राजनांदगांव

निगम के आय-व्यय की वृद्धि पर सामान्य सभा की स्वीकृति अनिवार्य- सुनीता
02-Mar-2024 2:45 PM
निगम के आय-व्यय की वृद्धि पर सामान्य सभा की स्वीकृति अनिवार्य- सुनीता

 आयुक्त अवैध राजस्व वसूली के लिए प्राईवेट कंपनी पर रोक लगाए 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 2 मार्च।
निगम ने शहरी क्षेत्र में राजस्व वसूली के लिए किसी प्राइवेट कंपनी को टैक्स वसूली हेतु ठेके में दी है। निगम स्वशासन संस्था है, किन्तु प्रदेश शासन के अधीनस्थ ही कार्य करती है। कभी-कभी ऐसे निर्णय राज्य सरकार जनता के लिए तुगलिकी फरमान जारी करती है, जिसे निगम को मानना पड़ता है। पार्षद सुनीता फडऩवीस ने कहा कि 2003-2004 में राज्य सरकार ने एक पत्र जारी कर सारे निगम को शासन के आदेश को मानने नियम में संशोधन किया गया था। 2003 के पूर्व राज्य सरकार के आदेश को निगम के सामान्य सभा में चुनौती दी जा सकती थी। राज्य शासन ने क्या आदेश जारी किया, कभी जनप्रतिनिधियों की जानकारी क्यों नहीं दी गई, यह समझ से परे है।

पार्षद सुनीता फडऩवीस ने कहा कि नगर निगम ने चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ-साथ शहर की जनता को भी गुमराह किया है अगर शासन का पत्र का पत्र आया तो उस आदेश की कापी को बताना था, यह तो सीधा छलावा है। साथ ही न्याय उचित भी नहीं है, जब निगम को आय-व्यय की बात होती है तो निगम अधिनियम के अनुसार सामान्य सभा में विषय लाना था।

एक रुपय की भी आय-व्यय की बात हो तो एमआई सी के माध्यम से सामान्य सभा में लाना अनिवार्य है। ऐसे स्थिति में शहर की जनता के निवास स्थान का नापजोख करना नियम विरुद्ध है। जनप्रतिनिधियों को मालूम ही नहीं है, क्या दर से जनता से संपत्ति की वसूली की जाएगी, कैसे भुगतान करेगी, कोई चर्चा नहीं हुई, कितनी राशि निगम को मिलेगी, कितना लाभ-हानि होगी कोई पता ही ऐसे नहीं चलेगा । राज्य शासन के साधारण पत्र आदेश जारी होने पर उसे मानना-नहीं मानना सामान्य सभा को हैं, किन्तु ऐसा क्यों नहीं किया गया, इस पर शक जाहिर होना स्वभाविक है।

श्रीमती फडऩवीस ने कहा कि यहां पर निगम अधिनियम का पूर्ण उल्लंघन किया गया, जो गैरकानूनी है। सामान्य सभा की स्वीकृति होने के बाद निगम आयुक्त प्रस्ताव को 15 दिन के अंदर उसे राज्य शासन से अनुमति लेना अनिवार्य है, उसके बाद ही कोई प्रस्ताव लागू होता है। जानकारी के अनुसार ऐसी कोई बात नहीं है। ऐसी स्थिति में जनता किसी को अपने निवास पर घुसे न दे ना ही नाप जो करने दे प्राइवेट कंपनी के व्यक्तियों को घुसने ना दे अभी तक जो भी नापजोख हुआ है, उसे निगम अवैधानिक घोषित करे। पार्षद सुनीता ने कहा कि निगम एक अप्रैल से प्राइवेट कंपनी को राशि वसूलने पर रोक लगाए, जब तक विधिवत स्वीकृति ना मिले, तब तक आदेश को निरस्त करे।
 

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