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रायपुर, 1 नवंबर । आपकी असफलता आप में एक नया हौसला पैदा करती है। यह बातें आंजनेय विश्वविद्यालय में आयोजित व्याख्यान के दौरान जेम् साइंटिस्ट एवं इसरो बोर्ड सदस्य डॉ.आलोक श्रीवास्तव ने कही।
उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में इसरो द्वारा भेजे जाने वाले उपग्रह असफल हुए तो पूरी दुनिया ने हमारे कार्यों पर प्रश्न चिन्ह लगाया और उस मुकाम पर पहुंचाया जहां कोई दूसरा देश नहीं पहुंच पाया। असफलता ने आज हमें चंद्रमा तक पहुंचा दिया।
उन्होंने बताया कि एक दौर था जब हम अमेरिका से अनाज मांगा करते थे आज इसरो अमेरिका के उपग्रहों को अपने स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित कर रहा । जो भारत की उन्नति को दर्शाता है। डॉ.श्रीवास्तव ने प्रक्षेपित उपग्रहों के उपयोगित और महत्ता की जानकारी दी। व्याख्यान में उपस्थिति विद्यार्थियों ने अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी जिज्ञासा पूछी।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.टी रामाराव ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि गर्व होता है जब अपनी माटी, अपने प्रदेश से निकलकर इसरो जैसी प्रतिष्ठित संस्थान का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जेम् साइंटिस्ट डॉ.श्रीवास्तव चंद्रयान एक से चंद्रयान तीन तक महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
ऐसे शख्स को अपने बीच पाकर विश्वविद्यालय गौरवान्वित होता है। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया गया। संगोष्ठी के दौरान आंजनेय विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ.बीसी जैन, प्रति-कुलपति श्री सुमित श्रीवास्तव, संकाय अध्यक्ष डॉ.रूपाली चौधरी, अन्य संकाय अध्यक्ष, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।