राष्ट्रीय
कानपुर, 24 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के कानपुर के बर्रा से करीब एक माह पहले लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का अपहरण फि रौती के लिए उसके दोस्त ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया था। उन्होंने यादव की हत्या कर लाश को पांडु नदी में फेंक दिया था। इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने बताया कि बर्रा से अपहरण किए गए युवक की 23 जून को गुमशुदगी की शिकायत लिखी गई थी। इसके बाद 26 जून को उसे एफआईआर में तब्दील किया गया। 29 जून को परिजनों के पास फि रौती के लिए कॉल आया था। मामले में सर्विलांस और क्राइम ब्रांच की टीमों को मामले में लगाया गया था।
पुलिस की टीम ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। इसमें दो लोग संजीत के खास दोस्त थे, जिन्होंने संजीत के साथ पहले अन्य पैथोलॉजी में काम किया था। उन्होंने कबूल किया है कि उन्होंने 26 या 27 जून को ही संजीत की हत्या कर दी थी। इसके बाद शव को पांडू नदी में फेंक दिया था। इस मामले में 4 पुरूषों और एक महिला को गिरफ्तार किया गया है। वहीं शव को बरामद करने के लिए टीमें बनाई गई हैं।
लैब टेक्नीशियन के रिश्तेदार का दावा है कि उन्होंने अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रुपये की फिरौती दी है। लेकिन कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल का कहना है कि अब तक की जांच के अनुसार हमने पाया है कि कोई फिरौती नहीं दी गई है। फिर भी हम सभी पहलुओं से मामले की जांच कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि कानपुर बर्रा निवासी चमन सिंह यादव के इकलौते बेटा संजीत कुमार का 22 जून की शाम अपहरण हो गया था। दूसरे दिन परिजनों ने पूर्व थाना प्रभारी रणजीत राय को बेटे के लापता होने की बात बताई थी लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हो पाया।
29 जून की शाम अपहर्ताओं ने पिता को फोन करके 30 लाख की फिरौती मांगी। 13 जुलाई की रात पुलिस ने फिरौती की रकम लेकर परिजनों को भेजा। अपहर्ता गुजैनी पुल से फिरौती की रकम लेकर फरार हो गए और पुलिस देखती रह गई।
इस घटना के बाद एसएसपी दिनेश कुमार पी ने इंस्पेक्टर रणजीत राय को निलंबित कर दिया था। वहीं खोज के लिए एसओजी, सर्विलांस टीम और कई थानों की पुलिस लगाई गई थी।
नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)| भारत में कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को कोरोना से पीड़ित नए मामलों की संख्या 49 हजार को पार कर गई। यह एक दिन में भारत में पीड़ित लोगों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।
स्वास्थ्य मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से भारत में मरने वालों की संख्या 30 से अधिक हो चुकी है।
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में ढील के बाद देश में हर पांचवे व्यक्ति में एक बेरोजगार हो गया है। यह बात आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण के नतीजों से सामने आई है। सर्वेक्षण में 1723 लोगों को शामिल किया गया था।
सर्वेक्षण के अनुसार, 21.57 फीसदी लोगों की या तो पूरी तरह छटनी हो गई है या वे बेकार हो गए हैं। सर्वेक्षण से यह भी संकेत मिलता है कि 25.92 फीसदी लोग अभी तक उसी आय या वेतन पर नियमन और सुरक्षा उपायों के तहत काम कर रहे हैं जबकि 7.09 फीसदी लोग घरों से काम कर हैं और उनके वेतन में किसी प्रकार की कटौती नहीं की गई है।
केंद्र सरकार ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन कर दिया जबकि अनलॉक की प्रक्रिया एक जून से शुरू हुई। यह सर्वेक्षण 24 जून से 22 जुलाई के दौरान करवाया गया जो परिवार के कमाने वाले प्रमुख सदस्य की स्थिति पर आधारित था।
सर्वेक्षण के अनुसार 8.33 फीसदी लोगों की आय घट गई लेकिन वे नियमन व सुरक्षा उपायों के तहत काम कर रहे हैं जबकि आठ फीसदी लोग घरों से काम कर रहे हैं और उनके वेतन में कटौती हुई है या आय कम हो गई है।
सर्वेक्षण से इस बात का भी संकेत मिलता है कि लॉकडाउन में ढील के बाद देश में 6.12 फीसदी लोगों के पास आय का कोई साधन नहीं है जबकि 1.2 फीसदी लोग अभी तक काम कर रहे हैं लेकिन उनको वेतन नहीं मिल रहा है।
ताजा सर्वेक्षण के नतीजे और अनुमान सीवोटर द्वारा करवाले गए रोजाना पोल पर आधारित है जिसमें पूरे राज्य से 18 से अधिक उम्र के लोगों को शामिल गया गया है।
कोविड-19 संकट के बीच, 23.97 लोगों ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। आईएएनएस-सीवोटर द्वारा 1,723 लोगों पर किए गए सर्वे से यह जानकारी मिली।
कुल 8.15 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद वे पहले की सैलेरी या आय पर काम कर रहे हैं। वहीं 8.28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने वेतन में कटौती का सामना किया।
वहीं 3.23 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे लॉकडाउन से पहले फुल-टाइम जॉब करते थे और अब पार्ट टाइम जॉब करते हैं।
वहीं कम से कम 7.59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान वे वेतन बिना अवकाश का सामना कर रहे थे या फिर उनका काम रूक गया था और लॉकडाउन के दौरान उनके पास कोई आय नहीं था।
इसबीच, 27.72 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस दौरान सरकार और उसके नियोक्ता के नियम के अंदर काम कर रहे थे।
केवल 2.66 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे घर से काम नहीं कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी ले रहे थे। हालांकि 2.32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे घर से काम नहीं कर रहे थे और उन्हें कम सैलरी मिल रही थे।
शिमला, 23 जुलाई । एक आश्चर्यजनक मामले में भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में एक गरीब परिवार को स्मार्टफोन खरीदने के लिए अपनी आय के स्रोत गाय बेचनी पड़ी। गाय महज 6000 रुपये में बिकी है। अनुसूचित जाति के व्यक्ति कुलदीप कुमार को अपने बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन खरीदना जरूरी था।
कुलदीप कुमार कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी तहसील के गुम्मर गांव में एक गौशाला में रहता है।
उनकी बेटी अनु और बेटा वंश एक सरकारी स्कूल में क्रमश: कक्षा चौथी और दूसरी कक्षा में पढ़ते हैं।
जैसा कि राज्यभर के स्कूलों ने महामारी के मद्देनजर ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की हैं, ऐसे में उनके पास स्मार्टफोन और इंटरनेट न होने से बच्चे पढ़ नहीं सकते थे।
कुलदीप ने आईएएनएस को बताया, "मैंने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए जब स्मार्टफोन नहीं खरीद पा रहा था तो मैंने अपनी एक गाय को 6,000 रुपये में बेचने का फैसला किया।"
जबकि वह दूध बेचकर अपनी आजीविका कमाता है और उसकी पत्नी एक दिहाड़ी मजदूर है।
हालांकि गाय बेचने से पहले कुमार ने स्मार्टफोन खरीदने के लिए ऋण लेने बैंकों और निजी ऋणदाताओं के पास भी गए थे।
हालांकि समस्या अब भी बनी हुई है, क्योंकि एक फोन से दो बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
