राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 12 जुलाई(एजेंसी )। चीन के साथ सीमा मुद्दे को लेकर जारी विवाद के बीच भारतीय सेना एक बार फिर से 72 हजार एसआईजी 716 असॉल्ट रायफल्स अमेरिका से मंगाने जा रही है। असॉल्ट रायफल्स की दूसरी खेप के लिए ऑर्डर दिया जा रहा है। पहली खेप में 72 हजार रायफल्स का ऑर्डर पहले ही अमेरिका की तरफ से भारत को भेजा जा किया जा चुका है और उसे सेना की तरफ से नॉर्दर्न कमांड और अन्य ऑपरेशनल इलाकों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई से बताया, "आर्म्ड फोर्सेज को दी गई फाइनेंशियल पावर के तहत हम 72 हजार और रायफल्स का ऑर्डर देने जा रहे हैं।" आतंकवाद निरोधी अभियान को धार देने के लिए भारतीय सेना को असॉल्ट रायफल्स की पहली खेप मिल चुकी है। भारत ने फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) कार्यक्रम के तहत रायफल्स की खरीददारी की है।
नई रायफल्स वर्तमान में सुरक्षाबलों की तरफ से इस्तेमाल किए जा रहे इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इन्सास) 5.56x45mm रायफल्स की जगह लेगी। इन्सास का प्रोडक्शन स्थानीय तौर पर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड में ही किया जा रहा था।
योजना के मुताबिक, करीब डेढ लाख आयातित रायफल्स का इस्तेमाल आतंकवाद विरोधी अभियान और नियंत्रण रेखा पर फ्रंट लाइन ड्यूटी में होना था। जबकि, बाकी बलों को एके-203 रायफल्स दी जाएंगी, जिसे भारत और रूस ने अमेठी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में तैयार किया जाना है।
दोनों पक्षों की तरफ से कई प्रक्रियागत मुद्दों को चलते इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होना अभी बाकी है। भारतीय सेना पिछले कई समय से INSAS असॉल्ट रायफल्स को रिप्लेस करने की कोशिश कर रही थी लेकिन एक के बाद दूसरे कारणों के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा था।
हाल में इन बंदुकों की कमी के चलते रक्षा मंत्रालय ने लाइन मशीन गन (एलएमजी) को इजरायल से मंगाने का ऑर्डर दिया था। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने हैं और चीनी की सेना ने मई के पहले हफ्ते से ही बिना किसी उत्तेजना के करीब 20 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात कर रखा है।
चंडीगढ़, 12 जुलाई। हरियाणा के कम से कम छह उपायुक्तों ने यह कहते हुए सोशल मीडिया न्यूज प्लेटफॉर्म पर पाबंदी लगा दी है कि ऐसे प्लेटफार्मों द्वारा असत्यापित और भ्रामक समाचारों के प्रसार से समाज में शांति भंग हो सकती है और यह कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम आदमी के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राज्य के कार्यकर्ताओं ने इस कदम को अघोषित आपातकाल करार दिया और कहा कि यह सोशल मीडिया की आवाजों को चुप कराने की कोशिश है.
सोनीपत, कैथल, चरखी दादरी, करनाल, नारनौल और भिवानी के उपायुक्तों द्वारा वॉट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, पब्लिक ऐप और लिंक्डइन पर आधारित सभी सोशल मीडिया समाचार प्लेटफॉर्म को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए गए हैं.
करनाल के उपायुक्त ने जहां 15 दिन का प्रतिबंध लगाया है, वहीं बाकी के पांच उपायुक्तों ने अगले आदेश तक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.
पहला ऐसा आदेश चरखी दादरी के उपायुक्त ने इस साल 12 मई को जिलाधिकारी के रूप में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जारी किया था. इसके बाद करनाल जिले के उपायुक्त ने 10 जुलाई को ऐसा आदेश जारी किया था.
सोनीपत के उपायुक्त श्याम लाल पूनिया द्वारा 16 जून को जारी आदेश में कहा गया, ‘सोनीपत के किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने न्यूज चैनल के रूप में काम करने की अनुमति नहीं ली है. उन्हें न तो हरियाणा सरकार के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय से पंजीकरण मिला और न ही केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आयुक्त से.’
आदेश में आगे कहा गया, ‘सोशल मीडिया के समाचार चैनलों से जानबूझकर या अनजाने में फर्जी समाचार या गलत रिपोर्टिंग के कारण कोरोना वायरस महामारी की इस असामान्य परिस्थिति में समाज के एक बड़े वर्ग के बीच भय (फैलने) की संभावना है. इसलिए समाचार चैनल के रूप में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कामकाज के लिए किसी भी नियामक संस्था से पंजीकरण कराना आवश्यक है.’
ये प्रतिबंध आईपीसी की धारा 188, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और महामारी रोग अधिनियम, 1957 के तहत लगाए गए हैं. यह भी उल्लिखित किया गया है कि इन कानूनों का उल्लंघन करने पर जेल की सजा और जुर्माना भी लग सकता है.
हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ता सुखविंदर नारा ने इन प्रतिबंधों को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया है.
पेशे से वकील नारा ने कहा, ‘संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (ए) बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है जिसमें मीडिया की स्वतंत्रता शामिल है. अधिकारियों की कार्रवाई इस संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन है. संबंधित उपायुक्त ने प्रतिबंध लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया है, लेकिन शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया समाचार प्लेटफार्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘प्रतिबंध के आदेश में उल्लेखित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सावधानीपूर्वक अवलोकन करने पर पता चलता है कि शीर्ष अदालत ने केवल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से फेक न्यूज को रोकने के लिए कहा है. ऐसा लगता है कि जिला मजिस्ट्रेटों ने सुप्रीम कोर्ट आदेश की गलत व्याख्या की है और बिना किसी कारण के प्रतिबंध लगाया है.’
नारा ने राज्य के मुख्य सचिव को एक ज्ञापन भी भेजा है, जिसमें कहा गया है कि अधिकारियों ने बिना कोई डेटा एकत्र किए कार्रवाई की है.
उन्होंने आगे कहा, ‘यदि कोई भी सोशल मीडिया समाचार चैनल किसी भी मुद्दे पर फेक न्यूज प्रकाशित कर रहा है, तो अधिकारी संबंधित समाचार चैनलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए सक्षम हैं, लेकिन उनके पास सोशल मीडिया समाचार प्लेटफार्मों के संचालन पर प्रतिबंध लगाने का कोई अधिकार नहीं है.’
इसी तरह आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम का दुरुपयोग कर रहा है. इस तरह के चैनलों की अनुपस्थिति में प्रशासन को स्थानीय स्तर के मुद्दों के कड़वे सच के बारे में कुछ पता नहीं चल पाएगा.’
हालांकि, प्रतिबंध के आदेश को सही ठहराते हुए श्याम लाल पूनिया ने कहा, ‘ऐसे प्लेटफॉर्म के लिए भी नियंत्रण और संतुलन जरूरी है. इस तरह के प्लेटफार्मों के लिए कुछ प्रकार का पंजीकरण होना चाहिए ताकि उनकी ओर से भी जवाबदेही की भावना आए.’
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पूनिया ने कहा, ‘ये प्लेटफॉर्म कोरोना मरीजों की जानकारी उनके नाम के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. मरीजों की सूची गलत थी. यहां तक की हम भी मरीजों के नाम सार्वजनिक नहीं करते हैं.’
वहीं, हरियाणा पत्रकार संघ के अध्यक्ष केबी पंडित ने कहा कि कई अधिकारी ही कोरोना वायरस मरीजों की पहचान उजागर कर देते हैं इसलिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.
पंडित ने आगे कहा, ‘फिलहाल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के पंजीकरण के लिए कोई सिस्टम नहीं है.’
इस बीच, पंडित के नेतृत्व में वेबपोर्टल पत्रकारों के एक समूह ने शनिवार को करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की और इस मामले में उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की.
पंडित ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि 48 घंटे के भीतर सोशल मीडिया के लिए एक नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें सरकार वेब-पोर्टल को भी सहायता देने का प्रयास करेगी. मेरा मानना है कि ऐसे प्लेटफॉर्मों के सोशल मीडिया पत्रकारों और विज्ञापनों को मान्यता देने के लिए जल्द ही मानदंड को अंतिम रूप दिया जाएगा.’
बता दें कि बीते 6 जुलाई को हरियाणा कैबिनेट ने भारत में उभरते नए डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को देखते हुए डिजिटल मीडिया पॉलिसी, 2020 पेश करने का फैसला किया था.
