स्थायी स्तंभ
आज ही के दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी पाया था. अदालत ने इंदिरा गांधी पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने की रोक लगाई थी. इंदिरा ने अदालत के आदेश की अनदेखी की थी.
12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनाव में जीत को अवैध करार दिया. गांधी पर चुनावी धांधली के आरोप लगे. अदालत ने उन्हें कुर्सी छोड़ने का आदेश दिया और उन पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई. लेकिन इंदिरा ने अदालती आदेश की अनदेखी की. 1971 के चुनाव में मिली हार के बाद विपक्ष के नेता राज नारायण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. अदालत ने याचिका दाखिल होने के चार साल बाद अपना फैसला सुनाया.
सुनवाई के दौरान इंदिरा ने अपने बचाव में कई दलीलें दीं. अदालत ने उन्हें अपने चुनाव में अनुमति से अधिक खर्च और राजनीतिक कामों में सरकारी अमले और संसाधनों के दुरुपयोग का दोषी करार दिया. हालांकि जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा पर लगाए रिश्वत देने के आरोप को खारिज कर दिया. इंदिरा गांधी ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. साथ ही उन्होंने कहा था कि सभी पार्टियां ऐसा करती हैं. इंदिरा गांधी के इस रवैये के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया और सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री के आदेश पर हजारों लोग गिरफ्तार किए गए. मीडिया को भी सेंसर किया गया.
इंदिरा गांधी ने इन विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए देश में 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी. आपातकाल करीब 21 महीने चला. जिसके बाद 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी की जबरदस्त हार हुई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली बार गैरकांग्रेसी सरकार बनी.
- 1987 - ब्रिटिश चुनावों में मार्गरेट थैचर की तीसरी बार ऐतिहासिक विजय।
- 1998 - भारत और पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण के कारण जी-8 के देशों द्वारा ऋण नहीं देने का निर्णय।
- 1999 - पाकिस्तानी रक्षा बजट में लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि, ईस्ट तिमोर के लिए मिशन हेतु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्वीकृति।
- 2001 - सीमा मुद्दे पर भारत-बांग्लादेश वार्ता शुरू।
- 2002 - स्वीडन के साथ मैच ड्रा होने के साथ ही अर्जेन्टीना विश्व कप फ़ुटबाल से बाहर।
- 2004 - सवन्ना (जार्जिया) में समूह-8 सम्मेलन सम्पन्न। अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने उत्तरी कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जांग द्वितीय के साथ सीधी बातचीत का प्रस्ताव ठुकराया।
- 2007 - कनाडा में होने वाले जीव विज्ञान ओलम्पियाड में चार भारतीयों का चयन। आस्ट्रेलियाई स्कूलों में सिक्ख छात्रों को धार्मिक प्रतीक कृपाण रखने की इजाजत मिली।
- 2008 - दक्षिणी एशियाई फुटबाल महासंघ वर्ष 2009 हेतु छठी सैफ़ फुटबाल चैम्पियनशिप की मेज़बानी सौंपी। प्रख्यात फि़ल्म निदेशक मृणाल सेन को 10वें ओसियाना सिनेफ़ैन फि़ल्म समारोह में पुरस्कृत किया गया।
- 1932 - हिन्दी, तमिल और मलयालम चलचित्र अभिनेत्री (मेरा नाम जोकर) (जिस देश में गंगा बहती है)पद्मिनि का जन्म हुआ।
- 1976 - संस्कृत के विद्वान और महान दार्शनिक गोपीनाथ कविराज का निधन हुआ।
- 1972 - महात्मा गाँधी की जीवनी के लेखक डी.जी तेंदुलकर का निधन हुआ।
- 2000 - मराठी लेखक पी.एल देशपांड का निधन हुआ।
इधर कुआं, उधर खाई
गर्मी बढ़ी, और जंगली जानवरों के शिकार की घटनाएं अक्सर जंगल से लगे गांवों में देखने-सुनने को आने लगती हंै। वन विभाग की पकड़ में आ गए तो जेल जाने का डर। वन विभाग की कार्रवाई से बचने जो न करें सो थोड़ा। झूठ बोलकर वन विभाग की कार्रवाई से बचकर निकले तो बिरादरी की पकड़ में आ गए और शुद्धिकरण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। भोज देना पड़ गया। ऐसा ही एक मामला पिथौरा के सुखीपाली जंगल से लगे गांव का है। यहां के कुछ लोगों ने जंगली सुअर का शिकार कर गोश्त खाया। गोश्त बनाते समय जंगली सुअर के एक-दो पैर किसी कुत्ते ने झटक लिए और दूसरे दिन अधखाया यह पैर वन विभाग के किसी कर्मचारी के हाथ लग गया। बस विभाग ने तहकीकात शुरू कर दी। लिहाजा पता लगाया कि गांव में किसके घर क्या पका, और बच्चे मन के सच्चे निकले। गोश्तखोरों से पूछताछ शुरू हुई तो एकमत से बताया गया कि वह जंगली सुअर नहीं था, पाला गया सुअर था। सुअर पालने वाले को गवाह बनाकर पेश कर दिया। वन विभाग के कर्मी मनमसोसकर रह गए। हाथ कुछ नहीं आया।