कुमार को वो लाभ नहीं मिल रहे हैं, जो गरीबों को मिलते हैं।
जब स्थानीय भाजपा विधायक रमेश धवाला को कुमार की खराब वित्तीय स्थिति से अवगत कराया गया, तो उन्होंने सरकारी मदद देने का आश्वासन दिया।(ians)
नई दिल्ली, 23 जुलाई । सुप्रीमकोर्ट ने राजस्थान विधानसभा स्पीकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। बागी कांग्रेसी विधायकों और स्पीकर के वकीलों की बहस के बीच सुनवाई के दौरान दो शब्द असहमति की जड़ बने। न्यायाधीस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ जिसमें न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और कृष्ण मुरारी शामिल रहे, ने राजस्थान विधानसभा स्पीकर सी.पी. जोशी की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को बताया कि हाईकोर्ट ने स्पीकर से केवल 24 जुलाई तक प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया था।
सिब्बल ने जवाब दिया, आदेश से शब्द 'निर्देश' हटा दें क्योंकि अदालत ऐसा नहीं कर सकती है।
न्यायाधीश मिश्रा ने कहा कि समस्या केवल दो शब्दों में है, क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश में हर जगह 'अनुरोध' शब्द का उपयोग किया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में लंबी सुनवाई की आवश्यकता हो सकती है। सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत सुनवाई को लंबा खींच सकती है लेकिन स्पीकर को दिया अंतिरम निर्देश रद्द किया जाना चाहिए। सिब्बल ने पीठ के समक्ष कहा कि इस तरह का अंतरिम आदेश कभी पास नहीं किया गया है।
पीठ ने सिब्बल से पूछा कि किस आधार पर विधायकों की अयोग्यता की मांग की गई थी तो उन्होंने कहा कि विधायक पार्टी की बैठक में शामिल नहीं हुए और पार्टी विरोधी गतिविधयों में शामिल रहे।
सिब्बल ने आगे कहा कि स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख इसलिए किया है क्योंकि उनसे इस मामले में फैसला नहीं लेने के लिए कहा गया जो कि संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ है।(ians)
हैदराबाद, 23 जुलाई। तेलंगाना के सूर्यपेट जिले के एक गांव में उत्पाती बंदरों ने बुधवार को लगभग 30 मेमनों को मार डाला। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह घटना शोबनाद्रिगुडेम गांव में हुई, जो बंदर के खतरे, उत्पात के लिए जाना जाता है।
लगभग 20 बंदरों के एक समूह ने कृषि क्षेत्रों में चरने के लिए भेड़ के झुंड को ले जाते समय एक चरवाहे द्वारा शेड में छोड़े गए भेड़ के बच्चों पर हमला कर दिया।
बंदरों के हमले के वक्त घर में कोई मौजूद नहीं था और उत्पाती बंदरों ने असहाय मेमनों को मार डाला जो बमुश्किल 30 दिन के थे।
कुछ पड़ोसियों ने बंदरों का पीछा करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। बंदरों द्वारा काटे जाने से सभी मेमनों की मौत हो गई।
सूर्यपेट राज्य के उन जिलों में से एक है जहां बंदरों के झुंड घरों में घुसते हैं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला करते हैं और लोगों को परेशान करते हैं।(ians)
इंदौर, 23 जुलाई । एमपी के इंदौर में सब्जी बेचने वाली एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। वायरल वीडियो में महिला फर्राटेदार तरीके से अंग्रेजी बोल रही है। इंग्लिश मीडियम सब्जी वाली का वीडियो देख लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि इतनी अच्छी अंग्रेजी के बाद यह महिला सब्जी क्यों बेचती है।
इंदौर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल महिला सब्जी वाली की, जिसने अंग्रेजी से नगर निगम कर्मियों को चुप करा दिया है। लॉकडाउन और नगर निगम की कार्रवाई से यह महिला परेशान है। इंदौर नगर निगम के अधिकारी जब उसके सामने आए, तो महिला ने हिंदी में नहीं अंग्रेजी में समझाया। निगम के अधिकारी महिला का ठेला हटाने पहुंचे थे।
महिला का नाम रइसा अंसारी बताया जा रहा है, जो अब सोशल मीडिया पर किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है। महिला ने कहा है कि मैं यहां मालवा मिल इलाके में फल और सब्जी बेच रही हूं। उन्होंने बताया कि मौके पर मौजूद ये सभी मेरे दोस्त और रिश्तेदार हैं, हमारे परिवार में 27 सदस्य हैं और लॉकडाउन की वजह से अपने परिवार को कैसे खिलाऊं। महिला पीएचडी होल्डर है। लेकिन नौकरी अच्छी नहीं मिली, इसलिए सब्जी बेच रही है। उसने कहा कि लेफ्ट और राइट के बीच में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही हूं। मोदी जी ये समझ नहीं पा रहे हैं।
पारिवारिक वजहों से ठेला पर फल और सब्जी बेचने वाली डॉ. रइसा अंसारी ने बताया कि अब कोरोना का डर सरकार को सता रहा है, तो सरकार से मेरी मांग है कि वो हमारे खाने और तमाम रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति कर दे। फिर भले ही वो शहर में लॉकडाउन कर दें।
महिला ने बताया कि इंदौर में मेरी मां भी यहां सब्जी बेचती थी। रइसा भौतिक विज्ञान से पीएचडी स्कॉलर है। लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली है। महिला की अंग्रेजी सुन कर नगर निगम कर्मियों की बोलती बंद हो गई। महिला का कहना था कि इस हाल में परिवार की परवरिश मुश्किल से हो रही है। (navbharattimes.indiatimes.com)
पटना, 23 जुलाई (वार्ता)। पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में संविदा पर कार्यरत लगभग 400 नर्सिंग कर्मचारियों ने छह सूत्री मांग के समर्थन में गुरुवार से हड़ताल शुरू कर कोरोना महामारी से जूझ रहे बिहार की मुश्किलें बढ़ा दी है।
हड़ताल पर गए सभी नर्सिंग कर्मचारी एम्स के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर अपना काम बंद कर खड़े हो गए हैं। सभी कर्मचारी एम्स की शुरुआत से ही संविदा पर काम कर रहे हैं। हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने मांग की है कि एम्स में उनकी नियुक्ति स्थाई किए जाने के साथ ही कोविड-19 में अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों के बीमार पडऩे और भविष्य में उनके स्वास्थ्य से संबंधित कोई तकलीफ होने पर उन्हें भी स्थाई कर्मचारी की तरह ही मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
हड़ताल पर गए कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में केंद्र सरकार के नियम एवं नीतियों को देखते हुए समान काम के लिए समान वेतन और उन्हें स्थाई कर्मचारी की तरह अवकाश दिया जाना शामिल है।
पटना एम्स को कोविड-19 अस्पताल के रूप में चिन्हित किया गया है, जहां बड़ी संख्या में इससे संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है। इस बीच कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए अस्पताल परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (वार्ता)। देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में रिकार्ड 45 हजार से अधिक मामले सामने आए जिससे इसके संक्रमितों की संख्या 12.38 लाख के पार हो गयी तथा इस अवधि में सर्वाधिक 1129 लोगों की मौत हुई है जिससे मृतकों की संख्या 29,861 पर पहुंच गई है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 45,720 मामलों की पुष्टि हुई जिससे संक्रमितों की संख्या 12,38,635 हो गयी तथा इसी अवधि में मृतकों की संख्या बढक़र 29,861 हो गयी। इस दौरान 29,557 मरीज स्वस्थ हुए हैं जिसे मिलाकर अब तक 7,82,607 लोग कोरोना से मुक्ति पा चुके हैं। पहली बार एक दिन में 29,557 लोग स्वस्थ हुए हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 4,26,167 सक्रिय मामले हैं।
