राष्ट्रीय
रांगिया/गुवाहाटी, 18 जुलाई। असम के कामरूप जिले में एक कोविड देखभाल केंद्र से करीब सौ मरीज बाहर निकल आए और राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें पर्याप्त भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है.
एनडीटीवी की खबर के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह घटना चांगसारी में गुरुवार को हुई, जब कुछ असिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज सेंटर से निकलकर पास के गुवाहाटी के बाहरी इलाके वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर पहुंच गए और कथित तौर पर इसे अवरुद्ध कर दिया।
उनका आरोप था कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि इसकी सूचना मिलने पर कामरूप के उपायुक्त कैलाश कार्तिक पुलिस के साथ गुरुवार को कोविड सेंटर पहुंचे।
उन्होंने मरीजों से राजमार्ग से हटने तथा सेंटर लौटने के लिए कहा ताकि बातचीत के जरिए मामले का हल निकाला जा सके. एक अधिकारी ने बताया कि इलाके में तनाव बना हुआ है. हालांकि आश्वासन के बाद मरीज केंद्र में वापस लौट गए.
मरीजों ने आरोप लगाया कि उन्हें भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा और बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीजों को एक ही कमरे में रखा गया है.
अधिकारी ने बताया कि उपायुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके आरोपों पर विचार किया जाएगा और उन्हें दूर करने के प्रयास किए गए.
वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि अगर मरीज कोविड केयर सेंटर से खुश नहीं है, तो वे अपने घर में क्वारंटीन हो सकते हैं.
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम उन्हें देखभाल सेंटर लेकर आए ताकि उनका इलाज हो सके और वे दूसरे लोगों को संक्रमित न करें. अगर वे वहां खुश नहीं हैं तो वे शपथपत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और घर पर क्वारंटीन में रह सकते हैं.’
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मी दिन- रात ड्यूटी पर हैं और काम का अत्यधिक बोझ होने के कारण कुछ विलंब हो सकता है.
शर्मा ने कहा, ‘दूसरे राज्यों में तो जांच के लिए भी पैसे लिए जा रहे हैं लेकिन असम में जांच से लेकर रहने और खाने तक का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है.’(thewire)
लखनऊ, 18 जुलाई। अयोध्या में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधारशिला रखने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संभावित तिथियां भेजी गई हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सहमति के बाद भूमि पूजन और आधारशिला रखने की तिथि तय होगी। बैठक में राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मित्र के साथ ट्रस्ट के 12 सदस्य मौजूद थे। तीन सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुडे । राम जन्म भूमि सुरक्षा सलाहकार केके शर्मा भी बैठक में मौजूद थे।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पीएम मोदी को शिलान्यास में आने का निवेदन किया गया है, लेकिन इस समय देश में कई मामले चल रहें हैं, अंतिम फैसला PMO लेगा। उन्होंने बताया कि सोमपुरा ही मंदिर का निर्माण करेगा। सोमनाथ मंदिर को भी इन लोगों ने बनाया है।मंदिर बनाने में पैसे कि कमी नहीं होगी। मंदिर के लिये 10 करोड़ परिवार दान देंगे।
नई दिल्ली, 18 जुलाई। दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रही सोनू पंजाबन के नाम से मशहूर गीता अरोड़ा को दवाओं का ओवरडोज लेने के बाद तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अस्पताल में उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। उसे जल्दी छुट्टी मिल सकती है।
तिहाड़ जेल के जनसंपर्क अधिकारी राजकुमार ने बताया कि सोनू पंजाबन तिहाड़ की जेल नंबर 6 में बंद है। गुरुवार को उसने सिरदर्द के लिए अधिक मात्रा में गोलियों का सेवन कर लिया। ऐसा लगता है कि वह कुछ समय से इन दवाओं को इकट्ठा कर रही थी। दवा का सेवन करने के बाद उसने बेचैनी की शिकायत की, जिसके बाद उसे जेल परिसर के अंदर दवाखाने में भर्ती कराया गया। बाद में उसे दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई जाती है।
सोनू पंजाबन के नाम से दिल्ली में देह व्यापार के काले कारोबार में चर्चित गीता अरोड़ा और उसके सहयोगी संदीप बेदवाल को अदालत ने अपहरण, मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति के एक मामले में दोषी ठहराया था। जिसके बाद से वह तिहाड़ जेल में सजा काट रही है। यह मामला 12 वर्षीय एक लड़की से जुड़ा है, जिसका 11 सितंबर 2009 को बेदवाल ने अपहरण किया था।
बाद में इस लड़की को वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से सोनू पंजाबन सहित विभिन्न लोगों को कई बार बेचा गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, सोनू पंजाबन ने पीड़ित लड़की के शरीर में ऐसी दवाइयां इंजेक्ट कराई जो उसे 'वेश्यावृत्ति के लिए अधिक उपयुक्त' बनाएं। इस लड़की से वेश्यावृत्ति कराकर वह हर ग्राहक से 1,500 रुपये वसूलती थी। (navjivan)
जयपुर, 18 जुलाई। कांग्रेस में बग़ावत का झंडा बुलद करने वाले राजस्थान सरकार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मुख्यमंत्री के पद की जिद को लेकर अड़ गए हैं। पायलट चाहते हैं कि उन्हें एक साल के अंदर राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए और जब तक उनकी यह मांग नहीं मानी जाती, तब तक वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी नहीं मिलना चाहते।
एनडीटीवी के मुताबिक़, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के एक क़रीबी सूत्र ने यह बात कही है। सूत्र के मुताबिक़, पायलट चाहते हैं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर खुलकर घोषणा भी की जानी चाहिए।
यह ख़बर पायलट कैंप के उस दावे को ग़लत बताती है जिसमें उसकी ओर से कहा गया था कि पायलट को प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा से फ़ोन पर हुई बातचीत के तीन घंटे बाद उनके पदों से हटा दिया गया था। इसका सीधा मतलब यह है कि पायलट ने बग़ावत सोच-समझकर की है और उनका लक्ष्य राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी को हासिल करना है।
बग़ावत के बाद पायलट को मनाने का एक लंबा दौर चला था, जिसमें राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी, पी. चिदंबरम, अहमद पटेल और कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे बात की थी। ख़बरों के मुताबिक़, पायलट के साथ बातचीत के बाद प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह इस बारे में राहुल व सोनिया गांधी से बातचीत करेंगी।
एनडीटीवी के मुताबिक़, पायलट ने कहा, ‘एक तरफ़ कांग्रेस कहती है कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं और दूसरी तरफ मुझे हटा दिया गया है और अयोग्य होने का नोटिस भेजा गया है। मुझ पर अशोक गहलोत ने हमला किया है।’
ऑडियो टेप से मुश्किलें बढ़ेंगी
राजस्थान की सियासत में आए कथित ऑडियो टेप में जिस तरह पायलट कैंप के विधायक भंवर लाल शर्मा का नाम सामने आया है, उससे कांग्रेस आलाकमान का भी यह शक पुख़्ता हो गया है कि बीजेपी द्वारा गहलोत सरकार को गिराने के लिए रची जा रही साज़िश में पायलट भी शामिल थे। इस बात को अशोक गहलोत ने भी कहा कि उनके पास इसके पुख़्ता सबूत हैं।
कांग्रेस ने कहा है कि इन कथित ऑडियो टेप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा और बीजेपी नेता संजय जैन के बीच बातचीत हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि ऑडियो टेप में बातचीत के दौरान पैसे के लेन-देन को लेकर और गहलोत सरकार को गिराने की साज़िश रची जा रही है।
सरकार गिरा पाएंगे पायलट?
पायलट ने जिस तरह की मांग रखी है, उसे मानना कांग्रेस आलाकमान के लिए बेहद मुश्किल होगा। दूसरी ओर, दोनों पदों से हटाए जाने के बाद पायलट के लिए कांग्रेस में बने रहना बेहद मुश्किल होगा। राजस्थान हाई कोर्ट से अगर कोई राहत नहीं मिलती है तो फिर पायलट गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन क्या वह ऐसा कर पाएंगे।
102 या 109 विधायक?
200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए। गहलोत समर्थकों की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है लेकिन कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों के समर्थन (छोटे दलों और निर्दलीयों को मिलाकर) में से अगर 19 विधायक पायलट का साथ देते हैं तो गहलोत खेमे के पास 102 विधायक बचते हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या पायलट बीजेपी के साथ मिलकर गहलोत सरकार को गिरा पाते हैं या नहीं। क्योंकि गहलोत सरकार के पास 11 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है, अगर बीजेपी ने इसमें से दो विधायकों को भी तोड़ लिया तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
निर्दलीय विधायकों पर नज़र
बीजेपी के पास 72 विधायक हैं और उसे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। यह संख्या 77 बैठती है। अगर पायलट कैंप के 19 विधायक उसका समर्थन करते हैं तो यह संख्या 96 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को 5 विधायकों की ज़रूरत होगी और उसकी नज़र स्वाभाविक रूप से निर्दलीय विधायकों पर लगी हुई है।
सदस्यता खत्म करने की कोशिश
लेकिन इस सबसे पहले अशोक गहलोत की कोशिश है कि पायलट समर्थक विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाए। जिससे विधानसभा की सदस्य संख्या घट जाए और वे आसानी से बहुमत साबित कर सकें। क्योंकि अगर पायलट व उनके समर्थक 18 विधायकों की सदस्यता जाती है तो विधानसभा की सदस्य संख्या 181 रह जाएगी, जिसमें बहुमत साबित करने के लिए 92 विधायकों की ज़रूरत होगी, इतने विधायक गहलोत आसानी से इकट्ठा कर लेंगे। (satyahindi)
नई दिल्ली, 18 जुलाई। आंध्र प्रदेश स्थित देश के प्रसिद्ध तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर के पुजारियों सहित 150 कर्मचारी कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन मंदिर बोर्ड का कहना है कि श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करना जारी रख सकते हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि मंदिर को बंद करने की कोई योजना नहीं है और श्रद्धालु दर्शन करना जारी रख सकते हैं.