तब सरकार ने कहा था, ‘वेबसाइटों, नए ऐप्लिकेशनों की पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ उनके कंटेंट की प्रामाणिकता को सुनिश्चित करने के लिए नीति में कई सहायक नियंत्रण और संतुलन को शामिल किया गया है.’(thewire)
सिंचाई की नई तकनीक, अकाल से मुक्ति
औरंगाबाद, 11 जुलाई (वार्ता)। दक्षिण बिहार के आठ जिलों की लाइफ लाइन मानी जाने वाली डिजाइन आधारित 143 साल पुरानी सोन नहर प्रणाली ने न केवल दुनिया को सिंचाई की नई तकनीक सिखाई बल्कि तत्कालीन बंगाल प्रांत (पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा) को अकाल जैसी त्रासदी से मुक्ति दिलाने में मददगार भी साबित हुई।
इस महान नहर प्रणाली का जन्म तत्कालीन बंगाल के भयानक अकालों की पृष्ठभूमि में हुआ । बंगाल अंग्रेजों का मुख्य कार्यक्षेत्र था जिसमें आज के बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा शामिल थे। बंगाल की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि आधारित थी और बंगाल की खाड़ी के बेहद अनिश्चित मौसम ने मॉनसून को बुरी तरह प्रभावित किया था। इसकी वजह से लगातार बंगाल में भयंकर अकाल पड़ रहे थे । वर्ष 1769 का भयंकर अकाल जो 1773 तक लगातार चला, विश्व के सबसे भयंकर अकालों में से एक माना जाता है, जिसमें लगभग एक करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद भी लगातार अकाल आते रहे जिससे बचने के लिए बंगाल क्षेत्र में सिंचाई प्रणालियां विकसित करने की बात सोची जाने लगी।
उस वक्त बंगाल का इलाका, जिसे आज शाहाबाद और मगध के नाम से जानते हैं, काफी सूखा इलाका था और यहां बारिश बहुत कम होती थी। इसे एक हद तक रेगिस्तानी इलाका माना जाता था। कहा जाता है कि ब्रिटिश राज में इस इलाके को रेगिस्तान घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव भी था लेकिन बाद में ब्रिटिश सरकार ने सोन नदी के जल प्रवाह को देखते हुए इससे एक सिचाई तंत्र के तौर पर विकसित करने की योजना बनाई। उस वक्त सोन नदी में काफी जल प्रवाह हुआ करता था। इसका पाट बारून क्षेत्र के पास लगभग छह किलोमीटर चौड़ा था जो अब घटकर बमुश्किल तीन किलोमीटर रह गया है। मध्यप्रदेश के अमरकंटक से लेकर बिहार में औरंगाबाद जिले के बारून एनीकट तक कोई अन्य बांध नहीं था इसलिए सोन नदी में पानी भी काफी आता था।
वॉशिंगटन, 11 जुलाई । प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ हिंद महासागर में परेशानी का सबब बने चीन को रोकने के लिए चार बड़ी शक्तियां पहली बार मालाबार में साथ आने को तैयार हैं। इस साल के मालाबार नौसैनिक युद्धाभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया को जल्द ही भारत का न्योता मिल सकता है। इसके साथ ही पहली बार अनौपचारिक रूप से बने क्वॉड ग्रुप को सैन्य मंच पर देखा जाएगा। इसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ जापान और अमेरिका शामिल हैं। अभी तक भारत ने ऑस्ट्रेलिया को इससे अलग रखा था लेकिन लद्दाख में सीमा पर चीन की हरकत को देखते हुए उसे भी बुलाने का प्लान है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अगले हफ्ते तक ऑस्ट्रेलिया को औपचारिक रूप से निमंत्रण के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। मालाबार पहले एक सीमित नौसैनिक युद्धाभ्यास हुआ करता था लेकिन अब इंडो-पैसिफिक रणनीति का अहम हिस्सा है। इसके तहत हिंद महासागर में चीन के बढ़ते कदमों को रोकना एक बड़ा लक्ष्य है। जापान इससे 2015 में जुड़ा था।
दुनियाभर में 20 देशों की सेनाएं चिनूक हेलिकॉप्टर की सेवाएं लेती है। यह विश्व का सबसे अधिक विश्वसनीय और क्षमतापूर्ण हैवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर है। 50 साल से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। ज्यादा ऊंचाई या फिर गर्म जगहों पर भी यह सफलतापूर्व उड़ान भर सकता है।
350 किमी/ प्रति घंटे से ज्यादा रफ्तार से उड़ान भरने वाला अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर है। पिछले साल ही इसे वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया। पूरी दुनिया में अपनी मारक क्षमता के लिए मशहूर है अपाचे हेलिकॉप्टर। इसमें आधुनिक टारगेट एक्विजिशन डेसिग्नेशन सिस्टम है जो मौसम की जानकारी भी देता रहता है। इसमें अंधेर में देखने की क्षमता भी है।
भारत ने 2017 में ऑस्ट्रेलिया को इसमें शामिल करने से यह सोचते हुए रोक दिया था कि पेइचिंग इसे क्वॉड के सैन्य विस्तार के तौर पर देख सकता है लेकिन सीमा पर बढ़ी तनातनी और चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए आखिरकार भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। (navbharat times)
गुजरात, 11 जुलाई । गुजरात के सूरत में एक ज्वेलरी शॉप ने कोरोना वायरस महामारी के बीच हो रही शादी के लिए कुछ खास इंतजाम किया है। इस ज्वेलरी शॉप ने एक खास तरह का मास्क तैयार किया है जिसकी कीमत 1.5 लाख से 4 लाख तक की होगी।
यह मास्क कोई आम मास्क की तरह नहीं होगा बल्कि यह हीरों से जड़ा मास्क होगा। यह हीरे असली भी हो सकते हैं या आप अमेरिकन डॉयमंड भी लगवा सकता है। यह पूरी तरह से आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपको किस तरह के हीरे अपने मास्क के ऊपर लगाने है।
खास बातचीत में ज्वेलरी शॉप के मालिक दीपक चोकसी ने कहा, हीरों से जड़ा मास्क का आइडिया मेरे दिमाग में तब आया जब एक ग्राहक मेरे दुकान पर आए और उनके घर में शादी थी। उन्होंने दुल्हा- दुल्हन के लिए अनोखे तरह की मास्क की मांग की। तब मुझे ख्याल आया कि क्यों न कोरोना वायरस लॉकडाउन के अंतर्गत शादी को यादगार बनाया जाए। और फिर हमने डिजाइनरों को स्पेशल तरह की मास्क बनाने का काम सौंपा।
जानकर हैरानी होगी मास्क बनने के बाद वह ग्राहक फिर हमारे दुकान पर आए और उन्होंने मास्क खरीदा। इसके बाद हमने और भी मास्क बनाए। दीपक चोकसी ने एएनआई को बताया कि अब वह दिन दूर नहीं जब इस तरह के मास्क की जरूरत लोगों को पड़ेगी। इन मास्क को बनाने के लिए सोने के साथ प्योर डायमंड और अमेरिकन डायमंड का इस्तेमाल किया गया है।
दीपक चोकसी ने बताया की मास्क से हीरे और सोने ग्राहकों की इच्छा के अनुसार निकाला जा सकता है और इसका उपयोग दूसरे ज्वेलरी को बनाने में भी किया जा सकता है। दुकान के एक ग्राहक देवांशी ने कहा, मैं ज्वेलरी खरीदने के लिए दुकान पर आई थी, क्योंकि परिवार में शादी है। फिर मैंने हीरा जड़ा मास्क देखा, फिर यह मास्क मुझे ज्वेलरी की तुलना में अधिक अच्छी लगी। इसलिए, मैंने इसे खरीदने का फैसला किया और सबसे खास बात यह है कि यह मेरे ड्रेस के मैचिंग के हिसाब से थी।
हाल ही में, पुणे के रहने वाले शंकर कुराडे नाम के एक व्यक्ति ने सोने का मास्क बनाकर पहने हुए थे। यह मास्क पूरे सोने का बना हुआ था और इसकी कीमत 2.89 लाख रूपये हैं। जब शंकर से इस मास्क को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा यह बेहद आरामदायक मास्क है। (एएनआई)
नई दिल्ली, 11 जुलाई (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी से हर माह प्रसारित किए जाने वाले अपने कार्यक्रम के लिए ‘मन की बात’ देश की जनता से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इस माह ‘मन की बात’ का प्रसारण 26 जुलाई को किया जायेगा। इसके पहले भी मोदी ने मन की बात के लिए लोगों के सुझाव मांगे थे।
श्री मोदी ने शनिवार को ट्वीट किया, मैं इसको लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं कि आप इस बात से अवगत होंगे कि छोटी-छोटी प्रेरणा के सामूहिक प्रयास किस तरह सकारात्मक बदलाव लाते हैं। आप निश्चित तौर पर ऐसी पहलों के बारे में भी जानते होंगे जिन्होंने लोगों के जीवन में बदलाव लाया। कृपया इस माह 26 जुलाई को प्रसारित की जाने वाली मन की बात के लिये अपने सुझाव साझा करें।
श्री मोदी ने लिखा कि मन की बात के लिए सुझाव कई माध्यम से दिए जा सकते हैं। यह सुझाव 1800117800 पर रिकार्ड कराए जा सकते हैं। सुझाव के लिए विशेष रुप से सृजित खुले मंच ‘नमो ऐप’ पर उन्हें साझा किया जा सकता है और ‘माईजीओवी’ पर भी लिखा जा सकता है।
श्रीनगर, 11 जुलाई । जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में सतर्क सुरक्षा बलों ने शनिवार को नियंत्रण रेखा पार कर घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो सशस्त्र आतंकवादियों को मार गिराया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि टीएमजी चौकी से नियंत्रण रेखा पर निगरानी रखने वाले जवानों ने कुपवाड़ा के नौगाम सेक्टर में आतंकवादियों के एक समूह को आज तड़के अंधेरे की आड़ में नियंत्रण रेखा पार कर इस ओर घुसते देखा। सतर्क सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को घेर कर आत्मसमर्पण के लिए कहा लेकिन उन्होंने स्वचालित हथियारों से गोलीबारी शुरू कर दी।
सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकवादी मारे गये। दोनों आतंकवादियों की पहचान नहीं की जा सकी है और माना जा रहा है कि दोनों विदेशी हैं। उनके पास से दो एके राइफलें और भारी मात्रा में हथियार एवं गोला-बारूद बरामद किए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि आसपास के शिविरों के सुरक्षा बलों को भी सतर्क कर दिया गया है तथा घने जंगल में घेराबंदी एवं तलाश अभियान चलाया गया है। आशंका जतायी जा रही है कि कुछ आतंकवादी जंगल में भी छिपे हो सकते हैं। अंतिम रिपोर्ट मिलने तक अभियान जारी था। (univarta)
लखनऊ, 10 जुलाई। एसटीएफ अधिकारियों के साथ शुक्रवार सुबह कथित मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बाद गैंगस्टर विकास दुबे ने दम तोड़ दिया। कथित तौर एक सड़क दुर्घटना के दौरान जब उसका वाहन पलट गया तो उसने भागने की कोशिश की, इसी दौरान वह मारा गया। लेकिन इस घटना को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि एनकाउंटर से पहले अचानक चेक पोस्ट लगा दी गई और विकास दुबे की ले जाने वाली गाड़ियों के अलावा सभी गाड़ियों को रोक दी गई।
आरोप है कि काफिले के साथ चल रही मीडिया की गाड़ियों को रोकने के लिए बीच में अचानक चेक पोस्ट लगा दी गई। इस वजह से मीडिया की गाड़ियां पीछे छूट गईं। इसके बाद खबर आई कि विकास दुबे जिस गाड़ी में था, वह पलट गई और उसका एनकाउंटर हो गया। एनकाउंटर के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस के आला अफसरों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या मीडिया को रोकने के लिए ही अचानक चेकिंग शुरू की गई थी?