विभिन्न राज्यों में पिछले 24 घंटों के दौरान स्थिति पर नजर डालें तो सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में संंक्रमण के 10,576 नये मामले सामने आये और 280 लोगों की मौत हुई। यहां अब संक्रमितों का आंकड़ा 3,37,607 और मृतकों की संख्या 12,556 है, वहीं 1,87,769 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर स्थित तमिलनाडु में इस दौरान 5849 नये मामले सामने आये और 518 लोगों की मौत हुई जिससे संक्रमितों की संख्या 1,86,492 और मृतकों का आंकड़ा 3,144 हो गया है। राज्य में 1,31,583 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,26,323 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3719 हो गयी है। यहां अब तक 1,07,650 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक संक्रमितों की संख्या के मामले में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। राज्य में 75,833 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 1519 लोगों की इससे मौत हुई है, वहीं 27,239 लोग स्वस्थ भी हुए हैं।
आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश और गुजरात से आगे निकल गया है। राज्य में 64,713 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 823 हो गयी है, जबकि 32,127 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश कोरोना संक्रमण के मामले में गुजरात को पीछे छोडक़र छठे स्थान पर आ गया है। राज्य में अब तक 55,588 मामले सामने आए हैं तथा इस महामारी से 1263 लोगों की मौत हुई है जबकि 33,500 मरीज ठीक हुए हैं।
देश का पश्चिमी राज्य गुजरात संक्रमण के मामले में सातवें स्थान पर आ गया है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु के बाद चौथे स्थान पर है। गुजरात में 51,399 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2,224 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 37,260 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
पश्चिम बंगाल में 49,321 लोग कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं तथा 1221 लोगों की मौत हुई है, वहीं अब तक 29,650 लोग स्वस्थ हुए हैं।
एक और दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में भी कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। तेलंगाना में कोरोना संक्रमितों की संख्या 49,259 हो गयी है और 438 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 37,666 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हुए हैं।
राजस्थान में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 32,334 हो गयी है और अब तक 583 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 23,364 लोग पूरी तरह ठीक हुए हैं। हरियाणा में 28,186 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 372 लोगों की मौत हुई है।
कोरोना की महामारी से मध्य प्रदेश में 770, पंजाब में 269, जम्मू-कश्मीर में 273, बिहार में 217, ओडिशा में 108, असम में 64, झारखंड में 64, उत्तराखंड में 57, केरल में 45, पुड्डुचेरी में 31, छत्तीसगढ़ में 29, गोवा में 28, चंडीगढ़ में 13, हिमाचल प्रदेश 11, त्रिपुरा मे नौ, अरुणाचल प्रदेश में तीन, मेघालय में चार, लद्दाख में दो तथा दादर-नागर हवेली एवं दमन-दीव में दो व्यक्ति की मौत हुई है।
पटना, 23 जुलाई। मानसून का सीजन शुरू होने के साथ ही पूरे बिहार में बारिश कहर मचा रही है। बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। लगातार हो रही जोरदार बारिश से पानी का बहाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार और प्रशासन भी पानी के सामने बेबस नजर आ रहे हैं। सरकार और प्रशासन पर बाढ़ प्रभावित इलाके में कोई इंतजाम ना करने के आरोप लग रहे हैं। बाढ़ की वजह से लोग अपने घर के साथ-साथ अपनी जान भी गंवा रहे हैं।
घोंघा खाकर पेट भर रहे हैं लोग
बाढ़ की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि लोगों को अपना पेट भरने के लिए घोंघा तक खाना पड़ रहा है। लोग ऐसे मुश्किल वक्त में घोंघा खाने को मजबूर हो गए हैं। गरीब महिलाएं बाढ़ के पानी से घोंसा छानकर लाती हैं और उसका मीट निकालकर बेच रही हैं। लोगों का कहना है कि बाढ़ प्रभावितों तक प्रशासन राहत कार्य पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहा है। पटना के धनरुआ रोड पर महिलाएं काफी मात्रा में घोंघा लेकर बेचती हुई नजर आ रही हैं।
पटना में कई इलाकों में हुआ जलभराव
वहीं बिहार की राजधानी पटना के किनारे बसे इलाकों में पूरी तरह जलभराव हो गया है। गंगा नदी का जल स्तर बढऩे की वजह से दियारा इलाके में हर तरफ केवल पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। कई स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा इन इलाकों में खाने के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं, लेकिन वो पर्याप्त नहीं हो रहे हैं।
वज्रपात की चपेट में आकर दस की मौत
वहीं, दूसरी ओर वज्रपात की चपेट में आने से दस लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक, वज्रपात की चपेट में आने की वजह से बांका जिले में चार, नालंदा में तीन, जमुई में दो और नवादा में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। वहीं सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना पर शोक जताते हुए कहा कि मुश्किल की घड़ी में वह प्रभावित परिवारों के साथ हैं। इसके साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रूपये देने के निर्देश दिए हैं।
सरकार ने लोगों से की ये अपील
इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतने की अपील की है। साथ ही खराब मौसम होने पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा वज्रपात से बचाव के लिये समय-समय पर जारी किए जा रहे सुझावों का अनुपालन करें। ऐसे मौसम में घरों में रहें और सुरक्षित रहें। गौरतलब है कि रविवार को राज्य में वज्रपात की वजह से 16 लोगों की मौत हो गई थी। (newstracklive.com)
नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)| कोरोना के गहराते कहर के बीच कल-कारखानों में काम-काज पटरी पर लौट चुका है, लेकिन कारोबारियों को फिलहाल नए ऑर्डर मिलने और मजदूरों की वापसी का इंतजार है। खासतौर से गार्मेंट और एपैरल सेक्टर में मांग सुस्त रहने से कपड़ा उद्योग में कारोबारी सुस्ती बनी हुई है। कारोबारी बताते हैं कि कपड़े, बर्तन व घरों में इस्तेमाल होने वाले टिकाऊ सामान की मांग इस समय कम है क्योंकि महामारी के समय लोग सिर्फ दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीदारी कर रहे हैं और बाकी वस्तुओं की खरीदारी को आगे के लिए टाल रहे हैं।
