मनोरंजन
नयी दिल्ली, 2 जनवरी। पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान ने अपनी फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट’ को लेकर कहा कि यदि यह भारत में रिलीज़ होती तो दोस्ती का हाथ बढ़ाने का यह एक अच्छा तरीका होता- ठीक वैसे ही जैसे ईद और दिवाली पर एक दूसरे को मिठाइयां भेजी जाती हैं।
इस पाकिस्तानी फिल्म को 30 दिसंबर को भारत में रिलीज़ किए जाने की योजना थी लेकिन इसे टाल दिया गया।
बिलाल लाशारी द्वारा निर्देशित फिल्म में फवाद खान के अलावा माहिरा खान भी हैं। “द लीजेंड ऑफ मौला जट” 1979 में आई ‘मौला जट’ से प्रेरित है। इस फिल्म को पिछले साल 13 अक्टूबर को पाकिस्तान में रिलीज़ किया गया था और यह दुनिया भर के बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली अबतक की पहली पाकिस्तानी फिल्म है। इसने एक करोड़ डॉलर की कमाई की है।
सीएनएन के साथ साक्षात्कार में फवाद से पूछा गया था कि वह फिल्म को भारत में रिलीज़ किए जाने को लेकर क्या सोचते हैं?
साक्षात्कार में 41 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि अगर फिल्म “ रिलीज़ की जाती तो यह ज़ाहिर तौर पर अच्छा होता। अगर ऐसा होता तो यह दोस्ती का हाथ बढ़ाने का अच्छा तरीका होता। ठीक वैसे ही जैसे हम अच्छे वक्त में और ईद तथा दिवाली पर एक-दूसरे को मिठाइयां और शुभकामनाएं भेजते हैं।”
इस साक्षात्कार का वीडियो उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पेज पर साझा किया है।
अभिनेता ने कहा, “ फिल्म और संगीत एक तरह का आदान-प्रदान है, जो दोनों देशों के बीच कूटनीति के लिए बहुत अच्छा होगा। चीज़ें अब भी थोड़ी तनावग्रस्त हैं। इसलिए देखते हैं, क्या होता है। मैंने सुना है कि फिल्म रिलीज़ की जा सकती है और मैंने यह भी सुना है कि फिल्म रिलीज़ नहीं की जा सकती। लिहाज़ा देखते हैं कि क्या होता है।”
आईएनओएक्स के एक अधिकारी ने पिछले हफ्ते कहा था कि फिल्म को भारत में रिलीज़ किए जाने की योजना को टाल दिया गया है।
मल्टीप्लेक्स श्रृंखला के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा था, “ हमें वितरकों ने बताया कि फिल्म की रिलीज़ को टाल दिया गया है। हमें यह दो तीन दिन पहले बताया गया था। हमसे कोई और तारीख साझा नहीं की गई है।”
मनोरंजन जगत से जुड़े एक शख्स ने पहले कहा था कि समाज के कुछ तबकों के विरोध के कारण फिल्म की रिलीज़ को टाला गया है।
उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर पीटीआई-भाषा से कहा, “ ज़ी स्टूडियोज़’ ने ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट’ के अधिकार खरीदे थे, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि फिल्म अच्छा करेगी। मगर कुछ वर्गों के विरोध के कारण फिल्म को रिलीज़ नहीं करने का फैसला लिया गया है।”
उस समय, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की सिनेमा शाखा के अध्यक्ष अमेय खोपकर ने ट्वीट किया था कि पार्टी की चेतावनी के बाद फिल्म की रिलीज़ रोक दी गई है।
पिछले महीने मल्टीप्लेक्स श्रृंखला पीवीआर सिनेमा ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज पर फिल्म को रिलीज़ किए जाने की तारीख साझा की थी लेकिन बाद में वह पोस्ट हटा लिया गया।
साल 2011 में पाकिस्तानी फिल्म ‘बोल’ भारत के सिनेमाघरों में रिलीज़ की गई थी।
पाकिस्तानी फिल्में भारत में आयोजित महोत्सवों में प्रदर्शित की जाती रही हैं। (भाषा)
मुंबई, 2 जनवरी | महाराष्ट्र बीजेपी की महिला अध्यक्ष चित्रा किशोर वाघ ने सोशल मीडिया सेनसेशन उर्फी जावेद पर नग्नता में लिप्त होने का आरोप लगाया है। जिसके बाद वाघ की टिप्पणी पर उर्फी जावेद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब तक उनके प्राइवेट पार्ट नहीं दिख जाते उन्हें जेल नहीं हो सकती। चित्रा किशोर वाघ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुंबई में क्या हो रहा है? क्या मुंबई पुलिस के पास इस महिला को रोकने के लिए आईपीसी/सीआरपीसी की कोई धारा है, जो मुंबई की सड़कों पर खुलेआम नग्नता में लिप्त है? उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करें।
उर्फी जावेद ने चित्रा किशोर वाघ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि मेरे नए साल की शुरुआत एक और राजनेता की एक पुलिस शिकायत के साथ हुई! असली काम नहीं है इन राजनेताओं के पास? क्या ये राजनेता और वकील गूंगे हैं? संविधान में ऐसा कोई आर्टिकल नहीं है जिसे मुझपर लागू किया जा सके और जेल भेजा जा सके।
जब तक मेरे प्राइवेट पार्ट नहीं दिखाई नहीं देते आप मुझे जेल नहीं भेज सकते। ये लोग केवल मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। मुंबई में मानव तस्करी और सेक्स तस्करी बहुत हैं, मैं इसके खिलाफ हूं। उन अवैध डांस बार और वेश्यावृत्ति को बंद करने के बारे में क्या ख्याल है जो फिर से मुंबई में हर जगह मौजूद हैं।
उर्फी ने आगे कहा कि मुझे मुकदमा या बकवास नहीं चाहिए, अगर आप अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की संपत्ति का खुलासा करते हैं तो मैं अभी जेल जाने के लिए तैयार हूं। आप दुनिया को बताएं कि एक राजनेता कितना और कहां से कमाता है। आपकी पार्टी के कई लोगों पर समय-समय पर उत्पीड़न आदि के आरोप लगते रहे हैं।
उर्फी इन दिनों डेटिंग बेस्ड रियलिटी शो 'स्प्लिट्सविला एक्स4' में नजर आ रही हैं। उन्होंने अपने न्यू ईयर सेलिब्रेशन की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 2 जनवरी (आईएएनएस)| बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन की 2023 की पहली पोस्ट ने सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोरी हैं और सही कारणों से इंटरनेट पर कब्जा कर लिया है।
ऋतिक रोशन ने इंस्टाग्राम पर तस्वीर साझा करते हुए अपने सिक्स-पैक एब्स और पूरी तरह से फिट बॉडी को दिखाया है।
ऋतिक ने लिखा, "ठीक है। चलते हैं। हैशटैग 2023।"
जैसे ही उन्होंने तस्वीर साझा की, उनके दोस्तों ने कमेंट सेक्शन में उनकी तारीफ की।
वरुण धवन ने टिप्पणी करते हुए कहा, "ठीक है फिर।"
पुनीत मल्होत्रा ने लिखा, "बूम!" इसके बाद एक फायर इमोटिकॉन।
पिछले महीने ऋतिक अपने बेटे रेहान और रिधान, गर्लफ्रेंड सबा आजाद और कजिन ईशान और पश्मीना के साथ फ्रांस में छुट्टियां मना रहे थे।
वर्कफ्रंट की बात करें तो, ऋतिक अगली बार दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म 'फाइटर' में नजर आएंगे।
उन्हें आखिरी बार पर्दे पर 'विक्रम वेधा' में देखा गया था, जिसमें सैफ अली खान और राधिका आप्टे भी थे।
हैदराबाद, 2 जनवरी शकुंतला और राजा दुष्यंत की प्रेम कहानी पर आधारित और समांथा रुथ प्रभु अभिनीत फिल्म ‘शाकुंतलम’ दुनिया भर में 17 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
यह तेलुगु फिल्म पहले चार नवंबर, 2022 को पर्दे पर आने वाली थी, लेकिन इस प्रेम कहानी का अनुभव दर्शक 3डी प्रारूप में कर सकें इसलिए इसकी रिलीज में देरी हुई।
समांथा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर सोमवार को फिल्म ‘शाकुंतलम’ के रिलीज होने की नई तारीख की घोषणा की।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, “देखिए! शकुंतला और राजा दुष्यंत की ऐतिहासिक प्रेम कहानी ‘शाकुंतलम’ 17 फरवरी, 2023 से दुनिया भर के सिनेमाघरों में। 3डी में भी।”
कालिदास के प्रशंसित संस्कृत नाटक ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ पर आधारित, यह फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक गुणशेखर (रुद्रमादेवी) द्वारा लिखित और निर्देशित है। (भाषा)
-मधु पाल
कोरोना काल के बाद फ़िल्म इंडस्ट्री में कामकाज की रफ़्तार बढ़ी और साल 2022 में कई छोटी-बड़ी फ़िल्मों ने रुपहले पर्दे पर अपनी छाप छोड़ी लेकिन ओटीटी (ओवर द टॉप) का दबदबा बदस्तूर कायम रहा.
2022 में थिएटर, टीवी और बॉलीवुड से जुड़े कई सितारों ने भी ओटीटी की दुनिया में क़दम रखा और उन्हें वहां खासी सफलता भी मिली.
दमदार एक्टिंग की बदौलत इन सितारों की चर्चा लंबे समय तक होती रही.
जब से ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म आया है तब से थिएटर आर्टिस्ट से लेकर टेलीविज़न और बॉलीवुड से जुड़े कई कलाकारों को ना सिर्फ़ अपना अभिनय दिखने का मौका मिला है बल्कि वो पहचान भी मिली है जिसके लिए उन्हें लम्बा इंतज़ार करना पड़ा.
ऐसे कई कलाकार बॉलीवुड फ़िल्मों में भी काम कर ही रहे हैं लेकिन ओटीटी की दुनिया ने उन्हें कामयाबी की नई ऊंचाई दिलाई है. नए साल (2023) में कई सितारों की बेटियां ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर डेब्यू करने वाली हैं.
दर्शक भी उन्हें खूब प्यार दे रहे हैं. आइए जानते हैं 2022 में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर राज करने वाले उन सितारों के बारे में जो अभिनय के दम पर दर्शकों के चहेते बन गए.
ओटीटी पर नंबर-1
'ऑर्मेक्स मीडिया' ने जुलाई से लेकर सितंबर 2022 तक ओटीटी की दुनिया में राज करने वाले कलाकारों के नाम बताए हैं.
'ऑर्मेक्स मीडिया' ने ओटीटी की दुनिया के टॉप-10 सितारों की लिस्ट जारी की है. जिसमें टॉप तीन की खूब चर्चा हो रही है.
इस लिस्ट में पहले नंबर पर पंकज त्रिपाठी हैं.
पंकज त्रिपाठी के फैन्स उन्हें कभी 'कालीन भैया' बुलाते हैं तो कभी 'माधव मिश्रा' या फिर 'गुरु जी'.
इन किरदारों ने पंकज त्रिपाठी को ओटीटी की दुनिया के टॉप 3 सितारों में सबसे चर्चित बना दिया है.
पंकज त्रिपाठी कई दशक से बॉलीवुड में काम कर रहे हैं लेकिन ओटीटी से उनकी लोकप्रियता को नई ऊंचाई मिली.
ओटीटी की दुनिया ने पंकज त्रिपाठी को अलग लेवल का स्टारडम दिया है.
पंकज त्रिपाठी ने 'सेक्रेड गेम्स', 'क्रिमिनल जस्टिस', 'क्रिमिनल जस्टिस: बिहाइंड क्लोज़्ड डोर्स' और 'क्रिमिनल जस्टिस: अधूरा सच' जैसी वेब सिरीज़ में काम किया है.
जल्द ही वो 'मिर्जापुर 3' में नज़र आएंगे.
ओटीटी पर नंबर-2
इस लिस्ट में दूसरा नाम है अभिनेता मनोज बाजपेयी का. मनोज उन कलाकारों में शामिल हैं जिन्होंने बॉलीवुड फ़िल्मों में धूम मचाई और ओटीटी पर क़दम रखते ही फैन्स को मुरीद बना लिया.
'द फैमिली मैन' वेब सिरीज़ से घर-घर में छा गए मनोज बाजपेयी जल्द ही इसके तीसरे सीज़न में नज़र आने वाले हैं. साल 2022 में मनोज बाजपेयी 'सीक्रेट्स ऑफ़ सिनौली' वेब सिरीज़ में एक नैरेटर की भूमिका में दिखे.
इसके अलावा वो 'रे' और 'सूप' जैसी वेब सिरीज़ में भी नज़र आए.
सिनेमाघरों में 2018 में रिलीज़ हुई मनोज बाजपेयी की फ़िल्म 'गली गुलियां' चार साल के लंबे इंतज़ार के बाद अब ओटीटी पर रिलीज़ हुई.
सिनेमाघर में तो ये फ़िल्म नज़रअंदाज़ हो गई थी लेकिन ओटीटी पर इसकी चर्चा हो रही है बल्कि मनोज की ये फ़िल्म तारीफ़ भी बटोर रही है.
ओटीटी पर नंबर-3
'ऑर्मेक्स मीडिया' की लिस्ट में टॉप 3 सितारों में एक नाम है अभिनेता जितेंद्र कुमार का.
जिस किसी ने भी अमेज़न प्राइम वीडियो की वेब सिरीज़ 'पंचायत' देखी है वो उनके नाम से पूरी तरह वाकिफ़ हैं. पंचायत के 'अभिषेक भइया' को कैसे भुलाया जा सकता है.
इस साल पंचायत का दूसरा सीज़न आया. दर्शकों ने एक बार फिर अपने चहेते अभिषेक भइया को दिल खोल कर प्यार किया.
ये भी कहा जाता है कि छोटे छोटे किरदार निभाते रहे अभिनेता जितेंद्र ने 'कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें इस तरह की लोकप्रियता मिलेगी.'
ओटीटी ने उन्हें वो स्टारडम दिलाया जिसकी कल्पना भी कम कलाकार करते हैं.
अजय देवगन
बॉलीवुड सुपरस्टार अजय देवगन इस साल दर्शकों के बीच काफ़ी छाए रहे. इसकी वजह रही उनकी बॉलीवुड फ़िल्में.