खबरों के मुताबिक, विकास दुबे बीजेपी नेताओं से अपने संबंध के बारे में कई खुलासे कर चुका था। कई पुलिस अधिकारी भी कानपुर शूटआउट केस में सवालों के घेरे में थे। ऐसे में पहले से ही यह संदेह जताया जा रहा था कि कुख्यात विकास दुबे को शायद मुठभेड़ में मार गिराया जाए और हुआ भी वही। गुरुवार को जब विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर में पकड़ा गया तो उसने कोई विरोध दर्ज नहीं कराया। ऐसा लग रहा था जैसे वह सुनिश्चित है कि उसे कुछ नहीं होने वाला। उसके हावभाव से यह लग रहा था कि वह सरेंडर करने जा रहा है। उसके पास से कोई हथियार भी बरामद नहीं किया गया। यही वजह है कि अब यह सवाल पूछा जा रहा कि जिसने गिरफ्तारी के समय कोई विरोध दर्ज नहीं कराया वह फिर पुलिस की हिरासत से हथियार छीनकर भागने की क्यों कोशिश करेगा? क्या विकास दुबे के एनकाउंटर के पीछे कोई बड़ी साजिश है?
उत्तरप्रदेश , 10 जुलाई। कानपुर शूटआउट के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसके साथी अमर दुबे के संबंध में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। पुलिस एनकाउंटर में मारे गए बदमाश अमर दुबे के पिता संजीव दुबे गुरुवार को बिकरू गांव में एक पुलिस ऑपरेशन के दौरान जिंदा हो उठे। जबकि परिवार वालों ने कई साल पहले कह दिया था कि संजीव दुबे मर गए।
बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे ने अमर दुबे और अन्य अपराधियों के संग मिलकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। अमर दुबे को विकास दुबे का दायां हाथ माना जाता था। पुलिस ने उसे हमीरपुर जिले के मौदाहा में बुधवार को मार गिराया था। गुरुवार को जब पुलिसकर्मी बिकरू गांव में एनकाउंटर में मारे गए अमर की जानकारी देने पहुंचे, उन्हें पता चला कि उसका पिता अभी तक जिंदा है। खबरी पुलिस को संजीव के ठिकाने ले गया, जहां वह लगभग एक दशक से गुमनामी की जिंदगी जी रहा था।
बेटे की मौत की खबर सुनकर ठिकाने से बाहर आया संजीव
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि संजीव जब अपने बेटे की मौत की खबर सुनकर अपने ठिकाने से बाहर आया तो पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वह एक दुर्घटना में बाल-बाल बच गया था, लेकिन उसने अपना पैर खो दिया। संजीव के ऊपर हत्या की कोशिश, उगाही और लूट समेत 12 मामले चौबेपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं।
सड़क दुर्घटना के बाद अंडरग्राउंड हो गया था संजीव दुबे
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि संजीव दुबे सात वर्ष पहले एक सड़क दुर्घटना के बाद अंडरग्राउंड हो गया था और परिवार वालों से यह खबर फैलाने के लिए कहा था कि वह मर गया है, ताकि उसके विरुद्ध चल रहे सारे आपराधिक मामले बंद हो जाएं।(navbharat)
पायलटों को लेकर चिंता
अमरीका ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस या पीआईए के चार्टर विमानों के अमरीका आने पर रोक लगा दिया है.
अमरीकी परिवहन मंत्रालय ने पाकिस्तानी पायलटों के प्रमाणपत्रों को लेकर फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़एए) की जताई गई चिंता के बाद ये आदेश जारी किया है.
पाकिस्तानी पायलटों को अचानक बैन क्यों करने लगे कई देश
विमान ट्रेनी के हवाले कर सो गया पायलट
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, पाकिस्तान में बीते महीने हुई एक जांच में पाया गया कि उसके एक-तिहाई पायलटों ने अपनी योग्यता संबंधित ग़लत जानकारियाँ और काग़ज़ात दिखाए थे.
यूरोपीय यूनियन एविएशन सेफ़्टी एजेंसी ने भी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स के संचालन को छह महीने के लिए रोक दिया है.
हालांकि इस संदर्भ में पाकिस्तान इंटरनेशल एयरलाइन्स की ओर से अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज़ ने बताया कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स ने अमरीका के प्रतिबंधों की पुष्टि की है और कहा है कि यह एयरलाइन्स के भीतर चल रही परेशानियों को दूर करने की कोशिश करेगा.
क्यों बैन हैं पाकिस्तानी पायलट
इससे पहले जून में वियतनाम के विमानन प्राधिकरण ने कहा था कि स्थानीय एयरलाइंस के लिए काम कर रहे सभी पाकिस्तानी पायलट को हटा दिया गया है.
जबकि यूरोपीय संघ के उड्डयन प्राधिकरण ने भी 32 सदस्य देशों को फ़र्जी लाइसेंस मामले में सलाह दी है कि वे ऐसे पायलटों की सेवाएँ न लें. ये क़दम ऐसे वक़्त में उठाया गया है जब वैश्विक नियामकों ने चिंता जताई थी कि कुछ पायलट "संदिग्ध" लाइसेंस इस्तेमाल कर रहे हैं.
दरअसल, हाल में वैश्विक एयरलाइंस संस्था आईएटीए ने कहा था कि पाकिस्तानी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के पायलटों के लाइसेंस में अनियमितताएं पाई गई हैं, "जो सेफ्टी कंट्रोल में गंभीर चूक है." इसके बाद पाकिस्तान ने पिछले हफ़्ते कहा था कि वो उन 262 एयरलाइन पायलटों को हटा रहा है, जिनकी विश्वसनीयता फर्ज़ी हो सकती है.
पाकिस्तान के उड्डयन मंत्री ग़ुलाम सरवर ख़ान ने उस दौरान संसद में कहा था कि बड़ी संख्या में पेशेवर पायलटों के पास फ़र्जी लाइसेंस या उन्होंने परीक्षाओं में धोखेबाज़ी की है.
ग़ुलाम सरवर ख़ान ने ये भी कहा था कि जाँच में ये पाया गया है कि 860 पायलटों में से 260 से ज़्यादा के पास या तो फ़र्जी लाइसेंस थे या उन्होंने परीक्षाओं में धांधली की थी.
इस साल मई में कराची में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में 97 लोग मारे गए थे.
हादसे की जाँच के लिए गठित की गई कमेटी की शुरुआती रिपोर्ट में ये कहा था कि हादसे के लिए एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल (एटीसी) और पायलट ज़िम्मेदार थे.