अब बारी जात बिरादरी वालों की थी, इन गोश्तखोरों को पकड़ पंचायत बैठी कि तुमने पालतू सुअर का गोश्त खाया है , शुद्धिकरण होना होगा,जुर्माना भी भरना होगा, तब तक अछूत, जात-बिरादरी से बाहर। पौनी पसारी बंद। मरता क्या न करे..अगर कहें कि जंगली सुअर का मांस खाया तो जेल। लिहाजा शुद्धिकरण होना बचने की आसान राह थी। पूरे कुनबे के साथ शुद्धिकरण के बाद बिरादरी को बकरा-भात खिलाया। पंच-परमेश्वरों ने भी भोज खाकर मामला गांव में सुलटा लिया।
अच्छे दिन आने वाले हैं-1
एपीसीसीएफ अतुल शुक्ला और राजेश गोवर्धन की पदोन्नति में समय लग सकता है। वजह यह है कि सरकार ने अभी तक केन्द्र को प्रस्ताव नहीं भेजे हैं। वनमंत्री की दखल के बाद जल्द ही प्रस्ताव भेजे जाने की तैयारी चल रही है। पदोन्नति में देरी को देखते हुए सरकार दोनों अफसरों को पीसीसीएफ स्तर के रिक्त पदों पर बिठा सकती है। यानी एक को वाइल्ड लाइफ और दूसरे को लघुवनोपज संघ के एमडी का प्रभार दिया जा सकता है। अभी तक पीसीसीएफ (मुख्यालय) राकेश चतुर्वेदी के पास ही दोनों प्रभार हैं। सुनते हैं कि राकेश चतुर्वेदी ने खुद होकर दोनों अफसरों को एक-एक विभाग का प्रमुख बनाने का प्रस्ताव दिया है। अब प्रमुख पीसीसीएफ अपना बोझ हल्का करना चाहते हैं, तो सरकार को भला क्या दिक्कत हो सकती है।
अच्छे दिन आने वाले हैं-2
फॉरेस्ट में एक बड़े फेरबदल की तैयारी है। चर्चा है कि बरसों से लूप लाइन में रहे छोटे-बड़े अफसरों को मुख्य धारा में आने का मौका मिल सकता है। रमन सरकार में ज्यादातर समय वन विभाग का प्रभार आदिवासी मंत्रियों के पास रहा है, लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग में सीएम हाऊस की दखल रहती थी। मगर, अब परिस्थितियां बदल गई है। भूपेश सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं वन विभाग से जुड़ी हंै। ऐसे में वनमंत्री मोहम्मद अकबर योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी तरह की लापरवाही नहीं चाहते हैं। उन्होंने संकेत दे दिए हैं कि साफ-सुथरी छवि और मेहनती अफसरों को पूरा महत्व दिया जाएगा और काम की पूरी छूट रहेगी। यानी साफ है कि पिछले सालों में जुगाड़ न होने के कारण किनारे बैठे अफसरों को बिना किसी सिफारिश के उनकी साख देखकर काम करने का बेहतर अवसर मिल सकता है।
एक छत्तीसगढ़ी की यादें
अमरीका में बसे हुए एक प्रमुख कारोबारी, छत्तीसगढ़ी वेंकटेश शुक्ला ने गिरीश कर्नाड के गुजरने पर उनके साथ की अपनी एक मुलाकात ताजा की है। उन्होंने लिखा है कि पिछली दिसंबर में बेंगलुरु में एक दोस्त के घर उनसे मुलाकात हुई थी। सांस लेने में दिक्कत की वजह से उनका चलना-फिरना कम था, लेकिन उनका पैना दिमाग और हास्यबोध, दोनों बरकरार थे। वे इस बात को मजे से बता रहे थे कि सलमान खान की फिल्म, टाईगर जिंदा है, में अपने एक किरदार की वजह से वे देश भर में पहचाना हुआ चेहरा बन गए थे, जबकि आलोचकों द्वारा तारीफ पाने वाली कई फिल्मों ने मिलकर भी उन्हें यह दर्जा नहीं दिलाया था। उन्होंने यह भी बताया था कि एक वक्त, 1960-70 के दशक में किसी वक्त हेमा मालिनी की मां उनकी शादी गिरीश कर्नाड से करवाना चाहती थीं। वेंकटेश ने उनसे पूछा कि फिर यह शादी क्यों नहीं हुई? तो उन्होंने बताया कि वे किसी और से प्रेम करते थे, और हेमा मालिनी के दिमाग में भी गरम-धरम थे जिनसे कि आखिर में उन्होंने शादी की। वेंकटेश ने लिखा है कि इतनी शोहरत के बावजूद गिरीश कर्नाड एक बहुत आम इंसान की तरह थे, कला, संस्कृति, राजनीति, या साहित्य, किसी भी विषय पर बहस में शामिल होने के लिए एक पैर पर खड़े हुए। वे पार्टी से जाने वाले आखिरी लोगों में से थे, वह भी तब जब उनकी बेटी उन्हें आराम करने के लिए घसीट ले गई। उनके साथ गुजारे कुछ घंटे यादों की एक धरोहर हैं।
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स्कूबा डाइविंग करने वाले पानी में जाने से पहले एक्वा लंग पहनते हैं ताकि वे गहरे पानी में भी सांस ले सकें. इस यंत्र की खोज 1943 में ज़ाक कूस्तो ने की थी. कूस्तो का जन्म आज ही के दिन 1910 में हुआ था.
