अंतरराष्ट्रीय
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 29 अक्टूबर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार व्हाइट हाउस के लिए निर्वाचित होने पर कुछ मुस्लिम बहुल देशों के लोगों पर अतीत में लगाया गया विवादित यात्रा प्रतिबंध बहाल करने का वादा किया।
शनिवार को ‘रिपब्लिकन जूइश कोलिशन’ के वार्षिक शिखर सम्मेलन में ट्रंप (77) ने कहा, ‘‘आपको यात्रा प्रतिबंध याद हैं? एक दिन मैं यात्रा प्रतिबंध बहाल करूंगा। हमने यात्रा प्रतिबंध लगाया था, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि हमारे देश में ऐसे लोग आएं, जो उसे नुकसान पहुंचाने के विचार को पसंद करते हों।’’
ट्रंप ने दावा किया कि उनके प्रशासन के दौरान लगाया गया यात्रा प्रतिबंध काफी सफल रहा।
रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में सबसे आगे ट्रंप ने कहा, ‘‘हमारे देश में चार साल में एक भी घटना नहीं हुई, क्योंकि हमने बुरे लोगों को अपने देश से बाहर रखा। हमने उन्हें बाहर निकाल दिया। हमारे देश में एक भी घटना नहीं हुई।’’
ट्रंप ने 2017 में अपने राष्ट्रपति कार्यकाल की शुरुआत के दौरान ईरान, लीबिया, सोमालिया, सीरिया, यमन, ईराक और सूड़ान से लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी।
व्हाइट हाउस ने इस बयान को लेकर पूर्व राष्ट्रपति की आलोचना की है।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता एंड्रयू बेट्स ने कहा, ‘‘2020 में राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस्लामोफोबिया में ‘अत्यंत’ वृद्धि की निंदा की थी, जिसे उन्होंने एक ‘हानिकारक बीमारी’ बताया था और उनके पूर्ववर्ती द्वारा गैर-अमेरिकी मुस्लिमों पर लगाए गए प्रतिबंध को पलट दिया था।’’
बेट्स ने कहा, ‘‘नफरत के खिलाफ एकजुट होने की अब पहले से कहीं अधिक जरूरत है, क्योंकि अमेरिकी मुस्लिम और अरब अमेरिकी भयावह और दिल दहला देने वाली हिंसा का निशाना बन रहे हैं, जिसमें छह साल के बच्चे की बर्बर हत्या भी शामिल है।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन ने इस्लामोफोबिया (मुस्लिमों के प्रति घृणा की भावना) के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई की है।
सैकड़ों समर्थकों के उत्साहवर्धन के साथ ट्रंप ने हमास को नष्ट करने के इजराइल के अभियान के साथ एकजुट रहने, बर्बर आतंकवादियों से अमेरिका और इजराइल की रक्षा करने तथा बाइडन प्रशासन की ईरान तुष्टिकरण की नीति को पलटने का संकल्प भी लिया। (भाषा)
यरूशलम, 29 अक्टूबर। इजराइल की सेना ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह हमास के खिलाफ युद्ध के दो उद्देश्यों को एक साथ प्राप्त कर सकता है, जिसमें गाजा पट्टी से आतंकवादियों की हुकूमत को उखाड़ फेंकना और इजराइल से अगवा किए गए करीब 230 बंधकों को रिहा कराना शामिल है।
सेना ने गाजा पट्टी पर हवाई हमले और जमीनी आक्रमण तेज कर दिए हैं, जिससे बंधकों के परिवारों की चिंता बढ़ती जा रही है कि इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। ऐसा लगता है कि गाजा में इजराइली बंधकों को रिहा कराने के लिए हमास से बातचीत करने की आवश्यकता पड़ेगी।
हमास ने सात अक्टूबर को इजराइल पर हमला कर 1,400 से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच युद्ध छिड़ गया। हमास नियंत्रित गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजराइल की जवाबी कार्रवाई में अब तक 7,700 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं।
इजराइल की सरकार ने अभी यह नहीं बताया है कि बचाव अभियान कैसे चलाया जाएगा। शनिवार देर रात को टेलीविजन पर दिए संबोधन में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बंधकों के परिवार की पीड़ा को स्वीकार किया और वादा किया कि उनकी रिहाई हमास को खत्म करने के उद्देश्य के साथ इजराइल के युद्ध का ‘‘अभिन्न’’ हिस्सा है।
हमास के नेता कुछ इजराइली नागरिकों को छोड़ने के लिए मध्यस्थ मिस्र और कतर के साथ बातचीत कर रहे हैं। अभी तक चार बंधकों को रिहा किया गया है।
हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई की चिंता शनिवार को चरम पर पहुंच गई, जब इजराइल ने अपने हवाई हमले तेज कर दिए और भारी गोलाबारी के साथ गाजा में सेना भेज दी। तेल अवीव में इजरइाल के रक्षा मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नेतन्याहू और अन्य अधिकारियों ने उनके प्रियजनों के भविष्य के बारे में ध्यान रखने की मांग की।
इसके बाद नेतन्याहू ने पीड़ित परिवारों से शनिवार को मुलाकात की और बंधकों को घर वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री याओव गैलेंट ने पीड़ित परिवारों से रविवार को मुलाकात करने का वादा किया।
हमास ने शनिवार को इजराइल को सभी फलस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में गाजा में बंधक बनाए लोगों को छोड़ने की पेशकश दी। फलस्तीनी अपने कैदियों को स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं।
इजराइल का कैदियों की अदला-बदली का लंबा इतिहास रहा है। उसने 2011 में गाजा में अगवा किए गए सैनिक गिलाद शालित के बदले में 1,000 से अधिक फलस्तीनी कैदियों को रिहा किया था। (एपी)
ग़ज़ा पर इसराइली बमबारी के ख़िलाफ़ शनिवार को सेंट्रल लंदन के वाटरलू इलाके में प्रदर्शन हुआ, जिसमें क़रीब एक लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान है.
दूसरी ओर अमेरिका के न्यूयॉर्क में प्रदर्शनकारियों ने एक व्यस्ततम मेट्रो स्टेशन पर प्रदर्शन किया.
लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस ने कहा कि नारों और प्लेकार्ड को लेकर कार्यवाही होगी अगर उनसे हमास के समर्थन का संदेश जाता है.
भीड़ में कुछ लोगों ने 'फ़्राम द रीवर टू द सी' के नारे लगाए जिसका मतलब होता है कि जॉर्डन नदी से लेकर भूमध्सागर तक फ़लस्तीनी ज़मीन.
ब्रिटेन होम सेक्रेटरी सुएला ब्रैवरमैन ने इससे पहले पुलिस से कहा था कि इस नारे को हिंसक माना जाए क्योंकि इसमें इसराइल को दुनिया के नक्शे से मिटाने का भाव जाता है.
हालांकि फ़लस्तीनी एकजुटता अभियान और अन्य एक्टिविस्टों ने ये कहते हुए इसे चुनौती दी है कि यह नारा “फ़लस्तीनी लोगों की आज़ादी, बराबरी और इंसाफ़” को दर्शाता है.
पिछले हफ़्ते लंदन में हुए इसी तरह के प्रदर्शन में 1,00,000 लोग इकट्ठा हुए थे. पुलिस को ताज़ा प्रदर्शन में भी इतने ही लोगों के आने का आंकलन है.
न्यूयॉर्क में प्रदर्शन
अमेरिका के न्यूयार्क में मैनहट्टन के सबसे व्यस्ततम ग्रैंड सेंट्रल टर्मिनल पर द ज्यूईश वॉइस फॉर पीस के प्रदर्शनकारियों ने ग़ज़ा में संघर्ष विराम के लिए प्रदर्शन किया.
