कारोबार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुम्हारी, 5 सितंबर। फ्यूचर द यूथ फाउंडेशन ने युवाओं के लिए ऑनलाइन ब्यूटी कॉन्टेस्ट मि. एवं मिस फ्यूचर द यूथ फाउंडेशन मेशअप आईकॉन 2020 का आयोजन किया था, जिसका भव्य समापन ऑनलाइन माध्यम से विजेताओं की घोषणा के साथ हुआ।
फाउंडेशन के अध्यक्ष रघुवीर यादव ने बताया कि वर्तमान कोरोना महामारी की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस प्रतियोगिता के फिनाले का आयोजन जूम ऐप के द्वारा ऑनलाइन किया गया था। यह छत्तीसगढ़ में अपनी तरह की पहली ऑनलाइन प्रतियोगिता थी, जो इतने बड़े स्तर पर की गई थी। ग्रैंड फिनाले में महिला वर्ग में सबको पीछे छोड़ते हुए मिस फ्यूचर द यूथ फाउंडेशन मेशअप आईकॉन 2020 का खिताब स्वाति चंद्राकर तथा पुरुष वर्ग में मि. फ्यूचर द यूथ फाउंडेशन मेशअप आईकॉन 2020 का खिताब आशीष साहू ने जीता। इसके अलावा फस्र्ट रनर अप महिला वर्ग आकृति चंद्राकर, दूसरे के लिए तनिष्का ठाकुर व पुरुष वर्ग में चंद्र शिवम सिंह रहे। बेस्ट कॉन्फिडेंट - मुस्कान घिंनतानी , सबसे बढिय़ा मुस्कान - प्रियंका साहू, दिन का सबसे बढिय़ा उत्तर - तृप्ति खिचारिया, बेस्ट वॉक - शिवाली भोसले, बेस्ट हेयर स्टाइल-वैष्णवी गंगने, शो में बेस्ट आंसर - रितु ठाकुर को भी सम्मानित किया गया।
फिनाले में पहुंचे सभी प्रतियोगियों ने अपने घर से ही दक्षिण भारतीय, मराठी, बंगाली, पंजाबी, छत्तीसगढ़ी, गुजराती पारंपरिक वस्त्रों, साज सज्जा और आभूषणों के साथ अपना प्रदर्शन दिया। ग्रैंड फिनाले में जज के तौर पर शीतल उपाध्याय (मिसेज इंडिया वर्ल्ड वाइड टॉपर), दीपा मेश्राम (अदा मिसेज इंडिया क्लासिक-2020), नम्रता प्रियदर्शनी (मिस इंडिया 2019) उपस्थित रहीं। मुख्य अतिथि के रूप में संस्था के संरक्षक व वरिष्ठ उपाध्यक्ष (प्रकाश इंडस्ट्रीज रायपुर) रवीन्द्र सिंह , मिथलेश यादव (संयोजक), मिस वीना सेंद्रे (मिस इंटरनेशनल क्वीन-2019), फैशन डिजाइनर सौरभ यादव, भाव्या चंद्राकर (राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय क्लासिक कलाकार) ऑनलाइन के माध्यम से मौजूद रहे। कु. आरू साहू ( बाल लोक गायिका व ब्रांड एंबेसडर फ्यूचर द युथ फाउंडेशन ) एवं अनिल सिन्हा (फूफू के गोठ फेम) ने वीडियो कॉन्फें्रसिंग के जरिए विजेताओं की घोषणा की।
फ्यूचर द यूथ फाउंडेशन के संरक्षक रविन्द्र सिंह ने सभी विजेताओं को बधाई दी तथा उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि युवा ही देश का भविष्य हैं, इसलिए जरूरी है कि युवा शक्ति को आगे बढ़ाया जाए। प्रत्येक क्षेत्र में उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए।
संयोजक मिथिलेश यादव ने विजेताओं को बधाई दी एवं सभी के उज्जवल भविष्य की कामना की। संस्था के अध्यक्ष रघुवीर यादव ने भी सभी विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि संस्था के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं में छिपी हुई प्रतिभा को उभारना और उन्हें सही मंच देना है। यही कारण है कि हमारी संस्था द्वारा समय-समय पर इस तरह के प्रतियोगिताओं का आयोजन करती आ रही है और आगे भी करती रहेगी। हमारी कोशिश है कि देश के युवा विश्व स्तर पर अपना प्रदर्शन करें। हमारी संस्था के हर सदस्य ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत की है। हम संस्था से जुड़े सभी सदस्यों का धन्यवाद करते हंै। मुख्य आयोजकों में संस्था के अध्यक्ष रघुवीर यादव सहित, उपाध्यक्ष स्नेहा बांधे, प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर भास्कर साहू, दिव्या घोंघरे के साथ पूरी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
ज्ञात हो कि फ्यूचर द यूथ फाउंडेशन पिछले कई वर्षों से युवाओं के लिए कार्यक्रम करती आ रही है। छत्तीसगढ़ी संस्कृति की धरोहर को संजोए रखने के लिए स्थानीय कलाकारों को अवसर देती आई है तथा समय-समय पर उनका सम्मान भी करती आई हंै।
रायपुर, 5 सितंबर। कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिय़ा ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि देश में कोरोना ने 5 महीनों में भारतीय खुदरा व्यापार को लगभग 19 लाख करोड़ रुपये के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा है।
श्री पारवानी ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप घरेलू व्यापार में इस हद तक उथल-पुथल हुई है कि लॉकडाउन खुलने के 3 महीने के बाद भी देश भर में व्यापारी बड़े वित्तीय संकट, और दुकानों पर ग्राहकों के बहुत कम आने से बेहद परेशान हैं जबकि दूसरी तरफ व्यापारियों को अनेक प्रकार की वित्तीय जिम्मेदारियों को भी पूरा करना है वहीं ई-कॉमर्स कंपनियां गैर अनुमति वाली वो सब तरीके अपना रही हैं जिससे देश के व्यापारियों को व्यापार से बाहर किया जा सके।
श्री पारवानी ने बताया कि रिटेल बाजार में पैसे का संकट पूरी तरह बरकरार है। नवम्बर-दिसंबर के दिए हुए माल का भुगतान जो फरवरी-मार्च तक आ जाना चाहिए था वो भुगतान अभी तक बाजार में नहीं हो पाया है जिसके कारण व्यापार का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। कैट ने यह आंकड़े जारी करते हुए बताया कि देश भर में रिटेल बाजार विभिन्न राज्यों के 20 प्रमुख शहरों से आँका जाता है क्योंकि यह शहर राज्यों में सामान वितरण का बड़ा केंद्र हैं। इन शहरों से बातचीत कर यह आंकड़े लिए गए हैं जिनसे यह साफ दिखाई पड़ता है कोरोना ने किस कदर देश के व्यापार को प्रभावित किया है जो फिलहाल संभालने की स्थिति में नहीं है।
श्री पारवानी ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़ का जबकि मई में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और जून महीने में लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ था तथा जुलाई में लगभग 3 लाख करोड़ तथा अगस्त में 2 .5 लाख करोड़ के व्यापार का घाटा हुआ है।
श्री पारवानी ने केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है की वो व्यापारियों की वर्तमान स्थिति को देखें और देश के रिटेल व्यापार को दोबारा स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठायें। यदि देश में 20 प्रतिशत दुकानें बंद हो गई तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा देश की अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ेगा वहीं राज्य सरकारों के आर्थिक बजट भी पूरी तरह हिल जाएंगे।
श्री पारवानी ने यह भी बताया कि कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया कि फिलहाल व्यापारियों पर ब्याज देने का दबाव बैंकों द्वारा न डाला जाए इसके लिए बैंकों को निर्देशित करना आवश्यक है। सरकारें अन्य क्षेत्रों के कर्जे माफ करती हैं, हम तो केवल ब्याज अभी न लिया जाए और किसी भी किस्म की पेनल्टी व्यापारियों पर न लगाई जाए, केवल इतनी मांग कर रहे हैं।
सैन फ्रांसिस्को, 5 सितम्बर (आईएएनएस)| गूगल अपने अत्याधुनिक स्मार्टफोन पिक्सल 5 के साथ पिक्सल 4ए 5जी को 25 सितंबर को जर्मनी में लॉन्च कर सकता है। एंड्रॉयड ऑथरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, वोडाफोन की जर्मन शाखा के एक आंतरिक दस्तावेज में बताया गया है कि जर्मनी में 25 सितंबर को गूगल पिक्सल 4ए 5जी और पिक्सल 5 को पेश किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो इन्हें अन्य जगहों पर भी जल्द ही लॉन्च किए जाने की उम्मीद है और शायद ऐसा इसी दिन ही होना है।
ऐप्पल के एक अंदरूनी सूत्र और कई खुलासे करने वाले जॉन प्रॉसर के मुताबिक, पिक्सल 5जी को ब्लैक और ग्रीन जैसे रंगों में पेश किया जाएगा और पिक्सल 4ए 5जी को सिर्फ ब्लैक कलर में ही उपलब्ध कराया जाएगा।
गूगल पिक्सल 5 की लिस्टिंग हाल ही में एआई बेंचमार्क पर हुई है जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि यह एसडी765जी एसओसी से संचालित है।
एसडी765जी का डिवाइस में शामिल होना इस बात का खुलासा करता है कि यह 5जी के साथ आने वाला पहला पिक्सल फोन होगा। इसके साथ ही यह पहला ऐसा पिक्सल फोन होगा जिसमें 8जीबी रैम की सुविधा दी गई है। हालांकि एआई बेंचमार्क में इसके स्पेसिफिकेशंस की अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
आगामी पिक्सल 5 में 120 हर्ट्ज के ओएलईडी पैनल के साथ 6.67 इंच बड़ी डिस्प्ले दी जाएगी।
डिस्प्ले के विश्लेषक रॉस यंग ने महीने की शुरुआत में दावा किया था कि पिक्सल के डिवाइस को 6.67 इंच की डिस्प्ले के साथ उपलब्ध कराया जाएगा, जिसकी आपूर्ति सैमसंग और बोओई द्वारा कराई जाएगी और इसके स्क्रीन का रिफ्रेश रेट 120 हर्ट्ज होगा।
- कमलेश
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने हाल ही में चेन्नई आधारित ऑनलाइन फ़ार्मेसी कंपनी नेटमेड्स में 620 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
रिलायंस रिटेल वेंचर्स ने विटालिक हेल्थ और इसकी सहयोगियों में ये निवेश किया है. इस समूह की कंपनियों को नेटमेड्स के तौर पर जाना जाता है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के ऑनलाइन फ़ार्मा कंपनी में इतने बड़े निवेश के साथ ही देश में ऑनलाइन फ़ार्मेसी या ई-फ़ार्मेसी में ज़बरदस्त प्रतिस्पर्धा शुरू होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
इसमें अमेज़न पहले ही प्रवेश कर चुका है. बेंगलुरु में इसकी फ़ार्मा सर्विस का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है. वहीं, फ्लिपकार्ट भी इस क्षेत्र में आने की तैयारी में है.