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड के अध्यक्ष वाईवी सुब्बारेड्डी का कहना है, ‘मंदिर में सार्वजनिक दर्शन को रोकने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के कोरोना संक्रमित होने के कोई सबूत नहीं हैं.’
प्रशासन का कहना है कि मंदिर के 14 पुजारियों सहित 140 कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.
रेड्डी ने कहा, ‘कोरोना संक्रमितों में से 70 लोग पूरी तरह से ठीक हो गए हैं. कोरोना वायरस से संक्रमित अधिकतर लोग आंध्र प्रदेश पुलिस से हैं, जो मंदिर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इनमें से सिर्फ एक में कोरोना के गंभीर लक्षण दिखाई दिए हैं.’
रेड्डी ने कहा, ‘तिरुमाला मंदिर को बंद करने की हमारी कोई योजना नहीं है. वरिष्ठ पुजारियों को ड्यूटी पर नहीं लगाया जाएगा. पुजारियों और कर्मचारियों से अलग-अलग आवास का अनुरोध किया जाएगा.’
मंदिर के मानद मुख्य पुजारी रमना दीक्षितुलु ने कोरोना संक्रमित पुजारियों और कर्मचारियों को लेकर चिंता जताते हुए ट्वीट कर कहा, ‘मंदिर के कोरोना संक्रमित 50 पुजारियों में से 15 को क्वारंटीन किया गया है. अभी भी 25 कर्मचारियों की कोरोना रिपोर्ट का इंतजार है. टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी और सहायक कार्यकारी अधिकारी ने दर्शन को रोकने से इनकार कर दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘तेलुगू देशम पार्टी और चंद्रबाबू नायडू की ब्राह्मण विरोधी और पुजारी वंशानुक्रम विरोधी नीतियों का पालन किया जा रहा है. अगर यह जारी रहता है तो आपदा संभव है. कृपया कार्रवाई करें.’
रेड्डी ने कहा कि मंदिर के मानद मुख्य पुजारी को सोशल मीडिया पर अपने विचार रखने के बजाय उन्हें टीटीडी बोर्ड को देने चाहिए थे.
बता दें कि रमना दीक्षितुलु को रिटायरमेंट की उम्र पार करने के बाद 2018 में मंदिर के मुख्य पुजारी के पद से हटा दिया था. उन्होंने टीटीडी पर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया था.
रेड्डी को मई 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के बाद मंदिर के सलाहकार के तौर पर सेवाएं देने के लिए उन्हें मानद मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया था.
इससे पहले दुनिया के सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट में से एक तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने कहा था कि लॉकडाउन में उसे 400 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है, जिसके कारण उसे कर्मचारियों का वेतन देने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मालूम हो कि केंद्र सरकार की अनलॉक योजना के अनुरूप मंदिर बोर्ड ने इसे 11 जून से दोबारा खोलने का फैसला किया था.(thewire)
नई दिल्ली, 18 जुलाई। बसपा प्रमुख मायावती ने राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा और कहा कि राज्यपाल को राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत ने पहले बसपा के विधायकों के साथ ‘दगाबाजी करके’ कांग्रेस में शामिल कराया और अब फोन टैपिंग कराकर असंवैधानिक काम किया है
मायावती ने ट्विटर पर लिखा है- जैसाकि विदित है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन व बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया और अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है। इस प्रकार, राजस्थान में लगातार जारी राजनीतिक गतिरोध, आपसी उठा-पठक व सरकारी अस्थिरता के हालात का वहाँ के राज्यपाल को प्रभावी संज्ञान लेकर वहाँ राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करनी चाहिए, ताकि राज्य में लोकतंत्र की और ज्यादा दुर्दशा न हो।
मणिपुर, 18 जुलाई। मणिपुर में एक महिला पुलिस अधिकारी ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और सत्ताधारी भाजपा के एक शीर्ष नेता पर गिरफ़्तार ड्रग माफ़िया को छोड़ने के लिए उन पर 'दबाव' डालने का आरोप लगाया है.
ये आरोप इसलिए गंभीर हैं क्योंकि मणिपुर पुलिस सेवा की अधिकारी थौनाओजम बृंदा (41 साल) ने ये सारी बातें 13 जुलाई को मणिपुर हाई कोर्ट में दाख़िल किए गए अपने हलफ़नामे में कही हैं.
दरअसल राज्य के नारकोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो में तैनाती के दौरान बृंदा ने 19 जून 2018 को लुहखोसेई जोउ नामक एक हाई प्रोफ़ाइल ड्रग माफ़िया को भारी मात्रा में ड्रग्स के साथ गिरफ़्तार किया था.
पुलिस ने ड्रग्स माफ़िया जोउ समेत कुल सात लोगों को करीब 28 करोड़ रुपये से अधिक क़ीमत के अवैध नशीले पदार्थों और नकदी के साथ पकड़ा था.
पुलिस अधिकारी बृंदा ने अपने हलफ़नामे में बताया है कि जिस समय वो अपनी टीम के साथ ड्रग माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ छापेमारी की कार्रवाई कर रही थीं उसी दौरान बीजेपी के एक नेता ने उन्हें वॉट्सऐप कॉल करके मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से बात करवाई थी.
इस मामले को लेकर मणिपुर की सियासत काफ़ी गरमा गई है क्योंकि मुख्य आरोपी और इलाके में ड्रग्स का कथित सरगना जोउ चंदेल ज़िले में एक प्रभावशाली बीजेपी नेता थे. जिस समय उन्हें गिरफ़्तार किया गया था उस दौरान वो चांदेल ज़िला स्वायत्तशासी परिषद् के अध्यक्ष थे.
पुलिस अधिकारी पर अवमानना का मामला
यह मामला अब फिर इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि 21 मई को अदालत ने आरोपी जोउ को अंतरिम ज़मानत दे दी थी. जिसके बाद पुलिस अधिकारी बृंदा ने नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टेंस (एनडीपीएस) अधिनियम की अदालत के फ़ैसले की फेसबुक पोस्ट के ज़रिए कथित तौर पर आलोचना की थी.
न्यायपालिका की इस आलोचना के लिए उन पर अवमानना का मामला चलाया जा रहा है. इस अवमानना के मामले के ख़िलाफ़ बृंदा ने मणिपुर हाईकोर्ट में एक काउंटर एफ़िडेविट दाख़िल की है, जिसमें उन्होंने ये गंभीर आरोप लगाए हैं.
बीबीसी के पास मौजूद 18 पन्ने के इस हलफ़नामे में महिला पुलिस अधिकारी ने वॉट्सऐप कॉल करने वाले प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष मोइरंगथम अशनीकुमार का नाम लिया है.
उन्होंने कोर्ट में दाख़िल शपथपत्र में कहा है, "फ़ोन पर बातचीत के दौरान मैंने मुख्यमंत्री को ड्रग्स की तलाशी से जुड़ी छापेमारी के बारे में जानकारी दी और उन्हें बताया कि हम अब स्वायत्तशासी ज़िला परिषद के सदस्य के घर पर छिपा कर रखी गई ड्रग्स की तलाशी लेने जा रहे हैं. उस समय मुख्यमंत्री ने फ़ोन पर तारीफ़ करते हुए कहा था कि अगर स्वायत्तशासी ज़िला परिषद् के सदस्य के घर पर ड्रग्स मिलती है तो उन्हें गिरफ़्तार करो."
बृंदा ने अपने हलफ़नामे में लिखा है,"इस कार्रवाई के दूसरे दिन यानी 20 जून को भाजपा नेता अशनीकुमार सुबह सात बजे हमारे घर पहुंच गए और इस मामले का ज़िक्र करते हुए कहा कि परिषद् के जिस सदस्य को गिरफ़्तार किया गया है वो मुख्यमंत्री की पत्नी ओलिस का राइट हैंड है. इस गिरफ़्तारी को लेकर मुख्यमंत्री की पत्नी बेहद नाराज़ हैं."
"इसके बाद भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री का आदेश है कि गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति को रिहा कर उसके बदले उनकी पत्नी या फिर बेटे को गिरफ़्तार किया जाए. मैंने उनसे कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि हमने ड्रग्स उनके बेटे या के पास से बरामद नहीं बल्कि उस व्यक्ति के पास से बरामद की है."
"इसलिए हम उन्हें नहीं छोड़ सकते. इसके बाद अशनीकुमार दूसरी बार भी मुझसे मिलने आए और कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी इस मामले को लेकर बेहद गुस्से में है. मुख्यमंत्री का आदेश है कि गिरफ़्तार ड्रग माफ़िया को छोड़ दिया जाए. मैंने उनसे साफ़ कह दिया था कि जांच हो जाने दीजिए. इस बारे में कोर्ट निर्णय लेगा."
'मुख्यमंत्री ने मुझे डांटा और कहा...'
महिला पुलिस अधिकारी ने शपथपत्र में है कहा कि 150 पुलिस जवानों को साथ लेकर इस ड्रग माफ़िया के ख़िलाफ़ यह ऑपरेशन चलाया गया था.
उन्होंने कहा है, "हमें उनके ख़िलाफ़ सारे सबूत मिले थे. हमारी टीम ने छापेमारी के दौरान लुहखोसेई जोउ के पास से 4.595 किलो हेरोइन पाउडर, 2,80,200 'वर्ल्ड इज़ योर्स' नाम की नशीली टैबलेट और 57 लाख 18 हजार नगदी बरामद किए थे. इसके अलावा हमने 95 हज़ार के पुराने नोट समेत कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद किए थे. छापेमारी के दौरान आरोपी के घर से जब ड्रग्स बरामद हुई तो पहले वो हमसे समझौता करने का अनुरोध करने लगा और बाद में उसने डीजीपी और मुख्यमंत्री को फ़ोन करने की अनुमति मांगी."