इस मेट्रो टर्मिनल से रोज़ाना 7.5 लाख लोग आते जाते हैं. प्रदर्शन के चलते इसे रोक दिया गया.
एनवाईपीडी ने बीबीसी को बताया कि कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से जारी इसराइली बमबारी में अबतक ग़ज़ा में 7,703 लोग मारे गए जिनमें 3,500 बच्चे हैं.(bbc.com/hindi)
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने शनिवार को इसराइल को 'युद्ध अपराधी' क़रार दिया, जिसके जवाब में इसराइल ने तुर्की से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है.
तुर्की के इस्तांबुल में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए अर्दोआन ने ग़ज़ा पर इसराइल के हमले को 'जनसंहार' बताया और कहा कि इसराइल के सहयोगी पश्चिमी मुल्क इस युद्ध अपराध के पीछे 'मुख्य अपराधी' हैं.
अर्देआन ने कहा, "इसराइल, हम तुम्हें दुनिया में एक युद्ध अपराधी के रूप में घोषित करेंगे. हम इसकी तैयारी कर रहे हैं और हम दुनिया के सामने इसराइल को युद्ध अपराधी के रूप में पेश करेंगे."
अर्दोआन ने कहा कि वो ये नहीं समझते कि हमास 'एक आतंकी संगठन' है.
राष्ट्रपति ने एक विशाल स्टेज से अपना भाषण दिया और दावा किया कि इस रैली में 15 लाख लोग शामिल हुए.
इसराइल ने तोड़े राजनयिक रिश्ते
इसराइल ने इसके जवाब में तुर्की से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है.
इसराइल के विदेश मंत्री एली कोहे ने सोशल प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि अर्दोआ की तीखी टिप्पणी के बाद उन्होंने अपने राजनयिकों को तुर्की छोड़ देने के आदेश दिए हैं.
इससे पहले बुधवार को अर्देआन ने हमास को 'लिबरेशन ग्रुप' यानी आज़ादी के लिए लड़ने वाला समूह कहा था.
बंधकों के परिजनों ने अपने प्रियजनों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है.
युद्ध का दूसरा चरणः इसराइली सेना
इसराइली सेना ने शनिवार को कहा कि ज़मीनी हमले की प्रगति के साथ ही अब युद्ध का अगला चरण शुरू हो रहा है.
ग़ज़ा में मौजूद बीबीसी संवाददाता रुश्दी अबूअलूफ़ के अनुसार, उत्तर पश्चीमी ग़ज़ा में समंदर के क़रीब दो किलोमीटर अंदर तक इसराइली सेना के टैंक पहुंच गए हैं.
उन्होंने कहा कि ग़ज़ा पट्टी के उत्तरी, पश्चमी और पूर्वी हिस्से में लगातार बमबारी हो रही है. लेकिन दक्षिणी ग़ज़ा पर भी बम बरसाए गए हैं.
उन्होंने बताया कि आज 20 हवाई हमले खान यूनिस पर हुए हैं.
ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से जारी इसराइली बमबारी में अबतक ग़ज़ा में 7,703 लोग मारे गए जिनमें 3,500 बच्चे हैं.(bbc.com/hindi)
ईरान की मॉरेलिटी पुलिस से कथित झड़प के बाद गिरने से कोमा में चली गईं 16 साल की आर्मिटा गेरावंद की मौत हो गई. सरकारी मीडिया और एक्टिवस्टों ने ये जानकारी दी है.
आर्मिटा गेरावंद एक अक्टूबर को तेहरान मेट्रो ट्रेन में चढ़ते समय गिर गई थीं.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 'हिजाब न पहनने के लिए मॉरेलिटी पुलिस ने उनके साथ मारपीट की थी, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वो अचेत हो गई थीं.'
आर्मिटा की मौत शनिवार की सुबह हुई. ईरान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी इरना के अनुसार, उन्हें दिमाग पर गंभीर चोट लगी थी.
बीते रविवार को डॉक्टरों ने आर्मिटा को 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया था.
तब आर्मिटा के पिता बाहमन गेरावंद ने कहा था कि डॉक्टरों ने कहा था कि रिकवरी की उम्मीद ख़त्म हो गई है.
इस मामले में आर्मिटा के परिजनों की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है.
नॉर्वे के एक मानवाधिकार संगठन हेंगाव ने आर्मिटा गेरावंद के मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की है.
संगठन का कहना है कि आर्मिटा 'ज़बरदस्ती हिजाब पहनाने के मामले' की ताज़ा शिकार हैं और 28 दिन तक अस्पताल में ज़िंदगी मौते से जूझने के बाद उनकी मौत हो गई. (bbc.com/hindi)
इसराइल के साथ 7 अक्टूबर को संघर्ष शुरू होने के बाद ग़ज़ा पट्टी में हमास के नेता याह्या सिनवार ने पहली बार इसराइली बंधकों की रिहाई पर प्रतिक्रिया दी है.
सिनवार ने कहा है कि वो ग़ज़ा में बंधक बनाए गए इसराइली नागरिकों को छोड़ सकते हैं बशर्ते इसराइल अपनी जेलों में बंद हमास क़ैदियों को छोड़ दे.
हमास की आधिकारिक वेबसाइट पर बयान जारी कर कहा है,''हम इन बंधकों को तुरंत छोड़ने के लिए तैयार हैं लेकिन इसके लिए जियोनिस्ट दुश्मन की क़ैद में हमास के लोगों और इसराइल के ख़िलाफ़ प्रतिरोध आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों को छोड़ा जाए.''
उधर, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनकी युद्ध कैबिनेट में हमास की इस पेशकश पर चर्चा हुई है. हालांकि उन्होंने इस बारे में ज़्यादा विस्तार से जानकारी नहीं दी.
बिन्यामिन ने सिर्फ़ इतना कहा कि इसका उल्टा असर हो सकता है. इस बीच, जैसे-जैसे ग़ज़ा में इसराइल के ज़मीनी हमले की ख़बरें आ रही हैं, बंधकों के परिजनों में बेचैनी बढ़ती जा रही है.
इसराइल सरकार पर बंधकों को परिजनों का दबाव बढ़ता जा रहा है. वे चाह रहे हैं कि हमास में क़ैद उनके परिजनों को तुरंत छुड़ाया जाए. (bbc.com/hindi)
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमास के साथ उनके देश का युद्ध अपने दूसरे दौर में पहुंच गया है.
इसराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने पिछले सप्ताह देश की संसदीय कमेटी को बताया था कि हमास के साथ इसराइल के युद्ध के तीन दौर होंगे. पहले दौर के अभियान का मक़सद हमास के इन्फ्रास्ट्रक्चर को ध्वस्त करना है ताकि उसे हराया और खत्म किया जा सके.
उन्होंने कहा था कि दूसरे दौर में इसराइल के सैनिक उन ठिकानों को खत्म करेंगे जो हमास के प्रतिरोध आंदोलन के केंद्र हैं.
