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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने नेशनल असेंबली में विश्वास मत हासिल कर लिया है. 342 सीटों वाली नेशनल असेंबली में उन्हें विश्वास मत हासिल करने के लिए 172 वोट चाहिए थे.
क्रिकेटर से राजनेता बने 68 वर्षीय इमरान ख़ान ने बुधवार को अपने वित्त मंत्री अब्दुल हफ़ीज शेख़ बहुत क़रीबी मुक़ाबले में सीनेट चुनाव हारने के बाद निचले सदन में विश्वास मत हासिल करने का फ़ैसला किया था.
सीनेट चुनावों में वित्त मंत्री अब्दुल हफ़ीज़ शेख़ इस्लामाबाद की सीट पर कड़े मुक़ाबले के बाद पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी से हार गए थे.
इस हार के बाद ये सवाल पैदा होने लगे थे कि क्या इमरान ख़ान के पास सदन में बहुमत है या नहीं?
इसके बाद ही इमरान ख़ान ने नेशनल असेंबली में विश्वास मत साबित करने की बात कही थी.
वहीं इस उलटफेर के बाद विपक्ष ने इमरान ख़ान से इस्तीफ़े की माँग की थी.
विश्वास मत हासिल करने के दौरान क्या हुआ सदन में?
शनिवार को विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने एक सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया. जिसमें कहा गया कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान, पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 91 के खंड (7) के तहत इस सदन में विश्वास की माँग करते हैं.
राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के निर्देशों पर आयोजित विशेष सत्र के दौरान इमरान को 342 सदस्यीय संसद के निचले सदन में 172 वोटों की ज़रूरत थी और उन्होंने 178 वोट हासिल किए.
सत्तारूढ़ गठबंधन में 181 सदस्य थे लेकिन एक सांसद फ़ैसल वोडा के इस्तीफ़े के बाद यह संख्या 180 रह गई. वहीं विपक्षी गठबंधन के सदस्यों की संख्या 160 है, जबकि एक सीट खाली है.
नेशनल असेंबली में सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सदस्यों की संख्या 157 थी, जो फ़ैसल वोडा के इस्तीफ़े के बाद घटकर 156 रह गई. हालाँकि सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि वोडा इस विश्वास मत में वोट दे सकते हैं क्योंकि अभी उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया गया है. जबकि विपक्ष यह कहता रहा कि चूँकि उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है तो वे वोट नहीं डाल सकते.
यह शक्ति परीक्षण विपक्ष के बिना हुआ क्योंकि 11 दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने वोटिंग का बहिष्कार किया था. (bbc.com)