नेटमेड्स एक ई-फ़ार्मा पोर्टल है जिस पर प्रिस्क्रिप्शन आधारित दवाओं और अन्य स्वास्थ्य उत्पादों की बिक्री की जाती है. ये कंपनी दवाओं की घर पर डिलवरी कराती है.
इसी तरह ई-फ़ार्मेसी के क्षेत्र में पहले से ही कई स्टार्टअप्स मौजूद हैं. जैसे 1mg, PharamaEasy, Medlife आदि.
इन बड़े प्लेयर्स के आने से पहले से विवादों में रहे ई-फ़ार्मेसी प्लेटफॉर्म को लेकर अब फिर से बहस छिड़ गई है.
रिटेलर्स और फ़ार्मासिस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाओं ने इससे लाखों लोगों का रोज़गार छिनने को लेकर चिंता जताई है. लेकिन, ई-फ़ार्मा कंपनियां इससे इनकार करती हैं.
मुकेश अंबानी को लिखा पत्र
ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (एआईओसीडी) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी को पत्र लिखकर उनके नेटमेड्स में निवेश को लेकर आपत्ति जताई है.
इस पत्र में लिखा है, “रिलायंस इंडस्ट्री के स्तर की कंपनी को एक अवैध उद्योग में निवेश करते देखना बेहद दुखद है.” पत्र कहता है कि ई-फ़ार्मेसी उद्योग औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम (ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक्स एक्ट) के तहत नहीं आता, जो दवाइयों के आयात, निर्माण, बिक्री और वितरण को विनयमित करता है.
एआईओसीडी ने ऐसा ही एक पत्र अमेज़न को लिखा है. ये पत्र पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अन्य मंत्रालयों को भी भेजा गया है.
वर्किंग मॉडल से नौकरियों पर ख़तरा
बड़ी-बड़ी कंपनियों के ई-फ़ार्मेसी उद्योग में क़दम रखने के सात ही रिटेलर्स और फ़ार्मासिस्ट की चिंताएं बढ़ गई हैं. उनका प्रतिनिधित्व करने वाले संस्थान ई-फ़ार्मेसी को लेकर दो तरह से आपत्ति जता रहे हैं..
पहली ये कि उनका मानना है कि ई-फ़ार्मेसी प्लेटफ़ॉर्म्स के वर्किंग मॉडल से लाखों रिटेलर्स और फ़ार्मासिस्ट की नौकरियां जा सकती हैं. उनका कारोबार बंद पड़ सकता है.
दूसरा वो ई-फ़ार्मा कंपनियों के संचालन के क़ानूनी पक्ष को लेकर सवाल उठाते हैं.
इंडियन फ़ार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभय कुमार कहते हैं कि ई-फ़ार्मा प्लेटफ़ॉर्म का जो वर्किंग मॉडल है वो फ़ार्मासिस्ट की नौकरियों को धीरे-धीरे ख़त्म कर देगा.
अभय कुमार कहते हैं, “ई-फ़ार्मा प्लेटफॉर्म्स अपने स्टोर, वेयरहाउस या इनवेंट्री बनाएंगे, जहां वो सीधे कंपनियों या वितरक से दवाएं लेकर स्टोर करेंगे और फिर ख़ुद वहां से दवाइयां सप्लाई करेंगे. ऐसे में जो स्थानीय केमिस्ट की दुकान है उसकी भूमिका ख़त्म हो जाएगी.”
“फ़ार्मासिस्ट की नौकरियों पर तो पहले ही संकट है. अस्पतालों में फ़ार्मासिस्ट के जो ख़ाली पद हैं वो भरे नहीं जाते. तीन साल की पढ़ाई के बाद युवा ख़ुद को बेरोज़गार पाते हैं. ऐसे में केमिस्ट के तौर पर जो उनके पास कमाई का ज़रिया है क्या आप उसे भी छीन लेना चाहते हैं.”
ई-फ़ार्मा कंपनियों का बहुत ज़्यादा डिस्काउंट देना भी रिटेलर्स के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. एआईओसीडी के अध्यक्ष जे.एस. शिंदे कहते हैं कि ई-फ़ार्मा कंपनियां जिस तरह ज़्यादा डिस्काउंट देती हैं एक छोटा रिटेलर उनसे मुक़ाबला नहीं कर पाएगा.
जे.एस. शिंदे ने बताया, “रिटेलर को 20 प्रतिशत और होलसेलर को 10 प्रतिशत मार्जिन मिलता है. लेकिन, ई-फ़ार्मेसी में आए नए प्लेयर्स 30 से 35 प्रतिशत तक डिस्काउंट दे रहे हैं. ये डीप डिस्काउंट दे सकते हैं, कुछ नुक़सान भी उठा सकते हैं लेकिन, सामान्य रिटेलर के पास इतनी पूंजी नहीं है. इससे ग्राहकों को भी समस्या होगी क्योंकि जब रिटेलर्स बाज़ार से हट जाएंगे तो इनका एकाधिकार हो जाएगा और क़ीमतों पर नियंत्रण मुश्किल होगा.”
वह बताते हैं कि पूरे देश में क़रीब साढ़े आठ लाख रिटेलर्स हैं और डेढ़ लाख स्टॉकिस्ट और सब सबस्टॉकिस्ट हैं, जिनकी रोज़ी-रोटी जाने वाली है. इसमें काम करने वाले लोग और उनका परिवार मिलाकर क़रीब 1.9 करोड़ लोग बेसहारा हो जाएंगे. कोरोना वायरस के चलते मंदी की मार झेल रहे लोगों पर ये दोहरी मार होगी.
क्या कहती हैं ई-फ़ार्मा कंपनियां
लेकिन, ई-फ़ार्मा कंपनियां इन सभी आरोपों से पूरी तरह इनकार करती हैं. उनका कहना है कि उनके वर्किंग मॉडल को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं. उनका काम करने का तरीक़ा नौकरियां लेने की बजाय ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ाएगा, दवाइयों तक पहुंच आसान बनाएगा और फ़ार्मासिस्ट के लिए मांग बढ़ाएगा.
दवाओं की ऑनलाइन सेलिंग में दो तरह के बिज़नस मॉडस काम करते हैं. एक मार्केटप्लेस और दूसरा इनवेंट्री लेड हाइब्रिड (ऑनलाइन/ऑफलाइन) मॉडल.
मार्केटप्लेस मॉडल में ई-फ़ार्मेसी प्लेटफॉर्म ग्राहक से ऑनलाइन प्रेसक्रिप्शन लेते हैं. ये प्रेसक्रिप्शन सीधे वेबसाइट या ऐप पर अपलोड करके, व्हाट्सऐपस, ई-मेल या फैक्स के ज़रिए दे सकते हैं. फिर उस प्रेसक्रिप्शन को स्थानीय लाइसेंस प्राप्त फ़ार्मासिस्ट (केमिस्ट) के पास पहुंचाया जाता है, वहां से दवाई लेकर ग्राहक को डिलीवरी की जाती है.
वहीं, इनवेंट्री मॉडल में ई-फ़ार्मेसी प्लटेफॉर्म चलाने वाली कंपनी ख़ुद दवाइयों का स्टॉक रखती हैं और प्रेसक्रिप्शन के आधार पर दवाएं डिलिवर करती हैं. वो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ही एक तरह से केमिस्ट का काम करता है.
कुछ कंपनियां हाइब्रिड मॉडल पर काम कर रही हैं. वो दवाओं के वेयरहाउस या स्टोर भी रखती हैं और स्थानीय केमिस्ट से संपर्क के ज़रिए भी दवाएं पहुंचाती हैं. उनके पास दवाओं का वेयरहाउस या स्टोर बनाने का लाइसेंस होता है.
अब रिटेलर्स और फ़ार्मासिस्ट की चिंताएं इनवेंट्री या हाइब्रिड मॉडल को लेकर है क्योंकि इसमें केमिस्ट की दुकानों की भूमिका ख़त्म हो जाएगी.