वे 'सूर्यवंशी', 'आरआरआर', 'रनवे 34' और 'दृश्यम 2' जैसी फ़िल्मों में नज़र आए. वहीं वेब शो 'रुद्र: द एज ऑफ़ डार्कनेस' से ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर डेब्यू किया.
इस शो में उनके काम को खूब सराहा गया. इस शो में उनके अलावा ऋचा चड्ढा और प्रतीक गाँधी भी अहम भूमिका में नज़र आए.
इस शो ने अजय देवगन को ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर तारीफ़ बटोरने में मदद की.
बीते 29 साल से हिंदी फ़िल्मों में काम करती रहीं अभिनेत्री शेफाली शाह को लगता है कि उन्हें उतनी लोकप्रियता नहीं मिली जिसकी वो हक़दार थीं.
उन्होंने फ़िल्मों में कई अहम किरदार निभाए. कभी माँ तो कभी भाभी बनीं, लेकिन वो करने का मौका बहुत कम मिला जो वो हमेशा से करना चाहती थीं. उनकी इस चाहत को पूरा किया ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ने.
'दिल्ली क्राइम सीज़न-1' की लोकप्रियता के बाद इस साल 'दिल्ली क्राइम सीज़न-2' भी आया और एक बार फ़िर से दर्शकों ने उनके अभिनय को सराहा.
आज शेफाली शाह ओटीटी के टॉप स्टार्स की लिस्ट में शामिल हैं. शेफाली ख़ुद भी ये मानती हैं कि वेब सीरीज़ में उन्हें ज़्यादा बेहतर भूमिकाएं करने को मिलीं.
इस साल वेब शो 'ह्यूमन' में उनके ग्रे शेड किरदार को बेहद पसंद किया गया.
इसके अलावा शेफाली आलिया भट्ट के साथ फ़िल्म 'डार्लिंग्स' और विद्या बालन के साथ फ़िल्म 'जलसा' में नज़र आईं. ये दोनों ही फ़िल्में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आईं. ओटीटी ने उनके करियर को नई जान दी.
बॉलीवुड स्टार बॉबी देओल को लगभग भुला ही दिया गया था लेकिन ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ने उन्हें एक अभिनेता के तौर पर नया जन्म दिया.
जाने माने निर्देशक प्रकाश झा के वेब शो 'आश्रम' की बदौलत बॉबी देओल के करियर की गाड़ी पटरी पर आई.
'आश्रम' के पहले सीज़न के बाद इस सिरीज़ का तीसरा पार्ट साल 2022 में आया और अब दर्शक चौथे पार्ट का इंतज़ार कर रहे हैं. बाबा निराला के किरदार में दिखे बॉबी देओल को खूब पसंद किया गया.
'आश्रम' के अलावा बॉबी देओल इस साल 'लव हॉस्टल' फ़िल्म में भी दिखे जो ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ हुई थी.
इसमें भी वो नकारात्मक किरदार में थे और उनके साथ नज़र आए विक्रांत मस्सी और सान्या मल्होत्रा.
ओटीटी की 'क्वीन'
बॉलीवुड फ़िल्मों में अपने दमदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं अभिनेत्री राधिका आप्टे लेकिन थिएटर से ज़्यादा उनकी फ़िल्में और सिरीज़ ओटीटी पर रिलीज़ हो रही हैं.
कई लोग उन्हें ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म की 'क्वीन' भी मानते हैं. वजह ये है कि जब ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म का बोलबाला नहीं था, राधिका तब से वहां काम कर रही हैं.
उनकी पहचान बोल्ड विषयों पर आधारित फ़िल्मों से बनी है.
बंगाली और मराठी फ़िल्मों में काम कर चुकीं राधिका आप्टे 'मांझी- द माउंटेन मैन' के अलावा 'वाह लाइफ़ हो तो ऐसी', 'रक्त चरित्र', 'रक्त चरित्र 2', 'शोर इन द सिटी', 'बदलापुर', 'हंटर' और 'पैडमैन' जैसी फ़िल्मों में नज़र आ चुकी हैं.
उन्होंने ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म में 'सेक्रेड गेम्स', 'घोल', 'लस्ट स्टोरीज़', 'हन्टर्स', 'रात अकेली है' जैसे वेब शो में काम किया और साल 2022 में वे 'ओके कंप्यूटर' और 'शांताराम' वेब सिरीज़ में नज़र आईं.
इन सभी सिरीज़ के अलावा राधिका आप्टे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर ही 'फॉरेंसिक' और 'मोनिका ओ माई डार्लिंग' फ़िल्म में नज़र आईं और दर्शकों से जमकर तारीफ़ बटोरीं.
90 के दशक की अभिनेत्रियों के लिए वरदान
साल 2022 ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म के लिए बेहद खास रहा. जहाँ कई सिरीज़ आई वहीं बॉलीवुड से जुड़े कई कलाकारों ने ओटीटी पर डेब्यू भी किया.
इसमें 'धक-धक गर्ल' के नाम से अपनी पहचान बनाने वाली माधुरी दीक्षित का नाम शामिल हैं. जिन्होंने वेब सिरीज़ 'फेम गेम' से ओटीटी पर एंट्री की.
अभिनेत्री रवीना टंडन भी साल 2022 में वेब सिरीज़ 'आरण्यक' में नज़र आईं थी. ये वेब सिरीज़ नेटफ़्लिक्स पर रिलीज़ हुई थी. रवीना ने इसमें एक पुलिस ऑफ़िसर का रोल किया था.
नब्बे के दशक की जानी मानी अभिनेत्रियों में से सिर्फ़ माधुरी और रवीना ही नहीं बल्कि जूही चावला, आयशा जुल्का, सोनाली बेंद्रे और करिश्मा कपूर जैसी अभिनेत्रियों ने भी ओटीटी पर डेब्यू किया.
अभिनेता बोमन ईरानी भी वेब शो 'मासूम' से अपनी ओटीटी की पारी शुरू की.
तो अभिनेता इरफ़ान ख़ान के बेटे बाबिल ख़ान के लिए भी साल 2022 ख़ास रहा क्योंकि उनका भी ये ओटीटी पर डेब्यू साल था.
साल 2023 में ओटीटी पर डेब्यू करने वालों की लिस्ट में शाहरुख़ ख़ान की बेटी सुहाना ख़ान का नाम जुड़ेगा.
वहीं श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी ख़ुशी कपूर भी ज़ोया अख़्तर के निर्देशन में बन रही नेटफ़्लिक्स की फ़िल्म 'आर्ची' से ओटीटी पर डेब्यू करेंगी. (bbc.com/hindi)
-मधु पाल
बॉलीवुड इंडस्ट्री साल 2022 में कई सुपरस्टार्स के लिए अच्छा नहीं रहा. फ़िल्म रिलीज़ से पहले विवादों, चर्चाओं में रह कर सुर्खियां बटोरने वाली कई फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर मुंह के बल धड़ाम गिरीं.
इन बॉलीवुड स्टार्स में कई बड़े नाम हैं, लेकिन पर्दे पर ये कोई कमाल नहीं दिखा पाए बल्कि इनकी फ़िल्में फ़्लॉप रहीं.
कुछ बड़े कलाकारों की फ़िल्में चार साल के लम्बे इंतज़ार के बाद आईं लेकिन फिर भी लोगों के दिलों में राज करने में असफल रहीं.
ये साल उन सुपरस्टार्स के लिए भी बहुत संघर्षपूर्ण रहा जिनकी फिल्में अक्सर बॉक्स ऑफिस में चल जाया करती थीं.
आइये जानते हैं, वे कौन से सितारे हैं जिनकी किस्मत का बॉक्स ऑफिस ने साथ नहीं दिया.
आमिर ख़ान की 'लाल सिंह चड्ढा'
बॉलीवुड के परफ़ेक्शनिस्ट कहे जाने वाले अभिनेता आमिर ख़ान की फ़िल्म 'लाल सिंह चड्ढा' चार साल के लम्बे इंतज़ार के बाद रिलीज़ हुई.
इस फ़िल्म के लिए आमिर ख़ान ने 6 साल मेहनत की थी. आमिर की फ़िल्मों के लिए उनके फैंस हमेशा इंतज़ार करते रहे हैं और उनकी फ़िल्में चलती भी हैं.
फ़िल्म 'दंगल' की कामयाबी के बाद 'लाल सिंह चड्ढा' लेकर आये थे जो अंग्रेजी फ़िल्म 'फॉरेस्ट गंप' का रीमेक थी.
इस फ़िल्म से बहुत उम्मीद थी लेकिन ये सभी उम्मीदें टूट गईं और इसे फ्लॉप करार दिया गया.
इस फ़िल्म ने सिर्फ़ 60 करोड़ की ही कमाई की थी जो अब तक के अमिर ख़ान के फ़िल्मी करियर की सबसे कम कमाई थी.
फ़्लॉप एक्टर्स में सबसे ऊपर अक्षय
बॉलीवुड एक्शन हीरो अक्षय कुमार का नाम इस साल के फ्लॉप एक्टर्स में सबसे ऊपर है. इस साल उनकी लगातार चार बड़ी फ़िल्में फ्लॉप रहीं, 'बच्चन पांडेय', 'पृथ्वीराज', 'रक्षाबंधन' और 'रामसेतु'.
इन फ़िल्मों को बॉक्स ऑफिस पर ज़रा भी भाव नहीं मिला. कहा जा रहा है कि इससे पहले अभिनेता अक्षय कुमार की ऐसी हालत कभी नहीं हुई.
ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही साल में इतनी फ्लॉप फ़िल्में देने में अक्षय का नाम सबसे ऊपर रहा.
ऋतिक का भी जादू नहीं चला
तमिल फिल्म 'विक्रम वेधा' दक्षिण भारत में खूब चली, लेकिन फिल्म का हिंदी रीमेक बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल साबित हुई.
फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान और ऋतिक रोशन की जोड़ी भी दर्शकों को थिएटर तक नहीं खींच पाई.
ये साल अभिनेता ऋतिक रोशन के लिए भी अच्छा नहीं रहा. इस साल वो अपनी फ़िल्मों से ज़्यादा अपनी पर्सनल लाइफ़ को लेकर चर्चा में रहे.
रणवीर सिंह को अब 'सर्कस' से उम्मीद
अभिनेता रणवीर सिंह के लिए भी ये साल कुछ खास नहीं. हर साल जहाँ उनकी फ़िल्में सुपर हिट रहा करती थीं वहीं इस साल उनके हाथ भी सिर्फ निराशा ही लगी है.
उनकी फ़िल्म '83' को लेकर जहाँ खूब चर्चा थी वो फ़िल्म भी लोगों को थिएटर तक लाने में नाकामयाब रही.
वहीं उनकी दूसरी फ़िल्म 'जयेशभाई जोरदार' भी पर्दे पर खुद को साबित नहीं कर पाई. इस साल के अंत में उनकी फ़िल्म 'सर्कस' रिलीज़ हुई जिसको भी बहुत अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला.
कंगना की 'धाकड़' धड़ाम
अपने विवादित बयानों से सुर्ख़ियों में रहने वाली कंगना रनौत की फ़िल्म 'धाकड़' भी बेहद सुर्ख़ियों में रही.
ये फ़िल्म जब सिनेमाघरों में आई तो बॉक्स ऑफ़िस पर धड़ाम हो गई. ये फ़िल्म बुरी तरह असफल रही और रिपोर्ट्स के अनुसार इसने महज़ 2 करोड़ की ही कमाई की.
कंगना ने फ़िल्म के इस तरह नाकामयाब होने की उम्मीद तो कतई नहीं की होगी.
टाइगर भी फीके पड़े
बॉलीवुड में अभिनेता टाइगर श्रॉफ अपने लुक्स, एक्शन और डांस के लिए जाने जाते हैं. दर्शक उनके एक्शन और डांस को अक्सर सराहते आये हैं.
टाइगर श्रॉफ और कृति सेनन की पहली फिल्म 'हीरोपंती' को दर्शकों ने बेहद पसंद किया था.
वहीं साल 2022 में 'हिरोपंती-2' रिलीज हुई, लेकिन इसे दर्शकों का उतना प्यार नहीं मिल पाया. वो भी इस साल फ्लॉप एक्टर्स की लिस्ट में शामिल रहे.
शाहिद, जॉन और सिद्धार्थ का बुरा हाल
फ़िल्म 'कबीर सिंह' की लोकप्रियता के बाद जब शहीद कपूर अपनी फ़िल्म 'जर्सी' लेकर पर्दे पर आये तो वो भी फ्लॉप ही रहे.
वहीं अभिनेता जॉन अब्राहम की फ़िल्म 'अटैक पार्ट 1' और 'एक विलन दोबारा' जिसमें उनके साथ अभिनेता अर्जुन कपूर दिखे, ये फ़िल्म भी फ्लॉप रही.
अभिनेता वरुण धवन की फ़िल्म 'भेड़िया' भी कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पाई हालांकि उनकी फ़िल्म 'जुग जुग जियो' ने उन्हें फ्लॉप एक्टर का नाम देने से बचा लिया.
वहीं अभिनेता राजकुमार राव और सिद्धार्थ मल्होत्रा भी दर्शकों को अपने अभिनय से लुभाने में नाकामयाब रहे.
रणबीर कपूर की फ़िल्म 'शमशेरा' तो बहुत बड़ी फ्लॉप रही, वहीं 'ब्रह्मास्त्र' ने उन्हें थोड़ी राहत दी.
ये साल सिर्फ अभिनेता कार्तिक आर्यन और तब्बू का रहा जिनकी फ़िल्म 'भूलभुलैया-2' ना केवल बॉक्स ऑफिस पर हिट रही बल्कि उनके अभिनय की भी खूब प्रशंसा हुई.
अभिनेता अजय देवगन इस साल तीन फ़िल्मों के साथ आये जिनमें से 'रनवे 34', 'थैंक गॉड' और 'दृश्यम 2' जिनमें सिर्फ 'दृश्यम 2' ही सफल रही.
चमके साउथ फ़िल्मों के सितारे
2022 बॉलीवुड के अधिकतर कलाकारों के लिए ये साल उनकी कमाई को लेकर खराब रहा.
इस साल अगर कोई सफल हुए हैं तो साउथ फ़िल्मों के सुपरस्टार.