ज़ाक कूस्तो ना सिर्फ वैज्ञानिक बल्कि प्रकृति के संरक्षक, फोटोग्राफर और फिल्मकार के अलावा फ्रांसीसी नौसेना अधिकारी भी थे. इन दिनों इस यंत्र को डाइविंग रेगुलेटर के नाम से भी जाना जाता है.
कूस्तो के नेतृत्व में फ्रांसीसी नौसेना के समुद्र के भीतर शोध करने वाले समूह की स्थापना हुई. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पैरिस पर नाजियों के कब्जे के बाद कूस्तो और उनके परिवार ने स्विट्जरलैंड की सीमा के पास मेग्रीवी नाम के एक गांव में शरण ली जहां उन्होंने पानी के भीतर होने वाले अपने शोधों को जारी रखा.
इसी बीच उनकी मुलाकात फ्रांसीसी इंजीनियर एमिली गाग्नान से हुई, उन्हें भी शोध कार्यों में खासी दिलचस्पी थी. यहां दोनों ने मिलकर काम करना शुरू कर दिया. उस समय गोताखोरी में इस्तेमाल होने वाले वायु सिलेंडर की खोज हो चुकी थी. 1943 में दोनों ने मिलकर एक्वा लंग की खोज की जिसे बॉडी सूट के साथ पहनना ज्यादा आसान था. इस यंत्र के इस्तेमाल से गोताखोरों के लिए पानी के भीतर देर तक रहना आसान हो गया.
गहरे पानी के भीतर पानी के दबाव को सहन करने वाले वॉटर प्रूफ कैमरे की खोज में भी कूस्तो का अहम योगदान रहा. अपने इन प्रयोगों के दौरान कूस्तो ने समुद्री खोज पर दो डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी बनाईं.
- 1855-सूर्य के प्रकाश का वैज्ञानिक पद्धतियों से विश्लेषण और उसके रंगों को निर्धारित किया गया। यह काम विज्ञान के इतिहास में पहली बार जर्मनी के दो वैज्ञानिकों किर्शचोफ़ और बन्सेन ने किया। उल्लेखनीय है कि बादल होने की स्थिति में सूर्य की चमक और इंद्रधनुष का बन जाना तथा उसके कई रंग हमेशा से मनुष्य के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। अनुसंधान के अनुसार इंद्र धानुष बादलों में मौजूद जल की बूंदों के माध्यम से सूर्य के प्रकाश के विभाजन से अस्तित्व में आती है। इंद्र धनुष के बारे में विख्यात यूनानी दार्शनिक अरस्तू का विचार बहुत प्राचीन है जिसका पता लोगों के बाद में पता चला। अबु अली सीना इब्ने हैसम और क़ुत्बुददीन शीराज़ी जैसे विद्वानों ने इस विचार का उल्लेेख किया और इसे स्वीकार्य रूप में परिवर्तित किया। अंतत: जर्मनी के उक्त दोनों वैज्ञानिकों ने सूर्य के प्रकाश का विश्लेषण करने में सफलता प्राप्त की।
- 1866 - इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना हुई। इसे पहले आगरा उच्च न्यायालय के नाम से जाना जाता था।
- 1964 - प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इच्छानुसार उनकी अस्थियों की भस्म पूरे देश में बिखेरी गई।
- 1975-उत्तरी ब्रिटेन के समुद्री तेल क्षेत्र से पम्प द्वारा तेल निकालने का काम आरंभ हुआ। महारानी एलिज़ाबेथ ने नवम्बर के महीने में सरकारी तौर पर पहली पाइपलाइन का उदघाटन किया।
- 2003 - कोर्निकोवा महिला टेनिस की सबसे सुंदर खिलाड़ी घोषित।
- 2006 - नेपाली संसद ने आम राय से नरेश के वीटो अधिकार को समाप्त किया।
- 2007 - फिजी के अपदस्थ प्रधानमंत्री लाडसेनिया करासे को राजधानी सुवा में प्रवेश की इजाजत मिली।
- 2008 - ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने जमुना निषाद के स्थान पर धर्मराज निषाद को मंत्रीमण्डल में शामिल किया। भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बन्द बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना वाजेद रिहा हुईं।
- 1776- प्रसिद्ध चित्रकार जान कानस्टबेल का जन्म हुआ। वह ब्रिटिन के क्षेत्र सफ़ोलिक में जन्मे थे और 19 वर्ष की आयु में लंदन चले गये। 1799 ईसवी में उन्होंने रायल एकेडमी में प्रवेश लिया। थोड़े ही समय में एकेडमी की प्रदर्शनियों में उनके चित्र पेश किए जाने लगे। सन 1816 ईसवी तक जान कान्स्बेल ने बड़ा कठिनाई भरा जीवन व्यतीत किया। 1816 ईसवी में विवाह के बाद उन्होंने गांव के दृश्यों को अपनी चित्रकारिता का विषय बनाया और जल्द ही उनकी गिनती एक अच्छे चित्रकार के रूप में होने लगी। उनके कुछ चित्रों को स्वर्ण पदक भी दिया गया। फ्ऱांस में कान्सटबल का काम इतना पसंद किया गया कि वहां एक पूरा विचार पंथ अस्तित्व में आ गया। उनका निधन 30 मार्च वर्ष 1837 ईसवी को हुआ।
- 1897 - महान स्वतन्त्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ।