लेकिन, प्रमुख ई-फ़ार्मेसी कंपनियों के एसोसिएशन डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म का कहना है कि ई-फ़ार्मा प्लेटफॉर्म पूरी तरह मार्केटप्लेस मॉडल पर काम करेंगे.
डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म के संयोजक डॉक्टर वरुण गुप्ता ने बताया, “ई-फार्मेसी मॉडल को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. ई-फार्मेसी मार्केटप्लेस मॉडल मौजूदा फार्मेसी को ऑनलाइन सेवाएं देने में मदद करेगा. यह अलग-अलग फार्मेसी को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़कर एक नेटवर्क तैयार करेगा. इससे, इंवेंट्री प्रबंधन बेहतर होगा, पहुंच बढ़ेगी, क़ीमतें कम होंगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी.”
डॉक्टर वरुण कहते हैं कि कोविड-19 महामारी ने दिखाया है कि कैसे दवाओं की बिक्री में दोनों माध्यम एकसाथ काम कर सकते हैं. किसी भी शुरुआत को लेकर लोगों में असुरक्षा और चिंता होती है. नई तकनीक आने पर ऐसा ही विरोध पहले भी देखने को मिला है.
ऑनलाइन फ़ार्मेसी उद्योग से जुड़े एक विशेषज्ञ का ये भी कहना है कि वो बहुत ज़्यादा डिस्काउंट नहीं देते. अगर कोई लगातार इतना डिस्काउंट देगा तो वो बाज़ार में नहीं टिक पाएगा. ई-फ़ार्मेसी प्लेटफॉर्म अपना मार्जिन स्थानीय फार्मासिस्ट के साथ तय करते हैं.
अभय कुमार का कहना है कि अगर कंपनियां मार्केप्लेस मॉडल अपनाती हैं और फ़ार्मासिस्ट के लिए अवसर पैदा करती हैं तो उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं लेकिन ऐसा होने की संभावना बहुत कम है. अब भी कुछ प्लेटफॉर्म हाइब्रिड मॉडल पर काम कर रहे हैं. इसमें उन्हें ज़्यादा फ़ायदा है. इसलिए हम इसका विरोध करते हैं.
ई-फ़ार्मेसी प्लेटफ़ॉर्म और मौजूदा क़ानून
ई-फ़ार्मा कंपनियां कई सालों से भारतीय बाज़ार में काम कर रही हैं लेकिन अभी बहुत छोटे स्तर पर हैं. कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में ई-फ़ार्मा प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल भी बढ़ा है. ज़्यादातर क्रॉनिक दवाएं यानी लंबे समय से चली आ रही बीमारियों की दवाओं के लिए इनका उपयोग किया जाता है.
आंकड़ों की बात करें तो इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में साल 2023 तक ई-फ़ार्मेसीज के लिए दवाओं का बाज़ार 18.1 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है. 2019 में में ये 9.3 अरब डॉलर था.
लेकिन, ई-फ़ार्मेसी प्लेटफॉर्म की वैधता को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं. यहां तक कि ये मामला कोर्ट भी पहुँच चुका है.
जे.एस. शिंदे कहते हैं, “ई-फ़ार्मेसी फ़िलहाल औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम के तहत कवर नहीं होती है इसलिए इन्हें चलाना गैर-क़ानूनी है. इस अधिनियम में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का ज़िक्र नहीं है. इसलिए इन पर निगरानी रखना और नियंत्रित करना मुश्किल है.”
वहीं, ई-फा़ा कंपनियां ये दावा करती आई हैं कि वो क़ानूनी दायरे में काम कर रहे हैं. डॉक्टर विराग गुप्ता बताते हैं कि ई-फ़ार्मा का बिज़नस मॉडल इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 में बिचौलिए की अवधारणा के तहत आता है और लाइसेंस प्राप्त फ़ार्मासिस्ट (जो प्रेसक्रिप्शन से दवाएं देते हैं) ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक एक्ट के तहत आते हैं. ई-फ़ार्मा कंपनियां इस मॉडल के तहत ही काम कर रही हैं.
ई-फ़ार्मेसी को लेकर बना ड्राफ़्ट
कई पक्षों के आपत्ति जताने के बाद 28 अगस्त 2018 में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के नियमन यानी उन्हें क़ानून के तहत लाने के लिए नियमों का एक ड्राफ़्ट तैयार किया गया था. इसके आधार पर ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक रूल्स, 1945 में संशोधन किया जाना था. इस ड्राफ़्ट पर आम जनता/ हितधारकों से राय माँगी गई थी.
इस ड्राफ़्ट में ई-फ़ार्मा कंपनियों के रिजस्ट्रेशन, ई-फ़ार्मेसी के निरीक्षण, ई-फ़ार्मेसी के माध्यम से दवाओं के वितरण या बिक्री के लिए प्रक्रिया, ई-फ़ार्मेसी के माध्यम से दवाओं के विज्ञापन पर रोक, शिकायत निवारण तंत्र, ई-फ़ार्मेसी की निगरानी, आदि से जुड़े प्रावधान थे. लेकिन, आगे इस पर कुछ ख़ास नहीं हो पाया है.
दिसंबर 2018 में ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुँचा तो कोर्ट ने बिना लाइसेंस के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया. इसके बाद मद्रास की सिंगल बेंच ने ड्राफ़्ट के नियम अधिसूचित होने तक दवाओं का ऑनलाइन कारोबार ना करने के निर्देश दिए. लेकिन, जनवरी 2019 में मद्रास की डिविजन बेंच ने इस निर्देश पर रोक लगा दी.
चर्चा है कि सरकार औषधि एवं सौदर्य प्रसाधन अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रही है ताकि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को भी उसके दायरे में लाया जा सके.
लेकिन, फ़ार्मासिस्ट और रिटेलर्स एसोसिएशन इसे लेकर सभी पक्षों पर विचार करके इससे जुड़े नियम-क़ानून बनाने की माँग कर रहे हैं.
जे.एस. शिंदे कहते हैं कि जिन देशों में ई-फ़ार्मेसी उद्योग चल रहा है वहां इसके क्या प्रभाव पड़े हैं और उनसे बचने के लिए भारत में क्या किया जाए इसका अध्ययन किया जाना चाहिए. सभी पक्षों पर गौर किए बिना इसकी अनुमति ना दी जाए.
उन्होंने बताया कि हम सरकार को 21 दिनों का नोटिस देंगे कि वो हमारी चिंताएं सुने और कोई क़दम उठाए. अगर सरकार की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है तो सभी दवा विक्रेता हड़ताल पर जाएंगे.(bbc)
नयी दिल्ली, 04 सितंबर। देश के दूरसंचार क्षेत्र में चार साल पहले जब रिलायंस जियो ने कदम रखा तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह कंपनी कुछ ही सालों में इस क्षेत्र में डेटा बदलाव और क्रांति की जनक बनेगी तथा इसके आगमन से डेटा की कीमतें 40 गुना तक कम हो जाएंगी।
पांच सितंबर 2016 को दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखने वाली मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने चार साल में ही क्षेत्र की तस्वीर बदलकर रख दी और इस अवधि में डेटा की कीमतें जहां करीब 40 गुना कम हुई वहीं देश मोबाइल डेटा खपत में मामले में 155वें स्थान से आज पहले नंबर पर पहुंच गया।
जियो के 2016 में आने के समय उपभोक्ता को 1जीबी डेटा के लिये 185 से 200 रुपये तक खर्च करने पड़ते थे। वर्तमान में रिलायंस जियो के लोकप्रिय प्लान्स में ग्राहक को प्रति जीबी डेटा के लिए करीब पांच रुपये ही खर्च करना पड़ते हैं। डेटा खर्च किफायती होने का परिणाम है कि इसकी खपत में अप्रत्याशित बड़ा उछाल आया । जियो आने से पहले जहां डेटा खपत मात्र 0.24जीबी प्रति ग्राहक प्रति माह थी, वहीं आज यह कई गुना बढ़कर 10.4 जीबी हो गई है।
कंपनी सूत्रों ने जियो के चार साल पूरा होने के मौके पर शुक्रवार को कहा कि कोरोना काल में किफायती डेटा 'वर्क फ्रॉम होम' के लिए 'संजीवनी' साबित हुआ। लाकडाउन के कारण जब बड़ा हो या बच्चा घर से निकलना लगभग बंद था , वर्क फ्रॉम होम ही जरूरी कामों को निपटाने का जरिया बना। ‘वर्क फ्रॉम होम’ हो या बच्चों की ऑनलाइन क्लास, रोजमर्रा का सामान मंगाना हो या डॉक्टर से परामर्श के लिए ऑनलाइन समय लेना, सब काम तभी संभव हो सका जब डेटा की कीमतें हमारी जेब पर भारी नहीं पड़ी। यह जियो का ही प्रभाव है कि डेटा की कीमतें आज ग्राहकों की पहुंच में हैं।
वर्ष 2016 में रिलायंस की सालाना आम बैठक में एशिया के सबसे अमीर मुकेश अंबानी ने जियो के साथ समूह के जब दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखने का ऐलान किया था तो देश मोबाइल डेटा खपत के मामले में 155 वें स्थान पर था। आज 4 साल बाद जियो की डेटा क्रांति का परिणाम है कि दुनिया में देश ने इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित किया।