जूनियर एनटीआर, राम चरण, अल्लू अर्जुन, यश और ऋषभ शेट्टी की पैन इंडिया फ़िल्में जैसे 'RRR', 'केजीएफ़-2', 'पुष्पा' और 'कांतारा' न केवल कामयाब हुईं बल्कि बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों की कमाई करने में भी सफल रहीं. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 31 दिसम्बर | दिग्गज एक्टर अनुपम खेर ने साल 2022 को अलविदा कहते हुए एक वीडियो शेयर की और कहा कि वह कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे। अनुपम ने शनिवार को इंस्टाग्राम पर 'ऊंचाई', 'द कश्मीर फाइल्स' से लेकर 'कार्तिकेय 2' के पीछे के ²श्य का एक वीडियो शेयर किया। वीडियो में इन तीनों फिल्मों में अभिनेता के परफॉर्मेंस शामिल थे।
वीडियो के साथ उन्होंने एक नोट भी लिखा है: मेरे प्यारे दोस्तों! आपका प्यार मुझे पिछले 38 सालों से मिल रहा है। आज मैं जो भी हूं उसमें आप सभी का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन साल 2022 मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है।
इस साल मेरी 3 फिल्में रिलीज हुईं। और आपने तीनों को भरपूर प्यार और आशीर्वाद दिया। दिल की गहराइयों से धन्यवाद। मैं कड़ी मेहनत करना जारी रखूंगा और आप अपना आशीर्वाद और प्यार बनाए रखें। मेरा साल बनाने के लिए धन्यवाद। 2022 सबसे यादगार!
अनुपम ने घोषणा की है कि उन्होंने मुंबई में अपनी 533वीं फिल्म 'मेट्रो.इन दिनो' की शूटिंग शुरू कर दी है। इसमें आदित्य रॉय कपूर, सारा अली खान, नीना गुप्ता, पंकज त्रिपाठी, कोंकणा सेन शर्मा, अली फजल और फातिमा सना शेख हैं।
इसके अलावा, वह अगली बार कंगना रनौत निर्देशित 'इमरजेंसी' और फैमिली एंटरटेनर 'द सिग्नेचर' में दिखाई देंगे। (आईएएनएस)|
चेन्नई, 31 दिसंबर | कॉलीवुड डायरेक्टर, एक्टर, म्यूजिक कंपोजर और सिंगर टी. राजेंद्र देशभक्ति एल्बम 'वंदे वंदे मातरम, वझिया नमधु भारतम' 18 जनवरी को रिलीज करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। टी. राजेंदर ने कहा, मैंने फिल्मों के लिए, संगठनों के लिए, पार्टी के लिए, प्यार और स्नेह के लिए गाने लिखे। अब पहली बार मैंने अपने देश के लिए 'वंदे वंदे मातरम, वझिया नमधु भारतम' गाना बनाया है। यह गाना पैन-इंडियन ऑडियंस के लिए बनाया गया है और इसे तमिल और हिंदी में रिलीज किया जाएगा।
यह गाना तमिल महीने 'थाई' में रिलीज होगा।
अलग-अलग फिल्मों के लिए अपने म्यूजिक एल्बमों के लिए कई प्लेटिनम डिस्क के विजेता राजेंदर दिल को छू लेने वाले गीतों की रचना के लिए जाने जाते हैं। वह नए साल में अपना म्यूजिक रिकॉर्ड लेबल भी लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, मुझे किलिंजलगल के लिए एक प्लेटिनम डिस्क मिली। पुकलाई परिकाधीर्गल, पू पूवा पूथिरुक्कू, पूकल विदुम थुधू, कुलीक्करन सभी रिकॉर्ड तोड़ हिट थे। ऐसे कई रिकॉर्ड तोड़ने के बाद, अब मैं अपनी खुद की कंपनी टीआर रिकॉर्डस शुरू कर रहा हूं।
टी. राजेंद्र ने विश्वास व्यक्त किया कि उनका नया टीआर रिकॉर्डस लोगों के समर्थन से सफलता का स्वाद चखेगा। (आईएएनएस)|
चेन्नई, 31 दिसंबर | कॉलीवुड डायरेक्टर, एक्टर, म्यूजिक कंपोजर और सिंगर टी. राजेंद्र देशभक्ति एल्बम 'वंदे वंदे मातरम, वझिया नमधु भारतम' 18 जनवरी को रिलीज करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। टी. राजेंदर ने कहा, मैंने फिल्मों के लिए, संगठनों के लिए, पार्टी के लिए, प्यार और स्नेह के लिए गाने लिखे। अब पहली बार मैंने अपने देश के लिए 'वंदे वंदे मातरम, वझिया नमधु भारतम' गाना बनाया है। यह गाना पैन-इंडियन ऑडियंस के लिए बनाया गया है और इसे तमिल और हिंदी में रिलीज किया जाएगा।
यह गाना तमिल महीने 'थाई' में रिलीज होगा।
अलग-अलग फिल्मों के लिए अपने म्यूजिक एल्बमों के लिए कई प्लेटिनम डिस्क के विजेता राजेंदर दिल को छू लेने वाले गीतों की रचना के लिए जाने जाते हैं। वह नए साल में अपना म्यूजिक रिकॉर्ड लेबल भी लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, मुझे किलिंजलगल के लिए एक प्लेटिनम डिस्क मिली। पुकलाई परिकाधीर्गल, पू पूवा पूथिरुक्कू, पूकल विदुम थुधू, कुलीक्करन सभी रिकॉर्ड तोड़ हिट थे। ऐसे कई रिकॉर्ड तोड़ने के बाद, अब मैं अपनी खुद की कंपनी टीआर रिकॉर्डस शुरू कर रहा हूं।
टी. राजेंद्र ने विश्वास व्यक्त किया कि उनका नया टीआर रिकॉर्डस लोगों के समर्थन से सफलता का स्वाद चखेगा। (आईएएनएस)|
मुंबई, 31 दिसम्बर | 'लॉक उप' फेम अंजलि अरोड़ा ने अपने नए साल के सेलिब्रेशन प्लान्स को शेयर किया और बताया कि 2022 की समाप्ति के बाद वह क्या मिस करने वाली हैं। उन्होंने कहा, मैंने अपने करीबी दोस्तों के साथ नए साल की पार्टी करने का प्लान बनाया है और हम बहुत सारी मस्ती और खुशियों के साथ नए साल 2023 का स्वागत करेंगे।
उन्होंने अपने नए साल के जश्न की एक याद साझा करते हुए कहा: सबसे अच्छी याद हमेशा मेरे माता-पिता के साथ होती है। हम सभी शाम को बंगला साहिब गुरुद्वारा जाते हैं और एक साथ नए साल का स्वागत करते हैं, फिर मेरी मम्मी रात के खाने के लिए टेस्टी डिनर तैयार करती हैं। हम सभी उस पल का पूरी तरह से आनंद लेते हैं, नए साल के पहले दिन हम सभी मंदिर जाते हैं और शांति और समृद्धि के साथ इसकी शुरूआत करते हैं।
एक्ट्रेस ने आगे कहा, मैंने इस साल ट्रोल्स और हेटर्स को नजरअंदाज करना सीखा है। कभी भी नेगेटिव लोगों को खुद को नुकसान नहीं पहुंचाने दिया। इसके अलावा दुनिया में बहुत सारे अच्छे लोग हैं जो मुझे और मेरे काम से प्यार करते हैं। इसलिए मुझे उन पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
2023 के अपने प्लान्स के बारे में बोलते हुए एक्ट्रेस ने कहा, मैं अपने दर्शकों के लिए और अधिक अच्छे प्रोजेक्ट करना पसंद करूंगी। मैं और अधिक एक्टिंग करने की योजना बना रही हूं। (आईएएनएस)|
[to perform at Winter Music Fest in Dubai.] मुंबई, 31 दिसंबर (आईएएनएस)| पॉप सनसनी अरमान मलिक ने 11 भाषाओं में गाने गाए हैं और भारतीय संगीत में अपने व्यापक काम के लिए पुरस्कार जीते हैं। उन्होंने इस साल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। उन्होंने कहा कि 2022 पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से किसी जादुई से कम नहीं रहा है। अरमान ने हिंदी, तेलुगू, अंग्रेजी, बंगाली, कन्नड़, मराठी, तमिल, गुजराती, पंजाबी, उर्दू और मलयालम सहित भाषाओं में अपनी गायन क्षमता का लोहा मनवाया है। उन्होंने इस साल एड शीरन के साथ मिलकर 2022 एमटीवी यूरोप म्यूजिक अवार्ड जीता। वहीं, उन्होंने 'यू' के लिए लगातार दूसरी बार बेस्ट इंडिया एक्ट ने कोका कोला इंडिया ओरिजिनल सॉन्ग को अपनी आवाज दी।
उन्होंने अपना खुद का लेबल - ऑलवेज म्यूजिक ग्लोबल भी शुरू किया।
2022 को याद करते हुए अरमान ने कहा, मैं इस साल इतने सारे शानदार पलों के लिए बेहद आभारी हूं। साल की शुरूआत में 'यू' को रिलीज करने से लेकर इसके लिए एमटीवी ईएमए जीतने तक, अपनी छाप (ऑलवेज म्यूजिक) लॉन्च करने से लेकर ग्लोबल) अपना पहला घर खरीदने तक एड शीरन के साथ एक गाना गाने से लेकर मेरा पहला भारत दौरा करने तक, 2022 व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह से जादुई से कम नहीं है।
उन्होंने अंत में कहा, "मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे वह करने को मिलता है, जो मैं हर दिन प्यार करता हूं और लोगों के दिलों को छूता हूं। प्यार, स्वास्थ्य, सफलता और सबसे महत्वपूर्ण खुशी से भरे एक अद्भुत 2023 की प्रतीक्षा कर रहा हूं।"
देहरादून, 31 दिसम्बर | हादसे के बाद क्रिकेटर ऋषभ पंत की हालत स्थिर बनी हुई है। उनके दिमाग और रीढ़ की हड्डी में कोई चोट नहीं आई है। उनके घुटने और टखने का स्कैन होना बाकी है। पंत के चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी हो चुकी है। डॉक्टरों के अनुसार उनके पैर में फ्रैक्चर है, लेकिन यह ज्यादा गंभीर नहीं है। अनुपम खेर और अनिल कपूर पंत से मिले : बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर और अनिल कपूर ने ऋषभ पंत से मुलाकात की है। दोनों ने पंत की सेहत का हाल जाना। इससे पहले बीसीसीआई सचिव जय शाह ने भी पंत के परिवार से बात की थी और हर तरह की मदद की बात कही थी। पीएम मोदी भी पंत के परिवार से बात कर चुके हैं।
पंत से मिलेगी डीडीसीए की टीम : ऋषभ पंत से मिलने के लिए डीडीसीए की टीम रवाना हो चुकी है। दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएसन के अध्यक्ष श्याम शर्मा ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो ऋषभ पंत को एयरलिफ्ट किया जाएगा। हालांकि पंत की हालत खतरे से बाहर है।
पंत के घुटने और टखने का स्कैन आज : पंत के सिर और रीढ़ की हड्डी का स्कैन हो चुका है और रिपोर्ट सामान्य है। वहीं, आज उनके घुटने और टखने का स्कैन होना है। पंत के पैर में फ्रैक्चर है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह भी ज्यादा गंभीर नहीं है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ऋषभ पंत के दाहिने घुटने के लिगामेंट फटने को लेकर चिंतित है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीसीसीआई के डॉक्टरों के पैनल ने देहरादून में पंत का इलाज कर रहे डॉक्टरों के साथ बैठक की है और यह निर्णय लिया गया है कि उनके लिगामेंट का इलाज बीसीसीआई की मेडिकल टीम द्वारा किया जाएगा। इसके लिए पंत को विदेश भेजा जा सकता है। (आईएएनएस)|
जयपुर, 31 दिसंबर | बॉलीवुड सितारों कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा के शादी करने की खबरों की चर्चा इंटरनेट पर जमकर हो रही है। खबर हैं कि शादी राजस्थान में होगी। बता दें, दिसंबर 2021 में विक्की कौशल और कैटरीना कैफ सवाई माधोपुर के द सिक्स सेंस फोर्ट बरवारा में शादी के बंधन में बंधे थे। अब खबरें आ रही हैं कि कियारा और सिद्धार्थ अगले साल जैसलमेर में शादी के बंधन में बंधेंगे और शादी की तारीख 6 फरवरी तय की गई है। हालांकि, बॉलीवुड की खूबसूरत जोड़ी ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।
सूत्रों के मुताबिक, शादी जैसलमेर पैलेस होटल में होगी, लेकिन सितारों के साथ-साथ होटल से भी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि मेहंदी, हल्दी और संगीत के प्री-वेडिंग फंक्शन 4-5 फरवरी को होंगे, जबकि शादी 6 फरवरी को होगी।
सोशल मीडिया पर अब तक बॉलीवुड सितारों ने अपनी शादी को लेकर कोई क्लू नहीं दिया है, जहां कियारा ने अपने हालिया पोस्ट में केबीसी के सेट से अमिताभ बच्चन के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट की है, वहीं सिद्धार्थ ने अपनी अगली फिल्म 'मिशन मजनू' की तस्वीर पोस्ट की है। (आईएएनएस)|
-शकील अख़्तर
भारत में पाकिस्तान की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म 'दी लीजेंड ऑफ़ मौला जट' की स्क्रीनिंग रद्द कर दी गई है. पाकिस्तान की ये एक्शन फ़िल्म दिल्ली और पंजाब के सिनेमाघरों में 30 दिसंबर को रिलीज़ होने वाली थी.
फ़िल्म की स्क्रीनिंग को रद्द करने को लेकर कोई वजह नहीं बताई गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, भारत के मल्टीप्लेक्स सिनेमा ग्रुप पीवीआर और आईनॉक्स के एक कर्मचारी से इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि 'हमें फ़िल्म के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने बताया है कि फ़िल्म की रिलीज़ स्थगित कर दी गई है. हमें इसके बारे में दो-तीन दिन पहले बताया गया था. इसकी कोई वजह नहीं बताई गई है और न ही रिलीज़ के लिए आगे की कोई तारीख़ बताई गई है.'
26 दिसंबर को आईनॉक्स सिनेमा ग्रुप के चीफ़ प्रोग्रामिंग ऑफ़िसर राजेंद्र सिंह जियाला ने बताया था कि 'मौला जट' उन सिनेमाघरों में दिखाई जाएगी जहां पर पंजाबी बोलने वालों की अधिक तादाद है.
