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गाजा, 25 अक्टूबर । फिलिस्तीनी प्रवक्ता ने कहा है कि गाजा पट्टी में बिजली कटौती और अस्पतालों में जनरेटर चलाने के लिए आवश्यक ईंधन की कमी के कारण स्वास्थ्य प्रणाली "पूरी तरह से ध्वस्त" हो गई है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि गाजा स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-कुद्रा ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इजरायली हमलों में अब तक 65 चिकित्सा कर्मचारी मारे गए हैं, 25 एम्बुलेंस नष्ट हो गए हैं और फिलिस्तीनी क्षेत्र में 12 अस्पताल और 32 स्वास्थ्य केंद्र निष्क्रिय हो गए हैं।
प्रवक्ता ने कहा, "हमें डर है कि हमलों और ईंधन की कमी के कारण आने वाले घंटों में और अधिक (अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र) सेवा देने की स्थिति में नहीं होंगे।"
हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर एक आश्चर्यजनक हमला किया, हजारों रॉकेट दागे और अपनी सेना को इजराइली क्षेत्र में भेजा। उसने दो सौ से ज्यादा लोगों को बंधक भी बनाया। जवाब में इजराइल ने बड़े पैमाने पर हवाई हमले और दंडात्मक उपाय किए, जिसमें पानी, बिजली, ईंधन और अन्य आवश्यकताओं की आपूर्ति में कटौती के साथ एन्क्लेव की घेराबंदी भी शामिल थी।
जारी इज़राइल-हमास संघर्ष में अब तक गाजा पट्टी में लगभग 5,800 फ़िलिस्तीनी और इज़राइल में 1,400 से अधिक लोग मारे गए हैं। (आईएएनएस)।
वाशिंगटन, 25 अक्टूबर । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में एक समारोह में दो भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों - सुब्रा सुरेश और अशोक गाडगिल को विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान के लिए राष्ट्रीय पदकों से सम्मानित किया है।
बाइडेन ने मंगलवार को सदन के ईस्ट रूम में समारोह में टिप्पणी में कहा, "हम अमेरिका को महान विज्ञान लौटाने के लिए दृढ़ हैं।"
उन्होंने कहा कि "इस वर्ष पुरस्कार पाने वालों के लिए 'उत्कृष्ट' शब्द छोटा पड़ सकता है। वे असाधारण हैं... उन्होंने हमारे देश की पूरी क्षमता को उजागर करने के लिए अन्य वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों की एक पीढ़ी के लिए अपनी खोजों को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है।"
उच्च शिक्षा, उद्योग और सरकार में दशकों के प्रभावशाली नेतृत्व के साथ एक वैज्ञानिक और इंजीनियर सुरेश उन नौ प्राप्तकर्ताओं में से थे जिन्हें राष्ट्रीय विज्ञान पदक से सम्मानित किया गया है।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में बड़े प्रोफेसर और नेशनल साइंस फाउंडेशन के पूर्व निदेशक, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सुरेश को इंजीनियरिंग, भौतिकी विज्ञान और जीव विज्ञान में अग्रणी शोध के लिए सम्मानित किया गया।
व्हाइट हाउस के एक बयान में सुरेश को "परिवर्तनकारी शिक्षक" बताते हुए कहा गया कि "सीमाओं के पार अनुसंधान और सहयोग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने प्रदर्शित किया है कि विज्ञान कैसे लोगों और राष्ट्रों के बीच समझ और सहयोग पैदा कर सकता है"।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा जारी एक बयान में सुरेश ने कहा, "यह बहुत संतोषजनक है।"
उन्होंने कहा, “यही कारण नहीं है कि आप विज्ञान करते हैं। आप इसे पुरस्कार के लिए नहीं करते हैं, आप इसे आनंद के लिए करते हैं। अगर कोई इसे नोटिस करता है, तो यह सोने पर सुहागा है, लेकिन यह अपने-आप में केक ही नहीं है। हालाँकि, इस विशेष संदेश का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से है। यह राष्ट्रीय है। इस पर अमेरिका की मुहर लगी है।''
सन् 1956 में भारत में जन्मे सुरेश ने 15 साल की उम्र में हाई स्कूल की परीक्षा पास की। अगले 10 साल में उन्होंने स्नातक डिग्री, मास्टर डिग्री और पीएचडी हासिल कर ली। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में केवल दो वर्षों में पीएचडी अर्जित की।
दुनिया भर के समुदायों को जीवन-निर्वाह संसाधन प्रदान करने के लिए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले और लॉरेंस बर्कले राष्ट्रीय प्रयोगशाला के अशोक गाडगिल को प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का राष्ट्रीय पदक प्रदान किया गया।
व्यापक रूप से "मानवतावादी आविष्कारक" माने जाने वाले गाडगिल यह सम्मान पाने वाले 12 पुरस्कार विजेताओं में से एक हैं।
व्हाइट हाउस ने कहा, "उनकी नवीन, सस्ती प्रौद्योगिकियां पीने के पानी से लेकर ईंधन-कुशल कुकस्टोव तक की गहन जरूरतों को पूरा करने में मदद करती हैं। उनका काम सभी लोगों की गरिमा और हमारे समय की बड़ी चुनौतियों को हल करने की हमारी शक्ति में विश्वास से प्रेरित है।"
कांग्रेस द्वारा 1959 में स्थापित राष्ट्रीय विज्ञान पदक सीधे राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। यह देश द्वारा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रदान की जाने वाली सर्वोच्च मान्यता है।
अमेरिका के आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक कल्याण में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी एवं नवाचार पदक दिया जाता है।
(आईएएनएस)।
संयुक्त राष्ट्र, 25 अक्टूबर । पाकिस्तान ने कश्मीर और फिलिस्तीन को एक तराजू पर रखते हुये आतंकवाद का बचाव किया और कहा कि जब "विदेशी कब्जे में रहने वाले लोग" इसका सहारा लेते हैं तो यह "वैध" होता है।
भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में टिप्पणियों को "अवमानना" बताते हुये खारिज कर दिया।
भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर. रवींद्र ने कहा: “एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा केंद्र शासित प्रदेशों का जिक्र करते हुए आदतन प्रकृति की टिप्पणी की गई थी जो मेरे देश के अभिन्न अंग हैं। मैं इन टिप्पणियों को अवमानना की मानूंगा और समय को देखते हुये प्रतिक्रिया देकर उनका महिमा मंडन नहीं करूंगा।"
विषय चाहे जो भी हो, पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दा उठाता है, हालांकि उस पर कोई ध्यान नहीं देता।
इस्लामाबाद के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा कि हालांकि “पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करता है, अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, आत्मनिर्णय और राष्ट्रीय मुक्ति के लिए विदेशी कब्जे में रहने वाले लोगों का संघर्ष वैध है और इसकी बराबरी आतंकवाद से नहीं की जा सकती।”
उन्होंने अमेरिका और उन दूसरे देशों पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष किया, जिन्होंने ''आतंकवाद'' के खिलाफ एक मजबूत सार्वभौमिक रुख अपनाया है, और भारत पर पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले या इजरायल पर चौतरफा आतंकवादी हमलों की स्थिति में उनका साथ दिया है।
अहमद ने कहा, "इस परिषद में कुछ लोगों ने अपने सहयोगियों को सुरक्षा की पेशकश की है जो फिलिस्तीन और कश्मीर में कब्जे वाले लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं।"
इससे पहले, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 26/11 के मुंबई हमले का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का नाम लिया था, जबकि परिषद और महासभा ने “बार-बार पुष्टि की है कि आतंकवाद के सभी कार्य गैरकानूनी हैं और अनुचित हैं"।
