बेमेतरा

3 महीने से नहीं मिल रही टीबी की दवाइयां, 250 मरीज 90 दिनों से दवा नहीं ले पा रहे
02-May-2024 3:13 PM
3 महीने से नहीं मिल रही टीबी की दवाइयां, 250 मरीज 90 दिनों से दवा नहीं ले पा रहे

राज्य स्तर से नहीं हो रही सप्लाई, कहा जा रहा वहां भी यही स्थिति

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 2 मई। जिले के टीबी मरीजों को 3 माह से दवाई नहीं मिल रही है। जिला मुख्यालय के साथ साथ अन्य 6 टीबी उन्मूलन केन्द्रों में दवाइयों का स्टॉक पूरी तरह समाप्त हो चुका है। दवा की सप्लाई के लिए जिले के जिम्मेदारों की नजर स्टेट की सप्लाई पर टिकी हुई है। जिले में 250 से अधिक मरीज हैं, जिन्हें लंबे अर्से से दवाइयों के लिए उन्मूलन केन्द्र के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

जानकारी हो कि जिले में संचालित बेमेतरा, साजा, बेरला, खंडसरा, थानखहरिया व नवागढ़ में संचालित टीबी उन्मूलन केन्द्र में टीबी के मरीजों के उपचार के लिए जरूरी दवाइयां नहीं मिल रही हैं, जिससे मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सोचने वाली बात है कि टीबी के मरीजों के रिकॉर्ड के अनुसार सरकारी अस्पाताल से ही दवा उपलब्ध कराई जाती है। टीबी की दवा निजी मेडिकल स्टोर में मिलना मुश्किल है, जिसकी वजह से पीडि़तो को दवा के आभाव में दिक्कत उठानी पड़ रही है। 6 माह में 168 की खुराक देनी है अभी तो 90 दिन की खुराक नहीं मिली है।

टीबी से बचने कर रहे जागरूक पर यहां दवाइयां ही नहीं

बीते मार्च माह के अंतिम सप्ताह में टीबी मुक्ति के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया था। अभियान के दौरान एक ओर उपचार कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा था तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के पास आवश्यक दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हैं। निर्देश के अनुसार टीबी के उपचार के लिए जरूरी दवाइयों का स्टॉक सभी 31 प्राथमिक व 6 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 24 घंटे उपलब्ध कराया जाना है। बावजूद इसके दवाइयों की किल्लत है।

नाम नहीं बताया पर दुख जरूर सुनाया

जिला अस्पताल के उन्मूलन केन्द्र में इलाज के लिए पहुंची महिला मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीते एक माह से अस्पताल में दवा लेने आ रही हैं पर उसे दवाइयां नहीं मिल रही हैं। उसके पास इतना पैसा भी नहीं है कि दवा बाहर से ले सके। कुछ महीने पहले उसके पेट में पानी भर गया था, जिसके उपचार के दौरान टेस्ट से पता चला कि उसे टीबी है। तब से वो जिला के अस्पताल से ही दवा लेती रही है पर अब परेशानी हो रही है।

बीमार हूं परिवार में कमाने वाला कोई नहीं

अस्पताल में आने वाले एक अन्य मरीज ने बताया कि वह अपने परिवार में अकेला कमाने वाला है सदस्य है और स्वयं बीमार हो चुका है। दवा नहीं मिलने पर होने वाली परेशानियों को लेकर कई बार डॉक्टर और अधिकारियों से इस बारे में बात कर चुके हैं। लेकिन सभी कहते है कि दवाओं का स्टॉक खत्म है। दवा कब मिलेगी, ये भी नहीं बता पाते।

डेढ़ माह से पदस्थ हूं, इससे पहले से स्टॉक नहीं है

टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. अशोक बंसोड ने बताया कि वह डेढ़ माह से बेमेतरा में पदस्थ हैं। तब से टीबी का दवा नहीं है। आने से डेढ़ माह पहले से दवा समाप्त हो चुकी थी। आने वाले एक दो दिन में सप्लाई होने की जानकारी स्टेट से कही जा रही है। दूसरी तरफ जिला प्रबंधन की मानें तो उनके द्वारा प्राइवेट कपनी से दवाई खरीदने का प्रयास किया जा रहा है पर प्राइवेट कपनी भी दवाई उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है।

168 खुराक देनी है मरीजों को, 90 दिन से नहीं मिली

टीबी के उपचार के लिए निर्धारित दवा की 168 खुराक मरीजों को देनी होती है, जिन मरीजों का उपचार बीते 6 माह पूर्व प्रारंभ हुआ होगा, उन्हें 90 दिन की खुराक नहीं मिली है। संक्रमण बढऩे का खतरा होने व दवाई की कमी से डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी भी परेशान हैं। अधिकारियों की मानें तो टीवी संक्रामक बीमारी है। यह एक से दूसरे में फैल गया तो उसे रोकना काफी मुश्किल होगा।

फैलने वाली बीमारी है, दस लोगों को प्रभावित कर सकती है

टीबी की बीमारी माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टेरिया से फैलती है। इसके फैलने से किसी भी व्यक्ति को इस बीमारी का फैलाव हो सकता हैं। साथ ही यह बीमारी कोई भी व्यक्ति, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, नशा सेवन करने वाले, शुगर, एचआईवी ग्रस्त, गर्भवती महिलाओं, बच्चों व वृद्ध में फैलने का खतरा अधिक होता है। दवाई नहीं मिलने से इलाज प्रभावित हो रहा है। अधिकारियों की मानें तो राज्य के सभी जिलों में टीवी की दवा की किल्लत बनी हुई है। राज्य स्तर से दवा की आपूर्ति नहीं हो रही है।

बेमेतरा जिला में टीबी के लगभग 250 एक्टिव मरीज

बेमेतरा जिला में टीबी के लगभग 250 एक्टिव मरीज हैं। बेमेतरा में टीबी की दवाई की किल्लत बनी हुई है। बीच-बीच में कुछ दवाई आ रही थी, जो मरीजों को दी जा रही थी पर दवाइयां अब पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं। टीबी उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों की मानें तो दवा की किल्लत का असर टीबी उन्मूलन अभियान पर पड़ेगा। यह योजना राज्य सरकार की है। राज्य सरकार की स्वास्थ्य मूलक इस योजना पर फेल होने की नौबत आने लगी है। 2019 में केंद्र सरकार ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत अभियान की घोषणा की है। इसके लिए निक्षय पोषण योजना तक चलाई जा रही है। इसके तहत इलाज करा रहे मरीजों के लिए पोषण आहार की व्यवस्था की जा रही है। दवा की किल्लत के कारण जब इलाज ही बाधित हो रहा है तो पोषण आहार का फायदा नहीं होगा।

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