गैलेंट के मुताबिक़, तीसरे दौर में इसराइल ग़ज़ा पट्टी में अपने नागरिकों की ज़िंदगियों के जोखिम को खत्म करेगा. इसके साथ ही वह एक नई सुरक्षा व्यवस्था बहाल करेगा जो इसराइली नागरिकों की हिफ़ाज़त करे. (bbc.com/hindi)
काहिरा, 28 अक्टूबर। काहिरा और भूमध्यसागर शहर सिकन्दरिया को जोड़ने वाले राजमार्ग पर शनिवार को कई कारों के एक के पीछे एक टकराने से कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई। यह जानकारी मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी।
बयान में कहा गया है कि इस दुर्घटना में कम से कम 63 अन्य घायल हो गए। बयान के अनुसार इस दुर्घटना में एक यात्री बस और अन्य वाहन शामिल थे, साथ ही इस दौरान कुछ वाहनों में आग भी लग गई।
घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंचीं। (एपी)
दीर अल-बलाह (गाजा पट्टी), 28 अक्टूबर। इजराइल ने गाजा पट्टी में इंटरनेट और संचार के अन्य माध्यम बंद कर दिए हैं, जिससे वहां रहने वाले 23 लाख लोगों का आपस में तथा बाहरी दुनिया से संपर्क कट गया है। इजराइल ने शुक्रवार रात से गाजा पर हवाई और जमीनी हमले भी तेज कर दिए हैं।
इजराइल की सेना ने कहा कि वह क्षेत्र में जमीनी अभियान ‘‘व्यापक’’ कर रही है। सेना की यह घोषणा इस बात का संकेत देती है कि वह गाजा पर संपूर्ण आक्रमण के नजदीक पहुंच रही है। उसने गाजा में हमास आतंकियों का पूरी तरह से सफाया करने का प्रण लिया है।
इजराइल के हवाई हमलों के कारण हुए विस्फोट से गाजा सिटी के आसमान में लगतार चमक दिखाई देती रही। फलस्तीन के टेलीकॉम प्रदाता ‘पालटेल’ ने कहा कि बमबारी के कारण इंटरनेट, सेल्युलर और लैंडलाइन सेवाएं ‘पूर्ण रूप से बाधित’ हो गईं हैं।
संचार ठप होने का मतलब यह है कि हमले में लोगों के मारे जाने और जमीनी कार्रवाई के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाएगी। हालांकि, क्षेत्र में कुछ सैटेलाइट फोन काम कर रहे हैं।
गाजा एक सप्ताह से बिजली नहीं होने से अंधेरे में डूबा हुआ है। फलस्तीन के लोग भोजन और पेयजल की समस्या से भी जूझ रहे हैं।
गाजा के लोग उस वक्त दशहत में आ गए, जब मैसेजिंग ऐप अचानक बंद होने के कारण परिवारों के साथ उनका संपर्क कट गया और कॉल आने बंद हो गए।
वेस्ट बैंक के रामल्ला शहर में महिलाओं की एक संस्था की निदेशक वफ़ा अब्दुल रहमान ने कहा, ‘‘मैं बहुत डर गई। मेरी कई घंटों से मेरे परिवार से कोई बातचीत नहीं हुई है।’’
कब्जे वाले क्षेत्रों के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक लिन हेस्टिंग्स ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि फोन और इंटरनेट सेवा के बिना अस्पताल और सहायता अभियान संचालित नहीं हो सकेंगे।
वहीं, रेड क्रिसेंट ने कहा कि वह चिकित्सा दलों से संपर्क नहीं कर पा रहा है और निवासी एम्बुलेंस सेवा को फोन नहीं कर पा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों ने कहा कि वे सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल से केवल कुछ कर्मचारियों से ही संपर्क कर सके हैं।
‘द कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ ने आगाह किया है कि दुनिया संघर्ष की ‘‘हकीकत दिखाने वाला झरोखा खो रही है।’’ कमेटी ने चेतावनी दी कि ‘‘जानकारी नहीं पाने की स्थिति में दुष्प्रचार और गलत सूचनाएं पैठ बना सकती हैं।’’
इजराइल के सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हैगारी ने कहा कि गाजा में जमीनी बलों ने शुक्रवार शाम से ‘‘अपनी गतिविधि बढ़ा’’ दी है और ‘‘युद्ध के उद्देश्य को हासिल करने के लिए भारी ताकत का इस्तेमाल कर रहा है।’’
हमास के मीडिया केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इजराइली बलों के साथ रातभर तेज संघर्ष जारी रहा, जिसमें सीमा पर तारबंदी के पास के कई स्थानों पर टैंक से हमले शामिल हैं। इस पर इजराइली सेना ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
इजराइल ने संभावित जमीनी हमले से पहले सीमा पर हजारों सैनिकों को इकट्ठा कर लिया है। इससे पहले, शुक्रवार को सेना ने कहा था कि जमीनी बलों ने गाजा के अंदर दूसरी बार घुसपैठ की और पिछले 24 घंटों में दर्जनों आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हमास-शासित गाजा में इजराइली हमलों में 2,900 से अधिक नाबालिगों और 1,500 से अधिक महिलाओं समेत 7,300 फलस्तीनी मारे गए हैं। हमास ने सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में अप्रत्याशित हमला किया था, जिसके जवाब में इजराइल ने कई विनाशकारी हवाई हमले किए हैं।
इजराइल और हमास के बीच पूर्व में हुए सभी चार संघर्षों में करीब 4,000 लोगों की मौत हुई थी।
इजराइल सरकार के अनुसार, हमास द्वारा शुरुआत में किए गए हमले के दौरान इजराइल में 1,400 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर आम नागरिक थे। हमास ने गाजा में कम से कम 229 लोगों को बंदी बना रखा है। (एपी)
ढाका, 28 अक्टूबर। बांग्लादेश के मुख्य विपक्षी दल की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और अगले साल के आम चुनाव की निगरानी के लिए गैर-पक्षपातपूर्ण कार्यवाहक सरकार को सत्ता का हस्तांतरण करने की मांग को लेकर शनिवार को एक विशाल रैली करने की योजना है।
वहीं, सत्तारूढ़ आवामी लीग पार्टी ने चेतावनी दी है कि हिंसा पैदा करने की किसी की कोशिश से बलपूर्वक निपटा जाएगा और वह विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के मुख्यालय के पास ‘‘शांति रैली’’ करेगी, जहां पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के समर्थकों के एकजुट होने की योजना है।
विपक्ष ने कहा कि वह हसीना को सत्ता से हटाने के लिए अंतिम प्रयास कर रहा है, क्योंकि निर्वाचन आयोग की देश के 12वें आम चुनाव की तारीख घोषित करने की तैयारी है, जो जनवरी में हो सकते हैं।
बांग्लादेश में चुनाव से पहले राजनीतिक तनाव बहुत ज्यादा है। हसीना और जिया के बीच शत्रुता दशकों से चली आ रही है। हसीना सरकार महीनों से दबाव में है, क्योंकि विपक्ष ने बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण सरकार विरोधी प्रदर्शन किए हैं।
एपी गोला पारुल पारुल 2810 0950 ढाका (एपी)
दीर अल-बलाह (गाजा पट्टी), 28 अक्टूबर। इजराइल ने गाजा पट्टी में इंटरनेट और संचार के अन्य माध्यम बंद कर दिए हैं, जिससे वहां रहने वाले 23 लाख लोगों का आपस में तथा बाहरी दुनिया से संपर्क कट गया है। इजराइल ने शुक्रवार रात से गाजा पर हवाई और जमीनी हमले भी तेज कर दिए हैं।