उनकी इस घोषणा के बाद भारत में इस फ़िल्म का इंतज़ार किया जा रहा था. इस फ़िल्म के प्रोमोशन पोस्टर्स भी 'बुक माई शो' जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर आ गए थे.
इस हफ़्ते की शुरुआत में पीवीआर सिनेमा ग्रुप ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर मौला जट की रिलीज़ की तारीख़ शेयर की थी लेकिन एक दो दिन के अंदर ही ये पोस्ट डिलीट कर दी गई.
क्यों रिलीज़ नहीं हुई फ़िल्म
कुछ अन्य ख़बरों में बताया गया है कि भारत के सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म के प्रदर्शन की इजाज़त वापस ले ली है. हालांकि बोर्ड की ओर से इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है और न ही बोर्ड की वेबसाइट पर इसके बारे में कोई ख़बर है.
सिनेमाघरों में फ़िल्म के प्रदर्शन का ऐलान आमतौर पर सेंसर बोर्ड से फ़िल्म के प्रदर्शन की इजाज़त मिलने के बाद ही किया जाता है. फ़िल्म की तारीख़ का ऐलान करने के बाद इसे अचानक स्थगित करने का फ़ैसला डिस्ट्रीब्यूटर्स ने ख़ुद से तो नहीं लिया होगा.
अगर 'मौला जट' भारत के सिनेमाघरों में रिलीज़ होती तो ये साल 2011 में 'बोल' के बाद सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए जाने वाली पहली पाकिस्तानी फ़िल्म होती.
'मौला जट' के भारत में डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार 'ज़ी स्टूडियोज़' के पास है. उनकी तरफ़ से भी फ़िल्म के प्रदर्शन को रद्द करने पर कोई बयान सामने नहीं आया है.
ज़ी ग्रुप भारत में फ़िल्म प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन के अलावा कई टीवी चैनल्स भी चलाता है. इस ग्रुप ने चंद साल पहले भारत में एक चैनल लॉन्च किया था जिस पर पाकिस्तान के चर्चित सीरियल दिखाए जाते थे.
ये चैनल बहुत तेज़ी से चर्चित हुआ था. एक समय ज़ी ग्रुप ने पाकिस्तान के फ़िल्मकारों और अभिनेताओं के साथ मिलकर फ़िल्म बनाने की भी योजना बनाई थी.
लेकिन उड़ी और पुलवामा के चरमपंथी हमलों के बाद जब भारत और पाकिस्तान के संबंध ख़राब हुए तो पाकिस्तानी सीरियल भी बंद हो गए और साथ में फ़िल्म बनाने की योजना भी रद्द कर दी गई.
'मौला जट' के लीड स्टार फ़वाद ख़ान और अभिनेत्री माहिरा ख़ान बॉलीवुड के भी चर्चित स्टार रहे हैं. माहिरा ने साल 2017 में शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म 'रईस' में काम किया था. इस फ़िल्म के बाद वो भारत में काफ़ी चर्चित रहीं.
फ़वाद ने बॉलीवुड की कई हिट फ़िल्मों में काम किया है. साल 2016 के उड़ी हमले के बाद इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन ने भारतीय फ़िल्मों में पाकिस्तानी एक्टर्स और सिंगर्स के काम करने पर पाबंदी लगा दी थी.
महाराष्ट्र में शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने भी धमकी दी थी कि वो पाकिस्तानी एक्टर्स को काम नहीं करने देंगे और न ही वो ऐसी फ़िल्म का प्रदर्शन करने देंगे जिनमें पाकिस्तानी अभिनेता हो.
भारतीय मीडिया की कुछ ख़बरों में ये भी बताया गया है कि कुछ लोग मौला जट की इसलिए भी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि फ़िल्म के दूसरे अभिनेता हमज़ा अली अब्बास कथित तौर पर हाफ़िज़ सईद के समर्थक हैं.
हाफ़िज़ सईद को भारत मुंबई हमलों का मुख्य साज़िशकर्ता मानता है.
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने बीते दिनों धमकी थी कि वो मौला जट का प्रदर्शन नहीं होने देगी. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 30 दिसंबर 'सलाम वेंकी' के अभिनेता विशाल जेठवा ने दिवंगत अभिनेत्री तुनिषा शर्मा के साथ कुछ तस्वीरें साझा कीं। उसे याद करते हुए एक नोट में उन्होंने लिखा, उनके साथ 'राधा-कृष्ण' की भूमिका करने की इच्छा अधूरी रह गई। तुनिषा के हाथ पर एक टैटू देखा था, जिसमें लिखा था 'लव एबभ एवरीथिंग'। उन्होंने लिखा, "मैं इस उम्मीद में क्यों चुप हूं कि आप वापस आएंगी? मैं आपको बता दूं, यह सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि आपके आसपास के सभी लोग, आपके परिवार से लेकर आपके सभी प्रशंसक और शुभचिंतक भी ऐसा ही महसूस करते हैं। यह बहुत दर्दनाक और असहनीय लगता है कि आपने अपने सभी प्रियजनों को बहुत दुख, शोक और सदमे के साथ छोड़ दिया है लेकिन दुख की बात है कि हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि आप चले गए हैं और हम आपको दोबारा नहीं देख पाएंगे।"
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि, वह उनके साथ राधा-कृष्ण की भूमिका निभाना चाहते थे और अब उनकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने राधा और कृष्ण के वेश में तुनिषा के साथ एक तस्वीर भी पोस्ट की।
आगे बताया गया कि, "आपके साथ राधा-कृष्ण की भूमिका निभाने की मेरी इच्छा अधूरी रह गई। हमेशा आपके लिए मेरे शुद्ध प्यार को संजो कर रखूंगा, लंबी चैट, पारिवार के साथ समय.. मुझे नहीं पता था कि चार दिन पहले जब हम मिले थे तो आपके साथ आखिरी मुलाकात होगी।"
उन्होंने आगे कहा, कभी भी किसी व्यक्ति, स्थिति, भौतिक संपत्ति, सपनों या यहां तक कि अपने विचार को भी अपने जीवन से ऊपर न रखें।
'मर्दानी 2' के एक्टर ने तुनिषा के हाथ पर बने टैटू को याद करते हुए कहा, कुछ दिन पहले जब मैं तुनिशा से मिला तो मैंने उसके हाथ पर एक टैटू देखा, जिसमें लिखा था- हर चीज से प्यार करो। तभी मैं उसे बताना चाहता था कि तुम इसे क्यों नहीं 'सेल्फ लव एबव एवरीथिंग' में बदल दिया।
उन्होंने कहा, आप हमेशा सबके दिल में रहेंगी, तुनिषा। सच में बहुत जल्दी चली गईं .. रेस्ट इन पीस। ओम शांति। (आईएएनएस)
मुंबई, 29 दिसम्बर | 'बिग बॉस ओटीटी' फेम उर्फी जावेद टेलीविजन अभिनेत्री तुनिषा शर्मा की आत्महत्या मामले में आरोपी शीजान खान के समर्थन में उतर आई हैं। उर्फी ने इंस्टाग्राम पर एक नोट लिखा, जिसमें कहा कि 20 वर्षीय अभिनेत्री की मौत के लिए शीजान को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उसने लिखा: तुनिशा के मामले में, हां वह गलत हो सकता है, हो सकता है कि उसने उसके साथ धोखा किया हो, लेकिन हम उसे उसकी मौत के लिए दोषी नहीं ठहरा सकते। आप किसी को अपने साथ नहीं रख सकते अगर वो आपके साथ नहीं रहना चाहता है।
उर्फी ने कहा: लड़कियां किसी के लिए भी, मैं फिर रिपीट कर रही हूं कि किसी के लिए भी अपनी कीमती जान न दें। कभी-कभी यह दुनिया के अंत की तरह लग सकता है लेकिन मुझ पर विश्वास करें कि यह नहीं है। उन लोगों के बारे में सोचें जो आपसे प्यार करते हैं या बस कोशिश करें अपने आप को थोड़ा और हार्डर प्यार करो। अपनी हीरो खुद बनो। प्लीज थोड़ा टाइम दें। आत्महत्या के बाद भी दुख खत्म नहीं होता, जो पीछे रह जाते हैं वे और भी ज्यादा दुखी होते हैं।
24 दिसंबर को, अभिनेत्री तुनिशा शर्मा, जो 'अली बाबा: दास्तान-ए-काबुल' की कास्ट में थीं, मुंबई के वसई में एक टीवी सीरियल के सेट पर मृत पाई गईं, उसने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। तुनिषा ने अपने करियर की शुरूआत 'भारत का वीर पुत्र - महाराणा प्रताप' से की और बाद में 'चक्रवर्ती अशोक सम्राट', 'गब्बर पूंछवाला', 'शेर-ए-पंजाब: महाराजा रणजीत सिंह', 'इंटरनेट वाला लव' और 'इश्क सुभान अल्लाह' में काम कर चुकी थी।
युवा अभिनेत्री ने 'फितूर', 'बार बार देखो', 'कहानी 2: दुर्गा रानी सिंह' और 'दबंग 3' जैसी फिल्मों में अभिनय किया था। वह कई संगीत वीडियो में भी दिखाई दी, जो विशेष रूप से 'प्यार हो जाएगा', 'नैनों का ये रोना' और 'तू बैठा मेरे सामने' हैं। (आईएएनएस)
-मधु पाल
कोरोना के चलते हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए पिछले दो साल बहुत मुश्किल भरे थे.
इसलिए जब 2022 आया, तो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की उम्मीदें बढ़ीं और पिछले दो साल तक जो फ़िल्में रिलीज़ नहीं हो पाई थीं, वो भी इस साल रिलीज़ हुईं.
कुल मिलाकर इस साल 850 हिंदी फिल्में रिलीज़ हुईं. ये वो फ़िल्में हैं, जिन्हें सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया.
जबकि ओटीटी पर कम से कम 200 बड़ी और छोटी फ़िल्में आईं.
इन फ़िल्मों में ना कहानी ने फ़ैन्स को लुभाया और ना ही उनके पसंदीदा एक्टर्स ने.
शायद ये एक वजह रही कि फ़िल्म निर्माताओं को भारी नुक़सान उठाना पड़ा.
इस साल आईं उन फ़िल्मों की बात करते हैं जो बड़े स्टार और बड़े बजट के बावजूद फ़्लॉप रहीं.
इन 23 फ़िल्मों पर थी सबकी नज़र
आम तौर पर हर साल बॉलीवुड की लिस्ट में 30 फ़िल्में ऐसी होती हैं जिनका कलेक्शन ब्लॉकबस्टर रहता है.
बॉक्स ऑफ़िस पर इनके कलेक्शन को देख उन्हें हिट या सुपर हिट की श्रेणी में रखा जाता है.
बीबीसी हिंदी से बात करते हुए जाने माने फ़िल्म ट्रेड एनॉलिस्ट गिरीश वानखेड़े कहते हैं, "इस साल भी 23 ऐसी फ़िल्में थीं, जिनकी लागत बहुत थी और बड़े सुपरस्टार के होने के नाते उनका हिट होना तय माना जा रहा था."
उनके मुताबिक, इस साल 850 फ़िल्मों में से 22 को लेकर बहुत उम्मीद लगाई जा रही थी.
लेकिन इनमें सिर्फ़ पाँच फ़िल्में ही सफल रहीं जैसे- 'कश्मीर फाइल्स', 'भूल भुलैया-2' , 'दृश्यम-2', 'ब्रह्मास्त्र' और 'गंगूबाई'.
लेकिन बॉलीवुड की इस ख़ाली जगह को दक्षिण भारत की फ़िल्मों 'RRR', 'केजीएफ़-2', 'पुष्पा' और 'कांतारा' ने भरा.
गिरीश वानखेड़े कहते हैं, "हिंदी में भी रिलीज़ होने के चलते इन फ़िल्मों ने बॉक्स ऑफिस के बिजनेस में इजाफ़ा किया. इनकी वजह से बॉलीवुड की कमाई में इजाफ़ा हुआ. बॉलीवुड की ये हालत एक चिंता का विषय है, इस साल इंडस्ट्री को भारी नुक़सान झेलना पड़ा और करोड़ों रुपए डूब गए."
नहीं चलीं अक्षय की फ़िल्में
गिरीश वानखेड़े के अनुसार इस साल फ़्लॉप फ़िल्में ज़्यादा रहीं. कई डिज़ास्टर फ़िल्में या बेहद ख़राब फ़िल्मों ने सबसे बड़ा झटका दिया. इनकी मार्केटिंग अच्छी थी, बजट अच्छा ख़ासा था लेकिन वे चली नहीं.
वो कहते हैं कि इन फ़िल्मों में पहला नाम 'सम्राट पृथ्वीराज' का है. उसका बजट 220 करोड़ रुपए था. लेकिन उसका बिज़नेस 82 करोड़ रुपए रहा. यह बहुत बड़े बजट की फ़िल्म थी और लीड रोल में थे अक्षय कुमार.
गिराश कहते हैं, "इसका फ़्लॉप होना इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका था. बड़े बजट और बड़े स्टार कास्ट वाली दूसरी फ़्लॉप फ़िल्म थी 'बच्चन पांडे' और इसमें भी लीड रोल में अक्षय कुमार ही थे. इस फ़िल्म का बजट 160 करोड़ रुपए था और बॉक्स ऑफ़िस पर इसका कलेक्शन क़रीब 60 करोड़ रुपए हुआ. यह बहुत बड़ी डिजास्टर फ़िल्म थी."
वो कहते हैं, "अगर डिज़ास्टर फ़िल्मों की बात करें तो आमिर ख़ान की 'लाल सिंह चड्ढा' भी इसी श्रेणी में आती है. उसका बजट था 180 करोड़ रुपए और उसने कमाई की महज़ 73 करोड़ रुपए."
"इसी तरह फ़िल्म थी 'विक्रम वेदा', जिसका बजट था 150 करोड़ रुपए और बिजनेस हुआ 93 करोड़ रुपए. इन फ़िल्मों से अच्छे बिज़नेस की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इनका हाल बहुत बुरा रहा."
यशराज से लेकर धर्मा तक सबको तगड़ा झटका
गिरीश आगे कहते हैं, "फ़ेस्टिवल में रिलीज़ हुई अक्षय कुमार की फ़िल्म 'रक्षाबंधन' 70 करोड़ में बनी थी लेकिन इसका कलेक्शन रहा 57 करोड़ रुपए. 'इस फ़िल्म के प्रमोशन में भी ख़ूब पैसा लगाया गया. फिर आई रणबीर कपूर की 'शमशेरा' जिसका बजट 150 करोड़ रुपए था, जो सिर्फ़ 47 करोड़ रुपए का बिज़नेस कर पाई."