- 1947 - भारतीय राजनीतिज्ञ लालू प्रसाद यादव का जन्म हुआ।
- 1909 - भारतीय विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष के. एस. हेगड़े का जन्म हुआ।
- 1924 - मराठी भाषा के सुप्रसिद्ध इतिहासकार कवि, नाटककार और जीवनी लेखक वासुदेव वामन शास्त्री खरे का निधन हुआ।
एक-दो प्रकरणों को छोड़ दें, तो भूपेश सरकार ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामलों में उदार रही है। उन अफसरों को महत्व दिया जा रहा है, जिनकी साख अच्छी है। इनमें से कुछ अफसर जो रमन सरकार के करीबी माने जाते रहे हैं, उनका भी महत्व कम नहीं हुआ है। मसलन, सीएम के ओएसडी अरूण मरकाम को ही लें, वे पुराने सीएम रमन सिंह के भी ओएसडी थे। सरकार बदलने के बाद सचिवालय के दागी-बागी टाइप के अफसरों को बदल दिया गया, लेकिन मरकाम और जनसंपर्क के उमेश मिश्रा का रूतबा बरकरार है।
अरूण मरकाम सरगुजा के पूर्व भाजपा सांसद कमलभान सिंह के दामाद हैं। मगर, इन रिश्तों को जानकर भी भूपेश बघेल ने उन्हें नहीं बदला। मरकाम मिलनसार और मेहनती अफसर माने जाते हैं। इसी तरह उमेश मिश्रा राज्य बनने के बाद से सीएम सचिवालय में हैं। वे अजीत जोगी, फिर रमन सिंह और अब भूपेश बघेल के साथ काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सबका साथ-सबका विकास, का नारा सबसे ज्यादा चर्चित रहा। मगर, बहुत कम लोग जानते हैं कि यह नारा छत्तीसगढ़ में तैयार हुआ था और इसे उमेश मिश्रा ने रमन सिंह के लिए गढ़ा था। उमेश मौजूदा सीएम भूपेश बघेल के संयुक्त सचिव के साथ-साथ संवाद के मुखिया भी हैं। रमन सरकार में संवाद भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कुख्यात रहा और यहां की गड़बडिय़ों की पड़ताल ईओडब्ल्यू कर रही है। ऐसे में संस्था की छवि निखारने की जिम्मेदारी उमेश मिश्रा पर आ गई है। उनके आने के बाद से यहां काम में पारदर्शिता नजर आने लगी है।
राजभवन मेहमान भरोसे...
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल की कुर्सी महीनों से अतिरिक्त प्रभार पर चल रही है। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को ही तब छत्तीसगढ़ का भी प्रभार दिया गया जब यहां के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन गुजर गए। तब से अब तक यह राज्य अतिरिक्त प्रभार पर जारी है। लोगों का यह अंदाज था, और है, कि अगर केन्द्र में यूपीए सरकार बनती, तो छत्तीसगढ़ में कोई और राज्यपाल तैनात होते। लेकिन दिल्ली में मोदी सरकार, और राज्य में उसके सामने तनकर खड़ी हुई भूपेश सरकार का टकराव देखते हुए अब अंदाज है कि केन्द्र इस राज्य में पूर्णकालिक राज्यपाल तैनात करेगा, और वे राज्यपाल ऐसे होंगे जो कि राजनीति की समझ रखते भी होंगे।
दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में बरसों पहले ई.एस.एल नरसिम्हन छत्तीसगढ़ के राजभवन से जब हैदराबाद ले जाए गए, तो उस वक्त वहां तेलंगाना राज्य बनना था। और 2009 से वे अब तक आन्ध्र और तेलंगाना दोनों के राज्यपाल हैं। उन्हें यूपीए सरकार ने तैनात किया था, लेकिन आईबी में उनके कामकाज की वजह से और इन दोनों राज्यों पर उनकी खास पकड़ को देखते हुए मोदी सरकार ने अपने पिछले पूरे कार्यकाल में नरसिम्हन को नहीं छुआ और वे आज तक दोनों राज्यों को देख रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा के नेता राजभवन में कोई भूतपूर्व भाजपाई चाहते हैं ताकि वे वहां जाकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपनी बात रख सकें। आनंदीबेन भी गुजरात की भाजपा-मुख्यमंत्री रही हुई हैं, लेकिन वे अतिरिक्त प्रभार की वजह से न तो छत्तीसगढ़ में अधिक समय रहतीं, और न ही यहां की भाजपा को उनसे कोई राहत मिलती है। आने वाले दिनों में जब नरेन्द्र मोदी-अमित शाह भाजपा के कुछ नेताओं का पुनर्वास सोचेंगे, तब छत्तीसगढ़ के राजभवन को कोई स्थायी निवासी मिलेंगे।
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ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के बीच हर साल नावों की दौड़ होती है. बोट रेस के नाम से विख्यात रेस टेम्स में 6.8 किलोमीटर लंबी धारा पर होती है और बड़ा जलसा होता है. पहली बोट रेस आज के दिन 1829 में हुई थी.