हालांकि सभी सेक्टरों की फैक्टरियों काम-काज शुरू हो गया है और उनमें नए ऑर्डर मिलने व श्रमिकों की वापसी का इंतजार किया जा रहा है। दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने बताया कि सारी फैक्टरियां खुल गई हैं, लेकिन बाजारों में अभी सारी दुकानें नहीं खुली हैं, इसलिए नए ऑर्डर कम मिल रहे हैं। वहीं, फैक्टरियों में श्रमिकों का भी अभाव है।
लेकिन गार्मेंट सेक्टर के कारोबारी बताते हैं कि मजदूरों को भी फैक्टरियों में काम-काज सुचारू होने का इंतजार है।
निटवेअर एंड अपेरल मन्युफैक्च र्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रेसीडेंट सुदर्शन जैन ने आईएएनएस को बताया, "हौजरी व रेडीमेड गार्मेट की गर्मी के सीजन की खरीदारी इस साल कोरोना महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित रही, आगे त्योहारी मांग भी सुस्त है। नए ऑर्डर मिलने लगेंगे तो मजदूर व कारीगर भी घरों से लौट आएंगे। मजदूरों व कारीगरों को मालूम है कि इस समय कितना काम है जब काम बढ़ेगा, तो वे खुद लौट आएंगे, बल्कि जहां काम मिल रहा वहां मजदूर लौट रहे हैं।"
पंजाब का लुधियाना गार्मेंट और होजरी कारोबार के मामले में उत्तर भारत की प्रमुख औद्योगिक नगरी है। लेकिन सुदर्शन जैन बताते हैं कि औसतन फैक्टरियां इस समय 30 फीसदी क्षमता से ही चल रही है, क्योंकि गार्मेंट सेक्टर की घरेलू व निर्यात मांग सुस्त है।
खाने-पीने की चीजों के अलावा अन्य सारे सेक्टरों मंे मांग की सुस्ती बनी हुई।
दिल्ली के ओखला चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरुण पोपली ने बताया कि काम नहीं होने से कई फैक्टरियां बंदी की कगार पर है। उन्होंने बताया कि विभिन्न सेक्टरों में औसतन 25 फीसदी काम रह गया है, जिससे बिजली और पानी के बिल समेत फैक्टरियों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी फैक्टरियों का बुरा हाल है।
आवश्यक वस्तुओं के कारोबार से जुड़े साहिबाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसीडेंट दिनेश मित्तल ने कहा कि तमाम फैक्टरियों में काम-काज पहले से बेहतर स्थिति में है, लेकिन मजदूरों की कमी महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा कि आवागमन के साधन नहीं होने की वजह से मजदूर गांवों में टिके हुए हैं, अन्यथा उनकी वापसी शुरू हो गई होती।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण दिखने लगे हैं। वित्तमंत्री ने यूएसआईबीसी इंडिया आइडिया समिट के वेबिनार में बिजली की खपत में वृद्धि, बैंकों से लेन-देन, टोल संग्रह और पीएमआई आदि का जिक्र करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)| गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से भेंट की। लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर करीब आधे घंटे तक गृहमंत्री अमित शाह मौजूद रहे। हालिया घटनाक्रमों की वजहों से गृहमंत्री अमित शाह की आडवाणी से इस भेंट को काफी अहम माना जा रहा है। विवादित ढांचा विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी की 24 जुलाई को सीबीआई की विशेष अदालत में पेशी होनी है। वह वीडियो कांफ्रेंसिंग से अपना बयान दर्ज कराएंगे।
सीआरपीसी की धारा 313 के तहत यह बयान उन्हें कोर्ट के सामने दर्ज कराना है। आडवाणी से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी 23 जुलाई को बयान दर्ज कराएंगे।
सूत्रों का कहना है कि गृहमंत्री अमित शाह की इस मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी से बातचीत हुई। वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि पांच अगस्त को अयोध्या में श्री राम मंदिर का भूमि पूजन होना है। लालकृष्ण आडवाणी वह नेता हैं, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया था। इस अवसर पर ट्रस्ट की ओर से आडवाणी को भी बुलाए जाने की चर्चाएं हैं। भूमि पूजन के मुद्दे पर भी चर्चा की बात सामने आ रही है।
चेन्नई, 22 जुलाई (आईएएनएस)| सुपरस्टार रजनीकांत ने कहा है कि धार्मिक नफरत खत्म होनी चाहिए। उन्होंने बुधवार को तमिलनाडु सरकार द्वारा हिंदू देवता मुरुगन को बदनाम करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के लिए सरकार की सराहना की। उन्होंने ट्वीट किया, "धार्मिक घृणा और ईश्वर की निंदा अब बंद हो जानी चाहिए। सभी धर्म को बराबर सम्मान देना चाहिए..कंधन्नुकु आरोहारा ।"
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मुरुगन भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं।
रजनीकांत ने पहले कहा था कि वह आध्यात्मिक राजनीति करेंगे। उन्होंने राज्य में एआईएडीएमके सरकार के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की, जिन्होंने कांडा शास्त्री कवाचम को बदनाम करने वालों और करोड़ों तमिलों को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की और साथ ही आपत्तिजनक वीडियो को भी हटाया।
करूप्पर कूटम यू-ट्यूब चैनल द्वारा निर्मित एक वीडियो में 'स्कंद षष्ठी कवचम' की कथित तौर पर अपमानजनक प्रस्तुति की गई थी, जिसके बाद भाजपा और विभिन्न हिंदू संगठनों ने इस वीडियो पर अपना गुस्सा जाहिर किया था।
राज्य भाजपा की शिकायत के बाद पुलिस ने विवादास्पद यूट्यूब चैनल से जुड़े संतिल वासन और सुंदर नटराजन को गिरफ्तार किया है।
जबकि भाजपा ने करूप्पर कूटम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, डीएमके और उसके सहयोगी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। कई लोग रजनीकांत की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसमें उनकी फिल्म 'पडायप्पा' का हवाला दिया जा रहा था, जो भगवान मुरुगन के बारे में था।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को फर्टिलाइजर घोटाले के संबंध में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के घर समेत दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल के एक दर्जन से अधिक स्थानों पर छापे मारे। हालांकि ईडी की इस कार्रवाई के समय को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। ईडी की छापेमारी के बाद भडक़ी कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा कि जब राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराने की केंद्र की कोशिश नाकाम हो गई, तब ईडी ने छापेमारी की है, जिसमें गहलोत के भाई के परिसर शामिल हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘जब भी भाजपा किसी राज्य की सरकार को गिराने में विफल होती है तो वह ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग का सहारा लेती है।’
ईडी ये तलाशी अभियान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत चला जा रही है।
ईडी ने कथित फर्टिलाइजर घोटाले के मामले में सीमा शुल्क विभाग की शिकायत और दाखिल किए गए आरोप पत्र के आधार पर पीएमएलए के तहत यह मामला दर्ज किया है।
ईडी के एक शीर्ष सूत्र ने आईएएनएस को बताया, ‘ईडी इस मामले में देश भर में 13 जगहों पर तलाशी ले रहा है। हमारी टीमें गुजरात में चार स्थानों पर, राजस्थान में छह स्थानों पर, पश्चिम बंगाल में दो और दिल्ली में एक स्थान पर तलाशी ले रही हैं।’
सूत्र ने यह भी कहा कि वित्तीय जांच एजेंसी अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर भी तलाशी ले रही है।