ग़ुलाम सरवर ख़ान ने संसद को बताया था कि वे प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे थे. उन्होंने ये भी कहा था कि पायलट और को-पायलट दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी के बारे में बातचीत कर रहे थे और इसी कारण हवाई जहाज़ के पायलटों का ध्यान बंट गया था.(bbc)
उत्तरप्रदेश , 10 जुलाई। कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे आज कानपुर में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया है। कानपुर लाने के दौरान विकास दुबे का कथित तौर पर भागना और उसके बाद उसका एनकाउंटर में मारा जाना यूपी पुलिस पर कई करह के सवाल खड़े कर रहे हैं। विपक्ष ने सवाल दागे है कि किसे बचाने की कोशिश हो रही है। वहीं इस एनकाउंटर को लेकर पहले से ही संदेह था और इस अधिकारी सवाल पहले ही उठा चुके हैं। इसका सबूत आईपीएस अमिताभ ठाकुर का ट्वीट है जो काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
आईपीएस अमिताभ ठाकुर एक दिन पहले ही बताया था कि विकास दुबे गिरफ्तार हो चुका है और अब वह कैसे मारा जाएगा। आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने गुरुवार को लिखा था, “विकास दुबे का सरेंडर हो गया। हो सकता है कल वह यूपी पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करे, मारा जाए। इस तरह विकास दुबे चैप्टर क्लोज हो जायेगा, लेकिन मेरी निगाह में असल जरूरत इस कांड से सामने आई यूपी पुलिस के अंदर की गंदगी को ईमानदारी से देखते हुए उसपर निष्पक्ष/कठोर कार्यवाही करना है।”
अधिकारी अमिताभ ठाकुर का यह ट्वीट अब सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है और इस ट्वीट को कई लोग रीट्वीट कर रहे हैं। साथ ही यूपी पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं।
वहीं अमिताभ ठाकुर ने आज विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद एक और ट्वीट कर पुलिस से सवाल किया है कि इतनी जल्दबाजी क्या थी? उन्होंने आज ट्वीट कर कहा, “इतनी क्या हड़बड़ी थी? किसे बचाया जा रहा है?”
गौरतलब है कि कानपुर जिला मुख्यालय से करीब 38 किमी दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू में बीते शुक्रवार (2-3 जुलाई की रात) को विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस टीम पहुंची थी। इस दौरान कुख्यात विकास और उसके साथियों ने हमला कर दिया था, जिसमें सीओ, एसओ सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।(navjiwan)
नई दिल्ली, 10 जुलाई ।चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी वनप्लस के लेटेस्ट फ्लैगशिप फोन में कंपनी ने खास कैमरा सेंसर दिया था, जिसकी मदद से कुछ प्लास्टिक की चीजों और कपड़ों के आरपार देखा जा सकता था। कंपनी की ओर से 'X-ray Vision' कैमरा सेंसर क्यों दिया गया इस बारे में तो पता नहीं लेकिन अब इसे पूरी तरह बैन कर दिया गया है। वनप्लस ने OnePlus 8 Pro में इन्फ्रारेड फोटोक्रोम लेंस दिया था और यह कुछ खास तरह के प्लास्टिक और कपड़ों के आरपास देख सकता था।
कंपनी ने इससे पहले भी इस सेंसर को डिसेबल किया था लेकिन अब The Sun की ओर से कन्फर्म किया गया है कि यह कैमरा सेंसर परमानेंटली डिसेबल हो चुका है। यह फिल्टर इन्फ्रारेड की मदद से फोटोज को यूनीक कलर देता था लेकिन फोन के रिव्यू यूनिट्स में इसका खास फंक्शन सामने आया। कई इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ों के आरपार देखने वाले इस कैमरा को लेकर कई यूजर्स ने प्रिवेसी को लेकर चिंता जाहिर की। इसके बाद वनप्लस की ओर से अपडेट देकर इसे डिसेबल कर दिया गया।(navbharat)
-अमरीक
अकाली-बीजेपी गठबंधन में आए दिन दरार गहरा रही है। पंजाब बीजेपी अब इस ओर बढ़ रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव बादलों की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर लड़ा जाए। राज्य बीजेपी की प्रदेश प्रभारी प्रभात झा की मौजूदगी और प्रदेशाध्यक्ष अश्विनी शर्मा की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में पार्टी पदाधिकारियों ने 2022 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की मांग पर खासा जोर दिया।
बीते एक साल के भीतर यह तीसरी बार है कि पंजाब बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने शिरोमणि अकाली दल से 'पीछा' छुड़ाकर चुनाव लड़ने की बात कही है। अश्विनी शर्मा के अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के मौके पर भी पुरजोर ऐसी मांग उठी थी।
चंडीगढ़ में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में बीजेपी नेताओं ने अकाली दल के एक और विभाजन पर भी गहन विचार-विमर्श किया। इसके मायने भी गंभीर हैं। चंडीगढ़ स्थित पंजाब बीजेपी मुख्यालय में हुई इस विशेष बैठक में पार्टी के 37 पदाधिकारी शामिल थे। इनमें अधिकांश पूर्व मंत्री और विधायक हैं। बैठक का उद्देश्य पंजाब में भारतीय जनता पार्टी की मैदानी मजबूती और पार्टी प्रभारी (प्रभात झा) का स्थानीय नेताओं से सीधा संवाद था।
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक बैठक में शामिल लगभग तमाम पदाधिकारियों ने प्रभात झा और अश्विनी शर्मा के आगे इस बात पर जोर दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव बादलों के शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर न लड़ा जाए। प्रभात झा से कहा गया कि वह पंजाब बीजेपी की इस अनिच्छा से आलाकमान को अवगत करवा दें। अगर अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ना ही है तो पूर्व मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता मदन मोहन मित्तल के इस फार्मूले के तहत लड़ा जाए कि अब अकाली बीजेपी को अपना बड़ा भाई मानते हुए 59 सीटें दें।
गौरतलब है कि मित्तल ने अश्विनी शर्मा की ताजपोशी पर दो टूक कहा था कि अगर शिरोमणि अकाली दल बीजेपी के साथ गठबंधन कायम रखना चाहता है तो उसे आधी-आधी सीटों के फार्मूले पर चलना होगा। मित्तल ने यह भी कहा था (और अब भी कह रहे हैं) कि बीजेपी 59 सीटों पर और शिरोमणि अकाली दल 58 सीटों पर चुनाव लड़े। राज्य बीजेपी के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता मदन मोहन मित्तल से पूरी तरह सहमत हैं, लेकिन अकाली दल इस फार्मूले पर खामोशी अख्तियार किए हुए है। जाहिर है यह फार्मूला उसे कतई मंजूर नहीं।
चंडीगढ़ में पंजाब बीजेपी की यह बैठक घंटों चली। बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने 'नवजीवन' को जानकारी दी कि पदाधिकारियों ने प्रभात झा से बार-बार कहा कि गठबंधन के बारे में अभी से फैसला ले लेना चाहिए या फिर सीटों के बंटवारे पर सहमति बना लेनी चाहिए। ऐन चुनावों पर होने वाली हलचल कार्यकर्ताओं को उलझन में डालती है और शिरोमणि अकाली दल चालाकी के साथ बीजेपी को दबा लेता है।
प्रभात झा और प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सबकी सुनने के बाद अंत में कहा कि बैठक में मौजूद तमाम नेता पार्टी की रीढ़ हैं और उनके विचारों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार खुद अश्विनी शर्मा इस पक्ष में हैं कि प्रकाश सिंह बादल की सरपरस्ती और सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता वाले शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन तोड़ लेना चाहिए।
बैठक में शामिल एक अन्य नेता ने बताया कि यह बात भी कई नेताओं ने उठाई कि शिरोमणि अकाली दल की इन दिनों की कारगुजारियां गठबंधन धर्म के खिलाफ हैं। महज कहने-सुनने को ही गठबंधन बचा है। एक प्रमुख नेता ने तो यहां तक कहा कि अब यह मजाक लगता है, जब कहा जाता है कि बीजेपी और अकाली दल में नाखून-मांस का रिश्ता है।
यहां गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल के संस्थापकों में से एक पंजाब के दिग्गज पंथक नेता और सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा द्वारा नया अकाली दल गठित करने पर भी बीजेपी की पैनी नजर रख रही है। चंडीगढ़ में हुई विशेष बैठक में प्रभात झा ने ढींडसा के शिरोमणि अकाली दल की बाबत बीजेपी के जिला प्रमुखों से फीडबैक ली। हालांकि यह मामला बैठक के एजेंडे में नहीं था।
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक एक-एक जिला प्रधान से पूछा गया कि उनके जिले से कितने प्रभावी अकाली नेता ढींडसा के साथ गए हैं। इसका मतलब शीशे की मानिंद साफ है कि बीजेपी सुखदेव सिंह ढींडसा के (नए) अकाली दल के पर तोल रही है। 'नवजीवन' यह विश्लेषण पहले ही दे चुका है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल गठबंधन टूट सकता है और सुखदेव सिंह ढींडसा, बादलों का विकल्प बनते हुए पंजाब में बीजेपी के नए साथी हो सकते हैं।(navjiwan)
मुजफ्फरनगर (यूपी), 10 जुलाई। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में गौड़ीय मठ से 10 बच्चों को मुक्त कराया गया था। इन बच्चों ने मठ के प्रबंधक भक्ति भूषण गोविंद महाराज पर यौन उत्पीडऩ, अमानवीय व्यवहार करने और जबरन मजदूरी करने के आरोप लगाए हैं। जिला बाल कल्याण समिति ने इस मामले की जांच के लिए गुरुवार को जांच शुरू की।
अमर उजाला की खबर के अनुसार, मुक्त कराए बच्चों की मेडिकल जांच में चार बच्चों का यौन शोषण किए जाने की पुष्टि हुई है।
