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जनकवि डहरिया के यहां एनआईए के छापे की छमुमो ने की निंदा
25-Jul-2024 8:09 PM
जनकवि डहरिया के यहां एनआईए के छापे की छमुमो ने की निंदा

रायपुर, 25 जुलाई। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्त्ता समिति) के सदस्य कलादास डहरिया के घर पर एनआईए की छापेमारी की कड़े शब्दो में निंदा की है।

समिति के रमाकांत बंजारे,महेश साहू,कल्याण पटेल,मनोज कोसरे,केजू यादव, दशमत बाई, रामकुमार सिन्हा, उर्मिला सिन्हा, शालिनी गेरा ने एक बयान में कहा है कि  वे  मोर्चा के सक्रिय सदस्य के रूप में भिलाई के विभिन्न श्रमिक संघर्षों के साथ सन 1990 से शंकर गुहा नियोगी के आंदोलन से जुड़े हुए हैं। वे जन गीत के प्रसिद्ध गायक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता भी हैं, और रेला मंच से जुड़े हैं।  कलादास NAPM  के राष्ट्रीय समन्वयक हैं और कई अन्य सामाजिक राजनीतिक मंचों के अलावा पीयूसीएल (PUCL) और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं। बीते 3 दशक से कलादास जी मजदूरों के अधिकारों , छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों, आदिवासी, जल, जंगल और जमीन के अधिकारों, छत्तीसगढ़ में सांप्रदायिक दंगो व गिरफ्तारियों के खिलाफ भी दृढ़ता से आवाज उठाते रहे हैं। 

आज अल सुबह कलादास और उनकी पत्नी नीरा को  दरवाजे खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी। जब उन्होंने दरवाजा खोला, तो उन्हें बाहर 15-16 लोगों की एक बड़ी पुलिस फोर्स मिली । उनमें से कुछ दुर्ग पुलिस के साथ थे, लेकिन बाकी ने खुद को एनआईए रांची के रूप में बतलाया। उन्होंने कलादास भाई को यह नहीं बताया कि वे किस विशेष मामले की जांच कर रहे थे, लेकिन उन्हें शुरू में ही बता दिया कि वह रांची (झारखण्ड) के एक प्रकरण जो "भारत विरोधी गतिविधियों" से जुड़ा हुआ है उसके सम्बन्ध में उनसे बतौर गवाह के रूप में पूछताछ की जा रही है ।  जाँच के दौरान पूरे घर की तलाशी ली गयी और एक पेन ड्राइव, एक लैपटॉप और एक मोबाइल NIA  टीम द्वारा जब्त  गया, जिसका हैश वैल्यू और क्लोन कॉपी NIA द्वारा नहीं दिया गया, जिससे भविष्य में सबूतों से छेड़छाड़ होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता औए  यह कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन एवं असंवैधानिक हैं ।  

कलादास जी ने बताया कि यह कार्यवाही मजदूरों की आवाज को दबाने और मेरी छवि को धूमिल करने एवं संगठन को तोड़ने प्रसाशन की एक साजिश है जिससे मै डरने वाला नहीं हूँ  l  आज की जाँच में मैंने अधिकारियो को पूरा सहयोग किया l  

सुबह के समय जब पुलिस कलादास भाई के घर पर थी, तो कई पुलिस अधिकारी उनकी संकरी गली में बाहर तैनात थे, जो पड़ोस के किसी भी निवासी को गली में कदम रखने से रोक रहे थे। उन्होंने बाहर से कुछ दरवाजे भी बंद कर दिए, लोगों को अपनी खिड़कियां खोलने से भी मना किया गया और यहां तक कि लोगों को पीने का पानी भरने से भी रोक दिया गया जबकि नगरपालिका के नलों पर पानी  सुबह सीमित समय के लिए ही उपलब्ध होता है। पुलिस ने पड़ोस के एक वकील को भी कलादास भाई से मिलने से रोक दिया।  एसपी दुर्ग को शिकायत करने से भी कोई मदद नहीं मिली, क्योंकि उन्होंने एनआईए टीम का दृढ़ता से बचाव करते हुए कहा कि छापेमारी और पूछताछ के दौरान वकीलों को अनुमति नहीं है, जो कि आपराधिक संहिता और कई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सीधा उल्लंघन है।

एनआईए द्वारा सौंपे गए कागजात से पता चलता है कि कलादास भाई को झारखंड में एक पुराने एनआईए मामले के सिलसिले में गवाह के तौर पर 1 अगस्त को एनआईए रांची के समक्ष उपस्थित होना है। इन कागजातों से यह स्पष्ट नहीं है कि कलादास भाई और झारखंड के इस मामले के बीच क्या संबंध है। जिस तरह से छापेमारी की गई, उसका उद्देश्य श्रमिकों को डराना और उचित वेतन के लिए उनके संघर्ष को रोकना है। कुछ दिन पहले ही कलादास भाई ने राज्य सरकार को एक ज्ञापन भेजा था, जिस पर कई लोगों ने हस्ताक्षर किए थे, जिसमें हसदेव में प्रस्तावित पेड़ों की कटाई और चार श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन का विरोध किया गया था और बस्तर में ग्रामीणों की सुरक्षा और एसीसी में सीमेंट वेज बोर्ड लागू करने की मांग की गई थी। यह छापेमारी ऐसे ज्ञापन के प्रति राज्य की प्रतिक्रिया हो सकती है।

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