भारतीय दूरसंचार नियायक प्राधिकरण (ट्राई) के मुताबिक अमेरिका और चीन मिलकर जितना मोबाइल 4जी डेटा खपत करते हैं उससे कहीं ज्याद अकेले भारत के लोग डेटा का इस्तेमाल करते है। देश का 60 फीसदी से ज्यादा डेटा जियो नेटवर्क पर इस्तेमाल होता है।
जियोफाइबर के नए प्लान्स के साथ रिलायंस जियो ने एक बार फिर बाजार में हलचल उत्पन्न की है। पहली बार कोई कंपनी सही मायनो में असीमित डेटा खपत वाला प्लान लाई है। मतलब प्लान के साथ कनेक्शन की स्पीड ही कम या ज्यादा होगी। ग्राहक जितना चाहे उतना डेटा इस्तेमाल कर सकता है। यह प्लान देश में डेटा खपत को नए सिरे से परिभाषित करेगा।
जियो ने दूरसंचार में कदम रखने के तुरंत बाद ही कई नए अभिनव प्रयोग किए। इसमें मुफ्त वॉयस कॉलिंग और किफायती डेटा तो था ही, साथ ही 2जी नेटवर्क का इस्तेमाल करने वाले और ग्रामीण भारत के लिए कंपनी बेहद सस्ते दामों पर 4जी जियोफोन ले कर आई। आज कंपनी के पास 10 करोड़ से अधिक जियोफोन उपभोक्ता है। जियोफोन आने के बाद गांवों में डेटा सब्सक्राइबर नंबर काफी बढ़ गया। 2016 में जहां गांवों में 12 करोड़ के करीब ग्राहक डेटा इस्तेमाल कर रहे थे। वहीं आज 28 करोड़ लोग इंटरनेट डेटा का उपयोग कर रहे हैं।
चार वर्ष के भीतर ही इस क्षेत्र में वर्षों से जमीं कंपनियों को पीछे धकेल कर उपभोक्ताओं, बाजार हिस्सा और आय के मामले में नंबर वन है। कंपनी ने अपने नेटवर्क से ग्राहकों को जोड़ने में भी रिकॉर्ड कायम किया है। पिछले चार सालों में जियो से करीब 40 करोड़ से अधिक उपभोक्ता जुड़े हैं।
मुकेश अंबानी की ‘डेटा इज न्यू ऑयल’ टिप्पणी आज साकार साबित हुई। कोरोना काल में रिलायंस जियो में दुनिया की तमाम बड़ी प्रौद्योगिकी फेसबुक, गूगल जैसी कंपनियों के साथ साथ इंटेल और क्वालकॉम ने भी बड़ी रकम का निवेश कर हाथ मिलाया है। देश के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कोरोना संकट काल में जियो ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लाकर एक और रिकार्ड बनाया।(UNIVARTA)
सैन फ्रांसिस्को, 4 सितम्बर (आईएएनएस)| ताइवानी फैबलेस सेमीकन्डक्टर कम्पनी-मीडियाटेक ने शुक्रवार को डाइमेंसिटी 1000सी के नाम से अमेरिका में 5जी स्मार्टफोन चिप लॉन्च किया। कम्पनी के मुताबिक डाइमेंसिटी 1000सी दक्षिण कोरियाई कम्पनी एलजी के अत्याधुनिक डिवाइस एलजी वेल्टवेटीटीएम को सपोर्ट करेगा। इस चिप के माध्यम से इस फोन को एआई क्षमता के अलावा बेहतर डिस्प्ले फीचर्स, फास्ट कनेक्टिविटी और प्रीमियम यूजर एक्सपीरिएंस के लिए अच्छा मल्टीमीडिया अनुभव मिलेगा।
कम्पनी ने अपने बयान में आगे कहा कि डाइमेंसिटी 1000सी में चार आर्म-कोरटेक्स-ए77 सीपीयू कोर्स लगे हैं और साथ ही इसमें चार पावर एफिशिएंट आर्म कोरटेक्स ए55 कोर्स भी लगे हैं जो फोन को पावर एफिशिएंट बनाते हैं।
1000 सीरीज मीडियाटेक के अन्य लोकप्रिय 5जी चिप का उन्नत वर्जन है। इससे पहले कम्पनी ने डाइमेंसिटी 800 और डाइमेंसिटी 700 सीरीज लॉन्च किया था।
मीडियाटेक ने कहा है कि वह अभी 5जी चिप्स का फुल रेंज पेश कर रहा है क्योंकि उसका लक्ष्य यह है कि 5जी तक सबकी पहुंच हो।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 3 सितंबर। देश में एल्यूमिनियम और मूल्य सवंर्धित उत्पादों के सबसे बड़े निर्माता वेदांता एल्यूमिनियम ने ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए 21वें सीआईआई राष्ट्रीय समारोह में पांच पुरस्कार जीते। वर्चुअल समारोह का आयोजन 25 से 28 अगस्त, 2020 तक किया गया।
समारोह में बालको ने ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक नवाचारों के लिए ‘एक्सीलेंट एनर्जी इफिशिएंट यूनिट’ और ‘इनोवेटिव प्रोजेक्ट’ का पुरस्कार जीता। वेदांता लिमिटेड, लांजीगढ़ ने एल्यूमिना रिफाइनरी की ऊर्जा दक्षता में उत्तरोत्तर सुधार के लिए ‘एक्सीलेंट एनर्जी इफिशिएंट यूनिट’ का पुरस्कार हासिल किया। वेदांता लिमिटेड, झारसुगुड़ा के दोनों स्मेल्टरों ने ऊर्जा की खपत कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण सुधारों के लिए ‘एनर्जी इफिशिएंट यूनिट’ पुरस्कार प्राप्त किए।
वेदांता लिमिटेड (एल्यूमिनियम एंड पावर) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय कपूर ने कहा कि सीआईआई राष्ट्रीय पुरस्कार ऊर्जा की खपत कम करने की दिशा में किए जा रहे हमारे उत्कृष्ट प्रबंधन का द्योतक है। हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा ग्रामीण विद्युतीकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में राष्ट्र की आत्मनिर्भरता में योगदान के लिए उच्च गुणवत्ता के एल्यूमिनियम धातु का उत्पादन करते हैं। हम वैश्विक स्तर पर ऊर्जा दक्ष एल्यूमिनियम उत्पादक बनने के लिए कटिबद्ध हैं। वेदांता समूह सस्टेनिबिलिटी के क्षेत्र में अपने उत्तरदायित्वों के प्रति पूर्ण सजग है।
सीआईआई द्वारा स्थापित पुरस्कार का उद्देश्य भारतीय उद्योगों को ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में नवाचार एवं विकास, ऊर्जा खपत में कमी एवं उत्कृष्ट कार्य शैली अपनाने की दिशा में प्रोत्साहित करना है। पुरस्कार प्रक्रिया में भागीदारी के लिए धातु, ऊर्जा, सीमेंट, इंजीनियरिंग, कागज, ऑटोमेशन आदि संबंधी लगभग 250 उद्योगों ने भागीदारी की। इनमें से 154 ज्यूरी राउंड के लिए चयनित किए गए। अंतिम रूप से चयनित प्रतिभागियों में वेदांता एल्यूमिनियम ने धातु एवं ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पुरस्कार प्राप्त किए।
नई दिल्ली, 3 सितंबर (आईएएनएस)| अरबपति भारतीय उद्योगपति मुकेश अंबानी के जुड़वां बच्चों आकाश और ईशा अंबानी ने फॉर्च्यून की हालिया '40 अंडर 40' सूची में दुनियाभर के प्रभावशाली लोगों में जगह बनाई है। ईशा और आकाश अंबानी का नाम टेक्नोलॉजी कैटेगरी में शुमार किया गया है। भारत से ईशा और आकाश अंबानी के अलावा एजुटेक स्टार्टअप बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन और श्याओमी इंडिया के प्रबंध निदेशक मनु कुमार जैन को भी इस सूची में जगह मिली है।
फॉर्च्यून ने कहा, "आकाश और ईशा अंबानी रिलायंस के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी के जुड़वां बच्चे हैं, जो संयोग से भारत और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं।"
फॉर्च्यून ने कहा, "रिलायंस एक पारिवारिक व्यवसाय है। आकाश 2014 में ब्राउन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री प्राप्त करने के बाद कंपनी में शामिल हो गए। ईशा ने एक साल बाद ज्वाइन किया।" ईशा ने येल, स्टैनफोर्ड और मैकिंसे से पढ़ाई करने के बाद कारोबार संभाला है।
फॉर्च्यून का कहना है कि अंबानी परिवार के इन दो सदस्यों ने रिलायंस जियो को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। फॉर्च्यून ने कहा कि इन्होंने फेसबुक के साथ हालिया अरबों डॉलर की डील को सफलतापूर्वक पूरा किया और गूगल, क्वालकॉम व इंटेल जैसी कंपनियों की रिलायंस के साथ डील करा अपनी लीडरशिप का लोहा मनवाया।
फॉर्च्यून ने कहा, "हाल ही में आकाश और ईशा ने भारत के बड़े पैमाने पर और तेजी से बढ़ते ऑनलाइन शॉपिंग बाजार के लिए अमेजन और वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट को चुनौती देने के उद्देश्य से शुरू किए गए जियो मार्ट को लॉन्च करने में मदद की है।"
वहीं, बायजू के सीईओ 39 वर्षीय रवींद्रन के बारे में फॉर्च्यून ने कहा है कि उन्होंने दुनिया को यह दिखा दिया कि एक बेहद सफल ऑनलाइन एजुकेशन कंपनी बनाना किस तरह से संभव है।