हाई कोर्ट में दाख़िल हलफ़नामे में प्रदेश के डीजीपी पर भी मामले में दबाव बनाने के आरोप लगाए गए हैं.
पुलिस अधिकार ने लिखा है, "14 दिसंबर को नारकोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक ने फ़ोन करके कहा कि पुलिस महानिदेशक ने सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाई है. मैं जब बैठक के लिए पुलिस मुख्यालय पहुंची तो डीजीपी ने मुझसे इस मामले से जुड़े आरोपपत्र मांगे जो कि हम अदालत में दाख़िल कर चुके थे. जब मैंने उन्हें यह बात बताई तो डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते है कि इस मामले के आरोपपत्र कोर्ट से वापस लिए जाएं."
"मैंने जब पुलिस प्रमुख से कहा कि अब कोर्ट से आरोपपत्र वापस नहीं लिया जा सकता तो उन्होंने इस मामले के जांच अधिकारी को कोर्ट भेजकर आरोप-पत्र हटाने के आदेश दिए लेकिन कोर्ट ने जांच अधिकारी को आरोपपत्र वापस करने से इनकार कर दिया. पुलिस पर दबाव डालने और आरोपपत्र वापस लेने का मामला जब मीडिया में आया तो डीजीपी ने एसपी को विभाग की तरफ से एक स्पष्टीकरण देने के लिए कहा कि पुलिस पर इस मामले को लेकर कोई दबाव नहीं है. मैंने अपनी तरफ़ से किसी भी तरह का स्पष्टीकरण देने से इनकार कर दिया था लेकिन विभाग की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी जिसमें लिखा गया कि इस मामले को लेकर पुलिस पर किसी तरह का दबाव नहीं है."
बृंदा के मुताबिक़, "ठीक उसी दिन सुबह मुख्यमंत्री ने मुझे और हमारे विभाग कुछ पुलिस अधिकारी को अपने बंगले पर बुलाया था. उस दौरान मुख्यमंत्री मुझे यह कहते हुए डांटने लगे कि क्या इसलिए मैंने तुम्हें वीरता पदक दिया है. उन्होंने विशेष रूप से मुझे और एसपीपी को निर्देश देते हुए कहा आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम नाम की कुछ बातें होती है. मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि हमें अपने विधिपूर्वक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए क्यों डांटा गया था."
मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग
कांग्रेस ने इस मामले में नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री बीरने सिंह से इस्तीफ़ा देने की मांग की है. मणिपुर प्रदेश युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर शुक्रवार को राजधानी इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया. कांग्रेस के नेता ज़िला स्वायत्तशासी परिषद के पूर्व चेयरमैन लुहखोसेई जोउ से जुड़े ड्रग और नकद जब्ती के मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग कर रहे हैं.
हालांकि बीरेन सिंह ने मीडिया में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह मामला फ़िलहाल न्यायलय में विचाराधीन है इसलिए इस पर टिप्पणी करना क़ानूनी रूप से उचित नहीं होगा. यह सभी को पता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी न्यायिक कार्यवाही या अदालती मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है."
उन्होंने कहा,"ड्रग्स के ख़िलाफ़ हमारी सरकार सख़्ती से निपट रही है और यह अभियान लगातार जारी रहेगा. इस तरह के ग़ैर-क़ानूनी काम में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख़्शा नहीं जाएगा. फिर चाहे कोई दोस्त हो या रिश्तेदार."
मुख्यमंत्री के इस तरह के आश्वासन के बाद भी इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है. कई संगठनों ने राज्यपाल के ज़रिए इस मामले को देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया है.
'बृंदा ने बेहतरीन काम किया है'
मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप फनजौबम ड्रग्स के इस पूरे मामले को मणिपुर के लिए बेहद गंभीर मानते हैं.
वो कहते हैं, "मणिपुर में ड्रग्स का धंधा व्यापक स्तर पर फैलता जा रहा है. ऐसे समय में महिला पुलिस अधिकारी ने जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि एक पुलिस अधिकारी ने ड्रग्स माफ़िया और उससे जुड़ी तमाम सांठगांठ के आरोप अदालत के समक्ष लिखित में लगाए हैं. पुलिस पर दबाव की बात सच हो सकती है लेकिन अब इस पूरे मामले में एक उच्च स्तरीय जांच की ज़रूरत है."
प्रदीप फनजौबम के अनुसार इस महिला पुलिस अधिकारी ने मणिपुर में ड्रग्स के धंधे के ख़िलाफ़ काफ़ी काम किया है. इससे पहले बृंदा ने ड्रग्स के ख़िलाफ़ अभियान चलाकर कई लोगों को गिरफ़्तार किया था.
फ़िलहाल मणिपुर सरकार ने उनका नार्कोटिक्स एंड अफ़ेयर्स ऑफ़ बार्डर ब्यूरो विभाग से तबादला कर दिया है लेकिन उन्हें अब तक अन्य विभाग में चार्ज़ नहीं दिया गया है.(bbc)
नई दिल्ली, 18 जुलाई। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी को लेकर भारत और चीन में तनाव के बीच कांग्रेस ने फिर सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान को खोखली बयानबाजी बताया है। कल अपने जम्मू-कश्मीर दौरे पर रक्षा मंत्री ने कहा था कि दुनिया की कोई भी ताकत भारत की एक इंच जमीन भी नहीं छीन सकती। पी चिदंबरम ने आरोप लगाया कि अब भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के भारतीय क्षेत्र में 1.5 किलोमीटर अंदर तक चीनी सैनिक मौजूद हैं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आकलन किया है कि चीनी सैनिक अभी भी 1.5 किमी तक एलएसी के भारतीय क्षेत्र में (भारत की धारणा के अनुसार) हैं।
पी चिदंबरम ने यह भी कहा कि किसी ने भी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की थी और कोई भी भारतीय क्षेत्र के अंदर नहीं है जैसी बातें खाली बयानबाजी थीं। उनका कहना था कि जब तक सरकार वास्तविकता को स्वीकार नहीं करती तब तक यथास्थिति में वापसी बहुत मुश्किल है।
भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर हुआ हालिया तनाव 15 जून को तब चरम पर पहुंच गया था जब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हो गई थी। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए तो चीन के भी कई सैनिकों के हताहत होने की खबरें आईं। इसके बाद चीन ने गलवान घाटी सहित कई इलाकों पर दावा किया जिसे भारत ने खारिज कर दिया। दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों के बीच कई वार्ताओं के बाद सहमति बनी है कि दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी जगहों से पीछे हटेंगी और बीच में एक नो मैंस लेंड यानी बफर जोन होगा। (satyagrah.scroll.in)
नई दिल्ली, 18 जुलाई (आईएएनएस)। माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ का कहना है कि कोविड -19 महामारी ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को इतना मुश्किल कर दिया है कि इस साल 25 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है। हाल ही में स्मिथ ने कहा है, दुनिया को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को नौकरी पाने के लिए नए कौशल को सीखने की जरूरत है।
माइक्रोसॉफ्ट गणना के अनुसार, 2020 में वैश्विक स्तर पर बेरोजगारों की संख्या एक बिलियन के चौथाई हिस्से तक पहुंच सकती है।
स्मिथ ने कहा, यह एक चौंका देने वाली संख्या है। महामारी सीमा का सम्मान नहीं करती है। केवल अमेरिका में, कांग्रेसशनल बजट कार्यालय का अनुमान है कि देश में बेरोजगारी दर में 12.3 अंक की वृद्धि (3.5 प्रतिशत से 15.8 प्रतिशत) हो सकती है। 21 मिलियन यानि कि 2.1 करोड़ लोग बिना नौकरी के होंगे। कई अन्य देशों और महाद्वीपों को भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले महीने दुनिया के 25 मिलियन यानी कि ढाई करोड़ लोगों को साल के अंत तक नया डिजिटल कौशल हासिल करने में मदद करने के लिए एक नई वैश्विक पहल करने की घोषणा की थी।
मुंबई, 18 जुलाई । सीमा सुरक्षा बल ने गुरुवार को एक ऐसे युवक को पकड़ा है जो पाकिस्तान में रह रही अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार करने की कोशिश कर रहा था। सिद्दीकी मोहम्मद जिशान नाम के इस युवक की उम्र 20 साल है और वह महाराष्ट्र के उस्मानाबाद का रहने वाला है।
मोहम्मद को भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर कच्छ के रण से पाकिस्तान जाने की कोशिश में देर रात पकड़ा गया।
मोहम्मद ने कहा कि उसने पाकिस्तान के कराची के शाह फैसल शहर की एक लडक़ी से मिलने के लिए लगभग 1200 किलोमीटर की यात्रा की थी। उसने बताया कि उसने फेसबुक पर एक पाकिस्तानी लडक़ी से दोस्ती की थी और फिर दोनों फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए लगातार कॉन्टैक्ट में थे। उसने कहा कि वह पाकिस्तान जाना चाहता था और नेविगेशन के लिए उसने गूगल मैप्स का इस्तेमाल किया था।
बीएसएफ कर्मियों ने उसे निर्वस्त्र हालत में पाया और बताया कि कच्छ के रण को पार करने की कोशिश में वह बेहोश हो गया था। युवक के पास से उसका एटीएम कार्ड, आधार और पैन कार्ड जैसे अन्य डॉक्युमेंट्स बरामद किए गए हैं, जिनसे उस युवक की पहचान हो सकी। इसी के साथ बीएसएफ को एक बाइक भी मिली है, जिसे सीमा के करीब पहुंचने पर युवक ने छोड़ दिया था। उसने इस बाइक का इस्तेमाल महाराष्ट्र में अपने शहर से आने-जाने के लिए किया था।
बताया जा रहा है, महाराष्ट्र पुलिस ने गुजरात पुलिस को एक लापता व्यक्ति की सूचना दी थी जो उस युवक के माता-पिता ने दर्ज कराई थी। इसके बाद गुजरात पुलिस ने बीएसएफ के जवानों को इस बात की खबर दी और युवक के मोबाइल फोन को ट्रैक करने के बाद धोलावीरा के पास के इलाके में उसकी तलाश की गई। बीएसएफ ने युवक को आगे की जांच के लिए पुलिस को सौंप दिया है।(tv9bharat)
जम्मू, 17 जुलाई (वार्ता)। पाकिस्तान की सेना ने बिना किसी उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए शुक्रवार रात को जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले के गुलपुर सेक्टर में नियंत्रण रेखा के नजदीक स्थित गांवों को निशाना बनाकर गोलीबारी की जिसमें एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई।
पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए गुलपुर सेक्टर के खारी-करमारा क्षेत्र के गांवों को निशाना बनाकर गोलीबारी की। इस गोलीबारी में मोर्टार का एक गोला मोहम्मद रफीक नामक एक ग्रामीण के घर पर आकर गिरा। मोर्टार का गोला गिरने से घर में विस्फोट के बाद भीषण आग लग गई, जिसके कारण मोहम्मद रफीक (58) उनकी पत्नी रफिया बी (50) और बेटे इरफान (16) की मौके पर ही मौत हो गयी।
इससे पहले रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने यहां बताया कि पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी उकसावे के संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए आज रात करीब नौ बजकर 20 मिनट पर पुंछ जिले के गुलपुर सेक्टर में नियंत्रण रेखा के नजदीक छोटे हथियारों से गोलीबारी की और मोर्टार भी दागे।