इजराइल की सेना ने कहा कि वह क्षेत्र में जमीनी अभियान ‘‘व्यापक’’ कर रही है। सेना की यह घोषणा इस बात का संकेत देती है कि वह गाजा पर संपूर्ण आक्रमण के नजदीक पहुंच रही है। उसने गाजा में हमास आतंकियों का पूरी तरह से सफाया करने का प्रण लिया है।
इजराइल के हवाई हमलों के कारण हुए विस्फोट से गाजा सिटी के आसमान में लगतार चमक दिखाई देती रही। फलस्तीन के टेलीकॉम प्रदाता ‘पालटेल’ ने कहा कि बमबारी के कारण इंटरनेट, सेल्युलर और लैंडलाइन सेवाएं ‘पूर्ण रूप से बाधित’ हो गईं हैं।
संचार ठप होने का तात्पर्य यह है कि हमले में लोगों के मारे जाने और जमीनी कार्रवाई के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाएगी। हालांकि, क्षेत्र में कुछ सैटेलाइट फोन काम कर रहे हैं।
गाजा एक सप्ताह से बिजली नहीं होने से अंधेरे में डूबा हुआ है। फलस्तीन के लोग भोजन और पेयजल की समस्या से भी जूझ रहे हैं।
गाजा के लोग उस वक्त दशहत में आ गए, जब मैसेजिंग ऐप अचानक बंद होने के कारण परिवारों के साथ उनका संपर्क कट गया और कॉल आने बंद हो गए।
वेस्ट बैंक के रामल्ला शहर में महिलाओं की एक संस्था की निदेशक वफ़ा अब्दुल रहमान ने कहा, ‘‘मैं बहुत डर गई। मेरी कई घंटों से मेरे परिवार से कोई बातचीत नहीं हुई है।’’
कब्जे वाले क्षेत्रों के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक लिन हेस्टिंग्स ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि फोन और इंटरनेट सेवा के बिना अस्पताल और सहायता अभियान संचालित नहीं हो सकेंगे।
वहीं, रेड क्रिसेंट ने कहा कि वह चिकित्सा दलों से संपर्क नहीं कर पा रहा है और निवासी एम्बुलेंस सेवा को फोन नहीं कर पा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों ने कहा कि वे सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल से केवल कुछ कर्मचारियों से ही संपर्क कर सके हैं।
इजराइल के सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी ने कहा कि गाजा में जमीनी बलों ने शुक्रवार शाम से ‘‘अपनी गतिविधि बढ़ा’’ दी है।
एपी शोभना पारुल पारुल 2810 1038 दीरअलबलाह (एपी)
भारत ने यूएन जनरल असेंबली में ग़ज़ा संकट पर लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
प्रस्ताव ग़ज़ा में नागरिकों की सुरक्षा और वहां क़ानूनी और मानवीय क़दमों को जारी रखने के समर्थन में था. लेकिन भारत इस पर वोटिंग से दूर रहा.
दूसरी ओर भारत ने 'हमास के चरमपंथी हमले' की निंदा करने वाले कनाडा के संशोधित प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है.
हालांकि दो तिहाई बहुमत न होने से यूएन जनरल असेंबली में ये ड्राफ्ट प्रस्ताव गिर गया.
भारत के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इराक़, इटली, स्वीडन, यूक्रेन, ज़िम्बाब्वे जैसे देशों ने भी इसमें हिस्सा नहीं लिया. (bbc.com/hindi)
इसराइल पर हमास के हमले के तीन हफ्ते बीत चुके हैं. हमास ने इसराइली ठिकानों पर 7 अक्टूबर को हमला किया था. इसमें इसराइल के 1400 नागरिकों की मौत हो गई थी.
हमास ने इसराइल के 200 लोगों को बंधक बना लिया था. इसके बाद इसराइल ने ग़ज़ा पट्टी पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी थी. ये कार्रवाई जारी है.
इसराइल की सेना ग़ज़ा में लगातार हमले जारी रखे हुए. इसमें बड़ी तादाद में नागरिकों की मौत हुई है. ग़ज़ा का आसमान बमों को धुएं से भरा है और यहां दागे गए रॉकेट की चमक देखी जा सकती है.
इसराइल की सेना ने कहा है कि वो अब अपने जमीनी हमले का दायरा और बढ़ा रही है. हालांकि इसराइली सरकार के प्रवक्ता इलॉन लेवी ने इस बात की पुष्टि से इनकार किया है कि यह हमास के ख़िलाफ़ जमीनी हमले की शुरुआत है. उन्होंने कहा कि वो इस ऑपरेशन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे.
दूसरी ओर, हमास ने कहा है कि वो उत्तरी और मध्य ग़ज़ा में इसराइली सेना से संघर्ष कर रहा है. उसने कहा है कि दक्षिणी इसराइल से ग़ज़ा पर रॉकेटों से हमला हो रहा है.
इस बीच ग़ज़ा में हजारों फ़लस्तीनी नागरिक भारी मुसीबत से घिरे हैं. वो इसराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में बम धमाकों और खाने-पीने की चीजों की भारी किल्लत के बीच फंसे हुए हैं.
ताज़ा ख़बरों के मुताबिक़ इसराइली हमले में ग़ज़ा पट्टी में अब तक 7000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. (bbc.com/hindi)
संयुक्त राष्ट्र, 28 अक्टूबर। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इजराइल और गाजा के बीच संघर्ष को रोकने के लिए गाजा में ‘‘मानवीय संघर्ष विराम’’ का आह्वान करने वाला एक प्रस्ताव शुक्रवार को पारित किया। हालांकि यह प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है।
अरब देशों द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को 193 सदस्यीय इस विश्व निकाय ने 14 के मुकाबले 120 मतों से पारित कर दिया,वहीं 45 देश इस पर मतदान से दूर रहे।
महासभा ने अमेरिका द्वारा समर्थित कनाडा के एक संशोधन को खारिज करते हुए यह प्रस्ताव पारित किया। इसमें हमास द्वारा इजराइल पर सात अक्टूबर के ‘‘आतंकवादी हमले’ की स्पष्ट रूप से निंदा करने और हमास द्वारा बंधक बनाए लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की गयी थी।
संयुक्त राष्ट्र के 22 देशों के अरब समूहों की ओर से संयुक्त राष्ट्र में जॉर्डन के राजदूत महमूद हमूद ने जमीनी स्तर पर बढ़ते तनाव की तात्कालिकता के कारण इस प्रस्ताव पर कार्रवाई करने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र की और अधिक शक्तिशाली 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के पिछले दो सप्ताह में चार प्रयासों के बावजूद किसी प्रस्ताव पर सहमत न होने के बाद अरब देशों के समूह ने महासभा का दरवाजा खटखटाया। सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं लेकिन महासभा के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं होते।
मतदान से पहले हमूद ने कहा, ‘‘इजराइल अब किए जा रहे अत्याचारों के लिए जिम्मेदार है और ये अत्याचार गाजा में जमीनी आक्रमण के दौरान भी होंगे।’’
संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत रॉबर्ट रे ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव से ऐसा लगता है कि सात अक्टूबर की घटनाओं को भुला दिया गया है। संशोधन में हमास की निंदा की गयी है जो ‘‘इतिहास के सबसे वीभत्स आतंकवादी हमलों में से एक के लिए जिम्मेदार है।’’
