बस्तर
- नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर कहा- निशर्त रिहा करें
जगदलपुर, 6 मई। नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिविजन कमेटी के सचिव गंगा ने प्रेस नोट जारी किया है।
प्रेस नोट में कहा है कि ऑपरेशन कगार के अंतर्गत जगरगोण्डा, चिंतलनार थाना इलाकों के गांवों पर डीआरजी एवं अर्ध-सैनिक बलों द्वारा संयुक्त रूप से हमला कर 47 से अधिक साधारण जनता को गिरफ्तार करके सुकमा ले गये जिन्हें निशर्त रिहा करें। पुलिस एवं डीआरजी गुण्डों ने जनता पर की गई अंधाधुंध फायरिंग, गिरफ्तार, मारपीट, लूटपाट को कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करे।
प्रेस नोट में आगे उल्लेख है कि ऑपरेशन कगार के अंतर्गत केन्द्रीय अर्ध सैनिक बल, जिला पुलिस एवं डीआरजी गुण्डों द्वारा संयुक्त रूप से बीते 3 मई, 2024 को सुकमा जिले के जगरगोण्डा, चिंतलनार थाना इलाकों के रायगुड़ा, विन्ना बोडक़ेल, पेद्दा बोडक़ेल, तुम्मलपाड, सुरपनगुडा, तिम्मापुरम, जोन्नागुडा और अलिगुडा गांवों पर रातों-रात हमला किया गया। चिन्ना बोडकेल, रायगुड़ा के पास जनता के ऊपर एकतरफा अंधाधुंध फायरिंग किया जिसमें एक ग्रामीण को हाथ में गोली लगने से घायल हुआ।
पुलिस बलों ने नक्सलियों के साथ मुठभेड़ होने का दावा किया था हालंकि यह सरासर झूठ है, उस वक्त वहां कोई पीएलजीए दस्ता मौजूद नहीं था। इन गांवों से लगभग 47 से अधिक साधारण खेती-किसानी करने वाले ग्रामीण जो कि पार्टी से कोई संबंध नहीं है को गिरफ्तार करके सुकमा ले गये। रायगुड़ा के निर्दोष माड़वी बुधरी, मडक़ाम दामा, जोगी, कोसी, जोगा को बेदम पीटा गया। महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ की गई। गांव चिन्ना बोडकेल में बीज पंडुम मना रहे जनता पर फायरिंग किये और दौड़ा-दौड़ा के 25 लोगों को पकड़ कर ले गए। तुम्माल गांव के 12, पेद्दा बोडकेल गांव के 2 और रायगुडा गांव के 5 वहीं 3 अन्य लोग जो तेलंगाना से रायगुड़ा अपने रिश्तेदारों के यहां आये थे को भी पुलिस व डीआरजी गुण्डें गिरफ्तार करके अपने साथ ले गये। 78 घंटे बीत जाने के बाद भी इन सभी का कोई पता नहीं है। ऐसे में अपनों को लेकर बीवी बच्चे, परिजन रिश्तेदार सब चिंतित है कि कहीं इन्हें मुठभेड़ के नाम से हत्या या फर्जी गिरफ्तारी तो न करें। पुलिस-प्रशासन उन्हें हिरासत में रखकर कड़ी पूछताछ तथा यातनाएं दे रहा है। अब काफी ज्यादा संभावना तो है ही कि पुलिस उन्हें अगले दिनों में फर्जी मुकदमा लगाकर जेल में ठूंस देगी या फिर फर्जी आत्मसमर्पण दिखाएगी।
इस दौरान गांवों में पुलिस द्वारा जमकर उत्पात मचाया गया। कई घरों के दरवाजा तोडफ़ोड़ कर घर सम्पत्ति लूटा गया। रायगुड़ा के माड़वी मुया के 18 हजार, माड़वी नरसा के 50 हजार रुपया लूट लिया है। हालंकि यह आंकड़ा बहुत ज्यादा हो सकता, हमें प्राप्त कुछ ही आंकड़े यहां लिखे हैं। घरों से दारू, अण्डा, सूखी मछली, कपड़ा, तीर-धनुष, चाकू आदि लूटकर ले गए। धान, दाल, चावल, खाना, बर्तन आदि घरों से बाहर फेंक दिये।
गांवों पर आधी रात को हमले, पुलिस व डीआरजी की गुण्डागर्दी के कारण लोग दहशत के माहौल में जी रहे हैं। दो दिन तेन्दुपत्ता संग्रहण नहीं कर पाये हैं। रोज सुबह उठकर अपनी खेत-खलिहानों, वनोपज संग्रहण करने जाने के लिए डर रहे हैं। वनोपज, तेन्दुपत्ता संग्रहण में भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। लोग एक गांव से दूसरे गांव या शहरों में हाट बाजारों में खरीदारी के लिए; सगे संबंधियों से मिलने जाने; शादी, त्यौहारों आदि में शामिल होने नहीं जा पा रहे हैं।
जनता पर जारी जमीनी, रॉकेट, हवाई हमलों के खिलाफ आवाज बुलंद करें। पुलिस व डीआरजी गुण्डों द्वारा जनता के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग, अवैध गिरफ्तारियां, मारपीट, लूटपाट, महिलाओं पर अत्याचार जैसे घोर व कायराना हरकतों की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करें। जल जंगल जमीन, इज्जत अधिकार के लिए और आदिवासी अस्तित्व, अस्मिता, आत्मसम्मान को बचाने के लिए जारी जनआंदोलनों के समर्थन में आगे आएं। कॉर्पोरेटीकरण, सैनिकीकरण तथा कगार दमन को प्रतिरोध करें।