गौरतलब है कि अमेरिका आधारित फॉर्च्यून ने वित्त, प्रौद्योगिकी, हेल्थकेयर, राजनीति और मीडिया एवं एंटरटेनमेंट की कैटेगरी में 40 साल के अंदर के दुनिया के 40 शीर्ष उद्यमियों की सूची जारी की है। प्रत्येक कैटेगरी में दुनिया की 40 हस्तियों को शामिल किया गया है, जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है।
एक और प्रमुख भारतीय, जिन्हें इस सूची में शामिल किया गया है, वह पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला हैं। पूनावाला को हेल्थकेयर सेग्मेंट में शामिल किया है, जो भारत में एस्ट्रोजेनेका और नोवावैक्स से कोविड-19 वैक्सीन लाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
हैदराबाद, 3 सितम्बर। एनएमडीसी के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक सुमित देब ने बताया कि देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने अगस्त 2020 के दौरान उत्पादन तथा बिक्री दोनों में विगत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अच्छी वृद्धि दर्ज की है। 2020 मुश्किलों वाला वर्ष है परंतु एनएमडीसी ने मुश्किलों पर विजय प्राप्त करते हुए बेहतर प्रदर्शन किया है। वैश्विक महामारी तथा छत्तीसगढ़ क्षेत्र में भारी वर्षा के बावजूद हमारा प्रदर्शन विगत वर्ष से बेहतर रहा है।
श्री देब ने बताया कि लौह अयस्क उत्पादन वर्ष 2020 के अगस्त माह में 1.62 एमटी रहा जो विगत वर्ष के अगस्त माह के 1.41 एमटी की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। लौह अयस्क की बिक्री उपर्युक्त अवधि में 1.79 एमटी रही जो अगस्त 2019 में हुई 1.49 एमटी बिक्री की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है।
श्री देब ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में बैलाडीला परियोजनाओं ने अगस्त 2020 में 1.01 एमटी लौह अयस्क का उत्पादन किया जो विगत वर्ष 2019 के अगस्त माह के 0.79 एमटी पर 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बैलाडीला परियोजनाओं से अगस्त 2020 के दौरान लौह अयस्क की कुल बिक्री 1.27 एमटी रही जो अगस्त 2019 के 1.05 एमटी की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है।
हैदराबाद, 3 सितम्बर। एनएमडीसी के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक सुमित देब ने बताया कि देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक नवरत्न कंपनी एनएमडीसी ने अगस्त 2020 के दौरान उत्पादन तथा बिक्री दोनों में विगत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अच्छी वृद्धि दर्ज की है। 2020 मुश्किलों वाला वर्ष है परंतु एनएमडीसी ने मुश्किलों पर विजय प्राप्त करते हुए बेहतर प्रदर्शन किया है। वैश्विक महामारी तथा छत्तीसगढ़ क्षेत्र में भारी वर्षा के बावजूद हमारा प्रदर्शन विगत वर्ष से बेहतर रहा है।
श्री देब ने बताया कि लौह अयस्क उत्पादन वर्ष 2020 के अगस्त माह में 1.62 एमटी रहा जो विगत वर्ष के अगस्त माह के 1.41 एमटी की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। लौह अयस्क की बिक्री उपर्युक्त अवधि में 1.79 एमटी रही जो अगस्त 2019 में हुई 1.49 एमटी बिक्री की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है।
श्री देब ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में बैलाडीला परियोजनाओं ने अगस्त 2020 में 1.01 एमटी लौह अयस्क का उत्पादन किया जो विगत वर्ष 2019 के अगस्त माह के 0.79 एमटी पर 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बैलाडीला परियोजनाओं से अगस्त 2020 के दौरान लौह अयस्क की कुल बिक्री 1.27 एमटी रही जो अगस्त 2019 के 1.05 एमटी की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है।
रायपुर, 1 सितंबर। रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के मेडिकल एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे ने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल ने एक और कामयाबी हासिल की और प्रतिष्ठित कैप कॉर्डियोलॉजिस्ट ने राज्य का पहला हाईडेफिनिशन 3डी मैपिंग वर्कशॉप आयोजित किया।
अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जावेद परवेज ने बताया कि 3डी मैपिंग, अनियमित दिल की धड़कन (अतालता) या दिल की धड़कन के विकारों के उपचार का एक अत्यधिक विशिष्ट रूप है। 5 रोगियों पर इस प्रक्रिया का उपयोग कर सफल उपचार किया गया। ये मरीज दिल के धड़कन की बीमारी जिसमें जान का खतरा था उससे पीडि़त थे जैसे -वेन्ट्रीकुलर टैकीकॉर्डिया, एट्रियल फ्लूटर, एट्रियल फेब्रिलेशन (हृदय की अतालता) आदि।
डॉ. परवेज ने बताया कि 3डी मैपिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मरीज की बिना सर्जरी किए उपचार किया जाता है, इसमें 3डी मैप का उत्पादन करने के लिए कैथेटर को हृदय में डाला जाता है फिर असामान्य धड़कन की उत्पत्ति का पता लगाया जाता है और उपचार कर इन अनियमित दिल की धड़कन को ठीक किया जाता है।
डॉ. दवे ने बताया कि यह राज्य का पहला अस्पताल है जहां अनियमित दिल की धड़कन के इलाज के लिए ऐसी नवीनतम उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया है। डॉ. दवे एवं एचसीसीओ संदीप रूपेरिया ने इस तकनीक की सफलता के लिए हृदय रोग विभाग के सभी डॉक्टरों व उनकी टीम को बधाई दी।
नई दिल्ली, 1 सितंबर। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्कुलर के मुताबिक़ लोन देने में छूट की अवधि दो साल तक के लिए बढ़ाई जा सकती है।
इस दौरान ब्याज पर ब्याज न लगाने का सवाल पर केंद्र सरकार का कहना था कि केंद्र, आरबीआई और बैंकर एसोसिएशन को मिलकर बैठक करके इसका समाधान निकालेंगे।
कोरोना के कारण लॉकडाउन शुरू करने के बाद आरबीआई ने पहले तीन महीने और फिर छह महीने तक लोन न देने की छूट दी थी। लेकिन याचिकाकर्ता गजेंद्र शर्मा ने इस दौरान ब्याज पर ब्याज न लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोन देने में छूट की सीमा दो साल तक बढ़ाई जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा। अदालत ने कहा है कि वो इस मामले पर सभी पक्षों को सुनेगा।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही है। याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह के वकील विशाल तिवारी ने कहा कि ये जनहित से जुड़ा हुआ मामला है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह इस मामले में केंद्र सरकार की राय मांगी थी और कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में आरबीआई के पीछे नहीं छिप सकती, उसे अपना रुख़ भी स्पष्ट करना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि इस मामले में अन्य मुद्दे भी शामिल हैं, जीडीपी -23 प्रतिशत हो गई है और अर्थव्यवस्था पर भी दबाव है।
वॉट्सऐप अपने यूजर्स के लिए लगातार नए फीचर्स लाता रहता है. कंपनी एक नए वॉलपेपर फीचर पर काम कर रही है.
वॉट्सऐप एक नए वॉलपेपर फीचर पर काम कर रहा है. इससे यूजर अलग-अलग चैट के लिए अलग-अलग वॉलपेपर सेट कर सकेंगे. इस नए फीचर को पहले iOS बीटा वर्जन में देखा गया था. अब यह ऐंड्रॉयड यूजर्स के लिए भी डेवलप किया जा रहा है. ऐंड्रॉयड के लिए वॉट्सऐप के v2.20.199.5 बीटा वर्जन में यह फीचर देखा गया है.
वॉट्सऐप का नया वॉलपेपर फीचर अभी अंडर-डेवलपमेंट है, जिसकी वजह से यह बीटा यूजर्स के लिए भी उपलब्ध नहीं है. उम्मीद है वॉट्सऐप जल्द इस फीचर को बीटा यूजर्स के लिए रोल आउट करेगा. इसके बाद इस फीचर को सभी यूजर्स के लिए रोल आउट किया जाएगा. हालांकि, वॉट्सऐप ने इसके लिए कोई डेट या टाइमलाइन नहीं बताई है.
वॉट्सऐप ने ऐंड्रॉयड के लिए वॉट्सऐप v2.20.199.5 बीटा वर्जन में नया वॉलपेपर फीचर देखा. वॉट्सऐप फीचर ट्रैकर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जब यूजर ऐप में डिफॉल्ट वॉलपेपर चुनेगा, तो यह वॉट्सऐप वॉलपेपर ऐप डाउनलोड करने के लिए पूछेगा. यह एक ऑफिशियल वॉटसऐप ऐप है, जहां इसके लिए वॉलपेपर्स मिलते हैं.
