ताजा खबर
![केंद्र ने बाढ़ प्रबंधन निधि के लिए बाढ़ संबंधी कानून के अनुपालन को अनिवार्य बनाने पर जोर दिया केंद्र ने बाढ़ प्रबंधन निधि के लिए बाढ़ संबंधी कानून के अनुपालन को अनिवार्य बनाने पर जोर दिया](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1722150417adh.jpg)
(उज्मी अतहर)
नयी दिल्ली, 28 जुलाई। बार-बार याद दिलाने के बावजूद केवल चार राज्यों ने ‘फ्लड-प्लेन जोनिंग’ कानून का अनुपालन किया है, जिसके बाद केंद्र सरकार केंद्रीय बाढ़ प्रबंधन निधि का इस्तेमाल करने के वास्ते राज्यों के लिए इस कानून के कार्यान्वयन को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
ऐसे कानूनों को लागू करने वाले चार राज्य-मणिपुर, राजस्थान, उत्तराखंड और केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ लगातार संवाद कर उनसे ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ को अधिसूचित करने तथा बाढ़ क्षेत्रों का सीमांकन करने का अनुरोध कर रहा है।
बाढ़ क्षेत्रों में भूमि उपयोग को विनियमित करना ‘फ्लड-प्लेन जोनिंग’ की मूल अवधारणा है, ताकि बाढ़ से होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके।
अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) के तहत निधि का इस्तेमाल करने के वास्ते राज्यों के लिए ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ को लागू करने को एक पूर्व अनिवार्य शर्त बनाने का प्रस्ताव दिया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हम बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम के अगले चरण के लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति प्राप्त करेंगे। इससे अब किसी भी राज्य के लिए एफएमबीएपी के तहत संसाधनों तक पहुंच हासिल करने की शर्त यह होगी कि उसने ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ लागू किया हो। अगर आपने यह कानून लागू नहीं किया होगा, तो आपको पैसा नहीं मिलेगा।’’
अधिकारी के मुताबिक, मंत्रालय ने इन मुद्दों से निपटने के लिए कई अन्य प्रयास भी किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मई 2022 में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव ने राज्य के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर उचित कानून बनाने का आग्रह किया था। जनवरी 2023 में एक बैठक में सचिव ने व्यापक बाढ़ प्रबंधन और बाढ़ क्षति को कम करने के लिए ‘फ्लड-प्लेन जोनिंग’ के महत्व पर जोर दिया था।’’
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘जल शक्ति मंत्रालय राज्यों से कार्रवाई करने का लगातार अनुरोध कर रहा है। हालांकि, प्रगति कुछ राज्यों तक सीमित है। बाढ़ प्रबंधन समेत जल प्रबंधन संविधान के तहत राज्य का विषय हैं। राज्यों को इस संबंध में सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।’’
यह कानून बाढ़ क्षेत्र अधिकारियों, सर्वेक्षणों, बाढ़ के मैदानी क्षेत्रों के परिसीमन, बाढ़ के मैदान की सीमाओं की अधिसूचना, बाढ़ भूमि के उपयोग पर प्रतिबंध और मुआवजे व बाधाओं को हटाने के प्रावधानों के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
अधिकारी ने कहा कि इन व्यापक दिशा-निर्देशों के बावजूद कई राज्यों ने अभी तक इस कानून और इसके क्रियान्वयन की दिशा में उचित कदम नहीं उठाए हैं।
उन्होंने बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने बड़े पैमाने पर बाढ़ प्रभावित इलाकों के कारण ऐसा कानून लागू करने में मुश्किलों के बारे में सूचित किया है और अन्य राज्यों ने कानून को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। (भाषा)