भारतीय सेना भी पाकिस्तान की इस गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। इससे पहले पाकिस्तान ने 14 जुलाई को संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए अखनूर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा एवं नियंत्रण रेखा के नजदीक सेना की अग्रिम चौकियों को निशाना बनाकर गोलीबारी की थी।
नई दिल्ली, 18 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना वायरस का प्रकोप चरम पर है और गत तीन दिनों से लगातार 30 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और संक्रमितों का आंकड़ा अब तक 10.38 लाख से अधिक हो चुका है। इससे पहले गुरुवार को 32,695 और शुक्रवार को 34,956 मामलों की पुष्टि हुई थी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 34,884 मामले सामने आये और संक्रमितों की कुल संख्या 10,38,716 हो गयी। मृतकों की संख्या 671 बढक़र 26,273 हो गयी है। अब तक कुल 6,53,751 कोरोना से मुक्ति पा चुके हैं तथा अब कोरोना संक्रमण के 3,58,692 सक्रिय मामले हैं।
दस लाख का अंकड़ा पार करने वाला भारत तीसरा देश है। पहले स्थान पर अमेरिका है जहां सबसे अधिक 36,41,539 मामले और दूसरे स्थान पर स्थित ब्राजील में 20,46,328 मामले हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नये मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक होने के कारण स्थिति में सुधार होता दिख रहा है लेकिन महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या जहां 2.92 लाख , तमिलनाडु में 1.60 लाख और दिल्ली में 1.20 लाख से अधिक हो गयी है, वहीं कर्नाटक 55 हजार से अधिक संक्रमण के मामलों के साथ चौथे स्थान पर है।
विभिन्न राज्यों में पिछले 24 घंटों के दौरान स्थिति पर नजर डालें तो सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में इस दौरान संंक्रमण के 8308 नये मामले सामने आये और 258 लोगों की मौत हुई। यहां अब संक्रमितों का आंकड़ा 2,92,589 और मृतकों की संख्या 11,452 है, वहीं 1,60,357 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर तमिलनाडु में इस दौरान संक्रमण के 4518 मामले सामने आये और 79 लोगों की मौत हुई जिससे संक्रमितों की संख्या 1,60,907 और मृतकों का आंकड़ा 2315 हो गया है। राज्य में 1,10,807 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,20,107 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3571 हो गयी है। यहां अब तक 99,301 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक संक्रमितों की संख्या के मामले में गुजरात को पीछे छोडक़र चौथे स्थान पर पहुंच गया है। राज्य में 55,115 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 1147 लोगों की इससे मौत हुई है, वहीं 20,757 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। देश का पश्चिमी राज्य गुजरात संक्रमण के मामले में पांचवें स्थान पर आ गया है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु के बाद चौथे स्थान पर है। गुजरात में 46,430 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2106 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 32,973 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 45,163 मामले सामने आए हैं तथा इस महामारी से 1084 लोगों की मौत हुई है जबकि 27,634 मरीज ठीक हुए हैं। एक और दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में भी कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।
तेलंगाना में कोरोना संक्रमितों की संख्या 42,496 हो गयी है और 403 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 28,705 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हुए हैं। आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल से ऊपर आ गया है। राज्य में 40,646 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 534 हो गई है, जबकि 20,298 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में 38,011 लोग कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं तथा 1049 लोगों की मौत हुई है, वहीं अब तक 22,253 लोग स्वस्थ हुए हैं। राजस्थान में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 27,789 हो गयी है और अब तक 546 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20,626 लोग पूरी तरह ठीक हुए हैं। हरियाणा में 24,797 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 327 लोगों की मौत हुई है।
नई दिल्ली , 18 जुलाई। किशनवीर पिछले 4 महीने से दाने-दाने को मोहताज हैं। वह 30 साल पहले उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से दिल्ली आए थे और लगभग 28 साल से एशिया की सबसे बड़ी अवैध कॉलोनी मानी जाने वाली संगम विहार में किराए के एक कमरे में रह रहे हैं। किशनवीर एक हाथ से अपाहिज हैं। वह रोज सुबह 7 बजे सब्बल, गैंती और फावड़ा लेकर संगम विहार के रतिया मार्ग में गली नंबर 12 की लेबर चौक पर पहुंच जाते हैं और करीब साढ़े 10 बजे तक काम के इंतजार में बैठे रहते हैं लेकिन अब ऐसे मौके कम ही आते हैं। काम न मिलने से उनके औजारों में जंग लग चुका है।
लॉकडाउन हटने के बाद किशनवीर रोज सुबह लेबर चौक पहुंच रहे हैं। उन्हें अब तक केवल दो दिन काम काम है।
किशनवीर के कंधों पर तीन बच्चों और पत्नी को पालने-पोसने की जिम्मेदारी है। जिस मकान में वह रहते हैं, उसका किराया 3,000 रुपए प्रतिमाह है। मकान मालिक 8 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली का बिल अलग से वसूलता है। वह पैसे उधार लेकर किसी तरह किराया दे रहे हैं। एक राहत की बात यह है कि कम से कम राशन उन्हें सरकार की तरफ से मिल रहा है। हालांकि यह राशन पूरे महीने नहीं चल पाता। ऐसी स्थिति में उनके परिवार को स्कूल में बंटने वाले भोजन पर निर्भर रहना पड़ा।
किशनवीर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद उन्हें महज दो दिन काम मिला है। नम आंखों और भरे गले से बताते हैं, “देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद मैं यह सोचकर गांव नहीं गया कि कुछ दिनों में हालात सुधर जाएंगे। लेकिन लॉकडाउन के लगातार बढ़ने और फिर लॉकडाउन खुलने के बाद स्थितियां बद से बदतर हो गईं। वैसे गांव जाकर भी मैं क्या करता? मेरे पास खेती नहीं है, इसलिए यहीं रुकने का फैसला किया।”
वर्तमान में दिल्ली की आबादी करीब 2 करोड़ है। इनमें आधे से ज्यादा आबादी झुग्गी झोपड़ियों, पुनर्वास कॉलोनियों और संगम विहार जैसी अवैध कॉलोनियों में रहती है। दिल्ली की आबादी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रवासियों की है। 50 प्रतिशत से अधिक प्रवासी अकेले उत्तर प्रदेश के हैं। 2011 की जनगणना कहती है कि दिल्ली की 1.68 करोड़ की आबादी में 55.87 लाख मजदूर हैं। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले ऐसे लाखों मजदूर इस समय अपनी जिंदगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। दिल्ली में बहुत से प्रवासी मजदूर पैसे की तंगी के कारण और गांव में रोजगार का साधन न होने के कारण शहर में ही रुक गए।
सभी मजदूरों की एक दुखभरी कहानी है। 27 साल की कमलावती को 12 जून-12 जुलाई के बीच केवल चार दिन ही काम मिला है। मकान मालिक रोज उनसे किराए का तकादा करता है। तीन महीने का किराए बकाया है। लॉकडाउन के बाद उनके पति जिस कंपनी में काम करते थे, वह बंद हो गई। कंपनी ने उन्हें दो महीने की सैलरी भी नहीं दी। मार्च में होली के बाद उनका परिवार बलिया जिले से दिल्ली आया था। उनके आने के कुछ दिनों बाद ही लॉकडाउन लग गया। वह बताती हैं कि अगर लॉकडाउन का पता होता तो वह कभी गांव से नहीं आतीं। वापस जाने के लिए पैसे न होने के कारण वह दिल्ली में फंस गईं। सरकार की कोई मदद उन तक नहीं पहुंची है। सरकार मुफ्त राशन दे रही है लेकिन इसका फायदा गरीब प्रवासी मजदूरों के बजाय मकान मालिक उठा रहे हैं। बिजली के बिल में राहत भी मकान मालिक, किराएदारों को नहीं दे रहे हैं।
मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले राजकुमार पेंट का काम करते हैं। वह बताते हैं, “मकान मालिक रोज किराएदार मजदूरों की बेइज्जती करते हैं। किराया न देने पर उनके बर्तन फेंक देते हैं और गालियां देते हैं। किसी भी मकान मालिक ने एक रुपए नहीं छोड़ा है।” लॉकडाउन के बाद राजकुमार के मन में गांव जाने का विचार आया था लेकिन जब उन्होंने हादसों में मजदूरों की मौत की खबरें सुनीं तो इरादा बदल दिया। राजकुमार का गांव दिल्ली से बहुत दूर नहीं है लेकिन उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि गांव जा सकें। वह दिल्ली और केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर मजदूरों पर ध्यान देने की विनती करते हैं। (downtoearth)
जयपुर, 17 जुलाई। राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच दो ऑडियो क्लिप सामने आए हैं, जो कि अशोक गहलोत सरकार को गिराने को लेकर षडयंत्र रचने से संबंधित बताए जा रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद राजस्थान की सरगर्म राजनीति में और उबाल आ गया है। अब इस मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी SOG ने जयुपर के बीकानेर के लूणकरणसर के मूल निवासी होटल व्यावसायी संजय जैन को गिरफ्तार कर लिया है।
बीजेपी ने मामले में पेश की सफाई
अब संजय जैन की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष पार्टी भारतीय जनता पार्टी की ओर से सफाई पेश की गई है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मानिक चंद सुराणा ने इसको लेकर सफाई दी है। सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने राणा की तरफ से सफाई देते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री का संजय जैन से कोई वास्ता नहीं है। उन्हें ना तो इस मामले की पूरी जानकारी है और ना ही उनके संजय जैन से किसी तरह के संबंध हैं।
उनके बीच संबंधों को लेकर चल रही चर्चाएं अफवाह है
सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने साफ-साफ कहा है कि पूर्व वित्त मंत्री और संजय जैन के संबंधों को लेकर चल रही चर्चा महज अफवाह है। इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। गौरतलब है कि यह ऑडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने दो शिकायत दर्ज कराई है। राजस्थान SOG के ADG अशोक राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने वायरल ऑडियो को लेकर दो शिकायतें दर्ज कराई हैं।
क्या है इस वायरल ऑडियो में?