वॉट्सऐप लाने वाला है कई नए फीचर
वॉलपेपर फीचर के अलावा वॉट्सऐप कई और नए फीचर्स पर काम कर रहा है. इनमें से कुछ फीचर जल्द यूजर्स के लिए रोल आउट किए जा सकते हैं. कुछ फीचर्स बीटा यूजर्स के लिए उपलब्ध हैं. इनमें एक फीचर वॉट्सऐप ग्रुप कॉल्स के लिए नई रिंगटोन है. यह नया फीचर आने के बाद जब वॉट्सऐप पर ग्रुप कॉल आएगी, तो नई रिंगटोन बजेगी. इसके अलावा कंपनी नया स्टिकर एनिमेशन, एडवांस्ड सर्च मोड और मल्टी-डिवाइस सपोर्ट जैसे फीचर भी लाने वाली है. (india.com)
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने सोमवार को अपने व्यावसायिक क्षेत्र में विविधता लाते हुए 'स्पाइसऑक्सी' के लॉन्च की घोषणा की। यह एक कॉम्पैक्ट, पोर्टेबल, नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन डिवाइस है, जो सांस की हल्के या मध्यम स्तर की समस्या वाले रोगियों के लिए एक प्रभावी समाधान है। एयरलाइन अप्रत्याशित रूप से अपने व्यावसायिक विविधीकरण के लिए जानी जाती है। इसने पहले इसने फैशन रिटेल, मर्चेंडाइज और ई-कॉमर्स, फ्रेट मूवमेंट, फ्रेश फार्म प्रोडक्ट में प्रवेश किया था। स्पाइसजेट टेक्निक के माध्यम से यह रक्षा क्षेत्र में भूमिका के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है और साथ ही कंपनी भारत की सबसे बड़ी कार्गो कंपनी के रूप में भी उभरी है।
इसके अतिरिक्त, स्पाइसजेट ने फिंगरटिप पल्स ऑक्सीमीटर भी पेश किया है। यह एक ऐसा आसान उपकरण है जो लोगों के शरीर में ऑक्सीजन स्तर को मापना आसान बनाता है।
स्पाइसजेट की सहायक कंपनी स्पाइसजेट टेक्नीक के इंजीनियरों की एक समर्पित टीम द्वारा इसे इनोवेशन लैब में डिजाइन किया गया है।
स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा, स्पाइसजेट के लिए आज एक बड़ा दिन है क्योंकि हम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की अपनी यात्रा में एक बहुत ही मजबूत कदम आगे बढ़ा चुके हैं। मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि स्पाइसऑक्सी और पल्स ऑक्सीमीटर, जिसे हम आज लॉन्च कर रहे हैं, ह्यमेड इन इंडिया है।
उन्होंने कहा, इसे हमारे इंजीनियरों की प्रतिभाशाली टीम द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। मुझे यकीन है कि यह नॉन-इनवेसिव, पोर्टेबल वेंटिलेटर सांस लेने की समस्याओं और अन्य पुरानी समस्याओं वाले रोगियों को बहुत मदद करेंगे और आसानी से घर पर उपयोग किए जा सकते हैं। इसे यात्रा के दौरान भी आसानी से ले जाया जा सकता है। स्पाइसजेट चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवाचार को बढ़ावा देता रहेगा।
स्पाइसऑक्सी का उद्देश्य ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) या रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स से जूझ रहे मरीजों के इलाज के लिए नॉन-इंवेसिव वेंटिलेटर समर्थन प्रदान करना है। चूंकि यह उपकरण टरबाइन आधारित और हल्के वजन का है, इसलिए घर पर भी इसका उपयोग काफी आसान हो जाता है।
रायपुर, 31 अगस्त। एनएच एमएमआई के कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुमंत शेखर पधि ने बताया कि ट्रांसकैथेटर ऑर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) ऑर्टिक स्टेनोसिस के इलाज की क्रांतिकारी तकनीक है जो खराब ऑर्टिक वाल्व को भी ठीक करने में मदद करती है। ऑर्टिक स्टेनोसिस दरअसल ऑर्टिक वाल्व के सिकुड़ जाने पर होने वाली समस्या है, और इसके सिकुडऩे के कारण वाल्व पूरी तरह से खुल पाने में असमर्थ होता है, जिसके कारण यह घट जाता है या खून के संचार को हृदय से मेन आर्टरी तक और फिर पूरे शरीर में जाने से रोक देता है।
डॉ. पधि ने बताया कि यह एक प्रकार की जीवन जोखिम में डालने वाली अवस्था है, जो आगे चलकर हार्ट फेलियर तक की स्थिति पैदा कर सकती है इसलिए इसका तुरंत इलाज शुरू होना बेहद ज़रूरी है। वे लोग जिनको ओपन हार्ट सर्जरी से किसी प्रकार का जोखिम है उनके लिए टीएवीआई एक प्रकार का मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर है जो जीवन बचा लेने के विकल्प जैसा है।
डॉ. पधि ने बताया कि एनएच एमएमआई में 58 वर्षीय मरीज़ पर सफलतापूर्वक यह प्रोसीजर किया जिनकी किडनी की समस्या, सांस लेने में तकलीफ, हाई ब्लड शुगर जैसी समस्याओं की हिस्ट्री थी। बीते दस सालों से मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ, थकान, फेटीग आदि का सामना करना पड़ रहा था, लोकल ट्रीटमेंट के बावजूद उनकी अवस्था में कोई सुधार नजऱ नहीं आया।
डॉ. पधि ने बताया कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ बढऩे लगी तो वे इलाज करवाने आए। तमाम शारीरिक समस्याओं की हिस्ट्री के अनुसार जांच की जिसमें इकोकार्डियोलॉजी (ईसीएचओ) भी शामिल है, जिसमें उनके कैल्सिफिक ऑर्टिक वाल्व की गंभीर अवस्था का पता चला। मरीज़ की उम्र और तमाम अन्य शारीरिक दिक्कतों को ध्यान में रख कर टीएवीआई करने का निर्णय लिया। पूरी प्रक्रिया सफल रही और मरीज़ खतरे से बाहर आ गया। मरीज अब बेहतर स्थिति में हैं और एनएच एमएमआई के शुक्रगुजार हैं।
नई दिल्ली, 30 अगस्त। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भारतीय कंपनियों में चीनी निवेश की जांच को लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखा है। कैट ने पत्र में कहा, "विभिन्न सेक्टर में काम करने वाली भारतीय कंपनियों में जिस तरह से चीनी कंपनियों ने निवेश किया है, उससे साफ जाहिर होता है किचीनी निवेश एक सुनियोजित तरीके से भारतीय नवाचार और प्रौद्योगिकी पर चीनी कब्जे का एक रणनीतिक कदम है और इसकी जांच होनी चाहिए।"
कैट ने इस संबंध में 141 प्रमुख भारतीय स्टार्ट-अप्स की सूची केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को भेजी है, जिनमें चीनी निवेश हैं। ये भारतीय कंपनियां आतिथ्य, दैनिक उपभोग्य सामग्रियों, खाद्य वितरण, सूचना प्रौद्योगिकी, रसद, भुगतान ऐप, ई-कॉमर्स, यात्रा, परिवहन, फार्मास्यूटिकल्स, बीमा, शेयर बाजार, स्वास्थ्य देखभाल, नेत्र देखभाल, खेल ऐप आदि से संबंधित हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल इन कंपनियों की जांच की मांग करते हुए कहा, "जांच अनेक प्रासंगिक प्रश्नों पर आधारित होनी चाहिए, जैसे कि भारतीय कंपनियों में चीनी निवेश द्वारा नियंत्रण का अनुपात कितना है? इन कंपनियों द्वारा अर्जित डेटा भारत में या विदेश में है? डेटा की सुरक्षा एवं सावधानियां क्या हैं?"