धर्मा प्रोडक्शन की 'लाइगर' को हिंदी के अलावा तेलुगू में भी रिलीज़ किया गया. इसका बजट था 100 करोड़ रुपए लेकिन ये फ़िल्म 48 करोड़ में ही सिमट गई. इसी फ़िल्म से साउथ के सुपरस्टार विजय देवरकोंडा ने हिंदी आडियंस में एंट्री ली थी.
इसके बाद आई 'एक विलन रिटर्न्स'. इसे बनाने में 75 करोड़ रुपए लगे और इसने 46 करोड़ रुपए कमाई की.
'रनवे 34' फ़िल्म ऐसी थी जिसमें अजय देवगन ने निर्देशन के साथ साथ अभिनय भी किया था.
इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन भी थे, इसका बजट था 80 करोड़ रुपए. इसे दो बड़े स्टार भी नहीं बचा पाए और इसका कलेक्शन महज़ 41 करोड़ रुपए हो पाया.
गिरीश कहते हैं, "इसके अलावा 'भेड़िया' को भी अगर देखा जाए तो फ़्लॉप ही कहेंगे. इसका बजट 60 करोड़ और कलेक्शन 40 करोड़ रहा."
उनके अनुसार- आर माधवन की 'रॉकेटरी' एक औसत फ़िल्म थी. 30 करोड़ के बजट में बनी थी और इसने 40 करोड़ तक का बिजनेस किया. फ़िल्म 'जुग जुग जियो' इसी तरह की फ़िल्म थी, जिसका बजट 100 करोड़ था और उसने 90 करोड़ रुपए की कमाई भी की.
टाइगर श्रॉफ की फ़िल्म 'हीरोपंती 2' भी बहुत बड़ी फ्लॉप फ़िल्म रही. इस फ़िल्म का बजट था क़रीब 80 करोड़ रुपए था, लेकिन कमाई हुई सिर्फ़ 27 करोड़ रुपए.
छोटे बजट की फ़िल्मों का भी बुरा हाल
इस साल की शुरुआत से ही बॉलीवुड फ़िल्मों की क़िस्मत अच्छी नहीं रही.
गिरीश कहते हैं कि साल की शुरुआत में ही राज कुमार राव की फ़िल्म 'बधाई दो' रिलीज़ हुई. बजट था सिर्फ़ 30 करोड़ रुपए, लेकिन ये उतनी भी कमाई नहीं कर पाई जितनी उम्मीद की जा रही थी.
अभिनेता शाहिद कपूर की फ़िल्म 'जर्सी' का बजट 60 करोड़ रुपए था, लेकिन कलेक्शन रहा महज़ 22 करोड़ रुपए. अभिनेता जॉन अब्राहम की फ़िल्म 'अटैक' का बजट भी इतना ही था और कमाई भी इसी के आसपास क़रीब 21 करोड़ की हुई.
अमिताभ बच्चन की फ़िल्म 'झुंड' आई थी, जिसका बजट था 20 करोड़ रुपए था और जिसने बॉक्स ऑफ़िस पर 17 करोड़ रुपए कमाई की.
आयुष्मान खुराना की 'एक्शन हीरो' भी फ़्लॉप ही रही, उसकी कमाई भी ना के बराबर रही
फ़िल्में फ़्लॉप होने की वजहें
गिरीश वानखेड़े की मानें तो इन फ़िल्मों के फ़्लॉप होने का मुख्य कारण ख़राब कंटेन्ट रहा.
वो कहते हैं, "अगर आपका कंटेन्ट अच्छा हो, जैसे 'दृश्यम 2' के बारे में कह सकते हैं, तो सात साल पहले दृश्यम देखने के बावजूद भी यह हिट रही. क्योंकि विजय सलगांवकर की फ़ैमिली के साथ लोगों का कनेक्शन था."
उनके मुताबिक, फ़िल्में 'फ़ोन भूत,' 'ओम', 'शमशेरा,' 'दोबारा,' 'लाल सिंह चड्ढा', 'लाइगर,' लोगों को पसंद नहीं आई.
वो कहते हैं, "लाल सिंह चड्ढा में आमिर ख़ान का परसोनिफ़िकेशन लोगों को जँचा नहीं. एक्शन हीरो से लोग कनेक्ट नहीं कर पाए. 'बधाई दो' से भी लोग नहीं कनेक्ट कर पाए."
देर से रिलीज़ होना था फ़्लॉप का कारण?
गिरीश वानखेड़े के अनुसार, "ये फ़िल्में इसलिए नहीं फ़्लॉप हुईं कि कोविड के कारण इनकी रिलीज़ में ज़रूरत से ज़्यादा देरी हुई. कारण बिल्कुल साफ़ है कि ये फ़िल्में खराब थीं, उन फ़िल्में की स्टोरी लाइन ख़राब थी. उनमें दम नहीं था. जिसको कहानी कहते हैं वह कहानी नहीं थी. स्क्रिप्ट पर ध्यान नहीं दिया गया था."
वो इसका कारण बताते हैं कि 'अगर स्क्रिप्ट पर ध्यान दिया जाता तो ये क्यों फ़्लॉप होतीं. कार्तिक आर्यन की 'भूलभुलैया' चली, फ़िल्म 'ऊँचाई' को लोगों ने पसंद किया, 'चुप' भी चली.'
वो कहते हैं, "दूसरी फ़िल्में जैसे 'थैंक गॉड', 'रामसेतु', 'सलाम वेंकी' जैसी फ़िल्में इसलिए नहीं चलीं क्योंकि उनकी कहानी में दम नहीं था. प्रमोशन अच्छे हुए, मार्केटिंग अच्छी हुई लेकिन स्क्रिप्ट पर काम नहीं हुआ." (bbc.com/hindi)
-विकास त्रिवेदी
'आरआरआर' फ़िल्म का एक सीनइमेज स्रोत,RRR/FILMGRAB
एक कहानी, कई किरदार, बहुत सारे लोगों की मेहनत... तब जाकर तैयार होती है एक फ़िल्म. वही फ़िल्में, जिन्हें अनगिनत बार 'समाज का आईना' कहा गया है.
लेकिन ये आईना बीते वक़्त में कितना धुंधला या साफ़ हुआ?
याद करिए वो आख़िरी फ़िल्म जिसे देखकर आपको धर्मों के बीच की खाई मिठास से भरती या कड़वाहट से गहराती नज़र आई हो?
इस कहानी में हम 2022 में रिलीज़ उन कुछ फ़िल्मों की बात करेंगे जिनका कोई सीन या फ़िल्म के बैकग्राउंड में धर्म रहा हो.
ऐसे दौर में जब किसी गाने में पहने कपड़े के रंग को धर्म से जोड़ लिया जाए, तब ऐसी कुछ फ़िल्मों का ज़िक्र ज़रूरी है जिनकी कहानी के केंद्र या पस-मंज़र (पृष्ठभूमि) में धर्म हो.
लेकिन पहले एक नज़र अतीत की फ़िल्मों पर जिनमें धार्मिक सौहार्द बढ़ाने और मौजूदा दौर की कड़वाहट दिखाने की कोशिशें हुईं.
साल 1941. वी शांताराम की फ़िल्म 'पड़ोसी' रिलीज़ हुई. फ़िल्म के पहले ही सीन में रामायण पढ़ते पंडित (ठाकुर) तब उठ जाते हैं, जब नमाज़ पढ़ने मिर्ज़ा आते हैं.
मिर्ज़ा पूछते हैं- क्यों उठ गए ठाकुर, अभी तो तुम्हारा रामायण पढ़ने का और मन था? पंडित बोले- मैं और पढ़ूँ, उधर तुम्हारी नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए और पाप मुझे लगे.
सीन की ख़ूबसूरती ये भी है कि फ़िल्म में पंडित का किरदार मज़हर ख़ान और मिर्ज़ा का किरदार गजानन जागीरदार ने निभाया था.
ये उस दौर की फ़िल्म है, जब धर्म के आधार पर पाकिस्तान बनाने की तैयारी ज़ोरों पर थी.
फ़िल्म की कहानी ये थी कि हिंदू मुसलमान दो दोस्त कैसे बांध बनाने आए इंजीनियर के मंसूबों के चलते दुश्मन बन जाते हैं. ये दुश्मनी तब ख़त्म होती है, जब सब्र और गाँव का नया बांध दोनों टूट जाते हैं.
1946 में पीएल संतोषी की 'हम एक हैं' भी ऐसी फ़िल्म है. फ़िल्म में ज़मींदार मां के किरदार में दुर्गा खोटे तीन अलग धर्म के बच्चों को पालती हैं.
ये तीनों बच्चे अपने-अपने धर्म को मानते हुए आगे बढ़ते हैं. 'हम एक हैं' फ़िल्म से देवानंद ने अपने करियर की शुरुआत की थी.
1959 में फ़िल्म 'धूल का फूल' की कहानी में एक मुसलमान शख्स अब्दुल जंगल में मिले बच्चे को पालता है और इस 'नाजायज़' बच्चे के कारण ख़ुद भी समाज से बेदखल होता है.
अब्दुल बच्चा पालते हुए फ़िल्माए गीत में कहता है- ''तू हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा...'' क्या ऐसा कोई नया गाना या डायलॉग बीते कुछ सालों में आपको सुनाई दिया?
इसी लिस्ट में 'अमर, अकबर, एंथनी' की ज़िंदगी जीते तीन भाइयों की कहानी भी पर्दे पर दिखी.
हिंदू-मुसलमान दंगों या बँटवारे के दुखों को बयां करती कई और फ़िल्में भी बनी हैं. ये लिस्ट काफ़ी लंबी हो सकती है. लेकिन अपना असर छोड़ देने वाली फ़िल्में गिनती की ही हैं.
बलराज साहनी की फ़िल्म 'गर्म हवा' विस्थापन के दर्द को बयाँ करती है. फ़िल्म का असरदार क्लाइमेक्स धर्म के आधार पर देश छोड़ने से ज़्यादा ज़रूरी रोज़गार जैसी ज़रूरतों को दिखाता है.
ऐसी कुछ और फ़िल्में 'पिंजर', 'ट्रेन टू पाकिस्तान' और 'तमस' भी हैं.
बाबरी विध्वंस के बाद मणि रत्नम की फ़िल्म 'बॉम्बे', 2002 दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी 'फ़िराक़', 'देव' और 'परज़ानिया' जैसी फ़िल्में भी आईं.
'बॉम्बे' फ़िल्म के क्लाइमेक्स में क़त्ल-ए-आम मचाते हाथों से हथियार फेंकवाकर हाथ से हाथ मिलवाए गए.
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सिनेमा स्टडीज़ की प्रोफ़ेसर इरा भास्कर बीबीसी हिंदी से कहती हैं, ''बॉम्बे फ़िल्म के अंत में एक चाहत के तौर पर ये दिखाया गया कि दो संप्रदायों के बीच सौहार्द होना चाहिए. हाथ से हाथ मिलाते सीन से हिंदू-मुस्लिम समस्या दूर नहीं होगी. लेकिन तब आप ये सोच पाते हैं कि ऐसा होना चाहिए, मिल-जुलकर रहना चाहिए.''
इन फ़िल्मों में उस दौर की सच्चाई दिखाने की कोशिश हुई.
फ़िल्म 'सरफ़रोश' के किरदार इंस्पेक्टर सलीम (मुकेश ऋषि) को एसीपी अजय सिंह राठौड़ (आमिर ख़ान) से ये कहना पड़ा, ''बचाने के लिए 10 नहीं, 10 हज़ार सलीम मिलेंगे. अगर आप भरोसा करेंगे तो.... फिर कभी किसी सलीम से ये मत कहना कि ये मुल्क उसका घर नहीं.''
2006 की फ़िल्म 'रंग दे बसंती' में लक्ष्मण पांडे (अतुल कुलकर्णी) और असलम (कुणाल कपूर) का किरदार हिंदू-मुसलमान की दूरियाँ दिखाने से शुरू हुआ और वक़्त के साथ नज़दीकियों में बदला.
ऐसे वक्त में जब फ़िल्मों की रिलीज़ पर संकट के बादल छाए रहते हैं और मुक़दमों का डर बना रहता है. तब 'रंग दे बसंती' से जुड़ा एक क़िस्सा बताना ज़रूरी है.
'रंग दे बसंती' की कहानी सत्ता और नेता-बाबू गिरोह पर उंगली उठाती है.
वायुसेना के लड़ाकू विमानों की दुर्घटना और देश के रक्षा मंत्री पर तीखी टिप्पणी करती इस फ़िल्म को रिलीज़ से पहले तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी समेत सेना प्रमुखों को दिखाया गया.
फ़िल्म देखकर उठे प्रणब मुखर्जी बोले- 'मेरा काम देश की रक्षा करना है न कि फ़िल्मों को सेंसर करना... बच्चों ने अच्छा काम किया है.'
ये बात उस फ़िल्म के लिए देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री कह रहे थे जिस फ़िल्म की कहानी में रक्षा मंत्री को ही भ्रष्टाचार के चलते गोली मार दी गई थी.
2002 दंगों के बैकग्राउंड वाली 'काई पो चे' फ़िल्म भी असर छोड़ने में सफल रही.
नफ़रत की आग किस क़दर झुलसा देती है और मन को आत्मग्लानि से भर देती है... 'काई पो चे' फ़िल्म के किरदार इसके बेहतरीन उदाहरण हैं.
ख़ासकर एक मुसलमान बच्चे अली को बचाने की कोशिश में जान गँवाता ईशान और अंत में ग्लानि से भरा ओमी... जिसके गिरते आंसू बताते हैं कि बड़ी से बड़ी आग कई बार आंसू की एक बूंद से बुझ जाती है.
2012 की 'ओह माई गॉड' और विवादों में रही 'पीके' जैसी फ़िल्में भी धर्म को मानने वाले लोगों के बीच दूरियाँ बढ़ाने वालों का पर्दाफ़श करती है.
हाल के दिनों में हुए फ़िल्मी विवादों पर प्रोफ़ेसर इरा बोलीं, ''हम क्या ईरान और चीन जैसे बन जाना चाहते हैं? जब 100 सालों के भारतीय सिनेमा में ये नहीं हुआ तो अब क्यों हो रहा है, ये सोचना चाहिए.''