बता दें कि कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कल शाम मीडिया के माध्यम से दो चौंकाने वाले ऑडियो टेप सामने आए हैं। सुरजेवाला ने कहा कि जो ऑडियो टेप सामने आए हैं, उससे एक बात साफ है कि बीजेपी द्वारा जनमत का अपहरण की कोशिश की जा रही है। सरकार गिराने का षड्यंत्र बेनकाब हो चुका है। उन्होंने कहा कि इन ऑडियों में कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा, भाजपा नेता संजय जैन और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की आवाज है। इनका षड्यंत्र बेनकाब हो चुका है।
मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी दी सफाई
इनके बीच तथाकथित बातचीत से पैसों की सौदेबाजी की जा रही है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मांग की कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के ख़िलाफ़ SOG द्वारा एफआईआर दर्ज की जाए। इस मामले की जांच की जाए और गलत पाए जाने पर उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। वहीं कांग्रेस के इस आरोप पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी सफाई पेश की है।
ऑडियो क्लिप में मेरी आवाज नहीं- शेखावत
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ऑडियो क्लिप में मेरी आवाज नहीं है। मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि यह ऑडियो फेक है। मैं मारवाड़ी बोलता हूं, जबकि ऑडियो क्लिप में जो आवाज है उसमें झुंझुनू टच है। ऑडियो में जिस गजेंद्र का जिक्र किया गया है, उसके कोई पद का जिक्र नहीं किया गया है।
यहां तक कि ऑडियो में कोई जगह तक का जिक्र नहीं है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि ऑडियो जोड़-तोड़ कर भी तैयार किया जा सकता है। मैं कई संजय जैन को जानता हूं, इसलिए बताया जाए कि ये कौन सा वाला है और उन्होंने मेरे किस मोबाइल नंबर पर बात कराई है।(newstrack)
बेंगलुरु, 17 जुलाई। कर्नाटक के बेंगलुरु में कोरोना के इलाज के लिए एक शीर्ष सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर्स पर रखे गए 97 फीसदी मरीजों की मौत हो गई, जो ब्रिटेन, अमेरिका और इटली जैसे देशों की तुलना में अत्याधिक है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीएमसीआरआई) से संबद्ध 100 साल पुराने विक्टोरिया अस्पताल में अप्रैल से अब तक कोरोना से 91 मौतें हो चुकी हैं. इनमें से 89 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया था.
बीएमसीआरआई के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कराए गए 1,500 मरीजों में से अब तक 92 मरीज को सांस लेने में मदद के लिए इन्ट्यूबेशन की जरूरत थी.
बेंगलुरु के सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के वरिष्ठ प्रोफेसर का कहना है, ‘वेंटिलेटर्स पर 97 फीसदी मरीजों की मृत्यु दर से पता चलता है कि इंटेंसिव केयर में कुछ गड़बड़ी है. इटली में कोरोना के चरम पर होने पर भी वहां वेंटिलेटर पर मरीजों की मृत्यु दर 65 फीसदी थी.’
विक्टोरिया अस्पताल में शुरुआत में कोरोना मरीजों के लिए 1,200 बेड होने थे लेकिन बाद में इसे सिर्फ 550 बेड कर दिया गया, जो जुलाई की शुरुआत में भर गए.
पिछले पखवाड़े में अस्पताल में 30 से अधिक मौतें हुई थी, जबकि अप्रैल और जून में यह 58 थी.
बीएमसीआरआई में कोविड-19 कोर समिति की नोडल अधिकारी डॉ. स्मिथा सेगु ने कहा, ’15 जुलाई तक अस्पताल में 206 मरीज भर्ती हुए और आईसीयू में 91 मौतें हुईं जबकि आईसीयू से 103 लोग डिस्चार्ज भी हुए.’
उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर्स पर रखे गए मरीजों की अत्याधिक मृत्यु दर का कारण यह है कि अन्य अस्पताल इनका इलाज करने में सफल नहीं हुए, जिसके बाद ये मरीज विक्टोरिया अस्पताल पहुंचे.
डॉ. सेगु ने कहा, ‘ये मौतें अस्पताल में देरी से भर्ती करने की वजह से हुई हैं. जो मरीज समय पर अस्पताल पहुंचे, उनमें से कुछ ही आईसीयू में गए. वे बहुत बुरी स्थिति में अस्पताल आए थे, जिनमें से 39 मरीजों की अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटों के भीतर ही मौत हो गई थी.’
उन्होंने कहा कि जिन 95 फीसदी लोगों की मौत हुई है, उनमें कई बीमारियां थीं जबकि 30 फीसदी की उम्र 60 से अधिक थी.
डॉ. सेगु ने कहा, ‘हम उच्च प्रवाह के ऑक्सीजन सपोर्ट से मरीजों का इलाज करना चाहते थे लेकिन जब मरीजों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो हमें उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा.’
राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के वाइस चांसलर डॉ. सच्चिदानंद ने कहा कि वे अभी भी विक्टोरिया अस्पताल में कोरोना से अत्याधिक मृत्यु दर के तकनीकी कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें अभी तक इस संबंध में कोई पेपर नहीं मिला है. हमने अब तक 1,000 ऑडिट किए हैं. हमने इन ऑडिट को विकेंद्रीकृत करने का फैसला किया है. ऐसा करना एक टीम के लिए मानवीय रूप से संभव नहीं है.’
डॉ. सच्चिदानंद कर्नाटक में मार्च महीने से ही कोरोना से हुई मौतों की ऑडिट कर रहे विशेषज्ञ समिति के प्रमुख भी हैं.
कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में 300 से अधिक आईसीयू बेड होने का दावा किया है, जिनमें से सिर्फ 80 आईसीयू बेड ही सरकारी अस्पतालों में हैं. गुरुवार तक बेंगलुरु में 317 मरीज आईसीयू में भर्ती हुए हैं.(thewire)
लखनऊ, 17 जुलाई। उत्तर प्रदेश की सरकार का कहना है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में विकास दुबे पर गोली चलाई. यूपी सरकार ने ये बात सुप्रीम कोर्ट में कही है.
विकास दुबे की कथित पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. इस कथित एनकाउंटर को लेकर कई सवाल भी उठे थे कि इतनी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में विकास दुबे ने भागने की कैसे कोशिश की.
उत्तर प्रदेश की सरकार का कहना है कि 10 जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लाते समय पुलिस की गाड़ी पलट गई थी और विकास दुबे ने वहाँ से भागने की कोशिश की. सरकार का कहना है कि भागते समय वो लगातार पुलिसवालों पर गोलियाँ चला रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे में उत्तर प्रदेश की सरकार ने कहा है कि विकास दुबे के ख़िलाफ़ 64 आपराधिक मामले दर्ज थे और एक मामले में वे आजीवन कारावस की सज़ा पा चुके थे.
यूपी सरकार ने कहा है कि 2 जुलाई की रात बिकरू गाँव में हुई मुठभेड़ के दौरान विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी.
कथित एनकाउंटर में विकास दुबे की मौत पर सरकार का कहना है कि पुलिस के पास गोली चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि विकास दुबे पुलिसवालों को मारकर भागने की कोशिश कर रहे थे.
कथित एनकाउंटर पर सवाल
अपने हलफ़नामे में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा है कि विकास दुबे ने पुलिस से पिस्तौल छीनकर फ़ायरिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने दावा किया कि घटना बिल्कुल वास्तविक है, इसे गढ़ा नहीं गया है.
उन्होंने ये भी बताया कि सरकार इस मामले में एक न्यायिक जाँच आयोग का गठन पहले ही कर चुकी है. लेकिन उनका कहना था कि इस मामले को फर्जी मुठभेड़ नहीं कहना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में अपराधी-पुलिस-राजनेता संबंध के अलावा बिकरू गाँव में हुई मुठभेड़ और उसके बाद विकास दुबे और उनके कई साथियों की एनकाउंटर में मौत को लेकर कई याचिकाएँ दायर की गई हैं. इसी के जवाब में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया है.