आश्रम के मालिक भक्ति भूषण गोविंद महाराज के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने बताया कि यह गंभीर मामला है। बच्चों के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराकर चिकित्सीय परीक्षण कराया गया है। इस संबंध में आरोपी मठ संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
मालूम हो कि चाइल्ड लाइन के नंबर पर मठ में बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार होने की शिकायत मिलने पर सात जुलाई को पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम ने इन दस बच्चों को मुक्त कराया था।
टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गौडिय़ा मठ आश्रम से मुक्त कराए गए इन बच्चों की उम्र सात से 16 साल के बीच है और ये त्रिपुरा, मिजोरम और असम के हैं।
चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों के मुताबिक, इन बच्चों को शिक्षा प्रदान कराने के उद्देश्य से आश्रम लाया गया था लेकिन उन्हें आश्रम परिसर में उन्हें बर्तन साफ करने, गोबर उठाने, झाडू़ लगाने, खाने पकाने और जानवरों की देखरेख करने जैसे काम में लगा दिया।
मुजफ्फरनगर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कमलेश वर्मा ने बताया कि इन बच्चों ने आश्रम के प्रबंधक पर यौन उत्पीडऩ करने के आरोप लगाए थे।
वर्मा ने गुरुवार को कहा था कि इस संबंध में जल्द ही एक रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जाएगी।
सात बच्चों ने भक्ति भूषण गोविंद महाराज पर शराब पिलाकर अश्लील वीडियो दिखाकर यौन शोषण करने के आरोप लगाए हैं। बात न मानने पर भूखा रखने और पिटाई करने के भी आरोप लगाए गए है। चार बच्चों ने चोटों के निशान भी दिखाए।
वहीं, आश्रम के मालिक का कहना है कि यह आरोप गलत हैं और स्थानीय लोगों का उनके खिलाफ षडयंत्र का हिस्सा है क्योंकि स्थानीय लोग इस बात से गुस्से में था कि जमीन का एक बड़ा भाग आश्रम को दान में दिया गया था।
उन्होंने कहा, ‘आश्रम परिसर में सीसीटीव कैमरे लगे हैं, जिनकी जांच की जा सकती है। ये बच्चे यहां लंबे समय से रह रहे थे, अब स्थानीय लोगों ने इन बच्चों को ये सब कहने के लिए कहा है क्योंकि जमीन का एक हिस्सा आश्रम को दान में मिलने के बाद कुछ लोग गुस्से में थे और हम लोगों के लिए परेशानी खड़ा कर रहे हैं।’ (thewirehindi.com)
मुजफ्फरनगर (यूपी), 10 जुलाई। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में गौड़ीय मठ से 10 बच्चों को मुक्त कराया गया था। इन बच्चों ने मठ के प्रबंधक भक्ति भूषण गोविंद महाराज पर यौन उत्पीडऩ, अमानवीय व्यवहार करने और जबरन मजदूरी करने के आरोप लगाए हैं। जिला बाल कल्याण समिति ने इस मामले की जांच के लिए गुरुवार को जांच शुरू की।
अमर उजाला की खबर के अनुसार, मुक्त कराए बच्चों की मेडिकल जांच में चार बच्चों का यौन शोषण किए जाने की पुष्टि हुई है।
आश्रम के मालिक भक्ति भूषण गोविंद महाराज के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने बताया कि यह गंभीर मामला है। बच्चों के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराकर चिकित्सीय परीक्षण कराया गया है। इस संबंध में आरोपी मठ संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
मालूम हो कि चाइल्ड लाइन के नंबर पर मठ में बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार होने की शिकायत मिलने पर सात जुलाई को पुलिस और चाइल्ड लाइन की टीम ने इन दस बच्चों को मुक्त कराया था।
टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गौडिय़ा मठ आश्रम से मुक्त कराए गए इन बच्चों की उम्र सात से 16 साल के बीच है और ये त्रिपुरा, मिजोरम और असम के हैं।
चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों के मुताबिक, इन बच्चों को शिक्षा प्रदान कराने के उद्देश्य से आश्रम लाया गया था लेकिन उन्हें आश्रम परिसर में उन्हें बर्तन साफ करने, गोबर उठाने, झाडू़ लगाने, खाने पकाने और जानवरों की देखरेख करने जैसे काम में लगा दिया।
मुजफ्फरनगर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कमलेश वर्मा ने बताया कि इन बच्चों ने आश्रम के प्रबंधक पर यौन उत्पीडऩ करने के आरोप लगाए थे।
वर्मा ने गुरुवार को कहा था कि इस संबंध में जल्द ही एक रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जाएगी।
सात बच्चों ने भक्ति भूषण गोविंद महाराज पर शराब पिलाकर अश्लील वीडियो दिखाकर यौन शोषण करने के आरोप लगाए हैं। बात न मानने पर भूखा रखने और पिटाई करने के भी आरोप लगाए गए है। चार बच्चों ने चोटों के निशान भी दिखाए।
वहीं, आश्रम के मालिक का कहना है कि यह आरोप गलत हैं और स्थानीय लोगों का उनके खिलाफ षडयंत्र का हिस्सा है क्योंकि स्थानीय लोग इस बात से गुस्से में था कि जमीन का एक बड़ा भाग आश्रम को दान में दिया गया था।
उन्होंने कहा, ‘आश्रम परिसर में सीसीटीव कैमरे लगे हैं, जिनकी जांच की जा सकती है। ये बच्चे यहां लंबे समय से रह रहे थे, अब स्थानीय लोगों ने इन बच्चों को ये सब कहने के लिए कहा है क्योंकि जमीन का एक हिस्सा आश्रम को दान में मिलने के बाद कुछ लोग गुस्से में थे और हम लोगों के लिए परेशानी खड़ा कर रहे हैं।’ (thewirehindi.com)
अब तक कुल 7,93,802 संक्रमित, 21,604 मौतें
नई दिल्ली, 10 जुलाई । देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के पिछले 24 घंटों में 26,506 मामले सामने आये हैं जो अब तक एक दिन में सर्वाधिक हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 26,506 नये मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की संख्या 7,93,802 हो गयी है। इससे एक दिन पहले सर्वाधिक 24,879 मामले सामने आये थे।
संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है तथा इस दौरान 19,135 रोगी स्वस्थ हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 4,95,513 लोग रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 2,76,685 सक्रिय मामले हैं। देश में पिछले 24 घंटों के दौरान 475 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 21,604 हो गई है।
कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में संंक्रमण के 6,875 मामले दर्ज किये गये जिससे संक्रमितों का आंकड़ा 2,30,599 पर पहुंच गया है तथा 219 लोगों की मौत हुई है जिसके कारण मृतकों की संख्या बढक़र 9,667 हो गयी है। राज्य में 1,27,259 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचे तमिलनाडु में संक्रमितों की संख्या सवा लाख के पार हो गयी है। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के मामले 4,231 बढक़र 1,26581 पर पहुंच गये हैं और इसी अवधि में 65 लोगों की मौत से मृतकों की संख्या 1765 हो गयी है। राज्य में 78,161 लोगों को उपचार के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी की स्थिति अब कुछ नियंत्रण में है और यहां संक्रमण के मामलों में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। राजधानी में अब तक 1,07,051 लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तथा इसके कारण मरने वालों की संख्या 3,258 हो गयी है। यहां 82,226 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
देश का पश्चिमी राज्य गुजरात कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या मामले में चौथे स्थान पर है, लेकिन मृतकों की संख्या के मामले में यह महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है। गुजरात में अब तक 39,194 लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 2,008 लोगों की मौत हुई है। राज्य में 27,718 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं।आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के अब तक 32,362 मामले सामने आए हैं तथा इस वायरस से 862 लोगों की मौत हुई है जबकि 21,127 मरीज ठीक हुए हैं।
दक्षिण भारतीय राज्यों में कर्नाटक और तेलंगाना में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। कर्नाटक में 31,105 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 486 लोगों की इससे मौत हुई है। राज्य में 12,833 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। तेलंगाना में संक्रमितों की संख्या 30,946 हो गयी है और 331 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 18,192 लोग अब तक इस महामारी से ठीक हो चुके है।
पश्चिम बंगाल में 25,911 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 854 लोगों की मौत हुई है और अब तक 16,826 लोग स्वस्थ हुए हैं। आंध्र प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में तेज वृद्धि के कारण यह सूची में राजस्थान से ऊपर आ गया है। राज्य में 23,814 लोग संक्रमित हुए हैं तथा मरने वालों की संख्या 277 हो गयी है। राजस्थान में भी कोरोना का प्रकोप जोरों पर है और यहां संक्रमितों की संख्या 22,563 हो गयी है और अब तक 491 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 17,070 लोग पूरी तरह ठीक हुए है। हरियाणा में 19,369 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं तथा 287 लोगों की मौत हुई है।
इस महामारी से मध्य प्रदेश में 634, पंजाब में 183, जम्मू-कश्मीर में 154, बिहार में 115, ओडिशा में 52, उत्तराखंड में 46, केरल में 27, झारखंड में 23, असम में 22, छत्तीसगढ़ में 15, पुड्डुचेरी में 14, हिमाचल प्रदेश में 11, गोवा में नौ, चंडीगढ़ में सात, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में दो तथा त्रिपुरा और लद्दाख में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।(वार्ता)