उन्होंने कहा, "चीन अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सूचना एकत्र करने के उद्देश्य से वित्तीय और औद्योगिक जासूसी में भी लगा हुआ है। इसलिए विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय स्टार्ट-अप के कामकाज और व्यापार मॉड्यूल की गहराई से जांच करने की बेहद जरूरत है।"(IANS)
नई दिल्ली, 30 अगस्त। इंटरनेशनल डेटा कॉर्पोरेशन आईडीसी की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 तक वैश्विक बाजार के 50 फीसदी हिस्से पर 5जी स्मार्टफोन के कब्जा जमा लेने की संभावना है। कोविड-19 महामारी और उपभोक्ताओं की कमी होने के बावजूद सभी स्मार्टफोन के लिए कल-पुर्जे बनाने वाली कंपनी ओईएम के लिए 5जी ही पहली प्राथमिकता रही।
आईडीसी के वल्र्डवाइड मोबाइल डिवाइस ट्रैकर के प्रोग्राम वाइस प्रेसिडेंट रयान रीथ के मुताबिक, मार्केट में धीमी गति आने के बाद जब कई सारी बड़ी कंपनियों ने साल 2020 के लिए अपने उत्पादन करने की योजनाओं में कमी लाई है, हमने पाया है कि इनमें सबसे ज्यादा कटौती 4जी पोर्टफोलियो में की गई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अधिकतरों का यह मानना है कि साल 2020 के अंत तक 5जी के तेजी आएगी जिसका प्रभाव 4जी पर देखने को मिलेगा।
रीथ ने कहा, "हालांकि हम अब भी यही मानते हैं कि ग्राहकों में 5जी की मांग कम है और जब बाजार के चल रही आर्थिक मंदी के साथ इसे जोड़ा जाएगा तो इस पूरा दबाव इसके साथ जुड़ी सर्विस फीस और हार्डवेयर पर पड़ेगा जो काफी महत्वपूर्ण है।"
हालांकि आईडीसी में रिसर्च डायरेक्टर नबिला पोपल कहती हैं, "हम साल 2021 से साल-दर-साल 9 फीसदी बढ़ोतरी होने की उम्मीद कर सकते हैं और ऐसा इसलिए, क्योंकि साल 2020 में इसमें भारी गिरावट देखने को मिली है। बहरहाल, स्थिति को पूरी तरह से सुधरने में साल 2022 तक का समय लग जाएगा और तब स्मार्टफोन इंडस्ट्री कोविड के पहले जैसे दौर में वापसी करेगी।"
यहां गौर करने वाली बात यह है कि बाजार में सुधार होने के इस दौर में 5जी की भूमिका काफी अहम होगी।(IANS)
नई दिल्ली, 30 अगस्त। कर्ज में डूबी और दिवालिया होने की कगार पर खड़ी फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस रिटेल ने संजीवनी दी है। शनिवार को रिलायंस रिटेल ने 24,713 करोड़ में फ्यूचर ग्रुप का अधिग्रहण कर लिया। फ्यूचर ग्रुप में हजारों लोग नौकरी करते हैं और सप्लाई चेन भी हजारों लोग जुड़े हुए हैं। कर्ज ना चुकाने पाने की हालात में कंपनी पर ताला लगने की आशंका गहराती जा रही थी।
छब्बीस साल की उम्र में फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी ने पहला पहला स्टोर पैंटालून के नाम से खोला था। तब किसी ने नही सोचा था कि किशोर बियानी को रिटेल सेक्टर के गॉड फादर का तमगा मिलेगा और ना ही किसी ने यह सोचा था कि उनकी कंपनी यानी फ्यूचर ग्रुप कर्ज में इतना डूब जाएगी कि वह कर्ज का ब्याज चुकाने में भी असमर्थ हो जाएगी। कंपनी पेमेंट में डिफाल्ट करने लगी थी। फ्यूचर ग्रुप पर कर्ज का संकट इतना विकट था कि उसे इस बात से समझा जा सकता है कि कंपनी को फॉरेन बॉंड्स पर 100 करोड़ का ब्याज चुकाना था जिसे कंपनी ग्रेस पीरियड खत्म होने के आखिरी दिन ही चुका सकी।
कोरोना ने कंपनी की वित्तिय हालत को और बिगाड़ दिया। लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर स्टोर्स को बंद करना पड़ा। फ्यूचर ग्रुप के सभी तरह के स्टोर्स की संख्या 1650 से भी अधिक है और हजारों लाखों लोग इससे प्रत्यक्ष अप्रत्क्ष रूप से जुड़े हैं। कर्ज बढ़ने से कंपनी के डूबने के खतरे के बीच कर्मचारियों को भी अपनी नौकरी की चिंता सता रही थी। रिलायंस रिटेल के निवेश ने कंपनी को उसके दुर्दिनों से उबार लिया है।
सवाल यह है कि अधिग्रहण के बाद फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार व अन्य ब्रांड्स का क्या होगा। क्या उनका नाम भी बदल दिया जाएगा। तो इसका जवाब खुद रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की निदेशक ईशा अंबानी ने दिया है। डील पर खुशी जाहिर करते हुए ईशा अंबानी ने कहा कि " फ्यूचर ग्रुप के प्रसिद्ध ब्रांडों के साथ-साथ उसके व्यावसायिक ईको सिस्टम को संरक्षित करने में हमें प्रसन्नता होगी। भारत में आधुनिक रिटेल के विकास में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमे आशा है कि छोटे व्यापारियों, किराना स्टोर्स और बड़े उपभोक्ता ब्रांडों की सहभागिता के दम पर रिटेल सेक्टर में विकास की गति बनी रहेगी, हम देश भर में अपने उपभोक्ताओं को बेहतर मूल्य प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
शहरी उभोक्ताओं के लिए बिग बाजार वर्षों से रोजमर्रा के सामान की पूर्ति का केंद्र रहा है। बिग बाजार सरीखी चेन्स में रिलायंस रिटेल का पेशेवर रवैया जरूर देखने को मिल सकता है पर ईशा अंबानी के बयान के बाद यह तो तय है कि रिलायंस बिग बाजार की रीब्रांडिंग नही करने जा रहा इसलिए उपभोक्ताओं के लिए बिग बाजार में कुछ भी नहीं बदलेगा।
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)| मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) ने फ्यूचर ग्रुप का रिटेल, होलसेल लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस बिजनेस 24713 करोड़ रुपए में खरीद लिया है। इस मेगा डील से कंपनी की रिटेल कारोबार में स्थिति और भी मजबूत हो जाएगी। कंपनी ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी। कंपनी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, "रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर लिमिटेड (आरआरवीएल) ने आज फ्यूचर समूह के खुदरा और थोक कारोबार तथा लॉजिस्टिक्स और भंडारण कारोबार के एकमुश्त 24,713 करोड़ रुपये के दाम में अधिग्रहण की घोषणा की।"
भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अमेजन जैसी दिग्गज कंपनियों को टक्कर देने के लिए रिलायंस रिटेल अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
डील के तहत फ्यूचर ग्रुप कुछ कंपनियों को फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एफईएल) में मर्ज कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत रिटेल और होलसेल उपक्रम को रिलायंस रिटेल एंड फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड में स्थानांतरित किया जा रहा है।
यह आरआरवीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है; लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग अंडरटेकिंग को आरआरवीएल को हस्तांतरित किया जा रहा है।
रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की निदेशक ईशा अंबानी ने कहा, फ्यूचर ग्रुप के प्रसिद्ध ब्रांडों के साथ-साथ उसके व्यावसायिक ईको सिस्टम को संरक्षित करने में हमें प्रसन्नता होगी। भारत में आधुनिक रिटेल के विकास में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमें आशा है कि छोटे व्यापारियों, किराना स्टोर्स और बड़े उपभोक्ता ब्रांडों की सहभागिता के दम पर रिटेल सेक्टर में विकास की गति बनी रहेगी, हम देश भर में अपने उपभोक्ताओं को बेहतर मूल्य प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी ने रिटेल बिजनेस में तीन करोड़ किराना मालिकों और 12 करोड़ किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था। फ्यूचर समूह के खुदरा व्यापार, थोक और सप्लाई चेन व्यवसाय के अधिग्रहण से रिलायंस अपनी स्थिती मजबूत कर रहा है।
आरआरवीएल ने कहा कि इस अधिग्रहण योजना के तहत फ्यूचर समूह अपनी कुछ कंपनियों का विलय फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एफईएल) में कर रहा है। कंपनी ने बताया कि इस योजना के तहत फ्यूचर समूह के खुदरा और थोक कारोबार को आरआरवीएल की सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल एंड फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड (आरआरएफएलएल) को हस्तांतरित किया जाएगा। वह 1200 करोड़ प्रेफरेंशियल इश्यू के जरिए निवेश करेगी और फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड में 6.09 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी।
हैदराबाद, 29 अगस्त। एनएमडीसी के अध्यक्ष -सह-प्रबंध निदेशक सुमित देब ने बताया कि एनएमडीसी ने वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में लौह अयस्क का 66.05 लाख टन उत्पादन तथा 62.75 लाख टन बिक्री की। 2020-21 की पहली तिमाही में कर-पूर्व लाभ रूपए 759 करोड़ रहा जो वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के रूपए 1913 करोड़ के मुकाबले 60 प्रतिशत कम है। इसी प्रकार 2020-21 की पहली तिमाही में कर पश्चात लाभ रूपए 533 करोड़ रहा जो वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के रूपए 1179 करोड़ के मुकाबले 55 प्रतिशत कम है।
श्री देब ने बताया कि वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कुल कारोबार रूपए 1938 करोड़ रहा जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में रूपए 3264 करोड़ था। वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में राष्ट्रीय स्तर पर लौह अयस्क उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 45 प्रतिशत की कमी आयी जबकि एनएमडीसी में 22 प्रतिशत की कमी आयी। साथ ही, एनएमडीसी ने वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत के कुल लौह अयस्क उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत उत्पादन किया।