1856 के बाद से यह रेस हर साल हो रही है बस दोनों विश्व युद्धों को छोड़ कर. दोनों टीमें बड़ी तैयारी के साथ रेस में आती हैं और पारंपरिक रूप से सदस्यों को ब्लूज और रेस में शामिल बोट को ब्लू बोट कहा जाता है. इनमें से कैम्ब्रिज की बोट हल्की नीली और ऑक्सफोर्ड की बोट गहरी नीली होती है. अब तक 81 बार यह रेस कैम्ब्रिज की टीम ने जीती है जबकि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के हिस्से 77 जीत आई हैं.
- 110 -ईरान और रोम के बीच 50 वर्षों की शांति के बाद रोम के नरेश ट्रोजान के आदेश पर इस देश की सेना ने पश्चिमोत्तरी ईरान के अरमीनिया भाग पर जो अब अलग देश है आक्रमण किया। ईरानी सेना ने दो वर्षों तक प्रतिरोध किया किंतु बाद में वो अरमीनिया से पीछे हटने पर विवश हो गयी। किंतु अशकानी शासक ख़ुसरो ने अरमीनिया में ईरान के समर्थकों को उकसा कर अरमीनिया को रोम की सेना के नियंत्रण से छुड़ाने की भूमिका प्रशस्त की अंतत: यह क्षेत्र स्वतंत्र होकर पुन: ईरान का भाग बन गया।
- 1246 - नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ।
- 1790 - ब्रिटेन के सैनिको ने मलेशिया पर आक्रमण किया। उस समय इस देश पर हॉलैंड का अधिकार था और वह इसके स्रोतों को लूट रहा था। किंतु मलेशिया में ब्रिटिश सैनिकों के आगमन के बाद हॉलैंड को इस देश से पीछे हटना पड़ा। वर्ष 1824 ईसवी में हॉलैंड इस पर राज़ी हुआ कि वह मलेशिया में अपनी विशिष्टताओं को हाथ से जाने देगा किंतु इस शर्त के साथ कि ब्रिटेन की सेना मलेशिया से बाहर निकल जाए। इस साम्राज्यवादी सौदे के परिणाम स्वरुप ब्रिटेन और हॉलैंड ने एक दूसरे की ओर से निश्चिंत होकर मलेशिया के स्रोतों को लूटना आरंभ कर दिया। मलेशिया को 1957 में स्वतंत्रता मिली।
- 1972 - मुम्बई के मडगांव बंदरगाह से पूर्ण वातानुकुलित पोत हर्षवर्धन का जलावतरण हुआ।
- 1983 - ब्रिटेन में मार्गरेट थैचर पुन: प्रधानमंत्री बनीं।
- 1999 - इंडोनेशियाई स्वतंत्रता समर्थक नेता जोस रामोस होर्ता द्वारा 23 वर्ष बाद स्वदेश लौटने की घोषणा, जेनेवा में अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन की शुरुआत।
- 2000 -सीरिया के राष्ट्रपति हाफिज़़ असद एक लम्बी बीमारी के बाद चल बसे। वे सन 1930 ईसवी में जन्में थे। उन्होंने सन 1964 में वायु सेना प्रमुख का पद संभाला और तीन वर्ष सीरिया के रक्षा मंत्री बने रहे। 1970 में एक विद्रोह करके उन्होंने देश का नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया और फिर बास पार्टी के प्रमुख बने इसके एक वर्ष बाद देश में जनमत संग्रह द्वारा वे राष्टष्ट्रति चुने गये और फिर अपनी आयु के अंतिम दिन तक वे सीरिया के राष्ट्रपति रहे।
- 2001 - नेपाल नरेश हत्याकांड की जांच अवधि चार दिन के लिए बढ़ाई गई, बरलुस्कोनी इटली के प्रधानमंत्री नियुक्त।
- 2002 - संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य सम्मेलन रोम में सम्पन्न, पाकिस्तान ने विश्व की दूसरी सबसे ऊंची चोटी के-2 का नाम बदलकर चोगोरी अथवा शाहगोरी कर दिया।
- 2005 - भारत और श्रीलंका में शिक्षा व सामुदायिक विकास से सम्बद्ध दो समझौतों पर हस्ताक्षर।
- 2008 - केन्द्र सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत स्पेस सेल की घोषणा की।
भारतीय पुलिस सेवा के अफसर अमरेश मिश्रा एक बार फिर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। सुनते हैं कि केन्द्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने अपने सचिव के लिए मिश्रा के नाम की सिफारिश की है। चर्चा यह है कि अमरेश मिश्रा के लिए पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने भी पैरवी की है।
मिश्रा, रायपुर और दुर्ग जैसे बड़े जिलों के एसपी रह चुके हैं। वे आईबी में भी काम कर चुके हैं। दुर्ग एसपी रहते अमरेश मिश्रा की तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री एसएस अहलुवालिया के सचिव के रूप में पदस्थापना भी हो गई थी, लेकिन रमन सरकार ने उन्हें रिलीव नहीं किया। वे रमन सरकार के करीबियों में रहे हैं। सरकार बदलते ही उन्हें पुलिस मुख्यालय में भेज दिया गया। उनके पास कोई अहम जिम्मेदारी नहीं है। ऐसे में संभावना है कि वे रेणुका सिंह के साथ चले जाए। हालांकि, यह सब कुछ आसान नहीं है। पीएमओ की मंत्री-स्टॉफ में पदस्थापना में सीधी दखल रहती है। हाल यह है कि केन्द्रीय मंत्री भी अपनी मर्जी से किसी को अपने स्टॉफ में नहीं रख सकते। रमन सरकार के कई और अफसर केन्द्र सरकार में पद पाने के लिए काफी भाग-दौड़ कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी की पोस्टिंग तय नहीं हो पाई है।
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भारत के पिकासो के नाम से मशहूर कलाकार मकबूल फिदा हुसैन का आज ही के दिन लंदन में निधन हुआ था. भारत में कानूनी मुकदमों और जान से मार देने की धमकियों के चलते वह अपने आखिरी दिनों में स्व निर्वासन में विदेश में रह रहे थे.