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट 20 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई कर सकता है. कोर्ट ने पहले ही ये संकेत दिया है कि हैदराबाद एनकाउंटर की जाँच की तर्ज पर वो इस मामले में भी एक कमेटी का गठन कर सकता है. हालांकि यूपी सरकार का कहना है कि ये मामला हैदराबाद एनकाउंटर से बिल्कुल अलग है.
हैदराबाद में एक डॉक्टर के गैंगरेप और हत्या के मामले में चारों अभियुक्तों को एक कथित एनकाउंटर में पुलिस ने मार दिया था.
क्या है विकास दुबे का पूरा मामला
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़ स्पेशल टास्क फ़ोर्स की एक टुकड़ी दुबे को लेकर 10 जुलाई को मध्य प्रदेश से कानपुर लौट रही थी जब उनकी एक गाड़ी पलट गई जिसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस की कार्रवाई में अभियुक्त की मौत हो गई.
दरअसल, विकास दुबे प्रकरण की शुरुआत 2-3 जुलाई की रात से हुई, जब विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस की एक टीम पर हमला हुआ.
विकास दुबे और उनके साथियों को पकड़ने गई पुलिस की टीम पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग की गई. इस गोलीबारी में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. यह मुठभेड़ कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के दिकरू गाँव में हुई थी.
मुठभेड़ में कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे. इसके बाद यूपी पुलिस ने विकास दुबे की धरपकड़ का अभियान शुरू किया.
लेकिन नौ जुलाई तक विकास दुबे यूपी पुलिस की गिरफ़्त में नहीं आ सका. नौ जुलाई को उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर से पकड़ा गया, जहां उसने खुद से ही अपनी पहचान ज़ाहिर किया था.(bbc)
भोपाल, 17 जुलाई। गुना में दलित किसान की बर्बरतापूर्वक पिटाई और किसान दंपत्ति के जहर पीने के मामले में राजनीति अब पूरे उफान पर है। मध्य प्रदेश सरकार ने आईजी, कलेक्टर और एसपी को हटाये जाने के बाद गुरूवार को उन छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया जिन्होंने किसान और उसके परिजनों को जमकर पीटा था।
गुना से हटाये गये एसपी तरूण नायक ने कार्यमुक्त होने से पहले गुरूवार को इस मामले में शामिल रहे एक उप निरीक्षक और पांच आरक्षकों को निलंबित कर दिया। सस्पेंड किये गये कुल पांच आरक्षकों में दो महिला आरक्षक भी शामिल हैं।
बता दें, मंगलवार को गुना के पीजी काॅलेज से लगी सरकारी ज़मीन से नगर पालिका का अतिक्रमण विरोधी अमला कब्जा हटाने पहुंचा था। दलित किसान राजकुमार अहिरवार और उसके परिवार ने दावा किया था कि वे लोग इस ज़मीन पर दादा के वक्त से खेती कर रहे हैं। उसे भी खेती करते बरसों हो चुके हैं। एक दर्जन लोगों का परिवार खेती पर ही निर्भर है।
राजकुमार और उसके परिवारजनों ने अतिक्रमण विरोधी दस्ते और अफसरों से यह भी कहा था कि उन्होंने चार लाख रुपये का कर्ज लेकर फसल बोई है और अंकुरित फसल को ना उजाड़ा जाये। फसल पकने और कटने के बाद कार्रवाई की जाये। मगर अमला नहीं माना था।
सिंधिया ने की शिवराज से बात
कीटनाशक पीने और पिटाई मामले का वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया था और राजनीति भी शुरू हो गई थी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के नये नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बातचीत की थी और इसके लिए जिम्मेदार बड़े अधिकारियों को तत्काल हटाने और बर्बर तरीके से किसान को पीटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का अनुरोध किया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बुधवार देर रात को रेंज के आईजी, कलेक्टर और एसपी को हटा दिया था। गुरूवार को भी सरकार एक्शन में रही। किसान और उसके परिवार वालों से मारपीट करने में शामिल पुलिस वालों को निलंबित करने के आदेश जारी हो गये।
किसान और उसकी पत्नी द्वारा कीटनाशक पीने और पिटाई मामले की मजिस्ट्रियल जांच का ऑर्डर भी गुरूवार को हो गया। इधर, भोपाल से भी आला अफसरों की टीम गुना पहुंच गई। टीम ने अपने स्तर पर जांच आरंभ कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को यह टीम अपनी रिपोर्ट देगी।
राहुल, मायावती उतरे मैदान में
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी गुरूवार को ‘मैदान’ में उतर आये। दोनों ने ट्वीट करके गुना की घटना की तीखी निंदा करते हुए शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया। राहुल गांधी ने कहा, ‘इसी सोच और अन्याय के खिलाफ है, कांग्रेस की लड़ाई।’ उधर, मायावती ने दलित किसान के साथ बर्बरता को बीजेपी की सरकार का चरित्र करार दिया। मायावती ने कहा, ‘कांग्रेस और बीजेपी एक हैं। दोनों केवल दलित के नाम पर राजनीति करते हैं। दलितों को इस बारे में सोचना होगा।’
कांग्रेस का जांच दल गुना पहुंचा
गुना के घटनाक्रम पर शिवराज सरकार को जमकर आड़े हाथों लेने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल नाथ ने पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ विधायक बाला बच्चन की अगुवाई में एक जांच दल का गठन किया है। यह जांच दल गुरूवार को गुना पहुंच गया। दल ने जांच के साथ ही किसान और उसके परिवार से बातचीत की। कांग्रेस की प्रदेश महासचिव और दल की सदस्य विभा पटेल ने डेढ़ लाख रुपये की नकद राशि किसान परिवार को भेंट की।(satyahindi)
जयपुर, 17 जुलाई। राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच सचिन पायलट गुट की ओर से दायर संशोधित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान पायलट खेमे को थोड़ी राहत जरूर मिली। कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को मंगलवार शाम तक नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही है। इसी के साथ कोर्ट ने मामले पर सुनवाई सोमवार यानी 20 जुलाई, सुबह 10 तक के लिए टाल दी है।
पायलट खेमे को थोड़ी राहत
शुक्रवार को हाईकोर्ट की डिविजन बेंच में सुनवाई के दौरान पायलट खेमे की ओर से हरीश साल्वे ने अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि पायलट गुट ने दल-बदल कानून का उल्लंघन नहीं किया है। ऐसे में स्पीकर को नोटिस देने का अधिकार नहीं है। साल्वे के बाद मुकुल रोहतगी ने भी पक्ष रखा। हाईकोर्ट में सचिन पायलट गुट की पैरवी के बाद स्पीकर की ओर से दलील देते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका को तत्काल खारिज करने की अपील की। सिंघवी ने पायलट गुट की याचिका को प्रीमेच्योर बताते हुए मांग की कि इसको खारिज कर दिया जाए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने 20 जुलाई सुबह 10 बजे तक मामले पर सुनवाई टाल दी है।
साल्वे ने स्पीकर के आदेश पर उठाए सवाल
सचिन पायलट खेमे की संशोधित याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहन्ती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में हो रही। याचिका में संविधान की 10वीं अनुसूची के आधार पर दिए गए नोटिस काे चुनौती दी गई है। पायलट खेमे के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में अपनी दलील में स्पीकर के आदेश पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा है कि इस मामले में दसवीं अनुसूची का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने स्पीकर को कोर्ट में बुलाने की मांग की। साथ ही कहा कि पायलट गुट ने दल बदल कानून का उल्लंघन नहीं किया है।
साल्वे की दलील- पार्टी को जगाना बगावत नहीं
हरीश साल्वे ने सचिन पायलट के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि पार्टी को जगाना बगावत नहीं है। विधानसभा के बाहर दल-बदल कानून का प्रावधान लागू नहीं होता है। ऐसे में स्पीकर को नोटिस देने का अधिकार नहीं है। साल्वे ने दलील में ये भी कहा कि पार्टी ग्रुप ने कोई विद्रोह नहीं किया है, वह सिर्फ अपनी बात रखने के लिए गए थे। साल्वे ने कहा कि अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत बोलने की आजादी के अधिकार के खिलाफ है जो उन्हें नोटिस थमाया गया है। सचिन पायलट और अन्य विधायक दिल्ली में अपना पक्ष रखने के लिए गए थे, जबकि सरकार ने स्पीकर के जरिए अनुच्छेद 10 के तहत नोटिस थमा दिया। साल्वे के बाद मुकुल रोहतगी अपनी दलीलें रखीं।
पायलट खेमे की याचिका पर सुनवाई
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों को मिले नोटिस का जवाब देने का शुक्रवार को अंतिम दिन था। हालांकि, इस बीच हाईकोर्ट से पायलट खेमे को राहत मिली है। कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को मंगलवार शाम तक इस नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही है। इससे पहले गुरुवार को हाईकोर्ट पहुंचे पायलट खेमे की याचिका पर दिन में करीब तीन बजे जज सतीश चन्द्र शर्मा ने सुनवाई की। लेकिन, पायलट खेमे की ओर से शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नए सिरे से याचिका दाखिल करने के लिए समय मांगा। शाम करीब पांच बजे असंतुष्ट खेमे ने संशोधित याचिका दाखिल की और कोर्ट ने इसे दो जजों की पीठ की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती को भेज दिया।(nbt)
भोपाल, 17 जुलाई। मध्यप्रदेश विधानसभा का 20 जुलाई से प्रारंभ होने वाला मानसून सत्र कोरोना संक्रमण के चलते आज स्थगित करने का निर्णय लिया गया।
प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा की अध्यक्षता में यहां सर्वदलीय बैठक में चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा और अन्य वरिष्ठ जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार बैठक में तय किया गया कि भोपाल और अन्य शहरों में कोरोना के प्रकरण लगातार बढऩे के मद्देनजर सत्र स्थगित किया जाना चाहिए। अंतत-इस पर निर्णय ले लिया गया।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मीडिया से कहा कि कोरोना को लेकर मौजूदा परिस्थितियों में सत्र चलाना उपयुक्त नहीं होगा। इसलिए अध्यक्ष से चर्चा के बाद सत्र स्थगित करने का फैसला किया गया है। संवैधानिक कार्यों को पूर्ण करने के लिए हम लोग चर्चा करेंगे।