अकरम ने कहा कि "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हर देश को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमलों के खिलाफ आत्मरक्षा का अधिकार है", लेकिन "एक देश जिसने किसी विदेशी क्षेत्र पर जबरन कब्जा कर रखा है, वह उन लोगों के खिलाफ आत्मरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता है जिनके क्षेत्र पर उसने अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया है”।
अकरम ने हमास के कब्जे वाले गाजा पर इजरायल के हवाई हमलों की कड़ी निंदा की, हालांकि उन्होंने इजरायलियों पर आतंकवादी हमलों के लिए हमास की निंदा नहीं की, जिनमें इजरायली सीमा में 1,400 लोग - अधिकांश आम नागरिक - मारे गए थे। हमास ने 200 से अधिक लोगों को बंधक भी बना लिया था।
अकरम ने अमेरिका का नाम लिए बिना इज़राइल-हमास संघर्ष में युद्धविराम या मानवीय विराम की मांग करने वाले परिषद के प्रस्तावों को वीटो करने के लिए उसकी आलोचना की।
उन्होंने कहा, "हमें खेद है कि सुरक्षा परिषद युद्धविराम का आह्वान जारी करने में असमर्थ रही है।"
(आईएएनएस)।
संयुक्त राष्ट्र, 25 अक्टूबर । संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि, आर. रवींद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "संकट की घड़ी में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं"।
इजराइल पर हमास के क्रूर हमले के बाद फिलिस्तीन पर आयोजित सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय बैठक में मंगलवार को रवींंद्र ने कहा : “हमारे प्रधानमंत्री ने सबसे पहले जानमाल के नुकसान पर अपनी संवेदना व्यक्त की थी और निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना की थी। संकट की इस घड़ी में वह इजराइल के साथ एकजुटता से खड़े रहे।"
"इज़राइल में 7 अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और हम स्पष्ट रूप से उसकी निंदा करते हैं।"
17 अक्टूबर को गाजा अस्पताल में हुए विस्फोट, जिसमें 425 से अधिक लोग मारे गए, पर उन्होंने कहा: "हमने जीवन की दुखद क्षति पर गहरा सदमा भी व्यक्त किया था।"
रवींद्र ने कहा: "हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि इसमें शामिल लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।"
इज़राइल ने विस्फोट के लिए इस्लामिक जिहाद आतंकवादी समूह द्वारा इज़राइल को निशाना बनाकर किए गए एक असफल रॉकेट प्रक्षेपण को जिम्मेदार ठहराया है, जिस पर अमेरिका ने भी मुहर लगाई है।
दूसरी ओर, फिलिस्तीनियों ने कहा है कि ये सब इज़राइल का किया हुआ है, परिषद की बैठक में कई देशों ने इस दावे को भी दोहराया।
रवींद्र ने कहा कि "संघर्ष में नागरिकों का हताहत होना गंभीर और चिंता का विषय है। सभी पक्षों को नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की रक्षा करनी चाहिए"।
इज़राइल-फिलिस्तीन संकट के समाधान पर उन्होंने दो-देश समाधान के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।
"भारत ने इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, इजरायल के साथ शांति से सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहने वाले फिलिस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र देश की स्थापना का समर्थन किया है।"
उन्होंने कहा, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, इजरायल और फिलिस्तीन के बीच सीधी बातचीत फिर से शुरू करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।(आईएएनएस)।
सैन फ्रांसिस्को, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। ट्विटर (जिसे अब एक्स कहा जाता है) का विकल्प माइक्रो-ब्लॉगिंग स्टार्टअप पेबल (पूर्व में टी2) अब बंद हो रहा है। कंपनी ने कहा है कि पेबल को बचाने के लिए उनके पास समय नहीं बचा है।
ऐप 20,000 रजिस्टर्ड यूजर्स में से 3,000 डेली एक्टिव यूजर्स तक पहुंच गया।
टी2 से इसकी रीब्रांडिंग के बाद डेली यूजर का आंकड़ा घटकर 1,000 रह गया।
पेबल के सह-संस्थापक और सीईओ गैबोर सेसेल ने कहा, ''मुझे लगता है कि कंपीटिटिव लैंडस्केप जितना हमने सोचा था उससे कहीं अधिक तेज़ी से विकसित हुआ। मैंने नहीं सोचा था कि बहुत से लोग वही काम करने की कोशिश करेंगे जो हम कर रहे थे और बिल्कुल समान तरीकों से।''
आज, एक्स विकल्पों का बाजार इंस्टाग्राम के थ्रेड्स, ओपन सोर्स-बेस्ड प्लेटफॉर्म मास्टोडॉन, जैक डोरसी-समर्थित ब्लूस्काई और अन्य जैसे प्लेटफार्मों से भरा हुआ है।
सेसेल ने एक पेबल पोस्ट में लिखा, "हम निवेशकों के लिए तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहे।"
उन्होंने कहा, ''इस क्षेत्र में कई विकल्प होने के चलते चुनौती और भी बड़ी थी। पेबल को पूरी तरह साकार करने के लिए हमें अधिक निवेश और समय की आवश्यकता है।''
जैसे ही पेबल बंद हो जाएगा, अर्ली एडॉप्टर्स के पास अपने पेबल पोस्ट को जिप फाइल के रूप में एक्सपोर्ट करने का विकल्प होगा।
पेबल यूजर्स को एक्स या किसी अन्य सोशल नेटवर्क पर वापस डायरेक्ट नहीं करेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पेबल अपने निवेशकों को बची हुई धनराशि की एक छोटी राशि भी लौटा रहा है।
इस बीच, मस्क द्वारा संचालित एक्स पर हर दिन लगभग 500 मिलियन पोस्ट देखी जा रही है।
अपने सीईओ लिंडा याकारिनो के अनुसार, अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर्स को बनाए रखने के लिए, एक्स ने अब तक क्रिएटर्स को लगभग 20 मिलियन डॉलर (166 करोड़ रुपये से अधिक) का भुगतान किया है।
उनके अनुसार, कंपनी 2024 की शुरुआत तक लाभदायक होगी, उन्होंने कहा कि प्लेटफॉर्म पर अब 200-250 मिलियन डेली एक्टिव यूजर्स हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र, 25 अक्टूबर । आतंकवाद की जोरदार निंदा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी संगठन का हवाला दिया है।
मंगलवार को फिलिस्तीन पर सुरक्षा परिषद की बैठक में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवादी कृत्य "गैरकानूनी और अनुचित हैं, चाहे वे नैरोबी या बाली में, लक्सर, इस्तांबुल या मुंबई में, न्यूयॉर्क में या किबुत्ज़ बेरी में लोगों को निशाना बनाते हों"।
उन्होंने कहा, “वे गैरकानूनी और अनुचित हैं चाहे वे आईएस द्वारा, बोको हराम द्वारा, अल-शबाब द्वारा, लश्कर-ए-तैयबा द्वारा, या हमास द्वारा किए गए हों। इस परिषद की ज़िम्मेदारी है कि हमास या ऐसे किसी भी आतंकवादी समूह को हथियार देने, उसे फ़ंड देने और प्रशिक्षित करने वाले सदस्य देशों की निंदा करें जो इस तरह के भयानक कृत्यों को अंजाम देते हैं।"
इज़राइल में 7 अक्टूबर को 1,400 से अधिक लोगों की जान लेने और 200 से अधिक लोगों का अपहरण कर बंधक बनाने के हमास के आतंकवादी कृत्य पर टाल-मटोल करने के प्रयासों को खारिज करते हुए, ब्लिंकन ने कहा: “जैसा कि इस परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बार-बार पुष्टि की है, आतंकवाद के सभी कार्य गैरकानूनी और अनुचित हैं।"
हमास के सबसे बुरे हमले - जैसे बच्चों को उनके माता-पिता के सामने फाँसी देना, युवाओं का सिर काटना और परिवारों को जिंदा जला देना - को रेखांकित करते हुए ब्लिंकन ने कहा, “हमें पूछना होगा - वास्तव में यह जरूर पूछा जाना चाहिए - आक्रोश कहां है? वितृष्णा कहां है? अस्वीकृति कहां है? इन भयावहताओं की स्पष्ट निंदा कहां है?"