एमएफ हुसैन के नाम से मशहूर हुए मकबूल फिदा हुसैन भारत के सबसे जानेमाने चित्रकारों में से एक थे. उनका जन्म 17 सितंबर 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर में हुआ. हुसैन जब डेढ़ साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया. उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनका परिवार इंदौर चला गया. हुसैन की स्कूली शिक्षा वहीं हुई. 1935 में हुसैन मुंबई चले गए और वहां जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से अपने पेंटिंग के हुनर को निखारा. 1941 में उनकी शादी हुई. मुंबई में शुरू में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें काफी बुरे दिन देखने पड़े. काफी समय तक उन्हें फिल्मों के पोस्टर पेंट करके गुजारा करना पड़ा.
कभी जूते न पहनने वाले हुसैन ने आखिरी वक्त तक खुद को सीखते रहने वाला कलाकार रहने दिया. कभी फिल्मों के पोस्टर बनाने वाले एमएफ हुसैन ने कब ब्रश थाम लिया, खुद उन्हें भी याद नहीं. जिस साल भारत आजाद हुआ, उस साल हुसैन के करियर को भी नई दिशा मिल गई जब वह मुंबई के प्रतिष्ठित प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप में शामिल हो गए. तब 32 साल की उम्र में हुसैन भारत के सबसे बड़े चित्रकारों में गिने जाने लगे.
कैनवस ने हुसैन को नई पहचान भले ही दी हो लेकिन उनकी जिंदगी फिल्मों के साथ शुरू हुई थी. इसलिए उनके मन में फिल्मों को लेकर अलग जगह बनी रही और 1960 के दशक में वह फिल्मों की ओर बढ़े. 1967 में बनाई पहली फिल्म ‘थ्रू द आइज ऑफ ए पेंटर' को अंतरराष्ट्रीय पर्दे पर ख्याति मिली. इस फिल्म को बर्लिन फिल्म महोत्सव में गोल्डन बीयर पुरस्कार मिला. 1971 में पाब्लो पिकासो के साथ साओ पाओलो बीएनाले में हुसैन खास अतिथि बने.
इस नाम और लोकप्रियता से परे एमएफ हुसैन के चित्र विवादों में ही ज्यादा रहे. खासकर हिन्दू देवियों के चित्रों पर हिन्दू कट्टरपंथियों की कुपित नजर बनी रही. उन पर आठ आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया.
90 की उम्र में हुसैन के लिए यह इतना बड़ा सिरदर्द हो गया कि उन्हें भारत छोड़ना पड़ा. भारतीय अदालतों में चलते मुकदमे और कुछ लोगों का विरोध हुसैन को तोड़ गया. उनकी कला भी प्रभावित हो गई और उन्हें कतर में शरण लेनी पड़ी. बाद में कतर ने उन्हें नागरिकता भी दे दी. हालांकि आखिर के कुछ साल हुसैन ज्यादातर ब्रिटेन में ही रहे. उन्होंने पूरी जिंदगी 60,000 से ज्यादा पेंटिंग्स बनाईं.
हुसैन को 1955 में पद्मश्री, 1973 में पद्मभूषण और 1991 में पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया. 9 जून 2011 को लंबी बीमारी के बाद हुसैन का लंदन में 95 साल की उम्र में निधन हो गया.
