ताजा खबर
![वार्डों के परिसीमन पर हाई कोर्ट की रोक वार्डों के परिसीमन पर हाई कोर्ट की रोक](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1721915387GLOGO.jpg)
बिलासपुर/रायपुर, 25 जुलाई। राज्य में निकायों के वार्डों के परिसीमन पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। चुनाव से पहले वार्डों के परिसीमन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी ।कांग्रेस से जुड़े पार्षदों ने अपनी याचिका में नियम विरूद्ध परिसीमन कराया जा रहा है। न्यायाधीश पीपी साहू ने उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद परिसीमन पर रोक लगा दी है। और सरकार से जवाब मांगा है । याचिकाकर्ताओं ने नांदगांव, बेमेतरा,कुम्हारी में हो रहे परिसीमन को चुनौती दी थी । उनका कहना था कि जब 2014,19 में वर्ष 2011 की आबादी के अनुरूप परिसीमन किया गया था तो इस बार फिर क्या आधार और जरूरत क्यों? याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं का कहना था कि वार्ड परिसीमन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार अंतिम जनगणना को आधार माना गया है। राज्य सरकार ने अपने सरकुलर में भी परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है। अधिवक्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार ने इसके पहले वर्ष 2014 व 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य किया है। जब आधार एक ही है तो इस बार क्यों परिसीमन का कार्य किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं के तर्कों से सहमति जताते हुए कोर्ट ने पूछा कि वर्तमान में वर्ष 2024 में फिर से परिसीमन क्यों किया जा रहा है। अब क्या जरुरत पड़ गई। कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब वर्ष 2011 कीजनसंख्या को आधार मानकर वर्ष 2014 व 2019 में वार्डों का परिसीमन किया गया था। जनगणना का डेटा तो आया नहीं है,वर्ष 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं है।
फिर उसी जनगणना को आधार मानकर तीसरी बार पुनः परिसीमन कराने की जरुरत क्यों पड़ रही है। कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि परिसीमन मतदाता सूची के आधार पर नहीं जनगणना को ही आधार मानकर किया जा रहा है। परिसीमन से वार्डों का क्षेत्र व नक्शा बदल जाएगा। इनके तर्कों से कोर्ट ने असमति जताई। कोर्ट ने ला अफसरों से पूछा कि वर्ष 2011 की जनगणना को आज के परिपेक्ष्य में आदर्श कैसे मानेंगे। दो बार परिसीमन कर लिया गया है तो तीसरी बार क्यों। मौजूदा दौर में परिसीमन कराने का कोई कारण नहीं बनता और ना ही कोई औचित्य है। कोर्ट ने आपत्तियों के निराकरण और अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व एजी सतीशचंद्र वर्मा,अमृतो दास, रोशन अग्रवाल,राज्य की ओर से प्रवीण दास उप महाधिवक्ता व विनय पांडेय व नगर पालिका कुम्हारी की तरफ से पूर्व उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की।