उन्होंने कहा, “हमें किसी भी राष्ट्र के अपनी रक्षा करने और ऐसी भयावहता को दोहराने से रोकने के अधिकार की पुष्टि करनी चाहिए। इस परिषद का कोई भी सदस्य - इस पूरे निकाय में कोई भी राष्ट्र - अपने लोगों का वध बर्दाश्त नहीं कर सकता या बर्दाश्त नहीं करेगा।"
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने 26/11, लश्कर-ए-तैयबा और हमास के उल्लेख पर त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त की और सीधे अमेरिका का नाम लिए बिना कहा: "इस परिषद में कुछ लोगों ने अपने उन सहयोगियों को सुरक्षा की पेशकश की है जो फिलिस्तीन और कश्मीर में कब्जे वाले लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं।"
ब्लिंकन ने हमास के क्रूर हमले के सामने स्वयं इज़राइल के अधिकार का बचाव किया, लेकिन कहा: "इसका मतलब है कि इज़राइल को नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए हरसंभव सावधानी बरतनी चाहिए।"
हमास के बारे में उन्होंने कहा कि उसे नागरिकों को "मानव ढाल के रूप में" इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
कुछ लोगों ने आरोप लगाये हैं कि पश्चिमी देश फ़िलिस्तीनी और इज़रायली लोगों की जान को देखने के मामले में दोहरे मानदंड रखते हैं।
ब्लिंकन ने कहा: “जब नागरिक जीवन की रक्षा की बात आती है तो कोई पदानुक्रम नहीं है। एक नागरिक नागरिक होता है, चाहे उसकी राष्ट्रीयता, जातीयता, उम्र, लिंग, आस्था कुछ भी हो।
“यही कारण है कि अमेरिका इस संकट में हर एक निर्दोष जीवन के नुकसान पर शोक जताता है, जिसमें निर्दोष इजरायली और फिलिस्तीनी पुरुष, महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग लोग, मुस्लिम, यहूदी, ईसाई, सभी राष्ट्रीयताओं और धर्मों के लोग शामिल हैं, जिनमें कम से कम 35 संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी शामिल हैं।" (आईएएनएस)।
वारसॉ, 25 अक्टूबर । 15 अक्टूबर के संसदीय चुनावों में संयुक्त बहुमत हासिल करने वाले पोलैंड के विपक्षी दलों के नेताओं ने घोषणा की है कि वे एक नई सरकार बनाने के लिए तैयार हैं, जिसमें पूर्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टुस्क प्रधानमंत्री पद के लिए उनके उम्मीदवार होंगे।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी सिविक प्लेटफॉर्म के नेता टुस्क और अन्य विपक्षी पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को संयुक्त बयान जारी किया।
साथ में, इन पार्टियों ने संसदीय चुनाव में 54 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए, और पोलैंड की संसद के निचले सदन, 460 सीटों वाले सेजम में उनके पास 248 सीटों का बहुमत होगा।
पोलैंड के प्रेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ कानून और न्याय पार्टी, जिसने अधिकांश वोट हासिल किए, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई, के पास अब गठबंधन भागीदार खोजने की बहुत कम संभावना है।
66 वर्षीय टुस्क 2007 से 2014 तक प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।
टुस्क ने संवाददाताओं से कहा, "आज, लोकतांत्रिक दलों के नेताओं के साथ, हमने पूरी तरह से सहयोग करने और अगली संसद में नया बहुमत बनाने के लिए अपनी तत्परता की पुष्टि की।"
मंगलवार और बुधवार को, पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा राष्ट्रपति भवन में नई संसद में सीटें जीतने वाली पार्टियों के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श कर रहे हैं।
पोलैंड के संविधान के अनुसार, सेजम और सीनेट का पहला सत्र चुनाव के 30 दिनों के भीतर राष्ट्रपति द्वारा बुलाया जाता है।
वर्तमान सरकार को 14 नवंबर या उससे पहले होने वाले नए सेजम के पहले सत्र में इस्तीफा देना होगा।
राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री के लिए उम्मीदवार को नामांकित करने के लिए 14 दिन का समय होता है।
एक बार नामित होने के बाद, उम्मीदवार के पास सांसदों से विश्वास मत हासिल करने के लिए 14 दिन का समय होता है।
यदि यह प्रयास असफल हो जाता है, तो संसद प्रधानमंत्री के लिए अपना स्वयं का उम्मीदवार चुनती है। (आईएएनएस)
जो साइंस फिक्शन चीन में कभी बैन हुआ करता था, वह अब जुनून की हद तक लोकप्रिय हो रहा है. सरकार ने इसे मान्यता दी तो जनता इसके लिए उमड़ पड़ी है.
साइंस फिक्शन एक ऐसी कला विधा है जिसे विविधता और एक हद तक आजादी के समर्थक के रूप में देखा जाता है. लंबे समय तक यह विधा चीन के अधिकारियों को रास नहीं आयी और इस पर बैन लगा रहा. लेकिन अब जबकि सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है तो आम जनता के बीच साइंस फिक्शन के लिए प्यार की कोई हद तक नजर नहीं आ रही है.
इसी हफ्ते चीन में वर्ल्डकॉन आयोजित हुआ, जो साइंस फिक्शन के फैन्स का दुनिया का सबसे पुराना और प्रभावशाली मेला है. पहली बार यह चीन में आयोजित हुआ. चेंगदू के साइंस फिक्शन म्यूजियम में इस मेले में भारी भीड़ जुटी और आयोजन का मुख्य आकर्षण रहे बेहद लोकप्रिय और मशहूर साइंस फिक्सन स्टार लेखक लू सीशिन. लू की सीरीज ‘थ्री बॉडी‘ पूरी दुनिया में बिक रही है और उस पर चीन में ‘वांडरिंग अर्थ' नाम से फिल्म भी बनी है.
साइंस-फिक्शन की दुनिया
वर्ल्डकॉन की चमक-दमक से दूर चीन में साइंस फिक्शन का पूरा क्षेत्र एक अलग तरह का रूप ले रहा है. यह एक ऐसी छोटी सी जगह है जहां समाज, पर्यावरण और कई बार तो राजनीति जैसे उन मुद्दों पर भी बात होती है, जिन पर चीन के सार्वजनिक जगहों में चर्चा कम ही सुनायी देती है.
पुरस्कृत लेखक चेन कीफान कहते हैं, "एक तरह से साई-फाई वर्तमान के बारे में बात करने का तरीका है. यह बाहर की काल्पनिक दुनियाओं का सहारा लेता है, किसी और ही समय की बात करता नजर आता है लेकिन असल में इसमें मौजूदा मानवीय परिस्थितियां दिखायी देती हैं.”
