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0-14 वर्ष के बच्चों में मृत्यु का 9वां प्रमुख कारण कैंसर-डॉ. रूचि
16-Feb-2023 3:19 PM
0-14 वर्ष के बच्चों में मृत्यु का 9वां प्रमुख कारण कैंसर-डॉ. रूचि

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 फरवरी।
शून्य से 14 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण कारण कैंसर आज लाइलाज नहीं रहा है समय रहते यदि इसका पता चल गया तो अन्य बीमारियों की तरह इसका भी निदान है।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी आयु वर्ग के लागों को जकड़ लेती है फिर वह चाहे नवजात शिशु हो अथवा उम्रदराज व्यक्ति। शून्य से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों की जो अकस्मात मौत हो जाती है उसके प्रमुख कारणों में कैंसर 9 वें क्रम पर है जो बच्चों को लील लेता है।

चाइल्डहुड कैंसर इंटरनेशनल (सीसीआई)संगठन बच्चों में कैंसर को लेकर पूरे विश्व में सतत जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता और अलग-अलग थीम पर हर वर्ष 15 फरवरी को दुनिया भर में बचपन के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और कैंसर से पीडि़त बच्चों और किशोरों, बचे लोगों और उनके परिवारों के लिए समर्थन व्यक्त करने के अभियान के साथ अंतर्राष्ट्रीय बचपन कैंसर दिवस (आईसीसीडी) मनाया जाता है। इस वर्ष चाइल्डहुड कैंसर इंटरनेशनल (सीसीआई) की थीम है बेहतर उत्तरजीविता आपके हाथों से प्राप्त की जा सकती है।

चाइल्डहुड कैंसर इंटरनेशनल (सीसीआई)संगठन के आंकड़ों पर यदि हम एक बारगी सोचें तो इस स्थिति से बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है बशर्ते सही समय पर उसका उपचार हो सके। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि आज कैंसर के प्रति लोग जागरूक हुए हैं इसी जागरूकता की आवश्यकता हमें बच्चों के प्रति भी दिखानी होगी। चाइल्डहुड कैंसर इंटरनेशनल (सीसीआई)संगठन जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर  विभिन्न मंचों से आवाज़ उठाता हैं और कैंसर से पीडि़त बच्चों और किशोरों, पीडि़तों और उनके परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों की समझ उनका आत्मविश्वास,उनका आत्मबल बढाऩे का प्रयास करते हैं। चाइल्डहुड कैंसर इंटरनेशनल (सीसीआई)संगठन की सोच है कि सभी बच्चों और किशोरों को सर्वोत्तम संभव उपचार हो सके उसका अग्रिम लाभ उन्हें प्राप्त हो सके। संगठन ने प्रण किया हुआ है कि बचपन के कैंसर से प्रभावित बच्चों और परिवारों के लिए इलाज देखभाल में बदलाव और उनमें जीने की आशा जगाना चाहतें हैं फिर चाहे वह दुनिया में कहीं भी क्यूं न रहते हों?

चाइल्डहुड कैंसर इंटरनेशनल (सीसीआई)संगठन का कहना है कि  विश्व में हर साल, 20 वर्ष से कम उम्र के 400,000 से अधिक बच्चों और किशोरों में कैंसर का निदान किया जाता है। जीवित रहने की दर क्षेत्र पर निर्भर करती है, अधिकांश उच्च आय वाले देशों में 80 प्रतिशत उत्तरजीविता है लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 20 प्रतिशत  कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वैश्विक बचपन के कैंसर के बोझ का कम से कम 20 प्रतिशत हिस्सा भारत में है, हर साल लगभग 75,000 बच्चों में कैंसर का पता चलता है।

बच्चों और किशोरों में कैंसर वयस्कों में होने वाले कैंसर से जैविक रूप से बहुत अलग है। वयस्कों के विपरीत जहां ज्ञात जोखिम कारक जैसे धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, एचपीवी संक्रमण आदि से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है, बचपन के कैंसर का कोई ज्ञात कारण नहीं होता है और आमतौर पर स्क्रीनिंग के माध्यम से इसे रोका या पहचाना नहीं जा सकता है।

हाल में किये गये अध्ययनों से पता चला है कि कैसे हमारी कोशिकाओं के अंदर डीएनए में कोई परिवर्तन या उत्परिवर्तन कैंसर कोशिकाओं के उत्पादन में योगदान कर सकता है। केवल 5-10 प्रतिशत  बचपन के कैंसर आनुवंशिक कारकों के कारण होते हैं जो विरासत में मिले या प्राप्त किए जा सकते हैं। इनमें कैंसर में सबसे आम प्रकार ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, ब्रेन कैंसर, ठोस ट्यूमर जैसे न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर, हेपाटोब्लास्टोमा, रेटिनोब्लास्टोमा और हड्डी और कोमल ऊतक सार्कोमा जैसे इविंग्स और ओस्टियोसारकोमा हैं।

 इस तरह के कैंसर का उपचार में कीमोथैरेपी, सर्जरी, रेडियोथेरेपी या दुर्दमता की प्रकृति और प्रस्तुति के चरण के आधार पर किया जाता है। इसके प्रमुख लक्षण है लंबे समय तक या बार-बार होने वाला बुखार, अस्पष्टीकृत वजन घटना, हड्डी और जोड़ों या पैरों में लगातार दर्द, गर्दन, पेट, छाती, गर्दन या श्रोणि में गांठ या द्रव्यमान, अत्यधिक चोट या रक्तस्राव, असामान्य पीलापन, लंबे समय तक थकान औरसुस्ती।

शून्य से 14 आयु समूह को बाल चिकित्सा आयु समूह माना जाता है। बचपन के कैंसर का सबसे अच्छा इलाज पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा पीडियाट्रिक कैंसर यूनिट वाले केंद्रों में किया जाता है, जो बच्चों में कैंसर प्रबंधन में विशेषज्ञ होते हैं। कीमोथेरेपी दवाओं और विकिरण के हानिकारक दुष्प्रभाव होते हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक खुराक की गणना, दुष्प्रभावों की निगरानी, समय पर और उचित उपचार संशोधन की आवश्यकता होती है ताकि सर्वोत्तम प्राप्त उपचार परिणामों के साथ अल्पकालिक और दीर्घकालिक दुष्प्रभावों के जोखिम को संतुलित किया जा सके।

बाल्यावस्था कैंसर शीघ्र निदान, एक समर्पित टीम द्वारा बच्चों के अनुकूल वातावरण में उपचार की शीघ्र शुरुआत के साथ लागत प्रभावी हो सकता है। भारत में सभी कैंसर का 1.6 से 4.8प्रतिशत 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में देखा जाता है, जो प्रति वर्ष प्रति मिलियन बच्चों पर 38 से 124 की समग्र घटना देता है। भारत में कैंसर 5 से 14
 

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