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मध्य प्रदेश में आदिवासी महिला को ज़िंदा जलाने का आरोप, हालत गंभीर
04-Jul-2022 7:08 PM
मध्य प्रदेश में आदिवासी महिला को ज़िंदा जलाने का आरोप, हालत गंभीर

इमेज स्रोत,SHURIAH NIAZI/BBC

-शुरैह नियाज़ी

मध्य प्रदेश के गुना में सहरिया आदिवासी महिला रामप्यारी बाई को एक ज़मीन विवाद में जिंदा जलाने की कोशिश की गई है.

आरोप है कि दबंगों ने महिला पर डीज़ल डाल कर आग लगा दी. दावा किया जा रहा है कि आग लगाने के दौरान अभियुक्तों ने महिला का वीडियो भी बनाया, जो पिछले दो दिनों से वायरल है.

लगभग 80 प्रतिशत जल चुकी महिला को ज़िला अस्पताल लाया गया, जहाँ से उसे भोपाल लाया जा रहा है. अभी महिला कुछ भी बयान देने की स्थिति में नहीं है.

मामला शनिवार का बमोरी के धनोरिया गाँव का है. रामप्यारी बाई उनके पति अर्जुन सहरिया को खेत में जली हुई अवस्था में मिली थीं.

क्या है मामला?
अर्जुन के मुताबिक़, जब वह अपने खेत जा रहे थे, तब वहाँ अभियुक्त प्रताप, हनुमत, श्याम किरार और उनकी पत्नियां टैक्टर से भाग रहे थे जबकि उनकी पत्नी खेत में जली हालात में मिलीं.

अर्जुन ने बताया, "रामप्यारी के सारे कपड़े जल चुके थे."

विवाद की असली वजह छह बीघा ज़मीन है. कह जा रहा है कि इस पर दबंगों ने कब्ज़ा कर लिया था. स्थानीय प्रशासन ने मई महीने में इस मामलें पर फ़ैसला करते हुए ज़मीन पर अर्जुन को कब्ज़ा दिलवा दिया था.

दरअसल, अर्जुन सहरिया को यह ज़मीन दिग्विजय सिंह सरकार के समय सरकारी योजना के तहत आवंटित हुई थी लेकिन उन्हें इसका मालिकाना हक़ नहीं मिल पाया था.

अभियुक्तों के परिवार का इस खेत पर लंबे समय से कब्ज़ा था.

बंधुआ मुक्ति मोर्चा, गुना के ज़िला संयोजक नरेंद्र भदौरिया के अनुसार, इस गाँव की आबादी लगभग 600 लोगों की है. इसमें आदिवासी ज़्यादा है लेकिन कम होते हुए भी धाकड़ और किरार जाति के लोगों का दबदबा है.

उनका कहना है कि इस क्षेत्र में ऐसे सैकड़ों मामले मिल जाएंगे जिसमें ज़मीन आदिवासियों के नाम है लेकिन कब्ज़ा दबंगों का है.

यह ज़मीन इस परिवार को दिग्विजय सिंह के शासन काल में मिली थी. कुछ समय उनके पास रहने के बाद यह ज़मीन पर इन लोगों ने कब्ज़ा कर लिया था. लेकिन मई में इसे फिर से प्रशासन ने सौंप दी थी. तभी से अभियुक्त उन पर दबाव बना रहे थे.

शनिवार को महिला को पता चला कि ज़मीन को दबंग जोत रहे हैं तो वह फ़ौरन खेत की तरफ भागीं. उस समय उनके पति घर पर नहीं थे. बाद में खेत से धुंआ उठता देख वो उस तरफ़ भागे तो पता चला कि उनकी पत्नी को जलाया गया है.

नरेंद्र भदौरिया ने आरोप लगाते है कि कुछ दिन ऐसे मामलों में प्रशासन सख्त दिखता है लेकिन कुछ दिनों के बाद वो फिर से दबंगों को बचाने लग जाता है. इसी का नतीजा है कि इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लग रही है.

इस मामले में अब तक पाँच लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसमें तीन अभियुक्त हैं और प्रताप की पत्नी और मां हैं. तीन अभियुक्तों में से दो सगे भाई हैं और एक ताउ का बेटा है.