चेन का उपन्यास ‘द वेस्ट साइड' चीन में सुदूर भविष्य में बुनी गयी एक कहानी है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक कचरे की सफाईकरने वाले प्रवासी कर्मचारियों की मुश्किलों और चुनौतियों की बात की गयी है. चेन का बचपन गाइजू शहर में बीता है, जो कभी दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक कचरे का दुनिया का सबसे बड़ा ढेर हुआ करता था.
रोजमर्रा के मुद्दे
शियान जियाओतोंग-लिवरपूल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वालीं लू शी कहती हैं कि पर्यावरणीय विनाश, शहरीकरण, सामाजिक असमानता, लैंगिकता और भ्रष्टाचार कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.
लू शी कहती हैं, "इन सभी को साथ मिलाकर लोग समझ सकते हैं कि चीनी लेखक किस तरह समाज को देख-परख रहे हैं.”
चीन में ऐसा होना एक अनोखी घटना हो सकती है क्योंकि वहां पिछले एक दशक में राजनीतिक और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए जगह लगातार कम हुई है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन को इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है.
ऐतिहासिक रूप से साइंस फिक्शन चीनी सरकारों के लिए एक मुश्किल विषय रहा है. 1980 के दशक में इस पर ‘अध्यात्मिक प्रदूषण' कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया गया. उसके बाद यह सामाजिक सतह से तो लगभग पूरी तरह लापता हो गया.
हालांकि यह कुछ समय बाद लौटा लेकिन सतह के नीचे ही रहा. लेखिका रेजिना कानयू कहती हैं कि जब वह यूनिवर्सिटी में पढ़ने पहुंचीं तब उन्हें साइंस फिक्शन के कुछ प्रशंसक मिले. मिलकर उन्होंने कैंपस में छोटे-छोटे क्लब बनाये.
इसके बावजूद साइंस फिक्शन को गंभीरता से नहीं लिया गया. चेन कहती हैं कि इसे बच्चों या किशोरों के पढ़ने की चीज माना गया. इसका फायदा भी हुआ. ज्यूरिख यूनिवर्सिटी की जेसिका इम्बाख कहती हैं, "आजादी तो बहुत थी क्योंकि कोई भी साइंस फिक्शन पढ़ नहीं रहा था तो लेखकों के पास कुछ भी लिखने की आजादी थी.”
थ्री बॉडी ने बदल दिया सब कुछ
उसके बाद ‘थ्री बॉडी' की वैश्विक सफलता ने परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया. तकनीकी ताकत की उसकी अद्भुत कहानियों ने मानवता के भाग्य के बारे में जनमानस के भीतर अहसास पैदा किये.
हांगकांग मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी की यू शूयिंग कहती हैं, "आप साइंस फिक्शन को पसंद करें या ना करें, जिस सामाजिक सच्चाई से हम रूबरू हैं, वो लगातार साइंस फिक्शन जैसी दिखाई दे रही है. हम तकनीक रूप से एक अत्याधुनिक समय में जी रहे हैं. आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह तकनीकी हो चुकी है.”
चेन मानते हैं कि चीनी साइंस फिक्शन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलचस्पी असल में असल जिंदगी की चुनौतियों की वजह से है. वह कहती हैं, "मुझे लगता है कि इस चलन की वजहों की कई परतें हैं लेकिन सबसे बड़ी वजह है चीन का विश्व स्तर पर उभार.”
वीके/एए (एएफपी)
इसराइल हमास संघर्ष के मध्य पूर्व के अन्य इलाक़ों में फैलेने की आशंकाओं के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ईरान को चेतावनी दी है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बोलते हुए ब्लिंकेन ने कहा है कि अगर अमेरिका पर ईरान के प्रॉक्सी (समर्थक चरमपंथी समूहों) ने कोई हमला किया तो अमेरिका निर्णायक जवाबी हमला करेगा.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बोलते हुए ब्लिंकेन ने कहा, “अमेरिका ईरान के साथ संघर्ष नहीं चाहता है. हम नहीं चाहते कि ये युद्ध और फैले.”
इससे पहले अमेरिकी सेना ने बताया है कि इराक़ और सीरिया में उसके सैन्य ठिकानों पर पिछले सप्ताह के दौरान एक दर्जन से अधिक ड्रोन हमले हुए हैं जिनमें बीस से अधिक सैनिक मामूली रूप से घायल हैं.
ब्लिंकेन ने कहा, “अगर ईरान या उसके प्रॉक्सी अमेरिकी सैनिकों पर कहीं भी हमला करेंगे, तो ईरान ये ग़लती ना करे. हम अपने लोगों की रक्षा करेंगे, हम अपनी सुरक्षा की रक्षा करेंगे और हम बहुत तेज़ी से और निर्णायक क़दम उठायेंगे.”
ब्लिंकेन ने चीन और रूस समेत सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य देशों से आह्वान किया है कि वो ईरान से कहें कि इसराइल के ख़िलाफ़ युद्ध में एक और मोर्चा ना खोले.
ब्लिंकेन ने कहा, “इस परिषद के सभी सदस्यों, अमेरिका की तरह, अगर आप भी चाहते हैं कि ये संघर्ष और ना फैले, तो ईरान से कहें, उसके समर्थित समूहों से कहें- सार्वजनिक रूप से कहें, निजी रूप से कहें या जैसे भी संभव हो कहें- इसराइल के ख़िलाफ़ इस संघर्ष मं एक और मोर्चा मत खोले. इसराइल के सहयोगियों पर हमले ना करो.”
ईरान कई बार ये चेतावनी दे चुका है कि अगर ग़ज़ा पर इसराइल के हमले नहीं रुके तो ये संघर्ष मध्य पूर्व के और भी इलाक़ों में फैल सकता है.
ईरान समर्थित लेबनान का चरमपंथी समूह हिज़बुल्लाह इसराइल पर पिछले दिनों में कई हमले कर चुका है. इसराइल ने भी जवाब में बमबारी की है. (bbc.com/hindi)
ग़ज़ा में स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक़ मंगलवार को इसराइल के हवाई हमलों में 700 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
ग़ज़ा में मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय का कहना है कि ये अब तक इसराइल-हमास संघर्ष में एक दिन में मारे गए लोगों की सबसे बड़ी तादाद है.
मारे गए लोगों की इस तादाद की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है.
7 अक्तूबर को हमास ने इसराइल पर हमला किया था जिसमें 1400 से अधिक इसराइली मारे गए थे. इस हमले के बाद से इसराइल लगातार ग़ज़ा पर बमबारी कर रहा है.
दुनियाभर के नेता अब इस संघर्ष को थामने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फ़ोन पर बात की है.
व्हाइट हाउस के मुताबिक़ दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि क्षेत्र को स्थिर बनाये रखा जाए और संघर्ष को फैलने से रोका जाए.
इसी बीच वेस्ट बैंक में इसराइली सेना और फ़लस्तीनियों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं. फ़लस्तीनी प्रशासन के मुताबिक़ वेस्ट बैंक में इसराइल के ड्रोन हमले में तीन फ़लस्तीनी मारे गए हैं.
इसराइल लेबनान की सीमा पर भी हिज़बुल्लाह और इसराइल के बीच झड़पें तेज़ हुई हैं.
हमास और हिज़बुल्लाह का समर्थन करने वाले ईरान ने इसराइल को ग़ज़ा पर हमले रोकने की चेतावनी दी है.
इसी बीच इसराइल की सेना ने कहा है कि उसने मोर्टार हमलों के बाद सीरियाई सेना के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं. इस घटनाक्रम पर सीरिया ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने ईरान को चेताया है कि अगर मध्य पूर्व या कहीं और उसके सैनिकों पर हमले किए गए तो अमेरिका निर्णायक जवाब देगा.