सूत्र ने दावा किया कि अग्रसेन गहलोत के स्वामित्व वाली कंपनी म्युरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) फर्टिलाइजर का निर्यात कर रही थी, जो निर्यात के लिए प्रतिबंधित है। एमओपी को इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) द्वारा आयात किया जाता है और फिर इसे किसानों के बीच रियायती दरों पर वितरित किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, अग्रसेन गहलोत आईपीएल के अधिकृत डीलर थे और 2007-09 के बीच उनकी कंपनी ने रियायती दरों पर एमओपी खरीदा और इसे किसानों को वितरित करने के बजाय कुछ अन्य कंपनियों को बेच दिया। उन्होंने इसे इंडस्ट्रियल सॉल्ट के रूप में मलेशिया और सिंगापुर को निर्यात किया।
ईडी का यह तलाशी अभियान तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट द्वारा किए गए विद्रोह के बाद सामने आया है, जिसने राजस्थान में एक राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है। इसके बाद 14 जुलाई को पायलट को पार्टी ने तमाम पदों से हटा दिया था।
जबकि राजस्व खुफिया निदेशालय ने 2012-13 में इस मामले का खुलासा किया था।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए बुधवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश बी.एस चौहान की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति को मंजूरी दे दी और इसे दो महीने के भीतर अदालत और उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने उत्तरप्रदेश पुलिस से यह भी कहा कि वह खूंखार बदमाशों के खात्मे के लिए अब एनकाउंटर का सहारा न ले।
उप्र पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश चौहान का नाम तीन सदस्यीय जांच आयोग का नेतृत्व करने के लिए प्रस्तावित किया है।
आयोग के अन्य दो सदस्यों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक के.एल. गुप्ता हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति चौहान की समिति को सचिवालयीय सहायता केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी, न कि राज्य सरकार द्वारा।
पीठ ने दुबे एनकाउंटर की जांच की निगरानी करने से भी इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि इसे इतना प्रचार मिला है, हम आपराधिक जांच की निगरानी शुरू नहीं कर सकते।’ आयोग एक सप्ताह के भीतर काम करना शुरू कर देगा।
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 22 जुलाई (आईएएनएस)। स्वीडन में रह रहे भारतीय वैज्ञानिक राम उपाध्याय का मानना है कि कोरोना वायरस की कारगर वैक्सीन और दवा अगले साल की पहली तिमाही तक आ सकती है। उनका कहना है कि दवाओं की खोज में लगे वैज्ञानिकों की चिंता इस वायरस के बदलते स्वरूप को लेकर अधिक है।
विशेष वार्ता में उपाध्याय ने कहा कि वैक्सीन तो आ जाएगी लेकिन वह कितने दिन तक कारगर रहेगी और उससे बचाव की अवधि कितनी होगी, इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा अगर वायरस के मौजूदा स्वरूप पर वह कारगर हुई भी तो स्वरूप बदलने पर उसका क्या असर होगा, ये सारे सवाल हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, कोरोना की दवा को लेकर जिस तरह से काम चल रहा है, एक वैज्ञानिक के रूप में उस प्रक्रिया से मैं संतुष्ट नहीं हूं। सबको बाजार में अपनी दवा लाने की जल्दी है। ऐसे में बैक्टीरिया या वायरस के लिए पहले से मौजूद प्रभावी दवाओं में ही कुछ फेर-बदल कर नई दवा लाने की कोशिश इस समय जारी है। ऐसे में मूल शोध पर कम लोगों का ही ध्यान है। ऐसी कुछ दवाएं भी अगले साल के पहले या दूसरी तिमाही में आ सकती हैं। मूल दवा जो वायरस के प्रोटीन और उसके आरएनए को टारगेट करे या वायरस के खोल को नष्ट कर दें, उसके आने में अभी साल-दो साल तक का समय लग सकता है।
उन्होंने बताया कि उनका संस्थान अमेरिका की कंपनी ए2ए के साथ मिलकर ऐसी ही दवा विकसित करने में लगी हुई है। वायरस के बदलते स्वरूप के साथ इस दवा के साथ भी चुनौती आएगी पर ऐसा 10 या 20 साल बाद होगा।
कोरोना को लेकर लोगों में व्याप्त डर को दूर करने के बारे में पूछने पर राम उपाध्याय ने कहा कि लोग डरें नहीं, सिस्टम पर भरोसा रखें। रोग को छिपाएं नहीं। सरकार का हर कदम लोगों की सुरक्षा के लिए है।
उन्होंने कहा कि पहले से गंभीर रोगों के नाते जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उम्रदराज लोगों, बच्चों और एनिमिक (खून की कमी) लोगों के लिए खास सतर्कता की जरूरत है। रोजी-रोटी के लिए जिनका बाहर जाना जरूरी है, वे भी घर से कार्यस्थल तक ही खुद को सीमित रखें। सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजेशन और अन्य मानकों का अनुपालन करें। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर आयुर्वेद, होम्योपैथी या एलोपैथी की दवाएं लें। विटामिन सी, डी और बी कॉम्पलेक्स ले सकते हैं।
उपाध्याय ने कहा कि दुनियाभर की सरकारें, उनके शोध संस्थान, दवा अनुसंधान से जुड़ी कंपनियां और इनसे जुड़े वैज्ञानिक सभी कोरोना से निजात पाने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। समाधान भी निकलेगा। लोगों को इससे घबराने की नहीं, बल्कि सावधान रहने की जरूरत है।
राम उपाध्याय हैदराबाद स्थित लैक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और अमेरिका के ओम ओंकोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक हैं। वह मेडिसिनल केमेस्ट्री में पीएचडी हैं। एक दशक से अधिक समय तक वह स्वीडन (स्टॉकहोम) के उपशाला विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर भी रहे हैं। इसके अलावा वह मैक्स प्लैंक जर्मनी (बर्लिन) और मेडिसिनल रिसर्च काउंसिल ब्रिटेन (लंदन) जैसी नामचीन संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। कई जरूरी दवाओं की खोज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनमें से करीब 20 दवाएं पेटेंट हो चुकी हैं।
अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके दो दर्जन से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। लैक्साई और सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्री रिसर्च) से मिलकर वह कोविड की दवा खोजने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।
उपाध्याय मूलत: आगरा के रहने वाले हैं और अमेरिका, यूरोप व स्कैंडिनेवियन देशों में कंपनी के विस्तार के लिए वर्तमान में स्वीडन में रह रहे हैं। यह पूछने पर कि क्या वह अपने प्रदेश के लिए भी कुछ करना चाहते हैं, उन्होंने कहा, मैं मूलत: मॉलिक्यूलर ओंकोलॉजी का विशेषज्ञ हूं। मेरी इच्छा यूपी में एक ऐसे शोध संस्थान की स्थापना करने की है, जिसमें हर तरह के कैंसर की टारगेटेड थेरेपी की दवाओं पर शोध हो। साथ ही यह संस्थान बैक्टीरिया और वायरस पर भी शोध करे। अभी तो मैं प्लाज्मा आधारित एक ऐसे एयर प्यूरीफायर की यूनिट लगाना चाहता हूं जो तय क्षेत्र में वायरस और बैक्टीरिया को खत्म कर दे।
इसी विषय पर दूसरे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार के जिम्मेदार लोगों से मेरी इस संबंध में सकारात्मक बात भी हो चुकी है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निवेश नीति का कायल हूं। ऐसे में अगर सरकार से सहयोग मिलेगा तो अपने राज्य के लिए जो भी बन पड़ेगा, करूंगा।