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरान ने कहा कि अरब के प्रस्ताव में जानबूझकर निंदा नहीं की गयी या इजराइल का उल्लेख या किसी अन्य दल का उल्लेख नहीं किया गया। उनके इस बयान पर महासभा में खूब तालियां बजीं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कनाडा वास्तव में न्यायसंगत होता तो वह हर किसी- दोनों पक्ष जो अपराध के दोषी हैं, का नाम शामिल करने पर राजी होता या वह किसी के नाम का उल्लेख नहीं करता जैसा कि हमने किया।’’
बुधवार को शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र महासभा का विशेष सत्र शुक्रवार सुबह तक चला। अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने इजराइल के राजदूत के सुर में सुर मिलाते हुए हमास का जिक्र न करने के लिए इस प्रस्ताव को ‘‘अपमानजनक’’ बताया।
इस प्रस्ताव में तत्काल, स्थायी और सतत मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया है जिससे शत्रुता रोकी जा सके। इसमें सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानूनों के तहत अपने दायित्वों का तुरंत पालन करने की मांग की गयी है।
एपी गोला शोभना शोभना 2810 0907 संयुक्तराष्ट्र (एपी)
संयुक्त राष्ट्र, 28 अक्टूबर। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इजराइल और गाजा के बीच संघर्ष को रोकने के लिए गाजा में ‘‘मानवीय संघर्ष विराम’’ का आह्वान करने वाला एक प्रस्ताव शुक्रवार को पारित किया। हालांकि यह प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है।
अरब देशों द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को 193 सदस्यीय इस विश्व निकाय ने 14 के मुकाबले 120 मतों से पारित कर दिया,वहीं 45 देश इस पर मतदान से दूर रहे।
महासभा ने अमेरिका द्वारा समर्थित कनाडा के एक संशोधन को खारिज करते हुए यह प्रस्ताव पारित किया। इसमें हमास द्वारा इजराइल पर सात अक्टूबर के ‘‘आतंकवादी हमले’ की स्पष्ट रूप से निंदा करने और हमास द्वारा बंधक बनाए लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की गयी थी।
संयुक्त राष्ट्र के 22 देशों के अरब समूहों की ओर से संयुक्त राष्ट्र में जॉर्डन के राजदूत महमूद हमूद ने जमीनी स्तर पर बढ़ते तनाव की तात्कालिकता के कारण इस प्रस्ताव पर कार्रवाई करने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र की और अधिक शक्तिशाली 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के पिछले दो सप्ताह में चार प्रयासों के बावजूद किसी प्रस्ताव पर सहमत न होने के बाद अरब देशों के समूह ने महासभा का दरवाजा खटखटाया। सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं लेकिन महासभा के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं होते।
मतदान से पहले हमूद ने कहा, ‘‘इजराइल अब किए जा रहे अत्याचारों के लिए जिम्मेदार है और ये अत्याचार गाजा में जमीनी आक्रमण के दौरान भी होंगे।’’
संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत रॉबर्ट रे ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव से ऐसा लगता है कि सात अक्टूबर की घटनाओं को भुला दिया गया है। संशोधन में हमास की निंदा की गयी है जो ‘‘इतिहास के सबसे वीभत्स आतंकवादी हमलों में से एक के लिए जिम्मेदार है।’’
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरान ने कहा कि अरब के प्रस्ताव में जानबूझकर निंदा नहीं की गयी या इजराइल का उल्लेख या किसी अन्य दल का उल्लेख नहीं किया गया। उनके इस बयान पर महासभा में खूब तालियां बजीं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कनाडा वास्तव में न्यायसंगत होता तो वह हर किसी- दोनों पक्ष जो अपराध के दोषी हैं, का नाम शामिल करने पर राजी होता या वह किसी के नाम का उल्लेख नहीं करता जैसा कि हमने किया।’’
बुधवार को शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र महासभा का विशेष सत्र शुक्रवार सुबह तक चला। अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने इजराइल के राजदूत के सुर में सुर मिलाते हुए हमास का जिक्र न करने के लिए इस प्रस्ताव को ‘‘अपमानजनक’’ बताया।
इस प्रस्ताव में तत्काल, स्थायी और सतत मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया है जिससे शत्रुता रोकी जा सके। इसमें सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानूनों के तहत अपने दायित्वों का तुरंत पालन करने की मांग की गयी है।
एपी गोला शोभना शोभना 2810 0907 संयुक्तराष्ट्र (एपी)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने शुक्रवार को दावा किया है कि उन पर एक बार फिर जानलेवा हमला हो सकता है.
इमरान ख़ान इन दिनों में साइफ़र केस के तहत रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं.
उन्होंने कहा है कि जेल में उन्हें धीमा ज़हर दिया जा सकता है.
इमरान ख़ान के परिवार की ओर से एक्स (ट्विटर) पर जारी किए गए बयान में कहा गया है, “चूंकि मैं देश छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं होऊंगा, ऐसे में मेरी जान को स्वाभाविक ख़तरा है. वे मेरे जेल में रहते हुए मेरी जान लेने की एक और कोशिश कर सकते हैं. वह स्लो पॉइज़न के ज़रिए ऐसा प्रयास कर सकते हैं.”
इससे पहले एक जनसभा के दौरान भी इमरान ख़ान पर जानलेवा हमला हो चुका है जिसमें वह घायल हुए थे. और उनके पैर में चोट आई थी.
इस हमले के बाद इमरान ख़ान ने पाकिस्तान सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों पर गंभीर आरोप लगाए थे. (bbc.com/hindi)
पेंटागन ने कहा है कि 26 अक्टूबर को सीरिया पर हमले के दौरान एफ-16 और एफ-15 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया. (फाइल फोटो)Image caption: पेंटागन ने कहा है कि 26 अक्टूबर को सीरिया पर हमले के दौरान एफ-16 और एफ-15 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया. (फाइल फोटो)
अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा है कि उसके लड़ाकू विमानों ने सीरिया में हमले के दौरान ईरानी सेना की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले एक हथियार भंडार को ध्वस्त कर दिया है.
पेंटागन के मुताबिक़ इसका इस्तेमाल ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कर रही थी.
अमेरिका ने कहा है कि ये हमला उसने अपने लोगों को बचाने के लिए किया है. हमले में कोई घायल नहीं हुआ है.
पेंटागन के ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा है कि पूर्वी सीरिया पर उसके हमले का संबंध इसराइल और हमास संघर्ष से नहीं है.