गुना पुलिस अधीक्षक, पंकज श्रीवास्तव ने बताया, "इस मामले में सभी को पकड़ लिया गया है. पूरा विवाद ज़मीन को लेकर था जिसमें अभियुक्तों के पास से ज़मीन को ख़ाली कराया गया था इसलिए उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया."

घटना का वीडियो
इस घटना का जो वीडियो सामने आया है उसमें पीड़ित महिला रो रही हैं और बता रही हैं कि उन्हें जलाया गया है. वीडियो बनाने वाला शख़्स कह रहा है कि महिला ने ख़ुद ही अपने आप को आग लगाई है.

घटना के बाद ज़िला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी गाँव में पहुंचे और घटना का पूरा विवरण लिया.

अर्जुन का आरोप है कि उन्हें और परिवार को लगातार धमकियां मिल रही थीं. उन्होंने ज़िला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी आवेदन दिया था लेकिन किसी ने भी उस पर कारवाई नहीं की. उसी का नतीजा है कि अभियुक्त घटना को अंजाम देने में कामयाब रहे. पहली धमकी की शिकायत स्थानीय बामोरी थाने में भी की गई थी.

पहले भी हुई है जलाने की घटना
महिला के पति ने बताया कि उनकी पत्नी खेत गई थीं तो वो भी पीछे पीछे आए लेकिन तब तक आरोपी घटना को अंजाम दे चुके थे.

मध्य प्रदेश के इस क्षेत्र में आदिवासियों का शोषण आम बात है. दबंगों की ओर से आदिवासियों के साथ इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई है.

साल 2020 में इसी ज़िले में एक मज़दूर को कथित तौर पर महज़ पाँच हज़ार रुपये की उधारी नहीं चुका पाने की वजह से केरोसिन डालकर ज़िंदा जला दिया गया था.

स्थानीय ग़ैर-सरकारी संगठन के लोग इसे बंधुआ मज़दूरी का मामला बताया था लेकिन सरकार इसे उधारी का मामला बताती रही.

बंधुआ मुक्ति मोर्चा, गुना के ज़िला संयोजक नरेंद्र भदौरिया ने आरोपा लगाया कि क्षेत्र के दबंग इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते रहे है और प्रशासन एक तरह से उनका बचाव ही करता रहा है.

उन्होंने कहा, "जब तक इनके ख़िलाफ सख्त कारवाई नही की जाएगी यही स्थिति बनी रहेगी. यह ज़रूरी है कि प्रशासन ग़रीब आदिवासियों के साथ खड़ा होकर कार्रवाई करे तभी इन्हें इनके ज़ुल्मों-सितम से बताया जा सकता है."

सहरिया जनजाति राज्य की सबसे पिछड़ी जनजातियों में आती है. हर चुनाव से पहले सरकार और राजनीतिक दल इस समुदाय के लिए तरह-तरह के वादे करते हैं लेकिन इनकी स्थिति में बहुत अंतर नहीं आया है.

मध्य प्रदेश के गुना ज़िले में बंधुआ मज़दूरी भी आमतौर पर देखी जाती है. हालांकि प्रशासन नही मानता है कि ज़िला में बंधुआ मज़दूरी है.

लेकिन अब इस मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने इस मामलें में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि आख़िर कब तक यह बर्बरता चलती रहेगी.

ट्वीट के ज़रिये पार्टी ने कहा, "आप इस मामले पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं."

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि शिवराज सिंह चौहान सरकार में आदिवासियों पर अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है.

उन्होंने सवाल पूछा कि आख़िर आदिवासी समुदाय कब सुरक्षित होगा.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की पिछले साल जारी की गई 2020 की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कुल 2,401 मामले दर्ज किए गए.

एनसीआरबी की रिपोर्ट में एक साल पहले के आंकड़े होते हैं.

मध्य प्रदेश तीन साल से पहले पायदान पर बना हुआ है. इस साल के आंकड़े बताते हैं कि यह संख्या पिछले साल से लगभग 20 प्रतिशत अधिक है. (bbc.com)

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