नई दिल्ली, 22 जुलाई। महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीशों एवं उनके परिजनों को चश्मे खरीदने के लिए 50 हजार रुपये वार्षिक भत्ते को मंजूरी दी है। इसके लिए पिछले 10 जुलाई को विधि एवं न्यायिक विभाग की ओर से सरकारी संकल्प जारी किया गया था।
इस सरकारी संकल्प में कहा गया है-अब इस सरकारी संकल्प के तहत बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों, उनके जीवनसाथियों और उन जजों पर आश्रित परिजनों के लिए चश्मे खरीद को मंजूरी दे दी गयी है। संयुक्त तौर पर या अलग-अलग इसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष 50 हजार रुपये होगी।
इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि उक्त सरकारी संकल्प वित्त विभाग की 24 जून की सहमति और तत्पश्चात 10 जुलाई, 2020 की मंजूरी के बाद जारी किया गया है। सरकारी संकल्प में यह भी कहा गया है कि संबंधित खरीदारी करते वक्त सरकार की समय-समय पर जारी खरीद नीति पर अमल किया जाना चाहिए। (hindi.livelaw)
नई दिल्ली, 22 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एडवोकेट प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया, जिसमें पूछा गया कि वे कारण बताएं कि न्यायपालिका पर उनके ट्वीट पर अदालत की अवमानना के लिए उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों न की जाए। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि न्यायालय ने 27 जून को भूषण द्वारा किए गए एक ट्वीट का संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है-जब भविष्य के इतिहासकार पिछले 6 वर्षों में वापस देखेंगे कि औपचारिक आपातकाल के बिना भी भारत में लोकतंत्र कैसे नष्ट हो गया तो वे विशेष रूप से इस विनाश में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को चिह्नित करेंगे और विशेष रूप से पिछले चार मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को।
पीठ ने यह भी कहा कि उसे एक वकील की ओर से 29 जून को किए गए एक ट्वीट के बारे में शिकायत मिली है जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने हार्ले डेविडसन मोटर बाइक की सवारी करने वाले फोटो पर टिप्पणी की गई है। पीठ ने ट्विटर इंडिया के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया से यह भी पूछा कि अवमानना कार्यवाही शुरू होने के बाद भी ट्विटर ने ट्वीट को निष्क्रिय क्यों नहीं किया? वरिष्ठ वकील ने जवाब दिया कि उस संबंध में ट्विटर को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।
कोर्ट ने मामले में अटॉर्नी जनरल को भी नोटिस जारी किया है। पीठ ने उल्लेख किया कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने 27 जून के भूषण के ट्वीट को प्रकाशित किया था। 29 जून को भूषण ने हार्ले डेविडसन बाइक पर सीजेआई बोबडे की तस्वीर के साथ ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था कि सीजेआई ने राजभवन, नागपुर में एक बीजेपी नेता की 50 लाख की मोटरसाइकिल पर बिना मास्क या हेलमेट के सवारी की, एक ऐसे समय था जब वे सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन मोड में रखते हैं और नागरिकों को न्याय प्राप्त करने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हैं।
इसके बाद 9 जुलाई को एक महाकेश माहेश्वरी की ओर से एक आवेदन दायर किया था, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बोबड़े के ट्वीट पर भूषण और ट्विटर इंडिया के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी। माहेश्वरी ने आवेदन में कहा कि... यह टिप्पणी बहुत ही अमानवीय है कि माननीय सीजेआई और अन्य न्यायाधीश स्वयं को नागरिक को न्याय देने के लिए कितना लंबा खींच रहे हैं कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड द्वारा सुनवाई की अनुमति दें। वे ठीक से छुट्टियों का आनंद भी नहीं ले रहे हैं।
आवेदन में आरोप लगाया गया कि ट्वीट भारत विरोधी अभियान के रूप में नफरत फैलाने के प्रयास के साथ एक सस्ता प्रचार पाने का तरीका था। इस आवेदन में आगे कहा गया है कि ट्वीट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता में जनता के बीच अविश्वास की भावना को उकसाया और इसलिए इसे अदालत को कार्रवाई के लिए बाध्य किया गया, जो कि न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत आपराधिक अवमानना को आकर्षित करता है।
ट्विटर इंडिया के खिलाफ इस आधार पर कार्रवाई की मांग की गई है कि वह ट्वीट को ब्लॉक करने में विफल रहा है। (hindi.livelaw)
लखनऊ, 22 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बदमाशों की गोली का शिकार हुए पत्रकार विक्रम जोशी की इलाज के दौरान मौत हो गई है। मुख्यमंत्री ने पत्रकार की मौत पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए आर्थिक सहायता की घोषणा की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके परिवार के लिए 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, पत्नी को नौकरी और बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का निर्देश दिया है।
गाजियाबाद के विजय नगर में बदमाशों ने सोमवार रात विक्रम जोशी को गोली मार दी थी, जिसके बाद उनका शहर के यशोदा अस्पताल में इलाज चल रहा था। अस्पताल में पत्रकार की हालत लगातार चिंताजनक बनी हुई थी, उन्हें आइसीयू में रखा गया था। बुधवार सुबह उनके निधन की सूचना आई तो पुलिस प्रशासन में भी हडक़ंप मच गया। जोशी ने इसके पहले भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया था, और इस मामले में उन्होंने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिसके बाद यह घटना घटी।
पत्रकार विक्रम जोशी की मौत की खबर आते ही अस्पताल में बड़ी संख्या में परिजन व मीडियाकर्मी जुट गए। परिजनों ने आरोपितों पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर अस्पताल में हंगामा भी किया।
गौरतलब है कि विजयनगर थाना क्षेत्र की माता कॉलोनी में सोमवार देर रात एक अखबार के पत्रकार विक्रम जोशी को बदमाशों ने उनकी बेटियों के सामने ही कनपटी से तमंचा सटाकर गोली मार दी थी और फरार हो गए थे। मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपित समेत नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
लापरवाही बरतने पर एसएसपी कलानिधि नैथानी ने प्रताप विहार चौकी प्रभारी राघवेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और सीओ सिटी प्रथम राकेश मिश्रा को विभागीय जांच सौंपी गई है।
नई दिल्ली, 22 जुलाई। मां की ममता से बढक़र इस दुनिया में कुछ भी नहीं है और लेह निवासी एक महिला ने इसे साबित भी कर दिया। दरअसल, इस महिला के नवजात बच्चे का दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में उपचार चल रहा था और उसे नियमित रूप से मां के दूध की जरूरत थी। ऐसे में यह महिला प्रतिदिन लेह से 1,000 किलोमीटर दूर दिल्ली में अपना दूध भेजती है। दूध हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचता है और बच्चे को पिलाया जाता है।