श्री देब ने यह भी बताया कि यह कठिनाइयों वाला वर्ष है जिसमें वैश्विक महामारी के कारण अभूतपूर्व परिस्थितियां उत्पन्न हुई हैं। मुझे प्रसन्नता है कि तमाम चुनौतियों का सामना करने के बावजूद हमारा प्रदर्शन सुस्थिर रहा है। मुझे विश्वास है कि सामान्य हो रही परिस्थितियों में आगामी तिमाहियों में हम महत्वपूर्ण सुधार कर सकेंगे।
रायपुर, 29 अगस्त। मैग्नेटो द मॉल में गणेश चतुर्थी को एक निराले अंदाज़ में मनाया जा रहा है। मॉल के एट्रियम-1 में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गयी है। इस साल गलवान घाटी की थीम पर प्रतिमा सजाई गई है। देश भक्ति की भावना पर आधारित इस झांकी ने लोगों को अहम सन्देश प्रदान किया है। झांकी में एक ड्रैगन भी मौजूद है। दर्शन-आरती को सोशल डिस्टैन्सिंग के साथ हो रही है।
रायपुर, 29 अगस्त। अटल नगर स्थित आईआईआईटी के डॉयरेक्टर और वाइस चांसलर डॉ. प्रदीप के. सिन्हा ने बताया कि लीडिंग एजुकेशन इंस्टीटयूट इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी ने तीसरे इंडस्ट्रिया एकेडिमिया मीट को ऑनलाइन होस्ट किया। इस इवेंट में देश भर से इंडस्ट्री के टॉप एक्सपर्ट्स, फैकल्टी, स्टाफ और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इस इवेंट का उद्देश्य इंडस्ट्री और एकेडमिक कम्युनिटी के बीच की दूरी कम करना है।
डॉ. सिन्हा ने सभी सम्मानीय गेस्ट, फैकल्टी और छात्रों का इवेंट में स्वागत किया। उन्होंने अपनी वेलकम स्पीच उस समय से शुरू की जब वह पांच साल पहले आईआईआईटी-एनआर के साथ जुड़े थे। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे इंस्टीटयूट को शुरुआती सालों के प्लेसमेंट में चुनौतियों का सामना करना पड़ा और उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह आने वाले प्रीमियम इंस्टीटयूट जैसे आईआईआईटी नया रायपुर के लिए क्यों महत्वपूर्ण हो जाता है कि इंडस्ट्री के साथ लगातार संपर्क बनाये रखा जाए।
डीन (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) प्रो. पुण्य प्रसन्ना पल्तानी ने कहा, ये प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग टेक्नोलोजी के कटिंग एज पर आधारित थे जैसे कि आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस, डाटा साइंस, इन्टरनेट, डाटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, सिग्नल प्रोसेसिंग और वीएलएसआई डिजाइन आदि। इस तरह का इवेंट रातोंरात होना संभव नहीं है। इसकी शुरुआत महीनो पहले हो चुकी थी। यह केवल समर्पित और उत्साहित साथियों की वजह से संभव हो पाया।
ट्रेनिंग एंड करियर कॉल इंचार्ज डॉ. अमित कुमार ने छात्रों के करियर प्लानिंग और कैरियर एडवांसमेंट में आईएएम 2020 की भूमिका के बारें में बताया। टेक्नोलोजी शोकेस चैलेन्ज' थीम कई उपायों द्वारा विस्तृत किया गया और ‘टेक्नोलॉजी ड्रिवेन करियर अपार्चुनिटी’ सभी इंडस्ट्री प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए अवसर द्वारा बात को पर्याप्त रूप से स्पष्ट किया गया था।
उन्होंने कई विषयों के बारे में विस्तृत चर्चा की, आज के इंजीनियरों को टेक्नोलोजी-ओरिएंटेड करियर के विविध विषयों का पता लगाने के लिए खुद को एक्सप्लोर करना चाहिए
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 29 अगस्त। अटल नगर स्थित बालको मेडिकल सेंटर में आज एक प्रेसवार्ता के द्वारा कैंसर उपचार के लिए सीआरएस+हाईपैक प्रक्रिया पर प्रकाश डाला गया। बालको मेडिकल सेंटर के चिकित्सा सेवाएं प्रमुख डॉ. जयेश शर्मा ने बताया कि यह एक विशेष प्रकार की कीमोथेरेपी जिसे हाईपैक कहा जाता है, पेट में फैले विकसित कैंसर वाले कुछ रोगियों के लिए एक उम्मीद की किरण है। पारंपरिक कीमोथेरेपी के विपरीत, जिसे नसों के माध्यम से डाला जाता है, हाइपरथर्मिक इंट्रा-पेरिटोनियल कीमोथेरेपी (हाईपैक) पेट के कैंसर कोशिकाओं को सीधे उच्च मात्रा की कीमोथेरेपी प्रदान करके किया जाता है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि हाल ही में बालको मेडिकल सेंटर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी टीम ने एक नहीं बल्कि दो हाईपैक प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक किया। एक मध्यम आयु वर्ग की महिला रोगी, जो स्यूडोमिक्सोमा पेरिटोनी से पीडि़त थी। यह एक दुर्लभ कैंसर है जिसमें पेट में अपेंडिक्स से बलगम स्रावित कैंसर कोशिकाओं का एक प्रगतिशील निर्माण होता है। एक अन्य महिला अंडाशय के कैंसर की मरीज थी। दोनों मरीज इस जटिल सर्जरी के सफलतापूर्वक होने के बाद ठीक हो रहें हैं, जिसे पूरा करने में 12 घंटे लगे।
डॉ. शर्मा ने बताया कि हाईपैक बृहदान्त्र, अंडाशय और अपेंडिक्स के उन्नत या मेटास्टेटिक कैंसर के चयनित रोगियों के लिए और कैंसर के लिए जिसमें उपचार के विकल्प उपलब्ध नहीं हैं या पहले से ही असफल साबित हुए हैं, प्रभावी साबित हुआ है। इसका उपयोग मिसोथिलिओमा के इलाज के लिए भी किया जा सकता है, जो एक दुर्लभ को प्रभावित करता है। हाईपैक प्रक्रिया साइटोरेडेक्टिव सर्जरी (सीआरएस) कैंसर सर्जरी के साथ की जाती है, जिसके दौरान एक सर्जन पेट के अंदर से सभी दिखाई देने वाले कैंसर को हटा देता है। गर्म, जीवाणुरहित कीमोथेरेपी (41-43 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ) पेट में शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए लगभग ढेड़ घंटे तक पहुंचाया जाता है। भिन्न कैंसरों के लिए भिन्न कीमोथेरेपी एजेंट्स का उपयोग होता है।
ऑनकोसर्जन डॉ. अश्वनी सचदेवा ने बताया कि क्योंकि हाईपैक एक जटिल प्रक्रिया है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम उन रोगियों की पहचान करें जो इससे सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। हमने सीखा है कि कुछ प्रकार के कैंसर में हाईपैक के साथ सफलता और संभावित इलाज सबसे अच्छा है। कीमोथेरेपी को गर्म करना इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब यह गर्म होता है, तो कीमोथेरेपी ऊतक में अधिक गहराई से प्रवेश करती है, और अधिक से अधिक कैंसर कोशिकाओं को मार सकती है।
ऑनकोसर्जन डॉ. सुनील कौशिक कोमांडुरी ने बताया कि अनुसंधान से पता चला है कि, सावधानीपूर्वक चयनित रोगियों में, जैसे अपेंडिक्स और बृहदान्त्र के उन्नत मेटास्टेटिक कैंसर, उन्नत डिम्बग्रंथि के कैंसर, और पेरिटोनियल मिसोथिलिओमा वाले लोगों में हाईपैक से जीवन काल में काफी वृद्धि कर सकता है। हाईपैक के साथ, इस प्रकार के कैंसर को पूरी तरह से ठीक करने और जीवन काल में वृद्धि करना संभव है।
नई दिल्ली, 28 अगस्त। ट्रांसियन होल्डिंग्स के ग्लोबल प्रीमियम स्मार्टफोन ब्रांड टेक्नो ने भारत में स्पार्क सीरीज के तहत नए बजट स्मार्टफोन के लॉन्च की तैयारी कर ली है। यह फोन शाओमी के रेडमी नोट 8ए डुअल और रियमली के सी2 और सी11 को चुनौती देगा। टेक्नो ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स पर हैशटैगबिगबीइंटरटेनमेंट जारी किया है। इससे यह प्रतीत होता है कि टेक्नो का यह नया उत्पाद टेक्नो स्पार्क गो प्लस का उत्तराधिकारी होगा, जिसे इसी साल लॉन्च किया गया था।
नया स्पार्क डिवाइस अगले सप्ताह लॉन्च हो सकता है। यह जानकारी इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने शुक्रवार को आईएएनएस को दी।
नए फोन में बड़ा डिस्प्ले, बड़ी बैटरी और एक बेहतरीन कैमरा हो सकता है। साथ ही साथ दर्शकों को मनोरंजन के लिहाज से शानदार अनुभव देने के लिए इसे हर लिहाज से प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया गया है।
टेक्नो ने बजट सेगमेंट में लगातार नए फीचर्स पेश किए हैं।
उसका टेक्नो स्पार्क गो प्लस पहली बार बाजार में सुपर बिग 6.52इंच एचडी प्लस डॉट नॉच डिस्प्ले के साथ आया था और इसकी कीमत सिर्फ 6299 रुपये रखी गई थी। इसी तरह टेक्नो स्पार्क पावर 2 में 6000 एमएएच की बैटरी थी, जो 10 हजार रुपये के सेगमेंट में पहली बार पेश किया गया था।
अपने शानदार स्मार्टफोन्स के माध्यम से टेक्नो भारत में 50 लाख ग्राहक बना चुका है और यह संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है।(IANS)
निशांत अरोड़ा
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| टिकटॉक पिछले कुछ दिनों से काफी विवादों में है, जिसके चलते लगातार सूर्खियों में भी बना हुआ है। अब इसमें एक नया मोड़ आया है, जिसके तहत अमेरिका की दिग्गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने टिकटॉक के कारोबार को खरीदने के लिए माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर एक संयुक्त बोली लगाई है। इस रेस में औरेकल कॉर्पोरेशन पहले से ही शामिल था और अब वॉलमार्ट भी रेस का हिस्सा बन गया है।
अब सवाल ये है कि अमेरिका में अभी जिस तरह का राजनीतिक माहौल है, उसमें क्या डील बेहतर साबित हो पाएगी? यह देखने वाली बात है।
रिपोर्ट के मुताबिक, टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस अमेरिका सहित कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में इसके कारोबार को बेचने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्धारित किए गए 90 दिनों की समय सीमा के दरमियान एक समझौते के काफी करीब है, जिसे 20 अरब डॉलर से 30 अरब डॉलर के बीच में तय किया जाना है।
हालांकि, टिकटॉक द्वारा ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अमेरिका में इसकी मूल कंपनी बाइटडांस के साथ लेनदेन पर 45 दिनों के अंदर प्रतिबंध लगाने के कार्यकारी आदेश पर एक मुकदमा दायर करने के बीच इस वक्त इसका भविष्य अनिश्चित है। अमेरिकी कंपनियों के लिए इसका अधिग्रहण करना आगे आने वाले समय में कितना फायदेमंद साबित होगा, इस पर अभी कुछ भी कहना काफी जल्दबाजी होगी।