अब सवाल ये कि 2022 में कौन सी फ़िल्में रहीं जिनके केंद्र या परछाईं में कहीं न कहीं धर्म रहा और क्या संदेश देने की कोशिश हुई या सोशल मीडिया के दौर में जनता में क्या संदेश गया? ऐसी ही कुछ फ़िल्मों पर एक नज़र:-
'बाहुबली' फ़िल्म बनाने वाले राजामौली की फ़िल्म 'RRR' के एक दृश्य में एनटीआर जूनियर और राम चरण के बीच एक संवाद है.
इस सीन में राजू (राम चरण) अपने दोस्त अख़्तर (एनटीआर जूनियर) के लिए जेनिफ़र की गाड़ी को कील बिछाकर रोकता है.
गाड़ी रुकने यानी टायर पंचर होने की बात पता चलते ही अख़्तर कहता है- 'अब मैं उसका पंचर ठीक कर दूँगा तो वो शुक्रिया बोलेगी और फिर हम बात कर लेंगे.'
अख़्तर जेनिफ़र से कहता भी है- 'मेरी दुकान पास में ही है, पाँच मिनट में ही ठीक कर दूंगा.'
पूरे संदर्भ के साथ देखें तो इस सीन में बस फ़िल्म के दो किरदार मिलाने की संभावनाएं दिखती हैं.
चूंकि मुसलमानों के पंचर का काम करने से जुड़े असंख्य मैसेज या टिप्पणियां आपने पढ़ी होंगी, इसलिए लोगों ने इस सीन की अलग व्याख्या की.
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में राजामौली को इस बात के लिए सैल्यूट किया गया कि उन्होंने मुसलमान किरदार अख़्तर से पंचर बनाने जैसा डायलॉग बुलवाया.
ये वही 'आरआरआर' फ़िल्म है जिसके अंत में आज़ादी के लिए लड़ने वाले नेताओं, क्रांतिकारियों को नमन किया गया. लेकिन महात्मा गांधी और नेहरू को जगह नहीं मिली.
वजह राजामौली के पिता और 'बजरंगीभाई जान' जैसी फ़िल्मों की कहानी लिख चुके लेखक केवी विजयेंद्र प्रसाद ने बताई, ''...क्योंकि गांधी के कारण सरदार पटेल नहीं, नेहरू प्रधानमंत्री बने और कश्मीर अभी तक जल रहा है.''
2022 में केवी विजयेंद्र प्रसाद राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए.
कश्मीर के पस-मंज़र के साथ कई फ़िल्में बनीं. जैसे- 'रोजा', 'हामिद', 'मिशन कश्मीर', 'यहाँ', 'तहान', 'हैदर', 'शिकारा'.
लेकिन 'द कश्मीर फ़ाइल्स' जैसी कामयाबी दूसरी फ़िल्मों को नहीं मिली.
वेबसाइट IMDB के मुताबिक़, 20 करोड़ के बजट से बनी 'द कश्मीर फ़ाइल्स' ने 340 करोड़ से ज़्यादा कमाई की.
'द कश्मीर फ़ाइल्स' संभवत: पहली ऐसी फ़िल्म होगी जिसको देखने की देश के प्रधानमंत्री मोदी ने अपील की.
अक़्सर फ़िल्मों या गानों पर भावनाएँ आहत होने की शिकायत करने वाले मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा हों या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, सब 'कश्मीर फ़ाइल्स' फ़िल्म के प्रति उत्सुक, उदार दिखे.
कई राज्यों में फ़िल्म को टैक्स फ़्री किया गया.
फ़िल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन की सच्ची घटना पर आधारित थी. फ़िल्म में दिखाया गया कि किस तरह रातों-रात कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी.
एक बड़ी आबादी को ये फ़िल्म अच्छी लगी. कहा गया कि बरसों तक कश्मीरी पंडितों की कहानी को नज़रअंदाज़ किया गया.
लेकिन फ़िल्म से संदेश क्या गया? इसे आप कई तरह से समझ सकते हैं.
एक अपने आस-पास की चर्चाओं में जो आपने सुना. या फिर जब सिनेमाघरों में 'कश्मीर फ़ाइल्स' चल रही थी, तब के सोशल मीडिया पर शेयर किए कुछ वीडियो जिसमें लोग फ़िल्म देखने के बाद रोते हुए विवेक अग्निहोत्री के पैर छूने लगे.
कुछ वीडियो ऐसे भी शेयर हुए जिसमें फ़िल्म ख़त्म होते ही कुछ लोग मुसलमान लड़कियों से शादी करके बच्चे पैदा करने या फिर हिंसक मिज़ाज के साथ नज़र आए.
ये वीडियो कश्मीर मुद्दे पर ही बनी फ़िल्म 'हैदर' के डायलॉग की याद दिलाते हैं, ''इंतकाम से सिर्फ़ इंतकाम पैदा होता है.''
फिर क्या वजह रही कि जनता को कश्मीरी पंडितों पर बनी 'शिकारा' जैसी फ़िल्म रास नहीं आई और 'कश्मीर फ़ाइल्स' ख़ूब भाई?
कश्मीरी पंडित संजय काक ने बीबीसी से कहा था, '' 'द कश्मीर फ़ाइल्स' ने कहानी को ठीक वैसे कहा जैसा दक्षिणपंथी चाहते थे. 'शिकारा' इस मामले पर खरी नहीं उतरी थी इसलिए निशाने पर आई. लेकिन 'कश्मीर फ़ाइल्स' के मामले में लगता है कि पूरा इको-सिस्टम इसे दुनिया के सामने लाने पर उतारू है.''
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर और सिनेमा के जानकार आशीष त्रिपाठी कहते हैं, ''ये फ़िल्म इसलिए लोकप्रिय हुई क्योंकि इस सोच के लोग समाज, राजनीति में बढ़े हैं.
दक्षिणपंथ के लिए एक बहुत बड़ा काम मीडिया कर रहा है, सिनेमा उसका एक हिस्सा है. एक पूरी कैटेगिरी है जो उस सोच के लिए काम कर रही है. 'कश्मीर फ़ाइल्स' उसी सोच की नुमाइंदगी करती है. ये सच है कि 'कश्मीर फ़ाइल्स' के कुछ सीन आपको दहला देते हैं. इस फ़िल्म को नापसंद करने वाले लोगों को ये नहीं भूलना चाहिए कि ये किसी न किसी के साथ हुआ है.
लेकिन 'कश्मीर फ़ाइल्स' एक अच्छी कला और सिनेमा नहीं है क्योंकि ये एकतरफ़ा तरीके से कहानी बयां करती है और सिर्फ़ यही नहीं हुआ, इससे मिलता-जुलता या इसके ख़िलाफ़ बहुत कुछ हुआ है. कला का काम ये भी है कि जो मानवीय पहलू हैं, जो आगे जाने में हमारी मदद करता है वो हमें दिखाए. अगर ऐसा नहीं करेंगे तो हमेशा अतीत में क़ैद रहेंगे.
प्रोपेगैंडा फ़िल्म हमेशा बुरी फ़िल्म नहीं होती है. पर 'कश्मीर फ़ाइल्स' एक बुरी प्रोपेगैंडा फ़िल्म है क्योंकि ये समाज में जोड़ने वाले तत्वों की पूरी तरह अवहेलना करती है. कमज़ोर होती जोड़ने वाली ताक़तों पर ये फ़िल्म आक्रमण करती है.''
ये 'कश्मीर फ़ाइल्स' फ़िल्म ही थी जिसे इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल के चीफ़ ज्यूरी नदाव लपिड ने 'प्रोपेगैंडा' और 'भद्दी' फ़िल्म बताया था.
प्रोफ़ेसर इरा भास्कर कहती हैं, ''मैंने क्लास में कश्मीर के बैकग्राउंड पर बनी 'हैदर' फ़िल्म पढ़ाई. फिर मैंने 'कश्मीर फ़ाइल्स' को देखा. मैं एकदम हैरान थी. पर क्या कहें. 'कश्मीर फ़ाइल्स' ने न सिर्फ सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया बल्कि कहानी को एक तरफ़ा दिखाया. मैं जानती हूं कि कश्मीरी पंडितों का क्या अनुभव रहा. पर मुसलमानों के साथ भी ज़्यादती हुई.''
इरा भास्कर 'कश्मीर फ़ाइल्स' के प्रचार पर बोलीं, ''फ़िल्म की टिकटें फ़्री में बांटी गईं. नेताओं ने जमकर प्रचार किया. इससे ये पता चलता है कि फ़िल्म को सत्ता का समर्थन हासिल है. मैंने इतिहास में ऐसा नहीं देखा कि देश का नेता किसी फ़िल्म का ऐसे समर्थन करे. अगर विवेक अग्निहोत्री को स्पेस दिया जा रहा है तो बाकी फ़िल्म निर्माताओं को भी मौक़े मिलने चाहिए.''
वहीं फ़िल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने विवादों पर कहा था, "एक सवाल जो मैं भारत के लोगों से जानना चाहता हूं वो ये कि लोगों ने कश्मीर के नाम पर तरह-तरह की चीज़ें की हैं. बात की है. बहुत-बहुत तरह की फ़िल्में और दूसरी चीज़ें की हैं तो मुझे विश्वास था कि कश्मीर के लिए लोगों का दिल धड़कता है.
मुझे विश्वास था कि इस फ़िल्म का स्टार कश्मीर ही है. मुझे लगा कि जो लोग कश्मीर को दिन-रात भुनाते हैं, उनके दिल में इतना कश्मीर तो होगा कि वे इस बात की चिंता ना करें कि फ़िल्म में कौन से स्टार हैं और कौन से नहीं."
फ़िल्म 'सीता रामम' एक प्रेम कहानी है जिसमें लेफ़्टिनेंट राम को एक अनजान लड़की सीता महालक्ष्मी नाम से ख़त भेजती है.
ये असल में राजकुमारी नूरजहां होती है. दोनों एक-दूसरे से मिले, प्यार हुआ, कहानी में कश्मीर भी आया और हिंदू-मुसलमान से जुड़े मुद्दे भी आए.
ये उन चंद फ़िल्मों में से है जिसने फ़िल्म के पाकिस्तानी किरदारों को भी मानवीय और भावनात्मक पहलू के साथ दिखाया. जैसे- राम का संदेश पहुंचाने के लिए पाकिस्तानी लड़की भारत में इधर से उधर घूम रही है.
फ़िल्म के कुछ सीन में कश्मीरी पंडितों के घर जलाए जाने या फिर बचाने में मुसलमानों की कोशिशों को जैसे दिखाया गया, वो बिना क्लीशे हुए ताज़गी और सकारात्मकता से भरी महसूस होती है.
'अनाथ' लेफ़्टिनेंट राम फ़िल्म में लोगों को जोड़ता दिखा.
एक सीन में जब चरमपंथियों को मारा जाता है तो राम पास रखी क़ुरान उठाकर कहता है- अपने अगले जन्म में शायद क़ुरान का सही मतलब समझ सकोगे!
यहाँ इस बयान को उस नैरेटिव से जोड़कर सोचिए जिसमें एक बड़ी आबादी क़ुरान की अलग ही व्याख्या करके अपनी राय बनाती है.
युवाओं को कैसे धर्म के नाम पर बहकाया जाता है, फ़िल्म इस पर भी चोट करती है.
जैसे ये डायलॉग, ''मज़हब के नाम पर छिड़ी जंग जब ख़त्म हुई तो बाक़ी बचा था तो सिर्फ़ इंसान. हाथ में हथियार लेकर लड़ने वाला बस एक सिपाही है पर धर्म को हथियार बनाने वाला... राम.''
फ़िल्म 'वीर ज़ारा' की कहानी के क़रीब चलते हुए भी 'सीता रामम' नई दिखती है. जब प्रेम सामने आता है तब नूरजहां ये कहने में देर नहीं लगाती, ''अब मुझे नूरजहां नहीं... सीता कहिए.''
कथित 'लव जिहाद' के दौर में एक मुस्लिम लड़की का राम नाम के हिंदू लड़के के लिए प्रेम और पाकिस्तान की लड़की का राम के प्रति सम्मान बढ़ता जाना. 'सीता रामम' में ऐसी कई परतें भी थीं.
'सीता रामम' में राम का किरदार दुलकर सलमान और राजकुमारी नूरजहां का किरदार मृणाल ठाकुर निभा रही थीं.
प्रोफ़ेसर इरा भास्कर कहती हैं, '' 'सीता रामम' जैसी फ़िल्में सांप्रदायिक दूरियां बढ़ाने की बजाय कम करने का काम करती हैं. ये एक बहुत प्यारी फ़िल्म है जो हिंदू-मुसलमान कपल के बीच रोमांस को दिखाती है.
जब माहौल में नफ़रत बहुत ज़्यादा हो तो किसी एक सीन से नफ़रत कम नहीं हो पाती है. साथ ही हमें ये भी देखना है कि भारत का हर प्रांत एक जैसा नहीं है. दक्षिण की फ़िल्में देखें तो बहुत अच्छी फ़िल्में बनी हैं.''
पृथ्वीराज चौहान की मौत के क़रीब 350 साल बाद लिखी 'पृथ्वीराज रासो' (रचयिता - चंद बरदाई) पर आधारित फ़िल्म सम्राट पृथ्वीराज कई बीजेपी शासित राज्यों में टैक्स फ़्री की गई.
गृह मंत्री अमित शाह ने स्पेशल स्क्रीनिंग में फ़िल्म देखी. ज़ोर-शोर से प्रचार हुआ.
कहा ये भी गया कि मुग़लों के बारे में तो ख़ूब बताया गया, लेकिन हिंदू शासकों के बारे में कोई मुकम्मल काम नहीं हुआ. न ही फ़िल्मों में हिंदू शासकों की कहानी कही गई.
लेकिन इन सबके बावजूद फ़िल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' भीड़ नहीं जुटा पाई. आम जनता से लेकर फ़िल्म समीक्षकों तक, सबने 'सम्राट पृथ्वीराज' फ़िल्म को नकारा.
आलोचकों ने कहा कि 'पृथ्वीराज' उन फ़िल्मों में से एक है जो मुसलमानों को बाहरी और क्रूर आक्रांता की छवि से जोड़ने का काम करती है.