राइडर ने बताया कि 17 अक्टूबर से इराक़ और सीरिया में अमेरिका और गठबंधन की फौजों पर 20 से ज्यादा हमले हुए हैं. इनमें से ज्यादातर हमले रॉकेट और वन वे ड्रोन से किए गए हैं. हालांकि अधिकतर हमले नाकाम कर दिए गए हैं. (bbc.com/hindi)
रोम, 27 अक्टूबर। पोप फ्रांसिस ने वेटिकन को महिलाओं के यौन, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शोषण के आरोपी पादरी मार्को रूपनिक के मामले को फिर से खोलने का आदेश दिया है। वेटिकन ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
वेटिकन के एक बयान में कहा गया है कि फ्रांसिस के ‘दुर्व्यवहार निवारण आयोग’ ने इस मामले से जुड़े शुरूआती तौर-तरीकों, विशेष रूप से पीड़ितों का पक्ष नहीं सुनने की "गंभीर समस्याओं" को रेखांकित किया था।
बयान में कहा गया है कि फ्रांसिस ने वेटिकन के आस्था सिद्धांत विभाग से मामले की समीक्षा करने का निर्देश दिया और मुकदमा की अनुमति देने के लिए कानूनी सीमाएं हटाने का फैसला किया।
स्लोवेनिया के पादरी रूपनिक को मई 2020 में वेटिकन ने बर्खास्त कर दिया था। (एपी)
लंदन, 27 अक्टूबर। अबीगैल एडन सिर्फ तीन साल की है और जब हमास के आतंकवादियों ने सात अक्टूबर को किबुत्ज, केफर अजा पर हमला किया और उसके माता-पिता की हत्या कर दी तो वह केवल इतना जानती थी कि आश्रय लेने के लिए पड़ोसी के पास भागना चाहिए।
ब्रोडच परिवार में शामिल मां हैगर और उसके तीन बच्चे हिंसा भड़कने पर अबीगैल को अपने साथ ले गये और फिर सभी पांच लापता हो गए। बाद में सरकार ने सभी पांचों के हमास का बंदी होने की पुष्टि की।
हमास ने इजराइल पर हमला कर 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया और उन्हें गाजा में रखा गया है।
इस दिन के बाद से बंधक बनाए गए लोगों के परिवार गहरे शोक में डूब गए हैं और वह दुविधा की स्थिति में हैं। इजराइल आतंकवादियों द्वारा मारे गए अपने 1,400 से अधिक लोगों का शोक मना रहा है।
इजराइल से बंधक बनाए गए लगभग 30 बच्चों के परिवार अपनी गंभीर पीड़ा का वर्णन करते हैं और उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा का डर सता रहा है।
अबीगैल की चाची ताल एडन ने टेलीफोन पर एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ वह एक बच्ची है, सिर्फ तीन साल की है, और वह बिल्कुल अकेली है। शायद वह किसी पड़ोसी के साथ है, लेकिन मुझे नहीं पता कि वे अभी भी साथ हैं या नहीं। उसका कोई नहीं है। ’’
इजराइल और हमास के बीच जारी इस युद्ध में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
गाजा की 23 लाख की आबादी में आधी संख्या बच्चों की है। हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि इजराइल के हमले में अब तक सात हजार से अधिक फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 2,913 नाबालिग हैं। गाजा में 800 बच्चे अब भी लापता बताए जा रहे हैं। (एपी)
दीर अल बलाह (गाजा पट्टी), 27 अक्टूबर हमास-शासित क्षेत्र में संभावित जमीनी आक्रमण की तैयारी कर रहे इजराइली बलों ने गाजा में दो दिन में दूसरी बार जमीनी हमले किये और शहर के बाहरी इलाकों को निशाना बनाया। इजराइली सेना ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
इस दौरान अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने भी पूर्वी सीरिया में कुछ स्थानों पर हमले किए। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के कार्यालय पेंटागन ने बताया कि ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) से जुड़े ठिकानों पर शुक्रवार तड़के हवाई हमले किए गए। ये हवाई हमले क्षेत्र में गत सप्ताह अमेरिकी सैन्य अड्डों और कर्मियों पर किए ड्रोन तथा मिसाइल हमलों के जवाब में किए गए। इन हमलों से गाजा युद्ध को लेकर क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हमास-शासित गाजा में इजराइली हमलों में 2,900 से अधिक नाबालिगों और 1,500 से अधिक महिलाओं समेत 7,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं। हमास ने सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में अप्रत्याशित हमला किया था, जिसके जवाब में इजराइल ने कई विनाशकारी हवाई हमले किए।
इजराइल और हमास के बीच पूर्व में हुए सभी चार हमलों में करीब 4,000 लोगों की मौत हुई थी।
इजराइली सरकार के अनुसार, हमास द्वारा शुरुआत में किए गए हमले के दौरान इजराइल में 1,400 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर आम नागरिक थे। हमास ने गाजा में कम से कम 229 लोगों को बंदी बना रखा है।
इस महीने की शुरुआत में दक्षिणी इजराइल में हमास के हमले के बाद गाजा में भीषण घेराबंदी की गई है और वहां भोजन, पानी तथा दवाएं खत्म हो रही हैं।
इजराइली सेना ने बताया कि जमीनी बलों ने पिछले 24 घंटे में गाजा के भीतर हमला कर दर्जनों उग्रवादी ठिकानों को निशाना बनाया। उसने बताया कि इस दौरान विमानों और तोपों से गाजा शहर के बाहरी इलाके शिजैयाह में बमबारी की गई।
सेना ने बताया कि सैन्यकर्मी हमलों को अंजाम देने के बाद इलाके से बिना किसी नुकसान के बाहर आ गए।
इससे पहले सेना ने बृहस्पतिवार को बताया था कि जमीनी हमलों के दौरान सैनिकों ने हमास के लड़ाकों, ठिकानों और टैंक विध्वंसक मिसाइल स्थलों पर हमले किए।
इजराइली सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हैगारी ने कहा कि हमलों ने ‘दुश्मन को बेनकाब’ किया और इस दौरान उग्रवादियों को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि इन हमलों का उद्देश्य ‘युद्ध के अगले चरण के लिए जमीन तैयार करना’ है। (एपी)
इस्लामाबाद, 27 अक्टूबर पाकिस्तान की एक अदालत ने गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने और देश के कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में पहली प्राथमिकी रद्द करने तथा जमानत दिए जाने का अनुरोध करने वाली देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दीं।
खान (71) को पिछले साल मार्च में वाशिंगटन में देश के दूतावास द्वारा भेजे एक गोपनीय राजनयिक दस्तावेज का खुलासा करने के लिए उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किए जाने के बाद अगस्त में गिरफ्तार किया गया था।
पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने इस मामले में उन्हें तथा उनके करीबी सहयोगी पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को दोषी ठहराया था। दोनों नेता जेल में बंद हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष खान ने अगस्त में संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) द्वारा दर्ज प्राथमिकी रद्द करने और इस मामले में जमानत के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था।
मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे शुक्रवार को सुनाया गया।
यह मामला मार्च 2022 में वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास द्वारा भेजे एक दस्तावेज के बारे में है जिसे खान ने पिछले साल अप्रैल में यह कहते हुए राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की थी कि यह उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकने की विदेशी साजिश का सबूत है।
खान और कुरैशी ने आरोप स्वीकार नहीं किए हैं।
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने 30 सितंबर को खान तथा कुरैशी के खिलाफ आरोपपत्र पेश किया था।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली खान की याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत को खान को पहले 17 अक्टूबर को दोषी ठहराना था लेकिन खान के वकीलों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उन्हें आरोपपत्र की प्रतियां उपलब्ध नहीं करायी गयी हैं।
खान को अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव लाकर सत्ता से बाहर कर दिया गया था। इस्लामाबाद की एक अदालत ने उन्हें तोशाखाना मामले में तीन साल की जेल की सजा सुनायी थी जिसके बाद उन्हें इस साल पांच अगस्त को जेल में डाल दिया गया। वह अटक जिला जेल में हैं।
बाद में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी सजा निलंबित कर दी लेकिन उन्हें गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें बाद में अदियाला जेल ले जाया गया।
पिछले साल अप्रैल में सत्ता से बाहर होने के बाद से खान के खिलाफ 150 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। (भाषा)
भूटान और चीन के बीच सीमा निर्धारण के मुद्दे पर 23 और 24 अक्तूबर को बीजिंग में 25 वें दौर की बातचीत हुई. इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के समाधान पर सहमति भारत के लिए क्या चिंता की बात हो सकती है?
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
भूटान और चीनकी सीमा विवाद पर बातचीत वर्ष 2016 से रुकी पड़ी थी. इस महीने हुई बातचीत में चीन ने सीमा विवाद को शीघ्र हल करने का भरोसा दिया है. विवादित इलाकों में वह डोकलाम भी है जिस पर वर्ष 2017 में भारत और चीन आमने-सामने आ गए थे. वह इलाका पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम है. डोकलाम इस कॉरिडोर से ज्यादा दूर नहीं है.
सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि चीन से भूटान की करीबी पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमा पर भारत के लिए सिरदर्द बन सकती है. भारत पर दबाव बढ़ाने के मकसद से ही सीमा विवाद के मुद्दे पर चीन भूटान पर बार-बार दबाव बनाता है. इससे पहले उसने भूटान के एक वन्यजीव अभयारण्य पर भी दावा पेश किया था जो सामरिक लिहाज से पूर्वोत्तर भारत में आवाजाही के लिए बेहद अहम था. लेकिन भूटान ने उसका दावा खारिज कर दिया था.
अब भारतकी चिंता यह है कि कहीं चीन से विवाद सुलझाने के लिए भूटान उसे डोकलाम सौंपने पर हामी ना भर दे. यह भारत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए भारत सरकार इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बीच होने वाली बातचीत पर बारीकी से निगाह रख रही है.
क्या है चीन-भूटान सीमा विवाद
भूटान और चीन के बीच 764 किलोमीटर लंबे इलाके पर मालिकाना हक को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है. चीन भूटान के इस इलाके पर अपना दावा करता रहा है. इस विवाद को सुलझाने के लिए वर्ष 1984 से ही दोनों देशों के बीच बातचीत होती रही है. हालांकि वर्ष 2016 तक इसका नतीजा सिफर ही रहा था. उसके अगले साल ही चीन ने डोकलाम में सड़क बनाने का काम शुरू किया.
भारत ने इसका कड़ा विरोध किया. नतीजतन लंबे समय तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने जमी रहीं. भारत के कड़े विरोध के बाद चीन ने सड़क बनाने का काम तो रोक दिया, लेकिन उससे कुछ दूरी पर ही भूटान के दूसरे इलाके पर कब्जा कर वहां अपने कई गांव बसा दिए. हालांकि भूटान ने कभी यह बात कबूल नहीं की.
भूटान सरकार की चिंता तब बढ़ी जब चीन ने इसके एक वन्यजीव अभयारण्य पर अपना दावा ठोक दिया. वह इलाका भारत के लिए भी बेहद अहम है. भारत उस इलाके से होकर असम की राजधानी गुवाहाटी से अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाके तवांग तक एक सड़क बनाना चाहता था. उस योजना के विरोध में ही चीन ने उस अभयारण्य पर अपना दावा ठोका था.
डोकलाम विवाद
चीन डोकलाम पर भी दावाकरता रहा है. डोकलाम के सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत भूटान से लगातार कहता रहा है कि वह डोकलाम सौंपने की शर्त पर चीन के साथ किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करे. डोकलाम पर चीन का मालिकाना हक कायम होने की स्थिति में सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए खतरा बढ़ जाएगा. चीन रातों-रात अपने सैनिक और सैन्य साजो-सामान उस इलाके में भेज कर उस कॉरिडोर पर कब्जा कर के पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्से से काट सकता है.
हाल के दिनों में भूटान के बदलते रुख ने भी भारत की चिंता बढ़ाई है. प्रधानमंत्री लोते शेरिंग ने इस साल की शुरुआत में एक बयान में कहा था कि डोकलाम विवाद को सुलझाने में भूटान, भारत और चीन की भूमिका समान है और तीनों देशों को मिलकर इसका हल निकालना होगा.
इससे पहले वर्ष 2019 में उनका कहना था कि डोकलाम में कोई भी देश मनमाने तरीके से कोई बदलाव नहीं कर सकता. भूटान के रुख में यह बदलाव भारत के लिए चिंता की बात है. अब सीमा विवाद पर ताजा बातचीत में दोनों देशों ने कूटनीतिक संबंध कायम करने और सीमा विवाद के शीघ्र हल होने का भरोसा जताया है.
भूटान के प्रधानमंत्री ने बीते महीने कहा था कि चीन के साथ सीमा विवाद पर बातचीत में शीघ्र तीन बिंदुओं पर सहमति बन सकती है. इसमें सीमांकन को लेकर सहमति, विवादास्पद इलाकों का संयुक्त दौरा और सीमा निर्धारण की लकीर खींचना शामिल है.
भारत की चिंता
औपचारिक रूप से भूटान सरकार लगातार कहती रही है कि वह भारत के हितों के खिलाफ जाकर चीन के साथ कोई सीमा समझौता नहीं करेगी और डोकलाम पर बातचीत की स्थिति में तीनों देश शामिल रहेंगे. लेकिन ताजा बातचीत में आखिर किन शर्तों पर समझौते की सहमति बनी है, इसकी जानकारी अब तक ना तो चीन ने दी है और ना ही भूटान ने.
सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि चीन-भूटान सीमा विवाद खासकर डोकलाम इलाके से भारत के हित भी जुड़े हैं. रक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर (रिटार्यड) जीवन लामा कहते है, भूटान चक्की के दो पाटों बीच फंसा है. उसके हित भारत से भी जुड़े हैं और वह चार दशक से चीन के साथ जारी सीमा विवाद भी हल करना चाहता है. लेकिन वह इन दोनों ताकतवर पड़ोसियों में से किसी को भी नाराज करने का खतरा नहीं मोल ले सकता. इसके साथ ही वह भारत-चीन विवाद में पिसना भी नहीं चाहता. जाहिर वह इस विवाद में फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है."
प्रोफेसर लामा यह भी कहते हैं कि एक बार समझौते के तहत अगर डोकलाम का इलाका चीन के नियंत्रण में चला गया तो भारत की मुसीबतें काफी बढ़ जाएगी. भारत सरकार भी आंख मूंद कर भूटान पर भरोसा करने की बजाय इस मामले पर बारीकी से निगाह रख रही है. (dw.com)
कतर की एक अदालत ने आठ भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई है. भारत सरकार ने अदालत के फैसले पर हैरानी जताते हुए इन लोगों को सभी कानूनी मदद मुहैया कराने की बात कही है.
कतर में इन आठ भारतीय लोगों को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था. स्थानीय मीडिया के मुताबिक एक कंपनी के लिए काम करने वाले इन आठ लोगों को अगस्त 2022 में जासूसी के आरोप में पकड़ा गया था. हालांकि स्वतंत्र रूप से जासूसी के इन आरोपों की पुष्टि नहीं की जा सकी है.
भारत सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह इस मामले को "बहुत गंभीरता के साथ देख रही है और कतर के अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाएगी."
कैसा देश है कतर
आरोपों की जानकारी नहीं
ना तो भारत सरकार और ना ही कतर के अधिकारियों ने इन लोगों पर लगे आरोपों के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई जानकारी दी है. अब तक मिली सूचनाओं के मुताबिक ये सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं. ये लोग कंसल्टिंग कंपनी अल-दाहरा के लिए काम करते थे. यह कंपनी कतर की सरकार को पनडुब्बियों की खरीदारी के बारे में सलाह देती है.
गुरुवार को सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "भारत सरकार सारे कानूनी विकल्पों को खंगालेगी." भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा कर रही है और गिरफ्तार लोगों के परिवारों के साथ संपर्क में है. इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि कानूनी "प्रक्रिया की गोपनीयता" को देखते हुए "इस अवस्था में और कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होगा."
लाखों भारतीय हैं कतर में
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री समेत कई और अधिकारियों ने इस मामले पर कहा था कि 8 भारतीयों पर लगे आरोपों की प्रकृति को लेकर "पूरी तरह से स्पष्टता नहीं है." कतर की सरकार ने भारतीय लोगों को सजा सुनाए जाने पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है. अधिकारियों ने इतना जरूर बताया है कि इन लोगों को भारत की तरफ से कानूनी मदद और राजनयिक सहायता मुहैया कराई गई थी.
