सरगुजा

जांच रिपोर्ट नहीं देने पर अजजा आयोग के अध्यक्ष ने सरगुजा कमिश्नर और डीएफओ को किया तलब
31-Aug-2024 10:14 PM
जांच रिपोर्ट नहीं देने पर अजजा आयोग के अध्यक्ष ने सरगुजा कमिश्नर और डीएफओ को किया तलब

3 घण्टे से अधिक समय तक सर्किट हाउस में बैठे दोनों अफसर मौन साधे रहे

मामला हसदेव क्षेत्र में परसा ईस्ट केते एवं बासेन कोल खदान के लिए पेड़ों की कटाई का

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर,31 अगस्त। सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक अंतर्गत हसदेव क्षेत्र में परसा ईस्ट केते एवं बासेन कोल खदान के लिए पेड़ों की कटाई एक बार फिर से शुरू हो गई है। वहां के स्थानीयजन इसका लगातार विरोध कर रहे हैं।

शनिवार को घाटबर्रा एवं अन्य क्षेत्रों से पहुंचे ग्रामीणों ने अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह को एक आवेदन सौंप कर कार्रवाई की मांग की है। जिसमें उन्होंने विगत दिनों आयोजित ग्राम सभा की तारीख का जिक्र करते हुए बताया कि बिना अनुमति के एसडीएम जबरन आकर बैठ गये और कार्यवाही रजिस्टर में केवल ग्राम सभा अध्यक्ष एवं सरपंच का हस्ताक्षर करा कर ले गये। आज तक ग्रामसभा की रजिस्टर गांव को नहीं मिली है। आगे उस रजिस्टर में एसडीएम ने क्या-क्या लिखा और किसे दिया, लोगों को पता नहीं।

वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों ने अनुसूचित जनजाति आयोग के पास विगत वर्षों में हुए फर्जी ग्रामसभा के प्रस्ताव के आधार पर चल रहे कोल खनन की जांच की मांग की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए अनुसूचित जनजाति आयोग ने कलेक्टर सरगुजा से राज्यपाल एवं मुख्य सचिव के आदेश के बाद हुए फर्जी ग्राम सभा की पूरी जांच रिपोर्ट मांगी थी, जो कई बार मांगने के बाद भी नहीं मिली।

तब आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने आज सरगुजा संभाग के कमिश्नर एवं डीएफओ अम्बिकापुर को तलब किया और जांच की फाईल मांगी, लेकिन 3 घण्टे से अधिक समय तक सर्किट हाउस में बैठे दोनों अधिकारियों ने इस संबंध में कुछ नहीं बोला, मौन साधे बैठे रहे। जब आयोग अध्यक्ष ने फटकार लगाई और कहा कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं मिलती, आगे की कटाई नहीं हो सकती, तब कहीं जाकर आज या कल जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने एवं तब तक कटाई को रोकने की बात कमिश्नर सरगुजा ने सबके सामने कही।  इस मामले में लोगों को लगातार जंगल कटाई से पहले उठा लेने के पुलिसिया कार्यवाही को लेकर लोगों में खूब नाराजग़ी है।

बताया जाता है कि आयोग के अध्यक्ष ने जब डीएफओ से अब तक कितनी पौधोरोपण अडानी अथवा राजस्थान सरकार की एजेंसी द्वारा की गई रिपोर्ट मांगी गई तो पहले तो अपने एक मातहत को भेज कर मामले से दूरी बनानी चाही। जब आयोग के अध्यक्ष ने उससे बात करने से इंकार कर दिया तो उन्होंने पहले उदयपुर क्षेत्र में होने का बहाना बनाया, फिर कमिश्नर ने कहा कि उनकी तबियत खराब है और फिर जब आयोग के अध्यक्ष सख्त हुए तो कमिश्नर स्वयं डीएफओ के साथ सर्किट हाउस में पहुंचे, लेकिन न तो उदयपुर क्षेत्र के प्रभावित लोगों के सवालों का जवाब दे पाये और न ही आयोग के अध्यक्ष का।

डीएफओ ने पेड़ लगाने की जो जानकारी लाकर आयोग अध्यक्ष को दी, उसमें न तो किसी का हस्ताक्षर था और न ही कोई दिनांक और पत्र क्रमांक का उल्लेख। भडक़े आयोग के अध्यक्ष ने कहा- मैं इसे ही अभी मीडिया के सामने प्रस्तुत करूंगा और दिखाना कहां-कहां पेड़ लगा है मैं स्वयं जंगल चलूंगा, देखने।

तब डीएफओ ने सॉरी बोला और बकायदे पत्र क्रमांक और दिनांक के साथ आगे पत्र प्रस्तुत करने का समय मांगा।

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