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बैस की वापिसी?
आखिरकार महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस का कार्यकाल नहीं बढ़ा। उनकी जगह सी राधाकृष्णन को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है। अब बैस की छत्तीसगढ़ की राजनीति में वापसी की अटकलें लगाई जा रही है।
बैस से पहले उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया था। बेबीरानी अभी योगी सरकार में मंत्री हैं। चर्चा है कि कुछ इसी तरह बैस का भी उपयोग किया जा सकता है। हालांकि यह सबकुछ आसान नहीं है। वजह यह है कि बैस की उम्र 73 वर्ष के करीब हो गई है। बैस लंबे समय तक पार्टी के कोर ग्रुप के सदस्य भी रहे हैं। उनकी पहचान कुर्मी समाज के बड़े नेता के रूप में होती रही है। हालांकि अब इस वर्ग से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर विधानसभा के सदस्य हैं। कुर्मी समाज से टंकराम वर्मा अब विष्णुदेव साय सरकार में मंत्री बन चुके हैं। खास बात यह है कि टंकराम वर्मा, रमेश बैस के निज सचिव भी रहे हैं। अब इन सबके बीच रमेश बैस को क्या उपयोगिता रहेगी, यह देखना है।
विधायक तय कर रहे राजधानी में थानेदार
एक समय था प्रदेश के बड़े जि़लों की पुलिसिंग राज्य के लिए मिसाल होती थी। बाकि जिलों के एसपी इनका उदाहरण देते थे। लेकिन अब उलट स्थिति है। चर्चा है कि बड़े जि़लों में एसपी भी अपने पसंद के थानेदार नहीं रख पा रहे है। हवलदार, सिपाही की पोस्टिंग के लिए वरिष्ठ अधिकारियों का आदेश लेना पड़ रहा है। इस का फायदा नए-नए विधायक बने नेता उठा रहे है। विधायक खुद अपने इलाके के टीआई तय कर रहे हैं। उनका थाना भी बता रहे हैं कि कौन टीआई किस थाना का प्रभारी होगा। हल्ला है कि पोस्टिंग के बदले थानेदार विधायक का ख्याल रख रहे हैं। इसके लिए चालान वसूली बढ़ा दी गई है। भूमि विवाद के प्रकरण पर ज्यादा इंटरेस्ट ले रहे हैं।
रेणुकूट रेल लाइन पर संकल्प
छत्तीसगढ़ में रेल लाइनों के विस्तार के लिए वैसे तो जगदलपुर से सरगुजा तक कई आंदोलन हो रहे हैं। अंबिकापुर रेणुकूट रेल लाइन मांग के लिए भी लंबे समय से आवाज उठ रही है। आम बजट के पहले रेल मंत्री से सांसद मुलाकात करते हैं, ज्ञापन देते हैं, आश्वासन मिलता है और फिर बात खत्म हो जाती है। रेणुकूट रेल लाइन का आगे सिंगरौली तक विस्तार करने की मांग भी है। रेलवे को इससे 14 प्रतिशत रेट ऑफ रिटर्न भी मिलने का आकलन किया गया है, जो किसी भी परियोजना की मंजूरी के लिए पर्याप्त है। रांची और सिंगरौली का हित भी इससे जुड़ा है। इसलिये झारखंड और मध्यप्रदेश के सांसद भी इसके लिए आवाज उठा रहे हैं।
इस रेल लाइन के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा के बीते मॉनसून सत्र में एक अशासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित किया गया है। खास बात यह रही कि यह प्रस्ताव सरगुजा से नहीं आया। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह भाजपा के कई नेता वहां से से हैं लेकिन यह प्रस्ताव तखतपुर के विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर लेकर आए। विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर इस तरह का अशासकीय संकल्प पहले भी ला चुके हैं। जुलाई 2022 में उनके प्रस्ताव पर सदन में पारित हुआ था कि हसदेव अरण्य में किसी भी नए कोयला खदान को मंजूरी नहीं दी जाएगी।
अशासकीय संकल्प भावनाओं को जाहिर करने का एक तरीका ही है। केंद्र से जुड़े मामलों में यह बाध्यकारी नहीं है। हसदेव में कोयला खनन के लिए पेड़ों की कटाई ठीक चुनाव के बाद हो गई थी। ताजा अशासकीय संकल्प से रेलवे पर थोड़ा दबाव बनाया जा सकता है। इसी बात पर सरगुजा में इस रेल लाइन करने वाले नागरिकों की समिति ने जश्न भी मना लिया।
जिंदगी का आनंद..
भारी बारिश के चलते खेत में पानी भर गया है। पर इस पिता पुत्र की जोड़ी को इसकी परवाह नहीं है। अपने इलाके के एक पारंपरिक लोक नृत्य के साथ जीवन का आनंद उठा रहे हैं। तस्वीर गुजरात के कच्छ जिले की है, जहां तेज वर्षा के चलते फसलों को काफी नुकसान भी हुआ है। ([email protected])