नई दिल्ली, 10 जुलाई । कोरोना वायरस से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में अब तक 357180 लोग संक्रमित हुए हैं, जो देश में अब तक इस जानलेवा विषाणु की चपेट में आई कुल आबादी का 58.51 प्रतिशत है।
कोविड-19 से जहां महाराष्ट्र में 230599 लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं तमिलनाडु में अब तक 126581 लोग इस महामारी की चपेट में आए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 26506 नए मामले सामने आए हैं जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढक़र 7,97802 हो गई है। देश में अब तक इस महामारी से 21,604 लोगों की मौत हुई है तथा 4,95513 लोग स्वस्थ हुए हैं। देश में इस समय कोरोना वायरस के 2,76685 सक्रिय मामले हैं।(वार्ता)
रीवा, 10 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज मध्यप्रदेश के रीवा जिले में स्थित विश्व की बड़ी सौर परियोजनाओं में शामिल रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित की।
परियोजना से उत्पादित 24 प्रतिशत बिजली दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना को दी जा रही है। शेष 76 प्रतिशत बिजली का उपयोग मध्यप्रदेश में होगा।
श्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से साढ़े सात सौ मेगावाट की क्षमता वाली इस परियोजना का लोकार्पण किया। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल लखनऊ से और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल से शामिल हुए। लोकार्पण कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा आर.के. सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और थावरचंद गेहलोत भी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 22 दिसम्बर 2017 को इस परियोजना का शिलान्यास किया था। इस परियोजना को लगभग ढाई साल के रिकार्ड समय में पूरा किया गया। परियोजना से सस्ती बिजली का उत्पादन हो रहा है। इस परियोजना को विश्व बैंक का ऋण राज्य शासन की गारंटी के बिना क्लीन टेक्नालॉजी फण्ड के अंतर्गत सस्ती दरों पर दिया गया है। यह परियोजना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योकि इसमें प्रति यूनिट की क्रय दर 2 रूपये 97 पैसे है, जो अब तक की न्यूनतम दर है।
सौर परियोजना को पर्यावरण की दृष्टि से देखे तो रीवा सौर परियोजना से प्रतिवर्ष 15.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के उर्त्सजन को रोका जा रहा है जो 2 करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है।
रीवा जिले के गुढ़ में स्थापित वृहद सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित है। यह दुनिया के सबसे बड़े सिंगल साइड सौर संयंत्रों में से एक है। इस सौर ऊर्जा प्लांट में कुल तीन इकाइयां शामिल हैं। प्रत्येक इकाई में 250 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। परियोजना से उत्पादित विद्युत का 76 प्रतिशत अंश प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कम्पनी और 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को प्रदान किया जा रहा है। (वार्ता)
नई दिल्ली 9 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि संवैधानिक मूल्य बहुसंख्यकों के विचार के अनुसार नहीं होते हैं.
लाइव लॉ द्वारा आयोजित एक वेबिनार में उन्होंने कहा, ‘जजों की नियुक्ति संविधान की मर्यादा बनाए रखने के लिए होती है. हम कई बार फेल हो जाते हैं क्योंकि संवैधानिक रूप से निष्पक्ष होने के बजाय हम व्यक्तिपरक संवैधानिक होते हैं.’
जस्टिस जोसेफ ‘कोर्ट एवं संवैधानिक मूल्य’ विषय पर बोल रहे थे. वेबिनार में जस्टिस कुरियन जोसेफ के अलावा सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा और दिनेश द्विवेदी भी मौजूद थे.
ये पूछे जाने पर कि संवैधानिक मूल्य क्या हैं और क्या सुप्रीम कोर्ट ने इन मूल्यों को समान रूप से लागू किया है, इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि ‘संवैधानिक नैतिकता’ शब्द का इस्तेमाल पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने नहीं किया था, बल्कि डॉ. बीआर आंबेडकर ने इस शब्द का इस्तेमाल किया था.
उन्हें कहा कि पिछले कुछ सालों में दिए गए फैसलों के कारण ये शब्द चलन में रहा है जैसे कि पुट्टास्वामी मामला और सबरीमाला मामला.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पवित्र मूल्यों को कौन सुरक्षित करता है? यह संरक्षक का कर्तव्य है और हमारा संरक्षक सर्वोच्च न्यायालय है. हमारा भी कर्तव्य है और हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान का पालन करें.’
जस्टिस जोसेफ ने भारत में प्रैक्टिस किए जाने वाले धर्मनिरपेक्षता की विशेषता के बारे में बताया.
उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता को लेकर क्या विशेषता है? भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसका कोई धर्म नहीं है लेकिन ये सभी धर्मों को स्वीकार करता है. ये हमारी धर्मनिरपेक्षता की खूबसूरती है. हम अपने धर्म का पालन कर सकते हैं और उसका प्रचार-प्रसार कर सकते हैं. धार्मिक सहिष्णुता और स्वीकार्यता भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है.’
ये पूछे जाने पर कि क्या भारत ने अपने मूल संवैधानिक मूल्यों को महसूस किया है, जस्टिस जोसेफ ने कहा कि जजों को आत्मअवलोकन करने की जरूरत है जिन्हें देश के नागरिकों को बचाने और उनके हितों के लिए काम करने की जिम्मेदारी दी गई है.
उन्होंने कहा, ‘कोर्ट हमेशा बहुसंख्यकों के खिलाफ होती है क्योंकि इसका पहला काम संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखना है. एक जज की नियुक्ति संवैधानिक मूल्यों के प्रति सच्चा रहने के लिए होती है. उन्हें निष्पक्ष होना चाहिए और इस तरह के बहुसंख्यक को जवाब देने की स्थिति में आएंगे.’
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि संवैधानिक मूल्य और बहुसंख्यक विचार हमेशा एक समान नहीं होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘समाजिक मूल्य संवैधानिक मूल्यों से अलग होते हैं. सामाजिक मूल्य बहुसंख्यकों के विचार पर आधारित हो सकता है लेकिन न्यायालयों को इस बहाव में नहीं बहना होता है क्योंकि उनकी जिम्मेदारी संविधान को बरकरार रखने की है. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सिर्फ भारत के संविधान को मानने की शपथ लेते हैं, उन्हें इसे बरकरार नहीं रखना होता है. कोर्ट को जरूर इसे बरकार रखना चाहिए और इसमें सच्ची श्रद्धा और निष्ठा होनी चाहिए.’
जस्टिस जोसेफ ने न्यायालयों में बहुसंख्यकों के विचारों का जवाब देने वाले लोगों के होने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘जिस पल आप बहुसंख्यक के विचारों के खिलाफ अपनी राय देते हैं, आपकों शोर मचाने वाला व्यक्ति करार दे दिया जाता है. हमें ऐसे जजों की जरूरत है जो कि संवैधानिक आवाज उठा सके.’
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि संवैधानिक संस्थानों की विश्वसनीयता कम हो गई है क्योंकि यहां पदों पर बैठे लोगों के पास संविधान को बरकरार रखने की हिम्मत नहीं है.(thewire)
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पाकिस्तान की राजधानी में एक कृष्ण मंदिर के निर्माण के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं को प्रभावहीन बताते हुए ख़ारिज कर दिया है.
इन याचिकाओं पर फ़ैसला सुनाते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस आमिर फ़ारूक़ ने कहा कि 'राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) के अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्यों के पास राजधानी के भीतर किसी भी धार्मिक स्थल को ज़मीन देने की शक्तियाँ हैं और मंदिर के लिए ज़मीन राजधानी के मास्टर प्लान के अनुसार दी गई है, इसलिए अदालत याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाये गए बिंदुओं को ख़ारिज करती है.'
फ़ैसला पढ़ते हुए, जस्टिस आमिर फ़ारूक़ ने कहा कि 'इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उन्हें बतलाया गया कि इस्लामाबाद और रावलपिंडी में तीन हिन्दू मंदिर हैं जो इन दो शहरों में रहने वाली हिन्दू आबादी की ज़रूरतों के लिए पर्याप्त हैं.'
उन्होंने बताया कि कोर्ट में यह दलील भी दी गई कि महामारी के दौरान जब देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही सिकुड़ रही है, तब कृष्ण मंदिर के निर्माण के लिए करोड़ों रुपये ख़र्च करना राष्ट्रीय ख़ज़ाने को बर्बाद करने के समान है.
अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि 'मंदिर निर्माण के लिए अभी तक कोई धनराशि जारी नहीं की गई है और सरकार ने पहले ही इस विषय पर इस्लामिक वैचारिक परिषद से सुझाव लेने की बात कही है.'
पाकिस्तान के कुछ मौलवियों द्वारा यह दलील दी गई थी कि 'उनके यहाँ की इस्लामिक सरकार धार्मिक नज़रिये से किसी मंदिर के निर्माण के लिए फंड नहीं दे सकती.'
मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ थीं तीन याचिकाएं
अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि 'पाकिस्तान के संविधान में दिये अनुच्छेद-20 के तहत, देश में रहने वाले सभी अल्पसंख्यकों को स्वतंत्र रूप से अपने धार्मिक संस्कार करने का अधिकार है.'
अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा है कि 'मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ दायर हुई इन याचिकाओं में उठाये गए बिन्दुओं के मद्देनज़र, अदालत मानती है कि वो इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, इसलिए इनका निपटारा किया जाता है. हालांकि, अगर भविष्य में याचिकाकर्ताओं को लगता है कि उनके अधिकारों का किसी भी तरह से उल्लंघन हुआ है तो वे फिर से अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं.'
ग़ौरतलब है कि इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थीं और यह मुद्दा बनाया गया था कि मंदिर का निर्माण इस्लामाबाद के मास्टर प्लान में शामिल नहीं था.
पाकिस्तान में मानवाधिकारों के संसदीय सचिव और इमरान ख़ान की सत्ताधारी तहरीक़-ए-इंसाफ़ पार्टी (पीटीआई) के सदस्य लाल चंद मल्ही ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "रिपोर्टों से पता चलता है कि मंदिर के निर्माण के ख़िलाफ़ दायर हुईं याचिकाएं ख़ारिज कर दी गई हैं और इस्लामाबाद हिन्दू पंचायत को निर्माण से पहले क़ागज़ी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहा गया है. हिन्दू समुदाय अदालत के फ़ैसले का स्वागत करता है और ईमानदारी से इसका पालन करने की कसम खाता है."
विवाद शुरू कैसे हुआ?
पिछले सप्ताह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर के निर्माण पर विवाद ने तब एक नया मोड़ ले लिया था, जब इसकी चारदीवारी के निर्माण का काम रोका गया.
कई दिनों से सोशल मीडिया पर अटकलें लगाई जा रही थीं कि धार्मिक भेदभाव की वजह से मंदिर के निर्माण का काम रोका गया है, लेकिन सीडीए ने ऐसी तमाम अटकलों का खंडन किया है.
बीबीसी से बात करते हुए सीडीए के प्रवक्ता मज़हर हुसैन ने कहा कि 'मंदिर का निर्माण कार्य बिल्डिंग प्लान (नक्शा) जमा ना कराये जाने के कारण रोका गया है. सीडीए को अब तक नक्शा नहीं मिला है. इसलिए ये कहना सही होगा कि मंदिर निर्माण का काम स्थगित कर दिया गया है.'
उन्होंने कहा कि मंदिर भवन का प्लान मिलने पर निर्माण की इजाज़त दे दी जाएगी.
बीबीसी से बात करते हुए, सीडीए के अध्यक्ष आमिर अहमद अली ने कहा कि 'इस्लामाबाद के सेक्टर-एच 9 में मंदिर के लिए भूमि का आवंटन करने पर कोई विवाद नहीं था. कुछ साल पहले भूमि हिन्दू समुदाय को सौंप दी गई थी. हालांकि, निर्माण कार्य के लिए आगे बढ़ने से पहले समुदाय द्वारा बिल्डिंग प्लान के लिए मंज़ूरी लेना ज़रूरी था.'
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स को बेबुनियाद बताते हुए, सीडीए के अध्यक्ष ने कहा कि 'मंदिर का निर्माण कार्य रोका नहीं गया था, बल्कि उसे निलंबित कर दिया गया है. सीडीए स्टाफ़ निर्माण की अनुमति देने से पहले भूमि पर सीमांकन की समीक्षा करेगा.'
लाल चंद मल्ही का कहना है कि 'इस्लामाबाद हिन्दू पंचायत फ़िलहाल आवंटित भूमि पर सिर्फ़ अपनी एक दीवार खड़ी करना चाहती थी. मई के महीने में इस संबंध में सीडीए को एक अनुरोध पत्र भेजा गया था, लेकिन संबंधित अधिकारियों से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.'
लाल चंद के अनुसार, परियोजना से संबंधित सभी दस्तावेज़ धार्मिक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रस्तुत किए गए हैं.
राजनीतिक और धार्मिक दलों का विरोध
पाकिस्तान में लगभग 8,00,000 हिन्दू हैं. अधिकांश हिन्दू परिवार सिंध प्रांत में रहते हैं, जबकि राजधानी इस्लामाबाद में रहने वाले हिंदुओं की संख्या लगभग 3,000 है.
जब से पाकिस्तान की केंद्र सरकार ने इस मंदिर परियोजना के लिए ज़मीन दी है, तभी से धार्मिक हलकों में इसका विरोध हो रहा है.
लाहौर के जामिया अशरफ़िया के मुफ़्ती मोहम्मद ज़कारिया ने मंदिर के निर्माण पर फ़तवा जारी करते हुए कहा कि 'इस्लाम के अनुसार अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थलों को बनाए रखना और उन्हें बहाल करना जायज़ है, लेकिन नए मंदिर नहीं बनाये जा सकते हैं.'
सोशल मीडिया पर भी मंदिर के निर्माण का विरोध करने वाले अधिकांश लोग यह तर्क दे रहे हैं कि हिंदू मंदिर के निर्माण का पैसा सरकारी ख़ज़ाने से नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह एक इस्लामिक देश है और इस्लामाबाद में हिन्दुओं की संख्या भी बहुत कम है.
दूसरी ओर, धार्मिक मामलों के संघीय मंत्री नूरुल-हक़ क़ादरी ने भी मंदिर के निर्माण के संबंध में एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 'इस परियोजना के लिए इस्लामिक वैचारिक परिषद की सिफ़ारिशों के अनुसार ही धन आवंटित किया जाएगा.'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 27 जून को अल्पसंख्यक प्रतिनिधिमंडल के साथ अपनी बैठक में मंदिर परियोजना के पहले चरण के लिए 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आवंटन को मंज़ूरी देने पर सहमति व्यक्त की.
इस मंदिर परियोजना का राजनीतिक विरोध भी हुआ है. इमरान ख़ान की सरकार के गठबंधन सहयोगियों में से एक और पंजाब विधानसभा के स्पीकर चौधरी परवेज़ इलाही ने मंदिर के निर्माण का विरोध करते हुए कहा कि 'नए मंदिरों का निर्माण करना इस्लाम की भावना के ख़िलाफ़ है.'
हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को हिन्दू समुदाय की सुविधा और उनकी श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए मौजूदा मंदिरों को बहाल करना चाहिए और उनकी मरम्मत करवानी चाहिए.
कुछ राजनेता और सोशल मीडिया यूज़र नए मंदिर के निर्माण के विचार का समर्थन भी कर रहे हैं. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फ़वाद चौधरी ने एक ट्वीट में लिखा है कि "यह अल्पसंख्यकों के प्रति सहिष्णुता और सद्भावना का प्रतीक होगा."
इस बीच लाल चंद ने आरोप लगाया कि मंदिर के निर्माण स्थल पर तोड़फोड़ की गई है.
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उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, "स्थानीय प्रशासन द्वारा मिले आश्वासन के बावजूद कि वहाँ पुलिस की तैनाती की जाएगी, कोई कार्यवाही नहीं हुई. इस वजह से कुछ अज्ञात आरोपियों ने सुरक्षा गार्डों पर काबू पा लिया और कल रात लगभग एक टन लोहा निकाल ले गये."
लेकिन पुलिस ने इन दावों को ख़ारिज कर दिया है. पुलिस का कहना है कि ठेकेदार ने परियोजना की क़ानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं होने तक निर्माण सामग्री को साइट से हटा लिया है.(bbc)
दिल्ली, 9 जुलाई। नॉर्थ एमसीडी के हिंदू राव और कस्तूरबा अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स को वेतन न मिलने की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब वकील अदालत में आकर कहते हैं कि उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान पैसा चाहिए तो डॉक्टर, जो कोरोना योद्धा हैं, उन्हें भी तो वेतन चाहिए.
नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदू राव अस्पताल और कस्तूरबा अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स को वेतन न मिलने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाये रखा.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जैन की पीठ ने कहा, ‘हम डॉक्टर्स को कोरोना वॉरियर कह रहे हैं, क्या हम उन्हें वेतन नहीं दे सकते हैं?’
अदालत कुछ खबरों पर आधारित एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने इस्तीफे की धमकी दी है क्योंकि उन्हें इस साल मार्च महीने से वेतन नहीं मिला है.
खबरों में यह भी कहा गया कि हाल ही में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने मार्च, अप्रैल और मई महीनों के वेतन नहीं मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह रेजीडेंट डॉक्टरों समेत कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर पा रहा क्योंकि दिल्ली सरकार ने इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही का पूरा धन जारी नहीं किया है.
इस पर पीठ ने कहा कि सभी वेतनभोगी लोग गरीब होते हैं. निगम ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार पर वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में निगम का 162 करोड़ रुपये बकाया है और उसमें से केवल 27 करोड़ जारी करने की अनुमति दी गयी है जो भी अभी आए नहीं हैं.
इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि सात जुलाई को दाखिल उसकी रिपोर्ट में अनेक विभागों द्वारा निगम को जारी राशि का उल्लेख किया गया है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने सारी बकाया राशि को मंजूरी दे दी है. पीठ ने दिल्ली सरकार को निगम की दलीलों पर जवाब देने को कहा है और अगली सुनवाई की तारीख 29 जुलाई तय की है.
अदालत ने कहा कि जब वकील अदालत में आकर कहते हैं कि उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान पैसा चाहिए तो डॉक्टर, जो कोरोना योद्धा हैं, उन्हें भी तो वेतन चाहिए.