अमेरिका ने ईरान को इसराइल के ख़िलाफ़ युद्ध में नया मोर्चा ना खोलने की चेतावनी भी दी.
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत आमिर सईद इरावानी ने परिषद से कहा है कि अमेकिती विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने इसराइल-हमास संघर्ष के लिए ईरान पर ग़लत तरीक़े से आरोप लगाये हैं.
उन्होंने कहा, “क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए हमारी प्रतिबद्धता बरक़रार है. अमेरिका ने मासूम फ़लस्तीनी आबादी की क़ीमत पर बढ़-चढ़कर आक्रामक इसराइल का साथ देकर इस संघर्ष को और बढ़ा दिया है.” (bbc.com/hindi)
ग़ज़ा में काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की राहत संस्था का कहना है कि आज ईंधन समाप्त होने की वजह से उसके सभी काम रुक सकते हैं.
यूएनआरडब्लूए ने एक्स पर किए एक पोस्ट में कहा है, "ईंधन को आने दिया जाना चाहिए ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों के पास पीने का साफ़ पानी हो, अस्पताल खुले रहें और जान बचाने वाले राहत कार्य जारी रहें."
इसराइल ने ग़ज़ा की सख़्त घेराबंदी कर रखी है और यहां ईंधन की आपूर्ति को पूरी तरह रोक दिया है. राहत एजेंसी का कहना है कि ग़ज़ा में उसके सभी कार्य तेल की आपूर्ति पर निर्भर हैं. यहां पानी को पंप करने के लिए, बैकरी में खाना बनाने के लिए, अस्पतालों के संचालन के लिए, हर स्तर पर ईंधन की ज़रूरत है.
राहत एजेंसी ने कहा है कि बुधवार को उसका ईंधन समाप्त हो जाएगा और ऐसा होने पर ग़ज़ा में उसके काम रुक जाएंगे.
यूएनआरडब्लूए को जवाब देते हुए इसराइल ने कहा है कि हमास ने तेल को जमा करके रखा है, आपको हमास से तेल मांगना चाहिए.
इसराइल ने एक सेटेलाइट तस्वीर जारी करते हुए दावा किया है कि हमास के पास 12 तेल टैंकरों में पांच लाख लीटर से अधिक तेल जमा है. (bbc.com/hindi)
(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 24 अक्टूबर। संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि हमास ने इज़राइल पर हमला ‘अकारण’ नहीं किया है। उनकी इस टिप्पणी से इज़राइल नाराज हो गया और उसने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख से इस्तीफे व माफी की मांग की है।
इज़राइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने सुरक्षा परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक में शिरकत की थी। उन्हें मंगलवार दोपहर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गुतारेस से मुलाकात करनी थी।
कोहेन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ अपनी भेंट को रद्द कर दिया और उनपर आतंकवाद को "बर्दाश्त करने और उचित ठहराने" का आरोप लगाया।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, "यह भी मानना महत्वपूर्ण है कि हमास द्वारा किए गए हमले अकारण नहीं हुए। फलस्तीन के लोगों को 56 वर्षों से घुटन भरे कब्जे का सामना करना पड़ रहा है।"
गुतारेस ने कहा, “ उन्होंने अपनी ज़मीन को लगातार (यहूदी) बस्तियों द्वारा हड़पते और हिंसा से ग्रस्त होते देखा है। उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई। उनके लोग विस्थापित हो गए और उनके घर ध्वस्त कर दिये गए। अपनी दुर्दशा के राजनीतिक समाधान की उनकी उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं।”
उन्होंने कहा, “लेकिन फलस्तीनियों की शिकायतों को हमास के भयावह हमलों से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। और वे भयावह हमले फलस्तीनी लोगों की सामूहिक दंड को उचित नहीं ठहरा सकते है।'
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, कोहेन ने कहा कि वह “संयुक्त राष्ट्र महासचिव से नहीं मिलेंगे। सात अक्टूबर के नरसंहार” के बाद, संतुलित दृष्टिकोण के लिए कोई जगह नहीं है। हमास को धरती से मिटा देना चाहिए।”
बाद में संयुक्त राष्ट्र में इज़राइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने कहा, “ महासचिव महोदय, आप सारी नैतिकता और निष्पक्षता खो चुके हैं। जब आप ये भयानक शब्द कहते हैं कि ये जघन्य हमले अकारण नहीं हुए हैं तो आप आतंकवाद को सहन कर रहे हैं और आतंकवाद को सहन करके आप आतंकवाद को उचित ठहरा रहे हैं।
”उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि महासचिव को इस्तीफा दे देना चाहिए। हमने उनसे माफी की मांग करते हैं।” (भाषा)
इसराइल की सेना ने क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक इलाक़े के जेनिन कैंप में ड्रोन से हमला किया है.
ये हमला फ़लस्तीनी लोगों और इसराइली सैन्य बलों के बीच जेनिन कैंप में झड़प के बाद किया गया है.
इसराइल की सेना ने सोशल मीडिया पर इस ड्रोन हमले की जानकारी दी है.
आईडीएफ़ ने बताया है कि हथियारबंद ‘आतंकियों’ के साथ मुठभेड़ के दौरान दो लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.
ये हिंसक झड़पे इसराइल के जेनिन कैंप के पास हथियारबंद गश्त करने के दौरान शुरू हुई हैं.
इसराइल का कहना है कि फ़लस्तीनी चरमपंथियों ने इसराइली सैनिकों पर गोलीबारी की और बम फेंके जिसके बाद झड़पें शुरू हो गईं.
बयान में आईडीएफ़ ने कहा है कि ड्रोन हमले ‘तय निशाने’ पर किया गया.
रिपोर्टों के मुताबिक़ इन झड़पों में कोई इसराइली सैनिक घायल नहीं हुआ है.
रविवार को इसराइल ने जेनिन कैंप की एक मस्जिद पर हवाई हमला किया था.
इसराइल का कहना है कि इस मस्जिद का इस्तेमाल ‘आतंकवादी गतिविधियों’ के लिए किया जा रहा था. (bbc.com/hindi)
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनी गुटेरेस ने मंगलवार को इसराइल हमास संघर्ष पर बयान दिया है जिस पर इसराइल की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनी गुटेरेस ने कहा है कि सात अक्टूबर को हमास की ओर से किया गया हमला किसी 'वैक्यूम' यानी 'अचानक या अकारण' नहीं था.
उन्होंने कहा कि ‘फ़लस्तीनी लोग पिछले 56 साल से दमघोंटू क़ब्ज़े की प्रताड़ना झेल रहे हैं. उन्होंने अपनी ज़मीन को धीरे-धीरे (इसराइली) बस्तियों और हिंसा की चपेट में आते देखा है. उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई. उनके लोग विस्थापित हुए और घर तबाह कर दिए गए. उनके कष्टों के राजनीतिक समाधान की उम्मीदें धूमिल हो रही थीं.’
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि 'हमास के भयावह हमलों को फ़लस्तीनी लोगों की शिकायतों से सही नहीं ठहराए जा सकता और न ही उन्हें फ़लस्तीनी लोगों को मिली सज़ाओं के लिए सही ठहराया जा सकता है.'
ये बयान आने के बाद संयुक्त राष्ट्र में इसराइली एंबेसडर गिलाड इरडान ने गुटेरेस के इस्तीफ़े की मांग की है.