खबर के अनुसार 16 जून को लेह निवासी जिकमेट वांगडू की पत्नी डोरजे पाल्मो ने ऑपरेशन के जरिए बेटे को जन्म दिया था। जन्म के बाद उसका बेटा दूध नहीं खींच पा रहा है। जांच में पता कि चला कि नवजात के फूड और विंड पाइप जुड़े हुए हैं और तत्काल सर्जरी की आवश्यकता है। वांगडू मैसूर में शिक्षक हैं और मां ऑपरेशन के कारण दिल्ली नहीं जा सकती थीं। ऐसे में बच्चे के मामा उसे दिल्ली ले गए।
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल पहुंचने के बाद डॉ हर्षवर्धन की अगुआई में चिकित्सकों की टीम ने 19 जून को नवाजात की सर्जरी करते हुए फूड और विंड पाइप को अलग कर दिया। जिकमेट ने बताया सर्जरी के बाद बेटे को पाउडर वाला दूध दिया गया था, लेकिन वह असरकारक नहीं रहा। डॉक्टरों ने मां का दूध की जरूरत बताई। इस पर उन्होंने अपनी पत्नी से लेह में बात की और हवाई जहाज से दूध मंगवाने का निर्णय किया।
जिकमेट ने बताया कि हवाई जहाज से प्रतिदिन दूध मंगवाना मुश्किल काम था, लेकिन लेह एयरपोर्ट पर काम करने वाले उनके दोस्तों ने उसकी मदद का आश्वासन दिया। उसके दोस्त प्रतिदिन 60 एमएल दूध की बोतल किसी यात्री के साथ भेजते थे। इसके बाद वह या बच्चे का मामा एयरपोर्ट से उसे लेकर अस्पताल पहुंचाते थे। कुछ दिन बाद विस्तारा एयरलाइंस ने मुफ्त में दूध भेजना शुरू कर दिया। उसकी पत्नी प्रतिदिन तीन बार दूध एकत्र करती है।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि मां का दूध थर्मोकोल और रेक्सिन से बनी एक विशिष्ट बोतल में आता है। बच्चे के दूध पीने के बाद बोतल वापस लेह भेज दी जाती है। इसके बाद बच्चे मां फिर से बोतल को भरकर दिल्ली भेज देती है। समय पर मां का दूध मिलने से बच्चे के सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। एक-दो दिन में उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी। बच्चे को अब मुंह से भी आहार देना शुरू कर दिया गया है।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि नवजात का मामा उसे लेकर दिल्ली पहुंचा था। जांच में उसके ट्रेकियोसोफेजल फिस्टुला और ओसोफैगल एट्रेसिया की शिकायत थी। यह बहुत असमान्य स्थिति थी। ऐसे में 48 घंटे में उसकी सर्जरी होना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बच्चे के परिजनों ने काम किया है, उसकी जितनी सराहना की जाए वह कम है। डॉक्टर का कहना है कि मां का दूध बच्चे के लिए वरदान है। नवजात अब पूरी तरह से ठीक है।
जिकमेट ने कहा, मेरा बेटा अब ठीक हो रहा है और मजबूत भी हो रहा है। मैं अस्पताल प्रशासन का आभारी हूं। उन्होंने मदद करने के लिए अपने दोस्त और एयरलाइंस का भी आभार जताया है। (satyasamachar)
हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि
लखनऊ, 21 जुलाई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन (85) यहां मंगलवार को गुलाला घाट पर विधिविधान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके छोटे बेटे अमित टंडन ने चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान उन्हें लखनऊ वासियों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। टंडन का सुबह यहां एक अस्पताल में निधन हो गया था। वह कुछ दिनों से बीमार थे। लालजी टंडन की अंतिम यात्रा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत राजनीतिक जगत की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुईं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों व नेताओं ने श्रद्घांजलि अर्पित की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "उनका (लालजी टंडन) जाना मेरा व्यक्तिगत नुकसान है। वह मेरे संरक्षक की भूमिका में रहे। प्रदेश की राजनीति में भाजपा को ऊंचाई देने में उनका बड़ा योगदान रहा है। हर जनसामान्य यह महसूस करता था कि हमारा कोई अभिभावक लखनऊ में मौजूद है। हर कार्यकर्ता सोचता था, जब लखनऊ जाएंगे अगर कोई नहीं मिलेगा तो भी टंडन जी मिलेंगे, सुनेंगे समाधान करेंगे।"
भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, "भाजपा के वरिष्ठ नेता, हम सभी के मार्गदर्शक, मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन के निधन की खबर बेहद दुखद है। उनसे हर कदम पर कुछ नया सीखने को मिलता रहा, समाज व राष्ट्र के प्रति उनका पूर्ण समर्पण भाव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। उनका निधन भाजपा संगठन के लिए ही नहीं अपितु पूरे राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"
टंडन के अंतिम दर्शन के लिए फरंगी महली, यूसुफ अब्बास समेत कई मुस्लिम धर्मगुरु भी पहुंचे। मुस्लिम धर्मगुरु फरंगी महली ने कहा कि "टंडनजी गंगा-जमुनी तहजीब के जीती जागती मिसाल थे। पूरे प्रदेश में उन्होंने तरक्की के लिए काम किया है। इस बात को हमेशा लोग याद रखेंगे।"
मुस्लिम धर्मगुरु यूसुफ अब्बास ने कहा, "जो भी टंडन जी से एक बार मुलाकात कर लेता था वह उनसे बार-बार मिलने की इच्छा रखता था। टंडन जी का पीठ पर हाथ रखकर थपथपाना हमें आज भी याद आ रहा है। उनके अंदर हिंदू-मुस्लिम को लेकर बिल्कुल भी भेदभाव नहीं था।"
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डा़ॅ दिनेश शर्मा ने लालजी टंडन को श्रद्घा सुमन अर्पित किए। उनके साथ कई अधिकारी भी मौजूद थे।
अंतिम यात्रा में मंत्रियों समेत स्थानीय लोग भी शामिल हुए। कोरोना आपदा को देखते हुए शासन की ओर से दिशा-निर्देशों का पालन करने के आदेश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गुलाला घाट पहुंचे। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी के अलावा टंडन के करीबियों में शुमार नवनीत सहगल भी मौके पर मौजूद थे।
मनोज पाठक
पटना, 21 जुलाई (आईएएनएस)| बिहार में एक तरफ कोरोना संक्रमितों की संख्या में हो रही लगातार वृद्धि और दूसरी तरफ करीब सभी नदियों के रौद्र रूप के कारण बिहार के कई जिलों के लोग कराह रहे हैं।
वैसे, बिहार के लिए बाढ़ कोई नई आफत बनकर नहीं आई है। यह तो उत्तर बिहार के लिए प्रतिवर्ष कहर बनकर टूटती है, लेकिन इस बार कोरोना और बाढ़ दोनों से लोग मुकाबला करने से आजीज आ गए हैं। यहां के लोगों को कोरोना से नहीं, प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ से ज्यादा परेशानी हो रही है।
बिहार के 38 जिलों में से पटना, भागलपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, नालंदा तथा सीवान में कोरोना का कहर है तो मधेपुरा, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, खगड़िया, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर जिलों में नदियां अपने विकराल रूप में लोगों के घर-बार को उजाड़ रही हैं।
मुजफ्फरपुर के बेनीपुर गांव के लोग बागमती नदी में आई बाढ़ से अपने घरों को छोड़कर बांध पर शरण लिए हुए हैं। इन्हें ना खाने की चिंता है और ना कोरोना से संक्रमित होने का भय।
बांध पर झोपड़ी बनाकर रह रहे बुजुर्ग अवधेश सिंह अपनी झोपड़ी के पीछे गीली जमीन पर बैठे बादलों से भरे आसमान को निहार रहे थे। उनके फिर से बारिश की आशंका थी। जब उनसे मुंह पर मास्क नहीं लगाने के संबंध में पूछा तो वे बिफर उठे।
उन्होंने बेबाक कहा, "कोरोना हमारा क्या कर लेगा? हमलोग तो हर साल मरते हैं। कोरोना तो इस साल है, कुछ दिनों में चला जाएगा, लेकिन इस बाढ़ का क्या?"