सत्र 20 जुलाई से प्रारंभ होकर पांच दिन तक चलना था। इस दौरान वित्त वर्ष 2020़ 21 के लिए बजट भी पारित कराना था। माना जा रहा है कि अब बजट पारित करने के लिए अन्य संवैधानिक विकल्पों जैसे अध्यादेश के उपयोग पर भी विचार किया जाएगा।
मौजूदा कोरोना काल के दौरान लगभग आधा दर्जन विधायक भी कोरोना संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। विधानसभा के कुछ कर्मचारी, राज्य सरकार के अधिकारी कर्मचारी और मीडिया से जुड़े लोग भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। (वार्ता)
नई दिल्ली, 17 जुलाई । राजधानी दिल्ली के बाद अब मुंबई में भी डीजल की कीमत ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है। देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अनुसार, मुंबई में शुक्रवार को डीजल 16 पैसे महंगा होकर 79.56 रुपये प्रति लीटर बिका जो अब तक का उच्चतम भाव है। दिल्ली में जून से ही डीजल की महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर है। यहां डीजल की कीमत आज 17 पैसे बढक़र 81.35 रुपये प्रति लीटर पर पहुँच गई।
कोलकाता और चेन्नई में भी डीजल की कीमत ऐतिहासिक उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गई है। कोलकाता में डीजल 16 पैसे बढक़र 76.49 रुपये और चेन्नई में 15 पैसे महंगा होकर 78.37 रुपये प्रति लीटर के भाव बिका।
दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 80.43 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रहा जो 27 अक्टूबर 2018 के बाद का उच्चतम स्तर है। कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में भी पेट्रोल की कीमत क्रमश: 82.10 रुपये, 87.19 रुपये और 83.63 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रही। (वार्ता)
वाराणसी, 17 जुलाई। बनारस में रहने वाले नेपाली नागरिक का बुधवार को जबरन मुंडन कर दिया है। उस नेपाली नागरिक के सिर पर जय श्रीराम का नारा लिखा गया और उससे नेपाली प्रधानमंत्री मुर्दाबाद का नारा लगवाया गया है। यह विवादित कदम पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विश्व हिंदू सेना ने उठाया। विश्व हिंदू सेना ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो जारी करते हुए एक बार फिर से नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली को चेतावनी दी है। साथ ही बनारस में रह रहे नेपाली नागरिकों को भी यह चेतावनी दी है कि यदि नेपाल के पीएम लगातार ऐसे बयान देंगे तो इसका परिणाम उन्हें भुगतना होगा।
विश्व हिंदू सेना ने आज सोशल मीडिया पर एक तस्वीर जारी की जिसमें पशुपतिनाथ जी मंदिर के प्रांगण में पोस्टर चिपका हुआ था रहा है। इस पोस्टर में यह लिखा था कि नेपाल के पीएम ओली भगवान श्रीराम के बारे में दिया गया अपना बयान वापस ले लें, वरना नेपाली नागरिकों को परिणाम भुगतना होगा। सुबह पोस्टर चिपकाने के बाद ही शाम को विश्व हिंदू सेना ने विवादित कदम उठाया और घाट के किनारे जा रहे एक नेपाली नागरिक को रोक कर उसका मुंडन कर दिया।
नेपाली नागरिक का मुंडन कर बकायदा उसके सिर पर जय श्रीराम लिख कर उसे जय श्रीराम के जयकारे लगाए गए। इसके अलावा नेपाली पीएम मुर्दाबाद के भी नारे लगवाए गए। इस नेपाली नागरिक से बुलवाया गया कि वह इस देश में ही रहता है और यहीं का खाता है और श्रीराम का जन्म भारत में ही हुआ था। वे नेपाल के नहीं हैं।
विश्व हिंदू सेना के संरक्षक अरुण पाठक अपने कार्यकर्ताओं के इस कदम को सही ठहराते हैं। उनका कहना है कि उनके कार्यकर्ताओं द्वारा यह कदम उठाया गया है। उनका यह कदम सही है। नेपाली प्रधानमंत्री लगातार भारत के प्रति अपना जहर उगल रहे हैं। लेकिन जब बात हमारे भगवान श्रीराम की होगी, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर ओली ने लगातार ऐसा ही बयान दिया तो बनारस में रह रहे नेपालियों के लिए परिणाम गंभीर होगा। ऐसे में पीएम ओली को अपना बयान बदलना चाहिए।
नई दिल्ली, 17 जुलाई (वार्ता)। देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच पिछले 24 घंटे में राहत की बात यह रही कि इस महामारी से लगभग 23 हजार लोग रोगमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या 6.35 लाख के पार पहुंच गई।
यह पहली बार है जब देश में एक दिन में 22,942 लोग स्वस्थ हुए हैं और यह राहत भरी खबर ऐसे दिन आई जिस दिन संक्रमण के नए मामलों का आंकड़ा रिकॉर्ड 34,956 आने से संक्रमितों की संख्या 10 लाख के पार पहुंच गयी है। दस लाख का अंकड़ा पार करने वाला भारत तीसरा देश है। पहले स्थान पर अमेरिका है जहां सबसे अधिक 35,74,371 मामले और दूसरे स्थान पर स्थित ब्राजील में 20,1,2515 मामले हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में संक्रमितों की संख्या बढक़र 10,03,832 तथा मृतकों की संख्या 687 बढक़र 25,602 हो गयी है। अब तक कुल 6,35,757 रोगमुक्त हो चुके हैं तथा देश में कोरोना संक्रमण के 3,42,473 सक्रिय मामले हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नये मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक होने के कारण स्थिति में सुधार होता दिख रहा है लेकिन महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या जहां 2.84 लाख से अधिक, तमिलनाडु में करीब 1.56 लाख और दिल्ली में 1.18 लाख से अधिक हो गयी है, वहीं कर्नाटक 50 हजार से अधिक संक्रमितों के साथ चौथे स्थान पर पहुंच गया है।
विभिन्न राज्यों में पिछले 24 घंटों के दौरान स्थति पर नजर डालें तो सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में इस दौरान संंक्रमण के 8,641 नये मामले सामने आये और 266 लोगों की मौत हुई। वहां अब संक्रमितों का आंकड़ा 2,84,281 और मृतकों की संख्या 11,194 है, वहीं 1,58,140 लोग संक्रमण मुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचे तमिलनाडु में इस दौरान संक्रमण के 4,549 मामले सामने आये और 69 लोगों की मौत हुई जिससे संक्रमितों की संख्या 1,56,369 और मृतकों का आंकड़ा 2,236 हो गया है। राज्य में 1,07,416 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,18,645 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3545 हो गयी है। यहां अब तक 97,693 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक संक्रमितों की संख्या के मामले में गुजरात को पीछे छोडक़र चौथे स्थान पर पहुंच गया है। राज्य में 51,422 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 1,032 लोगों की इससे मौत हुई है। वहीं 19,729 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। देश का पश्चिमी राज्य गुजरात संक्रमण के मामले में पांचवें स्थान पर आ गया है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है। गुजरात में 45,481 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2,089लोगों की मौत हुई है। राज्य में 32,103 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 43,441 मामले सामने आए हैं तथा इस महामारी से 1046 लोगों की मौत हुई है जबकि 26,675 मरीज ठीक हुए हैं।
एक और दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में भी कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। तेलंगाना में कोरोना संक्रमितों की संख्या 41,018 हो गयी है और 396 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 27,295 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हुए हैं। आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण यह सर्वाधिक प्रभावित राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल से ऊपर आ गया है। राज्य में 38,044 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 492 हो गयी है, जबकि 19, 393 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में 36,117 लोग कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं तथा 1023 लोगों की मौत हुई है। वहीं अब तक 21,415 लोग स्वस्थ हुए हैं। राजस्थान में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 27,174 हो गयी है और अब तक 538 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 19,970 लोग पूरी तरह ठीक हुए हैं। हरियाणा में 24,002 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 322 लोगों की मौत हुई है।
इस महामारी से मध्य प्रदेश में 689, पंजाब में 230, जम्मू-कश्मीर में 222, बिहार में 197, ओडिशा में 79, उत्तराखंड में 50, असम में 48, झारखंड में 42, केरल में 37, पुड्डुचेरी में 22, छत्तीसगढ़ में 21, गोवा में 19, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में 11, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में तीन, मेघालय, दादर और नगर हवेली तथा दमन और दीव में दो तथा लद्दाख में एक व्यक्ति की मौत हुई है।
देश में संक्रमितों का 43.90 फीसदी महाराष्ट्र-तमिलनाडु में
महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कोरोना वायरस (कोविड-19) से अब तक 440650 लोग संक्रमित हुए हैं, जो देशभर में इस जानलेवा महामारी की चपेट में आई कुल आबादी का 43.90 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में जहां कोविड-19 से अब तक 1284281 लोग संक्रमित हुए हैं, वहीं तमिलनाडु में 156369 लोग इसकी चपेट में आए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक देशभर में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 34956 नये मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 1003832 हो गयी है। वहीं इस दौरान 687 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 25602 हो गई है।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। देश में अब तक कुल 6,35757 लोग रोगमुक्त हो चुके हैं। वहीं इस समय देश में कोरोना के 3,42,473 सक्रिय मामले हैं।