इसी बीच हमास नियंत्रित ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि पिछले 24 घंटों में ग़ज़ा में 700 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
ये इस संघर्ष के दौरान 24 घंटों के अंतराल में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
इसके साथ ही अब तक इस संघर्ष में इसराइली बमबारी की वजह से ग़ज़ा में मरने वालों की संख्या 5700 से ज़्यादा हो चुकी है.
वहीं, इसराइल में इस संघर्ष की वजह से 1400 से अधिक लोगों की मौत हुई है. (bbc.com/hindi)
अमेरिका के रक्षा विभाग का कहना है पिछले सप्ताह इराक़ और सीरिया में उसके सैन्य अड्डों पर हुए ड्रोन हमले में बीस से अधिक सैनिक घायल हुए हैं.
इसराइल-हमास संघर्ष के बीच मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है. अमेरिका के विमानवाहक पोत भी इस इलाक़े में तैनात हैं.
पेंटागन के प्रवक्ता पेट्रिक राइडर ने बताया है कि अमेरिकी सैन्य बलों पर 12 बार ड्रोन और रॉकेट से हमले हुए हैं.
उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी घटनाओं से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है.
राइडर ने ज़ोर देकर कहा है कि अमेरिकी सैन्य बलों के पास अपनी रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है.
उन्होंने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो अमेरिकी सैन्य बल निर्णायक जवाब देंगे.
राइडर ने कहा कि इन हमलों के पीछे ईरान समर्थित समूह हैं. इसराइल-हमास संघर्ष के बीच इरान समर्थित शिया मिलिशिया ने हाल के दिनों में कई बार इराक़ और सीरिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की चेतावनी दी है.
राइडर ने कहा, “हम ये जानते हैं कि ये हमले कर रहे समूहों को आईआरजीसी (ईरान के रिवोल्यूश्नरी गार्ड्स) का समर्थन हैं. हम ये संभावना देख रहे हैं कि बहुत निकट भविष्य में ईरान के प्रॉक्सी बलों और अंततः ईरान की तरफ़ से अमेरिकी सैन्य बलों पर समूचे क्षेत्र में आक्रामकता बढ़ सकती है.”
सोमवार को अमेरिकी सैन्य बलों ने सीरिया के अल-तांफ सैन्य अड्डे पर हमला करने के लिए आ रहे दो आत्मघाती ड्रोन को मार गिराया. इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ है.
शनिवार को इराक़ के अल-असद सैन्य अड्डे पर एक आत्मघाती ड्रोन ने हमला किया. इसमें किसी नुक़सान की ख़बर नहीं है. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद को बताया है कि वो चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मिलकर काम करेंगे और ये सुनिश्चित करेंगे कि इसराइल-हमास संघर्ष और बड़े युद्ध में ना बदले.
ब्लिंकेन ने कहा, “परिषद के सदस्यों, ख़ासकर स्थायी सदस्यों, के ऊपर इस संघर्ष को और फैलने से रोकने की ज़िम्मेदारी है.”
उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए वे चीन के विदेश मंत्री के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार को अमेरिका पहुंचेंगे. उनके इस दौरे का मक़सद अगले महीने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संभावित अमेरिकी दौरे के लिए मंच तैयार करना है. माना जा रहा है कि मध्य पूर्व संकट पर भी इस दौरान चर्चा हो सकती है.
मध्य पूर्व के लिए चीन के विशेष दूत झाई जुन संघर्षविराम कराने के मक़सद से पहले ही मध्य पूर्व के कई देशों की यात्राएं कर चुकी हैं.
इस क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव इसी साल तब नज़र आया था जब चीन ने ईरान और सऊदी अरब के बीच समझौता करा दिया था. दोनों ही प्रतिद्वंदी देश संबंध बहाल करने के लिए तैयार हो गए थे और साल 2016 के बाद दोनों देशों के बीच पहली बार वार्ता भी हुई थी. (bbc.com/hindi)
इसराइल और हमास के बीच जारी लड़ाई को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग तेज़ हो रही है ताकि ग़ज़ा में फंसे लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा सके.
7 अक्तूबर को इसराइल पर हमास के हमले के बाद से इसराइल लगातार ग़ज़ा पर बमबारी कर रहा है.
ग़ज़ा के लिए बिजली, पानी और ईंधन की आपूर्ती रोक दी गई है. यहां लोग बेहद मुश्किल हालात में रहने के लिए मजबूर हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अस्थायी संघर्ष विराम का प्रस्ताव दिया है.
हालांकि उन्होंने औपचारिक संघर्ष विराम की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि इससे हमास को ही फ़ायदा होगा.
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वांग ने कहा है कि इसराइल अपनी सुरक्षा के अधिकार को किस तरह इस्तेमाल करता है ये मायने रखता है.
ग़ज़ा में मानवीय संकट को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. इसराइल के सहयोगी देश भी ग़ज़ा के हालात को लेकर गंभीर है.
मंगलवार को मिस्र के रास्ते राहत सामग्री से भरे सिर्फ़ आठ ट्रक ही ग़ज़ा में दाख़िल हो सके.
राहत एजेंसियों के कहना है कि ये ज़रूरत के मुक़ाबले कुछ भी नहीं हैं.
संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों का कहना है कि अगर ग़ज़ा के लिए ईंधन की आपूर्ति नहीं की गई तो वो बुधवार के बाद से काम नहीं कर पाएंगे.
इसराइल ने ग़ज़ा के लिए ईंधन की आपूर्ति रोक दी है. इसराइल का कहना है कि अगर ग़ज़ा में ईंधन गया तो वो हमास के पास ही पहुंच जाएगा.
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों ने मानवीय आधार पर लड़ाई रोकने की अपील की है. हालांकि इन देशों ने सार्वजनिक रूप से स्थायी संघर्ष-विराम का आह्वान नहीं किया है. (bbc.com/hindi)
रफह, 24 अक्टूबर। गाजा पट्टी पर बीते 24 घंटे में इजराइल की ओर से किए गए हवाई हमलों में 700 से अधिक लोगों की मौत हो गयी। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
इजराइल के हमलों के कारण गाजा में स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह से प्रभावित हुईं हैं और बिजली की कमी के कारण कई अस्पतालों को मजबूरन बंद कर दिया गया है।
दशकों से चले आ रहे इजराइली-फलस्तीनी संघर्ष में इस बार इजराइल की ओर से की गयी बमबारी में एक दिन में मरने वालों की यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है।
गाजा में निकट भविष्य में जानमाल का और भी बड़े पैमाने पर नुकसान होने की आशंका है, जब टैंकों और तोपखानों से लैस इजराइल की सेना हमास को कुचलने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में अपेक्षित जमीनी स्तर पर आक्रमण शुरू करेगी।
इजराइल ने गाजा पर हमले के बाद इसकी सीमाओं को सील कर दिया है, जिसके कारण गाजा के 23 लाख लोगों के लिए भोजन, पानी और दवा की कमी हो गई है। आवश्यक सामान की आपूर्ति के लिए एक छोटा काफिला सोमवार को गाजा में दाखिल हुआ।
गाजा के विभिन्न अस्पतालों में बड़ी संख्या में घायल भर्ती हैं, जिनके इलाज के लिए बिजली की बेहद आवश्यकता है। बिजली की कमी के कारण, अस्पताल में भर्ती नवजात बच्चों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इजराइल ने मंगलवार को कहा कि उसने बीते 24 घंटे में 400 हवाई हमले किए, जिसमें हमास के कई कमांडर और लड़ाके मारे गए। उसने कहा कि ये राकेट से इजराइल में हमले करने और कमांड सेंटर को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे।
इससे एक दिन पहले इजराइल ने हमास के ठिकानों को निशाना बनाकर 320 हवाई हमले किए थे। प्रत्यक्षदर्शियों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इनमें से कई ने आवासीय इमारतों को निशाना बनाया जबकि कई दक्षिण गाजा में गिरीं ।
गाजा में इजराइल के हमलों में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच, हमास ने इजराइल की दो वृद्ध महिलाओं को रिहा कर दिया, जिन्हें उसने बंधक बना लिया था। हमास ने सात अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल के शहरों पर हमले कर सैकड़ों इजराइली नागरिकों को बंधक बना लिया था।
इजराइल-हमास युद्ध के बीच विभिन्न देशों के नेताओं का इजराइल आकर उसके प्रति एकजुटता व्यक्त करना जारी है और इसी के तहत मंगलवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों तेल अवीव पहुंचे। मैक्रों ने हमास के हमले में मारे गए फ्रांस के नागरिकों के परिजनों से मुलाकात की। इसके बाद उनके इजराइल के शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात करने का कार्यक्रम है।
मैक्रों ने इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग से मुलाकात कर कहा कि वह इजराइल के प्रति अपना समर्थन और एकजुटता व्यक्त करने तथा लोगों की पीड़ा साझा करने के साथ-साथ यह आश्वस्त करने के लिए आए हैं कि आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध में उसे अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
एपी रवि कांत पवनेश पवनेश 2410 2206 रफह (एपी)
फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के कब्ज़े से रिहा हुए दो बंधकों में से एक 85 वर्षीय योचेवेद लिफ़शिट्ज़ ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पिछले दो सप्ताह का अनुभव साझा किया है.