इतिहासकार अरुप बनर्जी ने बीबीसी से कहा था, ''ऐसी फ़िल्में एक ख़ास इरादे के तहत बनाई जा रही हैं. पृथ्वीराज अपनी सीमा की रक्षा करने के लिए लड़े थे न कि किसी मुसलमान आक्रमणकारी के ख़िलाफ़.
ऐसे में किसी राजनीतिक पार्टी की रुचि को ध्यान में रखते हुए पृथ्वीराज चौहान का इस्तेमाल करना ग़लत है. फ़िल्म का मकसद लोगों की इस सोच को पक्का करना था कि हिंदुओं ने मुसलमानों पर विजय हासिल की थी.''
फ़िल्म समीक्षक शुभ्रा गुप्ता कहती हैं, ''ऐसी कई फ़िल्में अतीत के गौरव का गुणगान करने के लिए बनाई जाती हैं ताकि दर्शक उसमें खो जाए और जो आज हो रहा है उस पर उनका ध्यान ना जाए. ये सिर्फ़ भारत में ही नहीं, दुनिया भर में हो रहा है.''
प्रोफ़ेसर आशीष त्रिपाठी कहते हैं, ''अब ऐसी पीरियड फ़िल्में बनाई जा रही हैं जो बहुसंख्यकों की भावनाओं को छूने काम करती हैं. 'सम्राट पृथ्वीराज' जैसी कई फ़िल्में इसका उदाहरण हैं. ऐसी कई फ़िल्में बीते वक़्त में बनीं जो मुसलमान शासकों की नकारात्मक छवि दिखाती हैं.
ये फ़िल्में ऐसे किस्से चुनती हैं जो इतिहास सम्मत तो हैं ही नहीं. लेकिन ये ग़लत किस्म का इतिहास पेश करती हैं. साथ ही ये समाज में पहले से मौजूद अंतर्विरोध को बढ़ाती हैं. ऐसी फ़िल्मों में ऐसे नायकों को नहीं चुना जाता जो जोड़ने की बात करते हैं.''
2022 में कुछ और फ़िल्में भी आईं. इन कहानियों के केंद्र में धर्म तो नहीं रहा. लेकिन कुछ उम्मीदें दिखीं.
इस लिस्ट में पहला नाम फ़िल्म 'लाल सिंह चड्ढा' का है. फ़िल्म के कई सीन में 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या और बाबरी विध्वंस के बाद हुए दंगों और 1993 मुंबई बम धमाकों का ज़िक्र हुआ. हालांकि फ़िल्म में 2002 दंगों का ज़िक्र नहीं आया.
आमिर ख़ान यानी लाल सिंह चड्ढा किरदार की माँ दंगे होने पर अपने लाल को घर में रहने को बोलती हैं- बाहर नहीं जाना, बाहर मलेरिया फैला हुआ है.
लेकिन इस फ़िल्म में भी मोहम्मद भाई किरदार के सहारे एक पाकिस्तानी के भारत में रहने और इंसानी तौर पर बेहतरी की ओर बढ़ने की कहानी पिरोई गई है.
दिलजीत दोसांझ की फ़िल्म 'जोगी' 1984 सिख दंगों की कहानी है जो उस दौर की तकलीफ़ों को बयां करती है.
प्रोफ़ेसर इरा भास्कर कहती हैं, ''आप ये देख सकते हैं कि इतनी सारी चीज़ें हो रही हैं, लेकिन मुख्यधारा की फ़िल्मों में वो नज़र नहीं आ रहा. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर दबाव फ़िल्म निर्माताओं पर है. फ़िल्में अगर बन भी रही हैं तो बहुसंख्यकवाद की राजनीति को ध्यान में रखकर.
कुछ छोटी फ़िल्में भी हैं जो ज़रूरी मुद्दे और सवाल उठाते हुए बन रही हैं. मुख्यधारा में 'मुल्क' जैसी फ़िल्में तो बनती हैं, लेकिन बड़े स्तर पर नहीं.''
इरा के मुताबिक़, ''फ़िल्में सिर्फ़ मनोरजंन का ज़रिया नहीं हैं, ये एक कला है और फ़िल्म निर्माताओं की ज़िम्मेदारी है कि समाज के लिए ज़रूरी मुद्दों पर बात की जाए.''
प्रोफ़ेसर आशीष कहते हैं, ''हिंदी सिनेमा में व्यावसायिक सिनेमा की बढ़त हुई है. लेकिन गोविंद निहलानी, श्याम बेनेगल जैसे बड़े फ़िल्मकारों की तादाद घटी है.''
इस सवाल के जवाब में प्रोफ़ेसर इरा बोलीं, ''धर्मों के बीच की खाई को बढ़ाने या भरने में फ़िल्में अहम साबित हो सकती हैं. फ़िल्में राजनीतिक समाधान नहीं दे सकतीं, लेकिन सोच तो बदल सकती हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो मौजूदा सरकार फ़िल्मों में इतना निवेश क्यों कर रही है? सोशल मीडिया से लेकर फ़िल्मों तक में वो अपनी विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं.''
इरा कहती हैं, ''हिंदी में जो मुख्यधारा का राजनीतिक माहौल है वो मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत से भरा है. ऐसी फ़िल्में बनना मुश्किल है जो दूरियों को कम करने का काम करें.
अगर ये फ़िल्में बन भी जाएं तो किसी न किसी तरह की दिक़्क़त से जूझेंगी. कई बड़े अभिनेता वही बातें दोहरा रहे हैं जो टॉप लीडरशीप कहती है. वो अपने आपको इससे अलग नहीं रख रहे हैं. एक कलाकार के तौर पर जब आपको ज़रूरी चीज़ों पर बात करनी चाहिए, तब आप चुप्पी बरतते हैं.''
ऐसा ही कुछ प्रोफ़ेसर आशीष त्रिपाठी भी कहते हैं, ''अब आप देखिए कि वीर हमीद पर आज तक कोई फ़िल्म नहीं बनी. ऐसे लोगों की कोई बात नहीं करेगा जिसने सच्चे बेटे का फ़र्ज़ अदा किया. साथ ही उन हिंदुओं की बात भी नहीं करेगा जिन्होंने ग़द्दार की भूमिका निभाई.
सिनेमा के अर्थशास्त्र ने उसे बहुत प्रभावित किया है. फ़िल्म देखने वाली एक बड़ी तादाद मिडिल क्लास हिंदुओं की है. ऐसे में सिनेमा भी उसको ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है.
अब सेकुलर सिनेमा कम हुआ है. मेरा मानना है कि राजनीतिक, समाजिक शक्तियां समाज और राजनीति में कमज़ोर होंगी, तभी वो सिनेमा बदलेगा. ये एक ऐसी कला है जो दर्शकों की रुचि से ही प्रभावित होती है.''
धर्मों की दूरियां अक़्सर दंगों की शक्ल लेती हैं. ऐसे में दंगों से बचाने और धर्म मानने वाले लोगों के बीच क़रीबियां बढ़ाने का एक तरीका 'मॉर्डन लव मुंबई' सिरीज़ की एक कहानी 'बाई' में समझाने की कोशिश होती है.
कहानी के एक सीन में घर की बुज़ुर्ग दादी जब दंगाइयों के लिए गेट खोलती है तो वो लौट जाते हैं.
बाद में जब बाई से पूछा जाता है कि दंगाइयों से क्या कहा था? तो जवाब मिलता है- ''पैसे दिए थे. अक़्सर नफ़रत फैलाने वाले लोग बिकाऊ होते हैं. पैसे दिए, चले गए.'' (bbc.com/hindi)
मुंबई, 28 दिसंबर | एमक्योर फार्मास्युटिकल्स की कार्यकारी निदेशक नमिता थापर, जो 'शार्क टैंक इंडिया' के दूसरे सीजन में एक शार्क के रूप में दिखाई देंगी, ने 'कौन बनेगा करोड़पति 14' में हॉट सीट संभाली। मेजबान और मेगास्टार अमिताभ बच्चन के साथ बातचीत में, उन्होंने कहा कि न केवल वह उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक हैं, बल्कि उन्होंने जिससे शादी की है वह भी उनके प्रशंसक हैं।
थापर ने कहा, "मैं हॉटसीट पर बैठने की हकदार हूं, क्योंकि मैं आपकी इतनी बड़ी प्रशंसक हूं कि मैंने एक ऐसे व्यक्ति से शादी की है, जो आपका प्रशंसक भी है और यहां तक कि मैंने अपने बेटों का नाम जय और वीरू रखा है।"
वह ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' में क्रमश: बच्चन और धर्मेंद्र द्वारा निभाए गए पात्रों जय और वीरू के नामों का जिक्र कर रही थीं।
'शार्क' ने एक कविता भी सुनाई जो उसने मेजबान के लिए तैयार की थी।
'फिनाले वीक' के लिए, 'शार्क टैंक इंडिया' के आगामी सीजन से 'शार्क' का एक समूह 'केबीसी14' पर दिखाई देगा।
'केबीसी14' सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित होता है। (आईएएनएस)|
मुंबई, 27 दिसंबर। सलमान खान मंगलवार को 57 साल के हो गए। इस मौके पर उन्हें बधाई देने के लिये ब्रांदा स्थित उनके घर के बाहर सैकड़ों लोगों की भीड़ दिन भर इस उम्मीद में जुटी रही कि उनके ‘भाईजान’ उनकी बधाई स्वीकार करने बाहर आएंगे।
शाम करीब छह बजे सलमान अपने घर की बालकनी में आए और बाहर खड़े लोगों को हाथ जोड़कर नमस्ते किया फिर सलाम। उन्होंने हाथ हिलाकर वहां खड़े अपने प्रशंसकों का अभिवादन स्वीकार किया। वहां खड़े कुछ प्रशंसक सलमान को देख इतने उत्साहित हो गए कि उन्होंने बैरीकेड तोड़ दिया।
अभिनेता के प्रशंसक सुबह से ही उनके घर गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर जुटने लगे थे और शाम होते-होते वहां लोगों का अच्छा खासा हुजूम जुट गया।
हल्के नीले रंग की टी-शर्ट और जींस पहने सलमान ने लोगों का अभिवादन किया और उनसे व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध किया। सलमान के साथ उनके पिता सलीम खान भी थे।
सलमान ने भीड़ का अभिवादन स्वीकार करते हुए अपनी एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए लिखा, “सभी का शुक्रिया”।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इमारत के बाहर पुलिसकर्मी तैनात थे। अभिनेता के जाने के बाद कुछ प्रशंसकों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
सलमान खान ने सोमवार रात अपने करीबी परिजनों और दोस्तों के साथ बहन अर्पिता खान शर्मा और बहनोई आयुष शर्मा द्वारा उनके खार स्थित घर पर आयोजित एक पार्टी में अपना जन्मदिन मनाया।
अर्पिता और आयुष ने तीन साल की हुई अपनी बेटी आयत शर्मा और बॉलीवुड अभिनेता के लिए एक संयुक्त जश्न का आयोजन किया था।
इस पार्टी में अभिनेता शाहरुख खान, तब्बू, कार्तिक आर्यन, सुनील शेट्टी, पूजा हेगड़े, रितेश देशमुख, जेनेलिया डिसूजा, संगीता बिजलानी, सोनाक्षी सिन्हा, साजिद नाडियाडवाला उनकी पत्नी वर्धा नाडियाडवाला, रमेश तौरानी और लूलिया वंतूर शामिल थे।
पार्टी में शामिल शाहरुख ने मंगलवार तड़के पार्टी से निकलते हुए सलमान खान को गले लगाया।
अरबाज खान, सोहेल खान, अतुल अग्निहोत्री और अलवीरा खान अग्निहोत्री सहित परिवार के सदस्य मौजूद थे। सलमान ने पार्टी स्थल के बाहर खड़े पैपराजी (फोटोग्राफर) के साथ केक काटकर अपना खास दिन भी मनाया। (भाषा)
अभिनेता सलमान ख़ान के घर के बाहर भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.
सलमान ख़ान के जन्मदिन के मौके पर उन्हें देखने के लिए सैंकड़ों लोग उनके घर गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर जमा थे.
#WATCH | Mumbai: Police lathi-charge crowd gathered outside Salman Khan's residence Galaxy apartments on his birthday. pic.twitter.com/zrB8pyaguv
— ANI (@ANI) December 27, 2022
समाचार एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें देखा जा सकता है कि सलमान जब अपनी बालकनी में खड़े लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे, तब भीड़ उग्र हुई और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 27 दिसंबर | बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने यहां सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया। हाल के दिनों में सिद्दीकी आईसीसीआर प्रमुख विनय सहस्रबुद्धे और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत से भी मिल चुके हैं।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी को अनुराग कश्यप की क्राइम-ड्रामा 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)| दिवंगत टीवी और फिल्म अभिनेत्री तुनिषा शर्मा ने 24 दिसंबर से पहले भी आत्महत्या करने का प्रयास किया था। उसके पूर्व प्रेमी अभिनेता शीजान मोहम्मद खान ने इस बारे में तुनिषा के परिवार को बताया था और उनसे ध्यान रखने का कहा था। सूत्रों ने आईएएनएस को यह जानकारी दी। शीजान अब पुलिस हिरासत में हैं, तुनिषा की मां ने शीजान पर उनकी बेटी को सदमे में पहुंचाने और उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया था। ऐसा कहा जा रहा है कि शीजान और तुनिषा रिश्ते में थे और 15 दिन पहले ही उनका रिश्ता टूटा था।
24 दिसंबर को वसई में टीवी सीरियल सेट पर तुनिषा ने शीजान के मेकअप रूम में छत के पंखे से लटकर आत्महत्या कर ली थी। तुनिशा से पहले शीजान 'कुंडली भाग्य' की एक्ट्रेस मृणाल सिंह को डेट कर रहे थे। नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने संकेत दिया कि तुनिषा पहले से ही तनाव और डिप्रेशन के मुद्दों को जाहिर कर चुकी थीं, इसलिए उसके परिवार को इस खबर को अधिक गंभीरता से लेना चाहिए था कि तुनिशा ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी।
सूत्रों ने बताया कि परिवार को तुनिषा की काउंसलिंग करने और उसके करीब रहने के प्रयास तेज करने चाहिए थे। ब्रेकअप से पहले शीजान और तुनिषा का रिश्ता काफी चर्चित था। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में से एक में शीजान को 'अलीबाबा: दास्तान-ए-काबुल' के सेट पर तुनिषा के लिए गाते और गिटार बजाते हुए देखा गया था।
दोनों शो के सेट पर मिले थे और तुनिषा ने शीजान के साथ अपनी कई तस्वीरें पोस्ट की थीं। उन्होंने शीजान की बहन फलक नाज के साथ भी तस्वीरें पोस्ट की थीं। चंडीगढ़ में पली-बढ़ी तुनिषा ने बहुत कम उम्र में ही अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। तुनिषा ने 2016 में 'फितूर' के साथ अपनी फिल्म की शुरुआत की थी।
मुंबई, 27 दिसंबर। जून 2020 में सुशांत सिंह राजपूत का पोस्टमॉर्टम करने वाले मुंबई के सरकारी अस्पताल के एक पूर्व कर्मचारी ने सोमवार को दावा किया कि अभिनेता ने खुदकुशी नहीं की और उनके शव पर चोट के निशान थे।
कूपर अस्पताल से पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए रूपकुमार शाह ने अपने दावों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया। राजपूत 14 जून, 2020 को उपनगरीय बांद्रा में अपने फ्लैट में फंदे से लटके पाए गए थे।
शवगृह सहायक के रूप में काम कर चुके शाह ने समाचार चैनल से कहा, ‘‘जब मैंने राजपूत के शव को देखा तो चोट के निशान थे और किसी दबाव के कारण गर्दन के चारों ओर कुछ निशान थे। मैं करीब 28 साल से शव परीक्षण कर रहा था। गला घोंटने और फंदा से लटकने के निशान अलग-अलग होते हैं।’’
शाह ने कहा कि वह इस मामले के बारे में अब बोल रहे हैं, क्योंकि वह इस साल नवंबर में सेवा से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने दावा किया, ‘‘जब मैंने राजपूत के शव पर अलग-अलग निशान देखे तो मैंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मुझे नजरअंदाज कर दिया।’’ (भाषा)
-सुप्रिया सोगले
लॉकडाउन में भारी दिक़्क़तों का सामना कर चुका भारतीय सिनेमा उद्योग उस झटके से उबरने की कोशिशें कर रहा है.