- 1822 -चाल्र्स ग्राहम ने नकली दांतों के लिए पेटेन्ट प्राप्त किया।
- 1905-आइंस्टाइन ने प्लैंक के क्वान्टम सिद्धान्त का विश्लेषण किया।
- 1964 - लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
- 1999 - कुली ओडैजो (द. अफ्रीका) माउंट एवरेस्ट पर दक्षिण तथा उत्तर दोनों छोर से चढ़ाई करने वाली विश्व की प्रथम महिला बनीं, युगोस्लाविया एवं नाटो के बीच कोसोवो में सर्बियाई सैनिक वापस बुलाने पर सहमति।
- 2001 - ईरान में मोहम्मद ख़ातमी की पुन: जीत, बेनजीर भुट्टो को तीन साल की सज़ा।
- 2006 - म्यूनिख में विश्व कप फ़ुटबाल की रंगारंग शुरुआत।
- 2008 - केन्द्रशासित क्षेत्र प्रशासन ने चंडीगढ़ को तम्बाकू मुक्त घोषित किया। अमेरिका की एक ऊर्जा कम्पनी ने पवन ऊर्जा के टरबाइन निर्मित करने वाली कम्पनी सुजलान एनर्जी लिमिटेड के 160 मेगावाट्स खऱीदने का आर्डर रद्द कर दिया। फि़ल्म अभिनेता शाहरुख ख़ान ने नौवें इंटरनेशनल इण्डियन फि़ल्म एकेडमी (आईफ़ा) पुरस्कार समारोह में फि़ल्म चक दे इण्डिया के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता।
- 1949 - भारत की प्रथम महिला आइपीए किरण बेदी का जन्म हुआ।
- 1981 - संगीतकार अनुष्का शंकर का जन्म हुआ।
- 1900 - आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का निधन हुआ।
- 1991 - फिल्म निर्देशक राज खोसला का निधन हुआ।
- 1993 - निर्देशक सत्येन बोस का निधन हुआ।
- 2011 - जाने-माने चित्रकार मक़बूल फि़दा हुसैन का निधन हुआ।
- 1781- अंग्रेज़ इंजीनियर और रेल के इंजन के प्रधान आविष्कारक जॉर्ज स्टीफेन्सन का जन्म हुआ। (निधन-12 अगस्त 1848)
- 1768-अंग्रेज़ अमेरिकी मैकेनिकल इंजीनियर सैमुअल स्लेटर का जन्म हुआ, जिन्होंने अमेरिका में सूती कपड़ों के कारखाने की नींव रखी। उन्होंने रोड आइलैंड में कपास मिल की नींव रखी। (निधन-21 अप्रैल 1835)
- 1996 अमेरिकी कोशिका विज्ञानी डैनियल मैजिय़ा का निधन हुआ, जिन्होंने नाभिकीय तथा कोशिका प्रजनन पर अनुसंधान किया। वे खासकर कोशिका विभाजन के लिए उत्तरदायी संरचनाओं के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। (जन्म-18 दिसम्बर 1912)
- 1961- फ्रांसीसी जीवाणु विज्ञानी कैमिली ग्वैरिन का निधन हुआ, जिन्होंने जानलेवा क्षयरोग (ट्यूबरकुलोसिस) के टीके बी.सी. जी. का आविष्कार किया। इस टीके को मायकोबैक्टीरियम बोविस से प्राप्त किया। (जन्म-22 दिसम्बर 1872)
भाजपा के पूर्व सांसदों के पीए (निज सचिव) और अन्य कर्मचारी, नए नवेले सांसदों के यहां अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं। कुछ पूर्व सांसद इसके लिए सिफारिश भी कर रहे हैं। सुनते हैं कि इसी सिलसिले में छत्तीसगढ़ के एक पूर्व सांसद का एक कर्मचारी, पिछले दिनों एक नए सांसद से मिलने पहुंचा। सांसद के पास पहले ही उस कर्मचारी के लिए सिफारिश आ चुकी थी। कर्मचारी को लेकर समस्या यह थी कि उसे निजी तौर पर ही रखा जा सकता था। इसके लिए वेतन आदि की व्यवस्था खुद सांसद को करनी पड़ती। सांसद को दुविधा में देख कर्मचारी ने खुद ही कह दिया कि उन्हें (सांसद) वेतन आदि की चिंता करने की जरूरत नहीं है। पूर्व सांसद ने एक कंपनी से उनके लिए हर महीने वेतन की व्यवस्था कर दी है। उन्हें सिर्फ उनके दफ्तर में जगह चाहिए। अब सांसद, ऐसे प्रभावशाली कर्मचारी को लेकर असमंजस में हैं। कंपनी से पुराने सांसद के किस तरह रिश्ते हैं, कोई समस्या तो नहीं आ जाएगी, यह सोचकर परेशान है।
पहला विदेश दौरा
छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री कवासी लखमा के साथ अफसरों का एक प्रतिनिधि मंडल निवेश की संभावना तलाशने कनाडा जा रहा है। पहले सीएम भी जाने वाले थे, लेकिन मां के अस्पताल में भर्ती होने की वजह से उनके जाने का कार्यक्रम टल गया। नई सरकार के लोगों का यह पहला विदेश दौरा है। जबकि रमन सरकार के लोग दर्जनों बार निवेश की संभावना तलाशने विदेश जा चुके हंै।
सुनते हैं कि पिछली सरकार के पावरफुल लोग जब विदेश यात्रा पर जाते थे, तो अपने साथ सीएसआईडीसी के एक इंजीनियर को ले जाते थे। इंजीनियर अपने नाम पर लाखों रुपये एडवांस ले लिया करता था। इस पैसे से पिछली सरकार के लोग जमकर खरीदारी करते थे। इंजीनियर को फ्री स्टाइल खेलने की छूट रहती थी। महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट उन्हीं के हाथों में होता था। इसलिए इंजीनियर भी खुशी-खुशी से खातिरदारी के लिए तैयार रहता था। अब सरकार बदल गई है, लेकिन विदेश यात्रा की प्रकृति भी पहले जैसी है। ये अलग बात है कि इस बार इंजीनियर साथ नहीं है। अलबत्ता, उससे ऊपर के एक अफसर जरूर साथ हंै। अब वहां इस अफसर का किस तरह उपयोग होता है, यह देखना है।
जांच भी चले और इलाज भी
आखिरकार डीकेएस सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. केके सहारे को हटा दिया गया। वे अस्पताल निर्माण से जुड़ी अनियमितताओं को लेकर इतने व्यस्त हो गए थे कि मरीजों की तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे थे। स्वास्थ्य मंत्री ने गरियाबंद के सुपेबेड़ा में किडनी बीमारी से पीडि़तों को डीकेएस में मुफ्त इलाज की घोषणा की थी, लेकिन मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा था। जबकि सरकार डीकेएस में ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास कर रही है। डॉ. सहारे का हाल यह था कि वे पूर्व अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता के खिलाफ मामले खोजने में ही पूरा समय दे रहे थे। यह सब देखकर सरकार ने मरीजों के हितों को ध्यान में रखकर डॉ. सहारे को हटाने का फैसला लिया। डॉ. सहारे को डीकेएस घोटाले और जांच के संबंध में नोडल अधिकारी बने रहेंगे। यानी वे अपना पुलिस और जांच का काम पूर्ववत करते रहेंगे, और अस्पताल चलाने के लिए एक दूसरा अफसर तैनात कर दिया गया है।
1972 में आज ही के दिन दक्षिणी वियतनाम के गांव पर नेपाम बम हमला हुआ.
