ग

केंद्रीय गोड़ महासभा 11 को
10-Feb-2024 2:13 PM
केंद्रीय गोड़ महासभा 11 को

प्रदेशभर से जुटेंगे आदिवासी समाज के लोग 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 10 फरवरी। 
केंद्रीय गोड़ महासभा धमधागढ़ 11 फरवरी को गोड़वाना भवन सिविल लाइन कसारीडीह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव, दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर, अहिवारा विधायक डोमनलाल कोर्सेवाडा, वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन, साजा विधायक ईश्वर साहू के अलावा आदिवासी समाज के 18 भाजपा विधायकों का सम्मान करेगा। 

इस समारोह को यादगार बनाने मुख्यमंत्री श्री साय को लड्डुओं से तौलकर आदिवासी समाज के परंपरानुरूप उनका तीर- धनुष व बासन पहनकर भव्य स्वागत- सम्मान किया जाएगा। सम्मान स्थल पर मुख्यमंत्री श्री साय को गाजे बाजे व शोभायात्रा के साथ लाया जाएगा। 

इस दौरान आदिवासी नृत्य और गीत की धुन आकर्षण का केंद्र रहेगी। दोपहर 3 बजे से शुरू होने वाले सम्मान समारोह में दुर्ग संभाग के 8 जिलों के अलावा बस्तर संभाग और अन्य आदिवासी क्षेत्र से आदिवासी समाज के लोग करीब 10हजार की संख्या में जुटेगे। सम्मान समारोह उपरांत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को महासभा द्वारा आदिवासी समाज के लोगों की समस्याओं और विकास हितैषी विषयों से संबंधित मांग पत्र भी सौंपे जाएंगे। 

यह बातें केंद्रीय गोड़ महासभा धमधागढ़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमडी ठाकुर ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा में कही। इस दौरान केंद्रीय गोड़ महासभा धमधागढ़ के प्रमुख सलाहकार सीताराम ठाकुर, सचिव पन्नालाल नेताम, प्रवक्ता विष्णुदेव ठाकुर, प्रदेश युवा अध्यक्ष प्रशांत ठाकुर, दुर्ग जिला अध्यक्ष राजेश ठाकुर, धमधा तहसील अध्यक्ष पुराणिक नेताम, राजूलाल नेताम, रामसिंह ठाकुर भी मौजूद थे। 

चर्चा में केंद्रीय गोड महासभा धमधागढ़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमडी ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 23 साल बाद राज्य को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के रूप में पहला आदिवासी मुख्यमंत्री मिला है। जिससे पूरे आदिवासी समाज में हर्ष और उत्साह का माहौल है।  प्रदेश का आदिवासी समाज मुख्यमंत्री के स्वागत व सम्मान करने के लिए आतुर है। इसलिए महासभा द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। श्री ठाकुर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार से प्रदेश के आदिवासी समाज को काफी अपेक्षाएं हैं। इस दिशा में मुख्यमंत्री ने कार्य भी प्रारंभ कर दिए हैं, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में अभी भी नक्सली समस्याएं व धर्मांतरण का मुद्दा हावी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने इन मुद्दों के निराकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। जिसके चलते इन गंभीर समस्याओं से आदिवासी समाज पीडि़त और प्रभावित रहा है। 

तेंदूपत्ता बिक्री का आदिवासी क्षेत्र के लोगों को सही मूल्य नहीं मिला है। जातिगत आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी समाज को जरूर अंतरिम राहत दी है, लेकिन आदिवासी समाज 32 प्रतिशत स्थाई आरक्षण का पक्षधर है। पूर्व की कांग्रेस सरकार ने राज्य के आदिवासी क्षेत्र के खनिज संपदाओं का भरपूर दोहन किया, लेकिन आदिवासियों के विकास व उत्थान की उनके द्वारा उपेक्षा की गई है। 

आदिवासी समाज चाहता है कि इन खनिज संपदाओं से मिलने वाली रॉयल्टी की राशि आदिवासियों के विकासमुखी योजनाओं में लगाया जाए। जिससे क्षेत्र के युवाओं को रोजगार और आदिवासी समाज को बेहतर शिक्षा व चिकित्सा सेवा का लाभ मिल सके। 

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