पीठ ने यह भी साफ किया कि वह केवल निगम द्वारा संचालित अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों के वेतन बकाया के मामलों पर विचार कर रही है न कि सभी डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के.(thewire)
कानपुर, 9 जुलाई । कानपुर मुठभेड़ के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की मध्य प्रदेश में गिरफ्तारी पर जहां बीजेपी नेता इसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं वहीं विपक्षी नेताओं ने इसपर सवाल उठाए हुए हैं।
अखिलेश यादव ने एक ट्वीट कर लिखा -खबर आ रही है कि कानपुर-काण्ड का मुख्य अपराधी पुलिस की हिरासत में है। अगर ये सच है तो सरकार साफ करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ्तारी। साथ ही उसके मोबाइल की सीडीआर सार्वजनिक करे जिससे सच्ची मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, कानपुर के जघन्य हत्याकांड में यूपी सरकार को जिस मुस्तैदी से काम करना चाहिए था, वह पूरी तरह फेल साबित हुई। अलर्ट के बावजूद आरोपी का उज्जैन तक पहुंचना, न सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कई ट्वीट किए। दिग्विजय ने लिखा, मैं शिवराज से विकास दुबे की गिरफ्तारी या सरेंडर की न्यायिक जॉंच की मांग करता हूं। इस कुख्यात गैंगस्टर के किस किस नेता और पुलिसकर्मियों से सम्पर्क हैं जॉंच होनी चाहिए। विकास दुबे को न्यायिक हिरासत में रखते हुए इसकी पुख़्ता सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए ताकि सारे राज सामने आ सकें।
दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में ये भी कहा कि यूपी चुनावों में नरोत्तम मिश्रा कानपुरी बीजेपी इंचार्ज भी थे, क्या कोई घंटी बजी? मिश्रा अभी मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकास दुबे को गिरफ्तार किए जाने के लिए उज्जैन पुलिस को बधाई दी है।
शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया कि जिनको लगता है कि महाकाल की शरण में जाने से उनके पाप धूल जाएंगे। उन्होंने महाकाल को जाना ही नहीं। हमारी सरकार किसी भी अपराधी को बख्श्ने वाली नहीं है।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ये सबसे खूंखार और अधिक इनाम वाला अपराधी था। आठ पुलिस अधिकारियों का हत्यारा आज उज्जैन से गिरफ्तार हुआ है। यूपी पुलिस ने काफी परिश्रम किया। विकास की गैंग के कई बड़े अपराधी मारे भी गए हैं। ये यूपी पुलिस का डर है जिसकी वजह से विकास दुबे को यूपी से बाहर जाकर समर्पण जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। यूपी और एमपी पुलिस को धन्यवाद, बधाई।
कानपुर में आठ पुलिकर्मियों की हत्या के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस विकास दुबे को जल्द ही उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप देगी। इस बारे में उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो चुकी है।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने भी विकास दुबे की गिरफ्तारी की पुष्टि की लेकिन ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने पकडक़र मध्य प्रदेश पुलिस को सौंपा। ये भी कहा जा रहा है कि विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में पहुंचने की सूचना किन्हीं स्रोतों से खुद पुलिस तक पहुंचाई थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस को कानपुर जि़ले में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में बीते 6 दिनों से पुलिस को विकास दुबे की तलाश थी। पुलिस के अनुसार शुक्रवार, 2-3 जुलाई की रात को कानपुर जिले के थाना चौबेपुर में पडऩे वाले बिकरु गांव में यह गोली-कांड हुआ था।(bbc)
नई दिल्ली, 9 जुलाई। सार्वजनिक उपक्रम भारत पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (आईटीडीसी) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली के साथ मिलकर कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति की निगरानी करने, अपने होटलों और कार्यालयों में अतिथियों तथा कर्मचारियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने समझौता-ज्ञापन के विषय में बात करते हुए कहा आईटीडीसी और एम्स के बीच कोविड-19 की लड़ाई लडऩे के लिए समझौता-ज्ञापन, आईटीडीसी द्वारा उठाया गया सराहनीय और प्रशंसनीय कदम है। हमें अपने डर पर जीत हासिल करने और पर्यटन उद्योग, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक है, को पुनर्जीवित करने के लिए हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है। आईटीडीसी का यह कदम, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटकों के विश्वास तथा भरोसे के पुनर्निर्माण में सहायक होगा।
राज्यमंत्री ने कहा इस महामारी का यात्रा और पर्यटन उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। एम्स के साथ समझौता-ज्ञापन इस स्थिति की निगरानी और महामारी से लडऩे के लिए आवश्यक उपाय करने में मदद करेगा। पर्यटन क्षेत्र नौकरियों के सृजन के साथ-साथ भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अत्यधिक योगदान देता है, अत: यह अनिवार्य है कि काम में वापसी के लिए इस क्षेत्र की तैयारी और तत्परता सुनिश्चित की जाए।
समझौता ज्ञापन के अनुसार वर्तमान स्थिति के आधार पर और साथ ही वास्तविक समय के आधार पर, कोविड-19 के संक्रमण के संबंध में सुरक्षा प्रोटोकॉल को तैयार करने और विकसित करने पर इनपुट प्रदान करने के लिए एम्स, आईटीडीसी और/अथवा किसी अन्य संगठन के प्रतिनिधियों का एक सलाहकार बोर्ड बनाया जाएगा। यह घरेलू पर्यटन में विश्वास और भरोसा पैदा करने में मदद करेगा और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों और यात्रियों के लिए राष्ट्र की छवि निर्माण में भी सहायक होगा।
इस तरह के उपाय, भारत सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के पालन के साथ-साथ स्थिति को प्रभावी रूप से संभालने के लिए होटल के फ्रंट कार्यालय, अतिथि संबंध, हाउसकीपिंग, खाद्य व पेय आदि क्षेत्रों के एक हजार से अधिक कर्मचारियों को प्रदान किए गए व्यापक प्रशिक्षण के अतिरिक्त किए गए हैं। (वार्ता)
बरेली, 9 जुलाई । उत्तर प्रदेश के बरेली में फेसबुक प्रोफाइल पर पाकिस्तान का झंडा लगाने वाले रूहेलखंड विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष के खिलाफ बारादरी थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है।
भौतिकी विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो सलीम खान ने सोमवार को अपने फेसबुक अकाउंट पर पाकिस्तानी नक्शा झंडे के साथ लगाया था। मंगलवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी जबकि बुधवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मंत्री नीरू भारद्वाज ने प्रोफेसर पर समुदाय विशेष की भावनाओं को भडक़ाने का आरोप लगाते हुए बारादरी थाने में तहरीर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रोफेसर सलीम ने जानबूझकर लोगों को भडक़ाने का काम किया है।
थाना बारादरी के इंस्पेक्टर शीतांशु शर्मा ने बताया कि खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इस बीच विवादों में घिरे प्रोफेसर को अपना माफीनामा लेकर कुलपति डॉ. अनिल कुमार शुक्ला के पास पहुंचे। उन्होंने लिखित रूप से गलती स्वीकार करते हुए अपना जवाब दिया है।
कुलपति का कहना है कि शिक्षक ने जवाब दे दिया है। एक्जीक्यूटिव काउन्सिल में रख कर आगे का फैसला लिया जाएगा। वहीं प्रोफेसर सलीम खान लगातार सोशल मीडिया पर अपनी गलती मानते हुए माफ करने की गुहार लगा रहे हैं।(वार्ता)
लखनऊ, 9 जुलाई (हिन्दुस्तान)। मोस्ट वांटेंड विकास दुबे गिरफ्तार हो चुका है। उसके पांच साथी अलग-अलग मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। तीन साथी गिरफ्तार है। विकास के दो साथियों का एनकाउंटर आज सुबह ही हुआ। कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने इस पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि जिस तरह से योगी सरकार विकास दुबे के प्रकरण को लेकर चल रही है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार असली कहानी उजागर नहीं करना चाहती।
जितिन प्रसाद ने अमर दुबे के गिरफ्तार परिजनों पर भी सवाल खड़ा किया। अमर दुबे कल उनकाउंटर में मारा गया था और उसकी नौ दिन पहले ही शादी हुई थी। जितिन प्रसाद ने ट्वीट कर लिखा दुबे गैंग के सदस्य के असहाय माता-पिता को एवं 9 दिन पूर्व शादी हुई ख़ुशी दुबे जो विधवा है उसका उत्पीडऩ से क्या होने वाला है ? प्रभाकर मिश्रा जो हिरासत में था उसकी मुठभेड़ दिखाकर एंकाउंटर करना , इस बात को दर्शाता है सरकार असली कहानी को छिपाने में लगी है ताकि बड़े चेहरे बेनकाव न हो जाये।
उत्तरप्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को आज मध्यप्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दुबे को यहां महाकाल पुलिस चौकी क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। मध्यप्रदेश पुलिस ने उसे अपनी गिरफ्त में लेकर सुरक्षा के सख्त प्रबंध किए हैं। कुछ दिनों पहले उत्तरप्रदेश में आठ पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों की हत्या के बाद से वह फरार था और उत्तरप्रदेश पुलिस उसकी जगह जगह तलाश कर रही थी।
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने भी विकास दुबे की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।