नई दिल्ली, 16 जुलाई। । तृणमूल कांग्रेस से सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कर्मचारियों को बिना वेतन के पांच साल के लिए अवकाश पर भेजने की एअर इंडिया की योजना के लिए उसकी आलोचना की और कहा कि यह कदम श्रम कानूनों का उल्लंघन करता है तथा यह शीर्ष प्रबंधन को बचाने तथा अन्य कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने की ‘‘स्पष्ट चाल’’ है। ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘‘नया नाम छंटनी है।’’ ‘
एअर इंडिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने दक्षता, स्वास्थ्य और अतिरेक जैसे मानकों पर कर्मचारियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू की है और उन्हें पांच वर्ष के लिए बिना वेतन के अवकाश (एलडब्ल्यूपी) पर भेजा जाएगा। इसको लेकर विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘‘बिना वेतन के अवकाश पर भेजने की एअर इंडिया की योजना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के इतिहास में अप्रत्याशित है कि एक पीएसयू महामारी के वक्त में कर्मचारियों का इस्तेमाल करके उन्हें फेंक देगा, वह भी तब, जब वंदे भारत मिशन में लगे एअर इंडिया के 150से ज्यादा कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं।’’(navodayatimes)
नई दिल्ली, 16 जुलाई। देश में कोरोना हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रहा है। जितनी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वह बेहद चिंताजनक हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आने वाले कुछ महीनों में देश में कैसे हालात होंगे? संक्रमितों की संख्या कहां तक बढ़कर जा सकती है। इस संबंध में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) ने एक अनुमान लगाया है, जिससे लोगों की चिंता बढ़ सकती है।
आईआईएससी के मुताबिक, अगर देश में ज्यादा हालत नहीं बिगड़े हैं तो सबसे बेहतर स्थिति में मार्च 2021 तक कुल कोरोना मरीजों की संख्या 37.4 लाख तक पहुंच जाएगी और अगर हालात ज्यादा बिगड़े तो और बुरी स्थिति में पहुंचा तो इस दौरान 6.18 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो जाएंगे।
आईआईएससी मॉडल संक्रामक रोगों के गणितीय मॉडलिंग में एक प्रतिमान है। यह देश के कोरोना डाटा और इस साल 23 मार्च से 18 जून के बीच सामने आए कोरोना संक्रमितों पर आधारित है। लेकिन फिलहाल जो देश में कोरोना को लेकर स्थिति है अगर उसके हिसाब से देखा जाए तो अनुमान अलग होने की संभावना है।
आईआईएससी के मुताबिक, मार्च 2021 के अंत तक भारत में कोरोना वायरस के मामले चरम पर नहीं पहुंचने की संभावना है। भारत में कोरोना वयारस सितंबर के दूसरे हफ्ते या अक्तूबर के महीने तक चरम पर पहुंच सकता है।
आईआईएससी ने अपने अनुमान में कहा है कि अगर बढ़ते कोरोना मामलों पर काबू पाना है तो हर हफ्ते सप्ताह में एक या फिर दो दिन तक लॉकडाउन पर जोर दिया जाना चाहिए। अध्ययन के अनुसार, अगर हर हफ्ते एक या दो दिन का लॉकडाउन और लोगों द्वारा सामाजिक दूरी का पालन किया गया तो संक्रमण में काफी हद तक कमी आ सकती है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि वैक्सीन नहीं होने की वजह से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, क्वारंटाइन और सामाजिक दूरी संक्रमण को रोकने के लिए बेहतर विकल्प हैं।(navjivan)
भारतीय सेना के जवानों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर लगाए गए बैन के ख़िलाफ़ दायर याचिका को सुनते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.
सेना के वरिष्ठ अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें 'फ़ेसबुक ज़्यादा पसंद है तो उनके पास इस्तीफ़ा देने का विकल्प मौजूद है.'
याचिकाकर्ता लेफ़्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके परिवार के सदस्य विदेश में रहते हैं और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बिना उनसे संपर्क करना मुश्किल होगा, ऐसे में उन्हें सेना के इस आदेश से राहत दी जाए.
लेकिन इस याचिका पर हाईकोर्ट ने अकाउंट डिलीट करने का आदेश देते हुए कहा कि ये अकाउंट बाद में भी बनाए जा सकते हैं.
क्या है सेना का ये आदेश?
डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री इटेलिजेंस ने इस महीने की शुरुआत में एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक़ भारतीय सेना में कार्यरत 13 लाख जवानों को 89 ऐप की एक लिस्ट दी गई है जिसे उन्हें 15 जुलाई तक अनइंस्टॉल कर देना था. इस लिस्ट में अमरीकी सोशल नेटवर्किंग साइट्स फ़ेसबुक, इंस्टग्राम, ट्रू-कॉलर भी शामिल हैं.
सेना का कहना है कि ये आदेश सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है ताकि संवेदनशील जानकारियों को लीक होने से बचाया जा सके.
इससे पहले भारत सरकार ने देश में 59 चीनी ऐप्स को बैन किया था जिनमें से टिक-टॉक, वीचैट शामिल थे.
इससे पहले भी भारतीय सेना में फ़ेसबुक के इस्तेमाल को लेकर कई निर्देश जारी किए जा चुके हैं, साथ ही सेना के जवानों को औपचारिक कामों के लिए मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कम से कम करने को कहा जाता रहा है.
सोशल मीडिया से सेना को कितना ख़तरा?
सोशल मीडिया ऐप इस्तेमाल करने का सबसे बड़ ख़तरा डेटा की चोरी है. हालाँकि ये डेटा चोरी सिर्फ़ सेना तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका ख़तरा सभी सोशल मीडिया यूजर्स को है.
लेकिन सेना में काम करने वालों के लिए ये ख़तरा बढ़ जाता है क्योंकि ये ऐप कई बार लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं. माइक्रोफ़ोन या कैमरे का इस्तेमाल कर सकते हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से ख़तरनाक साबित हो सकता है.
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक़, "ऐप हमसे कई तरह के परमिशन मांगते हैं, हम अक्सर बिना पढ़े परमिशन दे देते हैं. ये परमिशन सोशल मीडिया कंपनियों को हमारे माइक्रोफ़ोन, लोकेशन से लेकर फ़ोटो तक इस्तेमाल करने का अधिकार दे देता है. किसी सैनिक के फ़ोन के फ़ोटो से उसके लोकेशन से जुड़ी जानकारियां मिल सकती हैं, जो देश की सुरक्षा के लिहाज़ से बहुत ख़तरनाक हो सकता है."
ये पहली बार नहीं है कि सेना में सोशल मीडिया को लेकर चर्चा हुई है.
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग कहते हैं, "ये बहस 8-10 सालों से चली आ रही है. दूसरे देशों में भी ऐसी बहस होती रही है. हर जवान के पास फ़ोन है, सभी सेनाओं ने इसे लेकर गाइडलाइन बनाई है लेकिन इसके बावजूद अगर बैन की ज़रूरत है, तो ये वाजिब क़दम है."
पनाग मानते हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से हनी ट्रैप का ख़तरा भी बना रहता है.
पनाग के मुताबिक, "अपनी पहचान छिपा पर सैनिकों से सोशल मीडिया पर फ़ेक अकाउंट बना कर बात करना और सैनिक जो अपने घर-परिवार से दूर अकेले रहते हैं उन्हें हनी ट्रैप करने की कोशिशें आम हैं. हमने कई ऐसी ख़बरें और मामले देखे हैं." पनाग के मुताबिक़ सेना के लिए ये बैन लागू करना भी आसान नहीं होगा.'
वहीं पवन दुग्गल मानते हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से जुड़े ख़तरे सिर्फ़ सेना ही नहीं बल्कि अर्धसैनिक बलों और पुलिस को भी है.
वो कहते हैं, "डेटा लीक होना और हनी ट्रैप का ख़तरा दोनों ही जगह हैं. हर विभाग को ऐसी समस्यों से निपटने के लिए अपने स्तर पर कोशिश करनी होगी. सेना की चिंता और गंभीरता दोनों ज़्यादा हो जाती हैं क्योंकि वो देश की सीमाओं पर रहते हैं, अधिकारी बड़ी-बड़ी रणनीतियाँ बनाते हैं. अगर इस स्तर पर जानकारी लीक हुई तो देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बढ़ जाता है.
पाबंदी का ये कोई पहला मामला नहीं
जब सोशल मीडिया नहीं था तब भी सेना के जवानों पर कई तरह की चीज़ों से जुड़ी पाबंदियाँ लगती थीं.
पनाग कहते हैं, "ये कोई नई बात नहीं है. आज से 50 साल पहले जब मैं सेना में आया था उस वक्त कैमरा एक ख़तरा था, अगर आपके पास कैमरा था तो सेना के पास उसे रजिस्टर करवाना पड़ता था. ट्रांजिस्टर और रेडियों को लेकर भी सेना एहतियात बरता करती थीं. सोशल मीडिया आज की समस्या है, इससे या तो अच्छी शिक्षा के साथ निपटना होगा या अगर ख़तरा ज़्यादा है तो बैन लगाना एक अकेला विकल्प है. "
दूसरे देशों की सेना के लिए क्या हैं नियम?
भारत ही नहीं, कई दूसरे देशों में भी सोशल मीडिया और स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की गाइडलाइन्स हैं.
साल 2019 से रूस ने सोशल मीडिया के ग़लत इस्तेमाल के डर से सैनिकों के स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी. सैनिकों को ऐसे मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल के लिए मना किया गया, जिनमें तस्वीरें खींचने, वीडियो रिकॉर्ड करने और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की सुविधा होती है.
सिर्फ़ कॉलिंग करने वाले बेसिक फ़ोन के इस्तेमाल की इजाज़त दी गई है.
अमरीका ने भी सैनिकों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए है. साल 2018 में एक फ़िटनेस कंपनी ने सैनिकों के व्यायाम रुटीन से जुड़ी जानकारियाँ साझा कर दी थीं, जिसके बाद सोशल मीडिया और सुरक्षा को लेकर अमरीका में कई सवाल उठाए गए थे.
इसके अलावा अमरीका ने सैनिकों के ऑफिशियल फोन पर चाइनीज़ ऐप टिक-टॉक पर बैन लगा रखा है.(bbc)