रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। डिप्टी सीएम गृह विजय शर्मा ने नक्सल मोर्चे की पूरी समीक्षा के बाद प्रभावित जिलों में स्थापित नए कैंपो में युवा 5 एएसपी और 28 को आपरेशन में पदस्थ किए थे। लेकिन ये सभी अब जंगल के भीतरी इलाकों में जाने के बजाए एसपीज्ज़ से सेटिंग कर चुनावी कार्य के नाम पर जिला मुख्यालयों में तैनात हो गए हैं। कुछ तो रिलीव होने के बाद वहां गए ही नहीं हैं।कागजी पोस्टिंग कैंपों में ही है। इनमें से कुछ के लिए तो पीएचक्यू के आला अफसरों ने भी कॉल किया है।
राज्य सरकार ने पिछली सरकार के करीबी रहे और महादेव सट्टा मामले में नामजद चर्चित अधिकारियो को नक्सल क्षेत्र भेजा है। उन्हें कैंप, नक्सल ऑपरेशन और डीआरजी की जिम्मेदारी है। इन अधिकारियो को नई पोस्टिंग के लिए रिलीव तो कर दिया गया है, लेकिन इन्हें ज्वाइनिंग नहीं की है। उल्टा वहां के एसपी ने ज्वाइनिंग के पहले ही इन अधिकारियो को जिम्मेदारी दे दी है। उन्हें चुनाव के काम में लगा दिया है। ज्वाइनिंग के पहले ही चुनाव ट्रेनिग के लिए भेज दिया है।
इनमें से आधा दर्जन एएसपी कल निर्वाचन प्रशिक्षण सत्र में भी शामिल हुए। इनकी तस्वीरें भी हैं। और अब ये मुख्यालय में बैठकर चुनाव कार्य कराएंगे। जबकि उनकी पोस्टिंग ऑपरेशन, डीआरजी और कैंप के लिए हुई है। चुनाव कार्य एसएसपी शहर या ग्रामीण और मुख्यालय में पदस्थ अधिकारियो को दी जाती है।
चर्चा है कुछ नक्सल प्रभावित जिले के एसपी को कुछ वरिष्ट अधिकारियो का फोन गया है। सामान्य इलाकों से पोस्टिंग पोस्टिंग में गए इन अधिकारियो को मुख्यालय में रखकर काम लेने का निर्देश दिया गया है। उन्हें जंगल के भीतर और ऑपरेशन में भेजने से मना किया गया है। इसलिए एसपी उन्हें भीतर नहीं भेज पा रहे है। चर्चा यह भी है कि लोक सभा चुनाव के बाद सभी मैदानी क्षेत्र में वापस लौट आएंगे ।
रद्द भी होने लगे..
इस बीच आज आचार संहिता लगने के पहले ही इनमें से कुछ अधिकारियों उदयन बेहार का कोंटा तबादला रद्द कर बिलासपुर, शिवचरण परिहार को सुकमा से बिलासपुर भेजा गया है।