राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 जनवरी। राजनांदगांव सांसद संतोष पांडे ने देशभर के अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों के हित में नई छात्रवृत्ति नीति को कारगर बताते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अगले 5 वर्ष के लिए अनुमोदित किए गए धनराशि को लेकर कहा कि देश के 5 करोड़ अजा वर्ग के छात्र-छात्राओं का शिक्षा स्तर बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने 35534 करोड़ रुपए खर्च कर अजा वर्ग के छात्रों को विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं एवं शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करेगी। सोमवार को इस नीति को लेकर मीडिया से मुखातिब होते श्री पांडेय ने कहा कि भारत सरकार शैक्षिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में अजा वर्ग के छात्रों के लिए यह स्कीम लागू कर रही है।
सांसद पांडेय ने सोमवार को प्रेसवार्ता में बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज अगले पांच वर्षों में पांच करोड़ से अधिक अनुसूचित जाति के छात्रों को लाभ पहुंचाने अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति (पीएमएस-पीएससी) की केंद्रीय प्रायोजित स्कीम बड़े और रूपांतरात्मक परिवर्तनों के साथ अनुमोदित की है, ताकि वे अपने उच्चतर शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरा कर सके। मंत्रिमंडल ने 59048 करोड़ रुपए के कुल निवेश को अनुमोदन प्रदान किया है। जिसमें से केंद्र सरकार 35534 करोड़ रुपए (60 प्रतिशत) खर्च करेगी और शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाएगी। यह स्कीम मौजूदा प्रतिबद्ध देयता प्रणाली को प्रतिस्थापित करेगी और इस महत्वपूर्ण स्कीम में केंद्र सरकार की भागीदारी अधिक होगी।
उन्होंने कहा कि एससी जनसंख्या के शैक्षिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में एससी छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति स्कीम भारत सरकार का सर्वाधिक एकल हस्तक्षेप है। केंद्र सरकार इन प्रयासों को और अधिक बढ़ाने प्रतिबद्ध है, ताकि 5 वर्ष की अवधि के भीतर जीईआर (उच्चतर शिक्षा) राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच सके। मंत्रिमंडल ने इस स्कीम के उपयुक्त कार्यान्वयन पर अधिक जोर दिया है, ताकि समय पर भुगतान किया जा सके।
श्री पांडेय ने बताया कि इस दिशा में मंत्रिमंडल ने जो मुख्य संशोधन अनुमोदित किए हैं उनमें गरीब से गरीब परिवारों के 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को अपनी इच्छानुसार उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रमों में नामित करने एक अभियान चलाया जाएगा। अनुमान है कि 1.36 करोड़ ऐसे सबसे गरीब छात्र जो वर्तमान में 10वीं कक्षा के बाद अपनी शिक्षा को जारी नहीं रख सकते हैं, को अगले 5 वर्षों में उच्चतर शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाया जाएगा। इसी तरह यह स्कीम सुदृढ़ उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर संचालित की जाएगी। जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्य क्षमता तथा बिना विलंब के समयबद्ध सहायता सुनिश्चित होगी।
राज्य पात्रता, जातिगत स्थिति, आधार पहचान तथा बैंक खाता के ब्यौरे की ऑनलाइन पोर्टल पर अभेद्य जांच करेंगे। इसी स्कीम के अंतर्गत छात्रों को वित्तीय सहायता का आहरण डीबीटी मोड के माध्यम और अधिमान्यता आधार पर सबल भुगतान प्रणाली को प्रयोग में लाकर किया जाएगा। वर्ष 2021-22 से प्रारंभ करते इस स्कीम में केंद्र का अंश (60 प्रतिशत) निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों के बैंक खातों में डीबीटी मोड के माध्यम से सीधे जारी किया जाएगा। साथ ही निगरानी तंत्र को और सुदृढ़ किया जाएगा और सोशल आडिट, तीसरे पक्ष द्वारा वार्षिक मूल्यांकन कराकर और प्रत्येक संस्थान की अद्र्धवार्षिक स्वत: लेखा परीक्षित रिर्पोटों के माध्यम से किया जाएगा।
श्री पांडेय ने बताया कि केंद्रीय सहायता जो वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 1100 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष थी, उसे वर्ष 2020-21 से 2025-26 के दौरान 5 गुना अधिक बढ़ाकर लगभग 6000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष किया जाएगा। राज्य सरकार बड़ी संख्या में एससी छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए इस कार्यनीति को कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण भागीदार होंगे। इस दौरान संतोष अग्रवाल, रमेश पटेल, खुमान देशलहरे, मलिखम कोसरे, रविन्द्र रामटेके, आशीष डोंगरे, पुष्पलता गंधर्व, प्रकाश मारकंडे एवं गंगाप्रसाद बंजारे शामिल थे।