उन्होंने कहा है कि हमास के लड़ाके उन्हें किबुत्ज़ से मोटरबाइक पर अगवा करके ले गए थे. उन्होंने कहा कि उन्हें एक दरवाज़े से ग़ज़ा ले जाया गया और इस दौरान उन्हें कई जगह चोटें आईं. उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी.
उन्होंने बताया कि कैसे हमास के लड़ाकों ने उन्हें लाठी-डंडों से पीटा.
लिफ़शिट्ज़ ने कहा कि इसराइली सरकार ने अरबों रुपये सीमा पर बाड़बंदी करने में ख़र्च कर दिए लेकिन ये हमास को इसराइल से घुसने से नहीं रोक पाया.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में लिफ़शिट्ज़ की बेटी शैरोन ने कहा कि उनकी मां को कई किलोमीटर तक गीले मैदान में पैदल चलने पर मजबूर किया गया.
शैरोन ने कहा कि हमास ने अंडरग्राउंड सुरंगों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है. शैरोन ने इन सुरंगों की तुलना मकड़ी के जाल से की.
लिफ़शिट्ज़ की बेटी ने बताया कि हमास के लड़ाकों ने उनकी मां के गहने और घड़ी तक उतरवा ली. जब वह मोटरबाइक से उतरीं तो वहां मौजूद लोगों ने उनसे कहा कि वे 'क़ुरान में विश्वास' रखते हैं और इसलिए उनको नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.
लिफ़शिट्ज़ और 24 अन्य बंधकों को सुरंगों में ले जाया गया.
उन्होंने कहा कि बंधकों को साफ़-सुथरी जगहों पर रखा गया था और सोने के लिए गद्दे दिए गए. हर दो से तीन दिन के अंदर एक डॉक्टर उनकी निगरानी के लिए आता था. ग़ज़ा ले जाते समय घायल हुए एक बंधक का इलाज किया गया.
उन्होंने बताया कि हर पांच बंधकों की निगरानी के लिए एक गार्ड मौजूद था.
लिफ़शिट्ज़ ने बताया कि सुरंगों में रहने के दौरान उन्हें और उनके ग्रुप को खाने के रूप में सफ़ेद चीज़ (व्हाइट चीज़) और खीरे दिए गए. यही ख़ाना हमास के लड़ाके भी खा रहे थे. (bbc.com/hindi)
आइसलैंड में प्रधानमंत्री काटरीन याकब्सडोटीयर समेत लाखों महिलाओं ने मंगलवार को काम करने से इनकार कर दिया है.
इसकी वजह तनख़्वाह में लैंगिक आधार पर असमानता और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध होना बताई जा रही है.
महिलाओं ने वेतन की असमानता और जेंडर आधारित हिंसा के विरोध में मंगलवार को काम करने से इनकार किया है.
आइसलैंड में महिलाएं अधिकतर स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में काम करती हैं. साल 1975 के बाद से पहली बार महिलाएं पूरे दिन की हड़ताल पर गई हैं.
आइसलैंड की प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैं इस दिन काम नहीं करूंगी और मैं उम्मीद करती हूं कि सभी महिलाएं (कैबिनेट में) ऐसा ही करेंगी.''
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस बात पर गौर कर रही है कि परंपरागत रूप से पुरुषों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों की तुलना में महिला-प्रधान व्यवसायों को कितना महत्व दिया जाता है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रैंकिंग में लैंगिक समानता के मामले में आइसलैंड 14 सालों तक दुनिया में सबसे बेहतर देश रहा है. लेकिन, यहां पूरी तरह समानता नहीं है क्योंकि फोरम ने इसे 91.2 फीसदी स्कोर दिया था.
इससे पहले 1975 में आइसलैंड की 90 प्रतिशत महिला कर्मचारी हड़ताल पर चली गई थीं. उनकी मांग थी कि अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाए.
इस हड़ताल के बाद अगले साल देश की संसद में समान वेतन से जुड़ा क़ानून पारित किया गया था. (bbc.com/hindi)
इसराइल ने दावा किया है कि ग़ज़ा के अस्पतालों और आम लोगों को जिस ईंधन की ज़रूरत है, हमास उसकी जमाखोरी कर रहा है.
इसराइली सेना ने सोशल मीडिया पर कुछ सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं जिनमें इसराइल के मुताबिक़ मिस्र से सटती सीमा के पास हमास संचालित 12 फ्यूल टैंक दिख रहे हैं.
इसराइल का ये दावा एक ऐसे समय पर आया है जब ग़ज़ा के अस्पतालों में ईंधन ख़त्म होने को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है.
मिस्र के रास्ते कुछ खाने-पीने का सामान समेत अन्य मानवीय सहायता ट्रकों से पहुंच रही हैं.
लेकिन इसराइल ने ग़ज़ा में ईंधन की सप्लाई की मंज़ूरी नहीं दी है. इसराइल का कहना है कि इस पर हमास का नियंत्रण होगा.
सात अक्टूबर को हमास के हमले के पहले इसराइल ही केबल के ज़रिए ग़ज़ा में बिजली आपूर्ति कर रहा था. फिलहाल इसराइल ने इसे भी बंद कर दिया है.
ग़ज़ा में हमास शासित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अस्पतालों में अब क़रीब 48 घंटे का ही ईंधन बचा है.
मंत्रालय ने कहा कि बीती रात उत्तरी ग़ज़ा में इंडोनेशिया अस्पताल में ईंधन खत्म होने से ब्लैकआउट हो गया.
24 घंटे में 700 से अधिक मौतें
हमास शासित स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी है कि सात अक्टूबर से अब तक ग़ज़ा में 5,791 लोगों की मौत हो गई है. कल से लेकर अब तक में इस आंकड़े में 700 तक की बढ़ोतरी हुई है.