खाड़ी के दूसरे देशों की तरह कतर में भी भारत से बड़ी संख्या में लोग काम करने आते हैं. कतर में भारत के 800,000 से ज्यादा नागरिक रहते और काम करते हैं. इनमें एक बड़ी संख्या अर्धकुशल और अकुशल कामगारों की है. ये लोग अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारत भेज देते हैं जो भारत के लिए बड़ी आय है. इसके साथ ही खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था में भी इनका बड़ा योगदान है.
एनआर/एसबी (रॉयटर्स, एपी)
कतर में आठ भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाए जाने पर भारत ने गुरुवार को कहा कि वह इस फैसले से बेहद स्तब्ध है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
भारतीय नौसेना के जिन पूर्व अफसरों को कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई है वे पिछले साल गिरफ्तार हुए थे. मौत की सजा पाने वाले पूर्व अफसर कतर की कंसल्टिंग कंपनी अल-दाहरा के लिए काम करते थे.
यह कंपनी कतर की सरकार को पनडुब्बियों की खरीदारी के बारे में सलाह देती है. हालांकि कतर के अधिकारियों की ओर से भारतीयों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है.
इन आठों भारतीयों को पिछले साल जासूसी के कथित आरोप में गिरफ्तार किया गया था. भारत ने गुरुवार को कहा कि वह इस फैसले से बेहद स्तब्ध है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है.
भारत ने क्या कहा
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा भारत सरकार उनकी रक्षा के लिए सभी कानूनी और राजनयिक सहायता उपलब्ध कराएगी. मंत्रालय के बयान के मुताबिक, "हमें शुरुआती जानकारी मिली है कि कतर की प्राथमिक अदालत ने अल-दाहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया. हम इन भारतीय नागरिकों को मृत्युदंड के फैसले से हतप्रभ हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं."
मंत्रालय ने आगे कहा, "हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं. हम सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं. हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हम सभी काउंसलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे."
कतर ने आरोप सार्वजनिक नहीं किए
कतर प्रशासन ने इन आठ भारतीयों को जासूसी के कथित आरोप में पिछले साल 30 अगस्त को हिरासत में लिया था लेकिन कतर प्रशासन ने इन लोगों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया.
माना जा रहा है कि गिरफ्तारी सुरक्षा संबंधी मामले में की गई थी. कतर सरकार ने भी भारत सरकार के साथ इन गिरफ्तार पूर्व अफसरों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर कुछ खास जानकारी साझा नहीं की है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक इस साल 29 मार्च को इन पूर्व अफसरों के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ था और तीन अक्टूबर को मामले में सातवीं सुनवाई हुई थी. भारतीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारतीय दूतावास को सितंबर 2022 में गिरफ्तारियों का पता चला. इसके बाद पहली बार काउंसलर मदद 3 अक्टूबर को दी गई.
मामला कैसे सामने आया
25 अक्टूबर, 2022 को मीतू भार्गव नाम की महिला ने एक्स पर पोस्ट कर बताया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को दोहा में बीते 57 दिनों से गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है. उन्होंने ट्वीट कर भारत सरकार से इन सभी लोगों को जल्द से जल्द भारत वापस लाने की मांग की थी. मीतू 64 वर्षीय कमांडर (रिटायर्ड) पुर्नेंदु तिवारी की बहन हैं.
तिवारी के अलावा जिन भारतीयों को कतर में मौत की सजा सुनाई गई वे हैं-कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनकर पकला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश गोपाकुमार.
भारतीय मीडिया में ऐसी रिपोर्टें हैं कि पूर्व भारतीय नौसेना के अफसरों के परिवारों ने कतर के अमीर के समक्ष दया याचिका दायर की थी. हांलांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई. यह भी कहा जा रहा है कि पूर्व अफसरों के परिवारों को उन औपचारिक आरोपों से अवगत नहीं कराया गया जिनके तहत मुकदमा चलाया जा रहा था.
भारत के वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि भारत इस फैसले के खिलाफ कतर की ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है और अगर अपील नहीं सुनी जाती है या उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है तो भारत के पास अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने का विकल्प है. (dw.com)
न्यूयॉर्क, 27 अक्टूबर । भारतीय-अमेरिकी किशोरी श्रीप्रिया कालभावी ने वार्षिक 2023 3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज में दूसरा स्थान हासिल किया है, जो अमेरिका में मिडिल स्कूल के छात्रों के लिए एक प्रमुख विज्ञान प्रतियोगिता है।
कैलिफ़ोर्निया के लिनब्रुक हाई स्कूल में नौवीं कक्षा की छात्रा कलभवी को गोलियों या सुइयों के बिना स्व-स्वचालित दवा वितरण के लिए माइक्रोनीडल पैच के विकास के लिए 2,000 डॉलर का पुरस्कार मिला
"अमेरिका के शीर्ष युवा वैज्ञानिक" की प्रतिष्ठित उपाधि के साथ 25,000 डाॅॅॅलर का पहला पुरस्कार वर्जीनिया के हेमन बेकेले को उनके यौगिक-आधारित त्वचा कैंसर उपचार साबुन के लिए दिया गया।
कलभावी ने 3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज वेबसाइट पर एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लिया, क्योंकि वह जीवन बदलने में मदद करना चाहती हैं।
वह "फेमस पर्सनैलिटीज" नामक एक पॉडकास्ट भी होस्ट करती हैं और अपने शो की थीम के हिस्से के रूप में, वह महिला वैज्ञानिकों पर शोध करती हैं और उनके जीवन, उपलब्धियों और शोध के बारे में बात करती हैं।
न्यूरोसर्जन बनने की चाहत रखने वाली कालभवी ने कहा, "वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचारों में हमेशा मेरी रुचि रही है और मैं अपने आसपास के वैज्ञानिकों, विशेषकर डॉक्टरों को बेहद प्रेरणादायक पाती हूं, क्योंकि वे हर दिन लोगों की मदद करने के लिए काम करते हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं अपने आविष्कार, बीजेड रिएक्शन-ऑटोमेटेड माइक्रोनीडल पैच के साथ लोगों की दवा को दर्द रहित और अधिक किफायती बनाकर उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए एक गुरु से अनुभव और सलाह प्राप्त करना चाहती हूं।"
कलभवी के अलावा, पांच अन्य भारतीय-अमेरिकी किशोर शीर्ष दस फाइनलिस्टों में शामिल थे और उनमें से प्रत्येक को एक हजार डाॅॅॅलर का पुरस्कार और 500 डाॅॅॅलर का उपहार कार्ड मिला।
3एम के कार्यकारी उपाध्यक्ष जॉन बानोवेट्ज़ ने कहा,“16 वर्षों से, 3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज ने जो संभव है उसकी पुनः कल्पना करने के लिए लोगों, विचारों और विज्ञान की शक्ति का उपयोग करने में हमारे विश्वास का उदाहरण दिया है। इस प्रतियोगिता के युवा अन्वेषक एक उज्जवल भविष्य को आकार देने में मदद करने के हमारे संकल्प को साझा करते हैं।
"छात्रों को रचनात्मक ढंग से सोचने और रोजमर्रा की समस्याओं पर विज्ञान की शक्ति लागू करने के लिए कहने से, अविश्वसनीय समाधान और नेता सामने आते हैं।"
युवा इनोवेटर्स को टाइम मैगजीन का पहला किड ऑफ द ईयर भी नामित किया गया है, जिसे द न्यूयॉर्क टाइम्स मैगजीन, फोर्ब्स और बिजनेस इनसाइडर में दिखाया गया है।
--आईएएनएस