सिंह यही नहीं रुके, उन्होंने कहा, "ऊपर बारिश, नीचे नदी में उफान, जो भी घर में खाने को थे, वे सब कुछ पानी में डूब गए। यह नहीं दिखता?"
इधर, गोपालंगज के सदर प्रखंड के कटघरवा गांव बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब गया है। यहां के लोगों को गांव से निकालकर मुंगराहा के एक सरकारी स्कूल में बने बाढ़ राहत शिविर में रखा जा रहा है। यहां सरकार भले ही लोगों को राहत देने की बात कर रही है, लेकिन इनके सबकुछ तबाह होने का अफसोस इनके चेहरे पर साफ झलकता है।
राहत शिविर में रहने वाले नीरज से कोरोना के संबंध में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, "पहले बाढ़ से बचने की सोचें या कोरोना से? कोविड तो थोड़ा समय भी दे देगा, लेकिन बाढ़ का पानी तो इंस्टेंट फैसला कर देता है, इसलिए सब भूल हमलोग बाढ़ से बचाव में जुटे हैं।"
गोपालगंज में सदर और मंझागढ़ प्रखंड के कई गावों में बाढ़ का पानी फैला है। कई गांवों में कच्चे मकान और झोपड़ियां बाढ़ के पानी में डूब गई हैं। लोग पक्के मकानों की छतों पर शरण लिए हुए हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है। नदियों का जलस्तर बढ़ने से अभी सीतामढ़ी, दरभंगा व सुपौल जिले में पांच-पांच प्रखंड, शिवहर जिले में तीन प्रखंड, किशनगंज व गोपालगंज में चार प्रखंड, मुजफ्फरपुर व पूर्वी चंपारण के तीन-तीन प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
बिहार में नदियों के बढ़े जलस्तर से बिहार के 8 जिलों के कुल 32 प्रखंडों की 156 पंचायतें प्रभावित हुई हैं, जहां जरूरत के हिसाब से राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। सुपौल में दो और गोपालगंज में तीन राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य में बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 29 कम्युनिटी किचेन चलाए जा रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन लगभग 28,000 लोग भोजन कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (वार्ता)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरोना महामारी से लड़ाई के दौरान मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए मंगलवार को तंज किया और आरोप लगाया कि इस अवधि में सिर्फ विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश हुई है।
श्री गांधी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात करने वाली मोदी सरकार ने कोरोना की लड़ाई डटकर लडऩे की बजाय विपक्ष की सरकार गिराने और खुद को मजबूत बनाने का काम किया है।
उन्होंने ट्वीट किया Þकोरोना काल में सरकार की उपलब्धियां- फरवरी- नमस्ते ट्रंप, मार्च-मध्य प्रदेश में सरकार गिराई, अप्रैल- मोमबत्ती जलवाई, मई-सरकार की छठी सालगिरह, जून-बिहार में वर्चुअल रैली, जुलाई- राजस्थान सरकार गिराने की कोशिश। इसी लिए देश कोरोना की लड़ाई में ‘आत्मनिर्भर’ है।
अगरतला, 21 जुलाई (वार्ता)। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव ने मंगलवार को पंजाबी और जाट समुदाय के प्रति अपने बयान पर माफी मांगी है।
श्री देब ने आज अपने बयान पर माफी मांगते हुए कई ट्वीट किये। उन्होंने लिखा, अगरतला प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में मैंने अपने पंजाबी और जाट भाइयों के बारे में कुछ लोगों की सोच का जिक्र किया था। मेरी धारणा किसी भी समाज को ठेस पहुंचाने की नहीं थी। मुझे पंजाबी और जाट दोनों ही समुदायों पर गर्व है। मैं खुद भी काफी समय तक इनके बीच रहा हूँ। मेरे कई अभिन्न मित्र इसी समाज से आते हैं। अगर मेरे बयान से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से क्षमाप्रार्थी हूँ।
मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, देश के स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबी और जाट समुदाय के योगदान को मैं सदैव नमन करता हूं और भारत को आगे बढ़ाने में इन दोनों समुदायों ने जो भूमिका निभाई है, उस पर प्रश्न खड़ा करने की कभी मैं सोच भी नहीं सकता हूं।
श्री देव सोमवार को अगरतला प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों के साथ वार्तालाप में देश के अलग-अलग समुदायों और राज्यों के लोगों से जुड़ी बातें साझा कर रहे थे। पंजाब के लोगों की बात करते हुए उन्होंने कहा था, लोग उन्हें पंजाबी कहते हैं, एक सरदार हैं! सरदार किसी से नहीं डरता। वह बहुत ताकतवर होते हैं हालांकि उनका दिमाग कम होता है। कोई भी उन्हें ताकत से नहीं बल्कि प्यार से जीत सकता है।
हरियाणा के जाटों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था लोग जाटों के बारे में तरह-तरह की बात करते हैं, लोग कहते हैं... जाट कम बुद्धिमान हैं, लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। अगर आप एक जाट को चुनौती देते हैं तो वह अपनी बंदूक अपने घर से बाहर ले आएगा।
इसके बाद उन्होंने बंगाली लोगों के लिए कहा कि बंगालियों को बहुत बुद्धिमान माना जाता है और यह भारत में उनकी पहचान है, जैसे हर समुदाय को एक निश्चित प्रकार और चरित्र के साथ जाना जाता है।
देवरिया, 21 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। दरअसल, एक वायरल वीडियो में एक छह साल के मासूम को अपनी मां के साथ अपने बीमार दादाजी को स्ट्रेचर पर लिटाए इसे एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक धक्का देकर ले जाते हुए देखा गया है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के सामने आते ही वार्ड बॉय को हटा दिया गया है। अस्पताल के कर्मियों ने कथित तौर पर स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को वार्ड तक ले जाने के एवज में तीस रुपये मांगे थे।
जिलाधिकारी अमित किशोर ने सोमवार को अस्पताल का दौरा किया और मरीज छेंदी यादव व उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात कीं और इसके साथ ही उन्होंने सदर एसडीएम और अस्पताल के सहायक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के तहत एक संयुक्त जांच पैनल का गठन किया और उन्हें जल्द से जल्द इस वाक्ये पर रिपोर्ट सौंपने को कहा।
अधिकारियों ने कहा कि गौरा गांव के छेंदी यादव को दो दिन पहले चोट लगने के कारण अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया गया है। इस दौरान छेंदी के साथ उनकी बेटी बिंदू और छह साल का पोता था।
बिंदू ने पत्रकारों को बताया कि वार्ड बॉय हर बार उनके पिता की मरहम-पट्टी करने के लिए स्ट्रेचर पर ले जाने के एवज में तीस रुपये की मांगे थे और जब उसने पैसे देने से मना कर दिए, तो वार्डबॉय ने भी स्ट्रेचर खींचने से इंकार कर दिया, इसलिए बिंदू को अपने बेटे शिवम की मदद से स्ट्रेचर को खींचना पड़ा।
बिंदू को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिस वक्त वह स्ट्रेचर खींच रही थी तो कोई उसका वीडियो बना रहा था जिसे बाद में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया गया।
किशोर कहते हैं, ‘वार्ड बॉय को अपराधी पाए जाने पर हटा दिया गया है। उसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा हटाया गया है और इस मामले पर जांच जारी है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।’