वहीं, इसराइल ने कहा है कि उसने बीते दिन ग़ज़ा में 400 से अधिक ठिकानों पर हमले किए हैं. (bbc.com/hindi)
-शुमाइला जाफ़री
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने एवेनफील्ड और अल-अज़ीज़ा मिल केस में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की प्रोटेक्टिव बेल दो दिन के लिए बढ़ा दी है.
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो से कहा है कि वह अपने चेयरमैन से जाकर पूछे कि क्या एनएबी इस मामले को आगे लेकर जाना चाहती है. एनएबी इस मामले में मुख्य शिकायतकर्ता है.
साल 2019 में पाकिस्तान छोड़ने से पहले नवाज़ शरीफ़ को इन मामलों में क्रमश: दस और सात साल की सज़ा सुनाई गई थी.
नवाज़ शरीफ़ तोशाख़ाना मामले में भी वॉंटेड हैं और भगौड़ा घोषित किए गए थे.
लेकिन नवाज़ शरीफ़ आज सुबह जज के सामने पेश हुए जिसके बाद कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ जारी अरेस्ट वॉरंट निलंबित किया. इसके साथ ही अदालत ने इस मामले की सुनवाई 20 नवंबर से शुरू करने का फ़ैसला किया है.
नवाज़ शरीफ़ को इस मामले में फौरी राहत मिल गयी है लेकिन उन पर गिरफ़्तारी की तलवार अभी भी लटक रही है.
बीबीसी के कोर्ट रिपोर्टर शहज़ाद मलिक के मुताबिक़, अदालत में माहौल 2017-18 की तुलना में काफ़ी अलग था. नवाज़ शरीफ़ के बरी होने के लिए क़ानूनी आधार हैं. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ बदला हुआ सरकारी रुख कई सवाल खड़े करेगा. इस मामले की तुलना इमरान ख़ान के साथ भी की जाएगी क्योंकि उन्होंने भी तोशाख़ाना मामले में जमानत याचिका दायर की थी जिसे अस्वीकार कर दिया गया है.
नवाज़ शरीफ़ चार साल तक विदेश में रहने के बाद बीती 21 अक्टूबर को पाकिस्तान पहुंचे हैं. अदालत ने उन्हें इन मामलों में भगोड़ा घोषित किया हुआ था.
अगर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ इन मामलों में खुद को बरी साबित कराने में सफल हो पाते हैं तो वह चुनाव लड़ने के साथ-साथ प्रधानमंत्री बनने में भी सक्षम होंगे. (bbc.com/hindi)
ग़ज़ा के अल-अहली अरब बैप्टिस्ट अस्पताल पर मंगलवार (17 अक्टूबर) को हुए हमले पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने संसद में बयान दिया है.
इस हमले में कम से कम 500 लोगों की मौत हुई थी.
ब्रिटिश खुफिया विभाग के विश्लेषण का हवाला देते हुए उन्होंने बताया, "यूके सरकार का मानना है कि विस्फोट(अल-अहली अस्पताल में) संभवतः किसी मिसाइल या उसके किसी हिस्से के कारण हुआ था जो ग़ज़ा के भीतर से इसराइल की ओर लॉन्च की गई थी."
सुनक ने कहा कि यह बहुत सावधानी बरतने का समय है और आतंकवाद के खिलाफ मानवता में विश्वास की जीत होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि सात अक्टूबर का (इसराइल पर हुआ) हमला, हमास के डर का नतीजा था, क्योंकि मिडिल ईस्ट में एक नया संतुलन बन रहा है.
यह बात उन्होंने अरब देशों के इसराइल के साथ सामान्य होते संबंधों के संदर्भ में कही.
सुनक ने यूक्रेन और ग़ज़ा युद्ध की तुलना करते हुए कहा कि पुतिन और हमास दोनों अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगे.
अस्पताल पर हुए हमले के लिए हमास ने जहां इसराइल को जिम्मेदार बताया है, वहीं इसराइल का कहना है कि अस्पताल पर मिसाइल ग़ज़ा की तरफ से चलाई गई थी.
इस्लामाबाद, 23 अक्टूबर। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्तान लौटने पर एवेनफील्ड अपार्टमेंट और अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामलों में अपनी सजा के खिलाफ लंबित अपीलों को सोमवार को नये सिरे से इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में दायर किया।
तीन बार के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख 73 वर्षीय शरीफ लंदन में आत्म-निर्वासन में चार साल बिताने के बाद शनिवार को पाकिस्तान लौट आए।
पूर्व कानून मंत्री आजम तरार और वकील अमजद परवेज ने शरीफ की ओर से उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कीं। उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर को शरीफ को 24 अक्टूबर तक दोनों मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था ताकि वह गिरफ्तारी के डर के बिना अदालत में पेश हो सकें।
अपनी याचिकाओं में, शरीफ ने अनुरोध किया कि उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील पर नये सिरे से सुनवाई की जानी चाहिए और कानून के अनुसार उचित फैसला किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय मंगलवार को याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है।
पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ को एवेनफील्ड और अल-अजीजिया मामलों में दोषी ठहराया गया था और तोशाखाना वाहन मामले में भगोड़ा घोषित किया गया था, जो इस्लामाबाद जवाबदेही अदालत के समक्ष लंबित है।
जब शरीफ 2019 में चिकित्सा आधार पर ब्रिटेन के लिए रवाना हुए, तब वह इन मामलों में जमानत पर थे।(भाषा)
वाशिंगटन, 23 अक्टूबर । ईरान ने इजराइल को गाजा पर हवाई हमले बंद न करने पर मध्य पूर्व की स्थिति नियंत्रण से बाहर होने की चेतावनी दी है।
राजनीतिक विश्लेषक इसे ईरान की ओर से परोक्ष धमकी मान रहे हैं कि अगर इजराइल गाजा पर जमीनी आक्रमण शुरू करेगा, तो वह हस्तक्षेप कर सकता है।
यूएसए टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने रविवार को इज़राइल और अमेरिका को चेतावनी दी कि "अगर वे गाजा में मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार को तुरंत नहीं रोकते हैं, तो किसी भी समय कुछ भी संभव है और क्षेत्र नियंत्रण से बाहर हो जाएगा।"
उधर, मध्य पूर्व में युद्ध और बढ़ने की बढ़ती चिंता के बीच इजरायली सेना ने सीरिया, वेस्ट बैंक और गाजा में हमला करते हुए अपनी सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है।
सैन्य कार्रवाई तीव्र तब हुई, जब मानवीय सहायता ट्रकों का एक काफिला दूसरे दिन मिस्र से गाजा में पहुंचा। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि यह सहायता जरूरत के अनुपात में बहुत कम है।
लेबनान में हिजबुल्लाह के उप नेता शेख नईम कासेम ने इजराइल को चेतावनी दी कि अगर वह गाजा में जमीनी हमले के साथ आगे बढ़ता है, तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
सीरिया ने कहा कि इजरायली हमले के कारण उसे दमिश्क और अलेप्पो में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सीरियाई परिवहन मंत्रालय ने कहा कि दोनों हवाई अड्डों पर लैंडिंग स्ट्रिप्स मिसाइलों से क्षतिग्रस्त हो गईं और दमिश्क अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक नागरिक कार्यकर्ता की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध शुरू होने के बाद से इज़राइल ने हिजबुल्लाह और अन्य आतंकवादी समूहों को ईरान से हथियार लाने से रोकने की आवश्यकता का हवाला देते हुए सीरिया में कई हमले किए हैं।
इज़राइल ने "हमास के तहखानों और भूमिगत बंकरों में रखे गए बंधकों को मुक्त कराने" के प्रयास में गाजा पर अपना हमला जारी रखा है। (आईएएनएस)।