दक्षिणी वियतनाम की सेना के एक विमान ने गलती से जलती हुई पेट्रोलियम जेली आम नागरिकों और सैनिकों पर गिरा दी. डरी हुई लड़की ने भागते भागते अपने जलते हुए कपड़ों को फाड़ कर फेंक दिया. तस्वीर में बिना कपड़ों के नजर आ रही 9 साल की किम फुंक वही लड़की है. यह तस्वीर 8 जून 1972 की है जब वियतनाम युद्ध के दौरान दक्षिण वियतनाम की सेना के डर से भागते इन बच्चों के पीछे थी. तस्वीर में दिखाई पड़ने वाली बच्ची अब कनाडा में सकुशल रहती है. इस तस्वीर ने वियतनाम युद्ध के प्रति पश्चिमी जनमानस की सोच बदल दी. समाचार एजेंसी एपी के फोटोग्राफर निक उट ने यह तस्वीर खींची. उन्हें इसके लिए 1973 में पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- 1658 - औरंगजेब ने आगरे के कि़ले पर क़ब्ज़ा किया।
- 1936 - इंडियन स्टेट ब्रोडकास्टिंग सर्विस का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया।
- 1940- तत्व संख्या 93 की खोज हुई, जिसे नेप्च्यूनियम नाम दिया गया।
- 1948 - भारत की पहली विमान सेवा एयर इंडिया ने भारत और ब्रिटेन के बीच हवाई सेवा शुरू की।
- 1992 -सतत विकास की नींव रखी। रियो दी जेनेरो में हुई बैठक में इसका फैसला हुआ।
- 1997 - पेरिस में फ्रैंच ओपन टेनिस प्रतियोगिता में भारत के महेश भूपति ने मिश्रित युगल खिताब जीतकर इतिहास बनाया।
- 2001 - ब्रिटिश संसदीय चुनावों में टोनी ब्लेयर की लेबर पार्टी को पुन: बहुमत प्राप्त, रूस के आयुध डिपो में आग, 5 प्रक्षेपास्त्र फटे।
- 2002 - फिलीपींस के राष्ट्रपति ने आतंकवादी संगठन अबू सय्याफ़ के विरुद्ध अभियान शुरू करने का आदेश दिया।
- 2004 - दुबई हवाई अड्डे पर यात्रियों को 30 दिरहम या 8.2 डालर अतिरिक्त शुल्क का भार। भारत सहित विश्व के कई देशों में 122 वर्ष बाद पुन: देखा गया शुक्र पारगमन का अद्भुत नज़ारा।
- 2006 - अलकायदा नेता अबू मुसाब अल-जरकावी हवाई आक्रमण में ईराक में मारा गया।
- 2008 - उत्तर प्रदेश के मछली पालन मंत्री जमुना निषाद को मुख्यमंत्री मायावती ने बर्ख़ास्त किया। दक्षिणी सोमालिया में आतंकवादियों ने ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन के एक स्थानीय पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी।
- 2009 - मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता हबीब तनवीर का निधन हुआ।
- 1916- अंग्रेज़ जैव भौतिक शास्त्री फ्रैन्सिस हैरी कॉम्पटन क्रिक का जन्म हुआ, जिन्होंने जेम्स वॉटसन और मॉरिस विलकिंस के साथ डी.एन.ए की आण्विक संरचना को स्पष्ट किया जिसके लिए उन्हें 1962 में शरीर क्रिया विज्ञान/चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-28 जुलाई 2004)
- 1936-अमेरिकन भौतिकशास्त्री कैनेथ गैडेस विल्सन का जन्म हुआ, जिन्हें 1982 में भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्हें ट्रान्सफॉर्मर के विकास में कई सिद्धांत प्रतिपादित किए।
- 1882 -ब्रिटिश सिविल इंजीनियर जॉन स्कॉट रसैल का निधन हुआ, जो जहाज़ की अभिकल्पना की और उन्होंने लौह निर्मित युद्धपोत बनाया। उन्होंने सबसे पहले डॉप्लर प्रभाव पर प्रयोग किया। (जन्म-8 मई 1808)
- 1998 जर्मनी में जन्मीं पेरू की गणितज्ञ तथा पुरातत्वविद् मारिया रिची का निधन हुआ, जिन्होंने नाज़्का सभ्यता का अध्ययन किया। वे जीवन भर उन रहस्यों को सुलझाने में लगी रहीं। (जन्म-15 मई 1903)।