हालांकि 2021 के काले बादल हिंदी सिनेमा के आसमान से अभी पूरी तरह छंटे नहीं हैं.
इस साल आई कुछ फ़िल्मों ने बॉक्स ऑफ़िस पर अच्छा किया, लेकिन कई फ़िल्में कोरोना काल के पहले वाला प्रदर्शन नहीं दुहरा पाईं.
भारत में कोरोना महामारी के क़हर के बाद जब सामान्य जनजीवन लौटा तो सिनेमाहॉल लोगों के लिए खोल दिए गए और फिर से फ़िल्म इंडस्ट्री में उम्मीद जगी.
इस साल कई फ़िल्में सिल्वर स्क्रीन पर रिलीज़ हुईं, इनमें कुछ बॉक्स ऑफ़िस पर अच्छी कमाई के साथ विवादों में भी रहीं.
फ़िल्म ट्रेड मैगज़ीन 'कम्पलीट सिनेमा' ने बीबीसी के साथ बॉक्स ऑफ़िस के आंकड़े साझा किये.
आईए जानते हैं कि 2022 में किस फ़िल्म का कैसा प्रदर्शन रहा.
'दृश्यम 2'
2015 में आई मलयालम की रीमेक फ़िल्म 'दृश्यम' का दूसरा भाग नवंबर के तीसरे हफ़्ते में रिलीज़ किया गया. 'दृश्यम 2' भी मलयालम फ़िल्म के सीक्वल का रीमेक है.
'कम्पलीट सिनेमा' के मुताबिक़, अजय देवगन की इस फ़िल्म ने 220 करोड़ रुपये रुपये की कमाई कर ली है और अभी भी थिएटर में चल रही है.
'दृश्यम 2' में अजय देवगन के आलावा अक्षय खन्ना, तब्बू और श्रेया सरन ने अहम भूमिका निभाई है.
रीमेक फ़िल्म होने के बावजूद 'दृश्यम 2' दर्शकों को लुभाने में कामयाब रही.
इस साल अजय देवगन की और दो फ़िल्में आई थीं. अमिताभ बच्चन के साथ 'रनवे 34' और सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ 'थैंक गॉड'.
जहाँ 'रनवे 34' ने 28.1 करोड़ रुपये रुपये की कमाई की, वहीं दिवाली पर रिलीज़ हुई फ़िल्म 'थैंक गॉड' ने 35 करोड़ रुपये की कमाई की. दोनों ही फ़िल्में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं.
'भूल भुलैया 2'
मई के तीसरे सप्ताह में आई अनीस बज़्मी की हॉरर कॉमेडी फ़िल्म 'भूल भुलैया 2' ने दर्शकों को लुभाया और ऐसा लगा कि हिंदी फ़िल्मों से रूठे दर्शक सिनेमाघरों का रुख़ कर रहे हैं.
कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी और तब्बू की ये फ़िल्म 2007 में आई भूल भुलैया फ्रैंचाइज़ी की दूसरी फ़िल्म थी.
ख़बर है कि 179 करोड़ रुपये की कमाई करने वाली 'भूल भुलैया 2' की सफलता के बाद कार्तिक ने अपनी फ़ीस बढ़ा दी है.
ख़बरों के मुताबिक़ फ़िल्म की सफलता से ख़ुश होकर निर्माता भूषण कुमार ने कार्तिक आर्यन को चार करोड़ रुपये की महंगी गाड़ी गिफ़्ट की है.
'द कश्मीर फ़ाइल्स'
नब्बे के दशक में कश्मीरी पंडितों के कश्मीर घाटी से पलायन पर बनी विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म 'द कश्मीर फ़ाइल्स' का बॉक्स ऑफ़िस पर जितना अच्छा प्रदर्शन रहा, विवादों में भी वो उतनी ही रही.
महज़ 15 करोड़ रुपये में बनी इस फ़िल्म ने 251 करोड़ रुपये की कमाई की. इस साल ये सबसे अधिक कमाई वाली हिंदी फ़िल्म है.
फ़िल्म बनाने की मंशा पर विवाद आज भी जारी है. इसराइली फ़िल्मकार नदाव लपिड ने गोवा में हुए 53 अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में इसे भद्दा प्रोपेगैंडा फ़िल्म बताया जिसे लेकर भी काफ़ी विवाद हुआ.
मार्च के दूसरे सप्ताह में रिलीज़ हुई 'द कश्मीर फ़ाइल्स' के विवाद का असर अक्षय कुमार की ऐक्शन कॉमेडी फ़िल्म 'बच्चन पांडेय' पर भी हुआ और उसे भारी नुक़सान उठाना पड़ा.
फ़िल्म ने महज़ 45 करोड़ रुपये की कमाई की और फ़्लॉप हो गई.
'गंगूबाई काठियावाड़ी'
संजय लीला भंसाली द्वारा निर्मित आलिया भट्ट स्टारर 'गंगूबाई काठियावाड़ी' कमज़ोर बॉक्स ऑफ़िस के दौर में पहली हिंदी फ़िल्म बनी जिसने 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया.
फ़िल्म ने 115 करोड़ रुपये की कमाई की और बॉक्स आफ़िस में फिर से रंगत लौटने का संकेत भी दिया.
'ब्रह्मास्त्र : पार्ट 1 - शिवा'
अयान मुखर्जी की महत्वाकांक्षी 'ब्रह्मास्त्र ट्राइलॉजी' की पहली फ़िल्म 'पार्ट 1 - शिवा' सुर्ख़ियों में रही.
फ़िल्म के स्टार कास्ट रणबीर कपूर और आलिया भट्ट साल की शुरुआत से ही निजी कारणों से चर्चा में रहे.
वो अपने प्रेम प्रसंग, शादी और पहली बेटी के आगमन के लिए ख़बरों में रहे.
धर्मा प्रोडक्शन की फ़िल्म 'ब्रह्मास्त्र: पार्ट 1 - शिवा' कई विवादों से भी गुज़री और सोशल मीडिया पर बायकॉट ट्रेंड का भी निशाना बनी.
फिर भी फ़िल्म, दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में सफल रही.
'कम्पलीट सिनेमा' के मुताबिक़, 'ब्रह्मास्त्र : पार्ट 1 - शिवा' ने भारत में लगभग 225 - 230 करोड़ रुपये की कमाई की है.
किसी भी हिंदी फ़िल्म के लिए ये कमाई का बड़ा आंकड़ा है.
धर्मा प्रोडक्शन के अनुसार, फ़िल्म का बजट 410 करोड़ रुपये था और फ़िल्म ने कुल मिलाकर 360 करोड़ रुपये की कमाई की.
रणबीर कपूर की दूसरी बड़ी फ़िल्म 'शमशेरा' ने सिनेमाघर में दस्तक दी. पर यशराज प्रोडक्शन की ये महत्वकांक्षी फ़िल्म सिर्फ 41.3 करोड़ रुपये ही कमा पाई और बॉक्स ऑफ़िस पर औंधे मुंह गिरी.
दक्षिण भारतीय फ़िल्मों का दबदबा
बॉलीवुड ने भले ही दर्शकों को निराश किया हो, लेकिन दक्षिण भारत की कई फ़िल्मों ने उत्तर भारत में न सिर्फ़ धूम मचाया बल्कि सुर्ख़ियां भी बटोरी.
इनमें शामिल हैं 'केजीएफ़ 2', 'RRR' और 'कांतारा'.
'केजीएफ़ 2'
2018 में आई कन्नड़ फ़िल्म 'केजीएफ़' के सीक्वल का दर्शकों को इंतज़ार था.
पहली फ़िल्म की सफलता के बाद दूसरे भाग में बॉलीवुड से स्टार कास्ट किए गए, रवीना टंडन और संजय दत्त.
100 करोड़ रुपये की लागत में बनी ये सबसे महंगी कन्नड़ फ़िल्म थी और जबकि हिंदी दर्शकों के बीच इसने 427 करोड़ रुपये की कमाई की.
ये साल 2022 की सबसे ज़्यादा कमाई वाली फ़िल्म भी है. फ़िल्म की ओवरसीज़ समेत कुल कमाई लगभग 1000 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
बाहुबली की सफलता के बाद एसएस राजामौली की अगली पैन इंडिया फ़िल्म का दर्शक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे.
महामारी के कारण फ़िल्म की रिलीज़ टली और अंततः मार्च के अंतिम सप्ताह में सिनेमाघरों तक पहुंची. फ़िल्म में तेलुगू स्टार राम चरण और जूनियर एन टी आर अहम भूमिका में थे.
वहीं हिंदी फ़िल्मों के कलाकार आलिया भट्ट और अजय देवगन भी उसमें नज़र आए.
550 करोड़ रुपये की लागत में बनी 'RRR' ने हिंदी भाषी दर्शकों के बीच 269 करोड़ रुपये की कमाई की और ओवरसीज़ समेत कुल कमाई 1000 करोड़ रुपये बताई जा रही है. हालांकि इसने 'बाहुबली' से कम ही कमाई की.
साल के अंत में कन्नड़ भाषी फ़िल्म 'कांतारा' रिलीज़ हुई. हिंदी भाषी दर्शकों के बीच फ़िल्म ने 75 करोड़ रुपये की कमाई की.
तेलुगू भाषी फ़िल्म 'कार्तिकेय 2' भी हिंदी भाषी दर्शकों को लुभाने में क़ामयाब रही और फ़िल्म ने 30 करोड़ रुपये की कमाई की.
वहीं 26 /11 आतंकवादी हमलों के हीरो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन पर आधारित फ़िल्म 'मेजर' ने 11 करोड़ रुपये की कमाई की.
पर हर दक्षिण भारतीय स्टार का जादू भारतीय दर्शकों पर नहीं चल पाया.
2022 में 'बाहुबली' से मशहूर हुए स्टार प्रभास की पैन इंडिया फ़िल्म 'राधे श्याम' को दर्शकों ने नकारा.
लगभग 200 करोड़ रुपये के बजट में बनी यह फ़िल्म हिंदी भाषी दर्शकों के बीच महज़ 17 करोड़ रुपये ही कमा पाई.
वहीं तेलुगू सिनेमा के बहुचर्चित स्टार विजय देवरकोंडा की पैन इंडिया फ़िल्म 'लाइगर' भी अपनी पकड़ बनाने में कमज़ोर साबित हुई.
100 करोड़ रुपये के बजट की इस फ़िल्म में अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग चैम्पियन रहे माइक टाइसन भी अहम भूमिका में नज़र आये.
उत्तर भारत में प्रमोशन के बावजूद फ़िल्म ने हिंदी भाषी दर्शकों के बीच सिर्फ़ 18 करोड़ रुपये की कमाई की. दोनों फ़िल्में फ़्लॉप घोषित कर दी गईं.
वहीं हिंदी दर्शकों के बीच कमल हासन की 'विक्रम', रोना और मणिरत्नम की 'पोन्नी सेलवन पार्ट 1' भी दर्शकों के बीच कुछ ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ पाई और फ़्लॉप रही.
कम बजट की फ़िल्में
कुछ फ़िल्में बड़े स्टार के बावजूद 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार नहीं कर पाईं, वहीं कुछ कम बजट वाली फ़िल्में फ़ायदे में रहीं.
इन फ़िल्मों में शामिल हैं वरुण धवन, अनिल कपूर, कियारा अडवाणी और नीतू कपूर की फ़िल्म 'जुग जुग जियो' जिसने 65 करोड़ रुपये की कमाई की.
वहीं आर माधवन की अंतरिक्ष वैज्ञानिक नम्बी नारायण पर बनी बायोपिक 'रॉकेटरी' ने हिंदी भाषी दर्शकों के बीच 23-24 करोड़ रुपये कमाए.
भारतीय फ़िल्मों के बीच कुछ हॉलीवुड फ़िल्मों ने भी अच्छी कमाई की जिसमें शामिल हैं 'ब्लैक पैंथर: वाकांडा फ़ॉरएवर', 'टॉप गन मेवरिक' और हाल ही में रिलीज़ हुई 'अवतार: द वे ऑफ़ वॉटर'.
साल के अंत में हिट मशीन माने जाने वाले निर्देशक रोहित शेट्टी और अभिनेता रणवीर सिंह की कॉमेडी फ़िल्म 'सर्कस' से उम्मीद है कि वो दर्शकों को सिनेमाघर तक ला पाएंगे और फ़िल्म की अच्छी कमाई होगी, हालांकि शुरुआती रिस्पॉन्स उतना ज़ोरदार नहीं रहा है. (bbc.com/hindi)