राष्ट्रीय
पीलीभीत (उत्तर प्रदेश), 6 दिसंबर | पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के अधिकारियों ने अब जंगल और उसके आसपास बर्ड सफारी शुरू करने की योजना बनाई है। पीटीआर के उप निदेशक नवीन खंडेलवाल ने कहा कि स्थानीय पक्षी विशेषज्ञ अख्तर मियां पक्षियों की विविधता के बारे में पर्यटकों को बताएंगे। इनमें वो मेहमान पक्षी भी शामिल हैं जो हर साल सर्दियों में जल निकायों में घूमने आते हैं।
इसके लिए पर्यटकों को पैकेज (भुगतान वाले) दिए जाएंगे। ये टूर रोजाना होगा, जिसमें एक ग्रुप में कम से कम 6 लोगों के साथ आयोजित होगा। सफारी के लिए प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये फीस लगेगी, जिसमें एक दिन का टूर और 3 दिन-2 रात का पैकेज शामिल होगा। इसमें ठहरने, भोजन आदि का पैसा भी शामिल है।
इसके अलावा पर्यटकों को पक्षियों को देखने के लिए दूरबीन और देशी और प्रवासी पक्षियों पर आधारित एक किताब भी जाएगी।
अख्तर मियां ने कहा कि पीटीआर में पक्षियों की 326 स्वदेशी प्रजातियां हैं, जिनमें सार्स क्रेन, किंगफिशर और भारतीय रोलर शामिल हैं। इसके अलावा, प्रवासी पक्षियों की लगभग 90 प्रजातियां हैं जो सर्दियों में यहां आती हैं, इसमें इनमें टफ्ड बतख, कॉमन पोचर्ड और उत्तरी पिंटेल शामिल हैं।
खंडेलवाल ने कहा, "हम चाहते हैं कि पर्यटक न केवल बाघों बल्कि वन्यजीवों की संपूर्ण विविधता के बारे में जानें। इसके अलावा यह बर्ड सफारी पीटीआर का राजस्व भी बढ़ाएगी।"
पीटीआर क्षेत्र में सबसे बड़ा जल निकाय 22 किलोमीटर शारदा सागर बांध नहर है, जिसके साथ महोफ फॉरेस्ट रेंज के मुख्य जंगल में चूका पर्यटन स्थल स्थित है।(आईएएनएस)
ग्वालियर, 6 दिसंबर| मध्य प्रदेश में कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर सरकार और प्रशासन द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। ग्वालियर में प्रशासन ने तय किया है कि जो भी व्यक्ति बिना मास्क के मिलेगा उसे खुली जेल में रहने के साथ कोरोना पर निबंध लिखने की सजा दी जा रही है। ग्वालियर के जिलाधिकारी कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा रोको टोको अभियान चलाया जा रहा है। जन जागृति के साथ-साथ लापरवाही बरतने वालों के विरूद्ध चालान की कार्रवाई के साथ-साथ खुली जेल में भेजने का काम भी किया जा रहा है। शनिवार को लगभग 20 लोगों को रूपसिंह स्टेडियम स्थित खुली जेल में भेजा गया और वहां पर कोरोना विषय पर निबंध भी लिखवाया गया।
कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा कि शहर में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। साथ ही बिना मास्क के भी घूमते लोग पाए जा रहे हैं। खासकर युवा बिना मास्क के गाड़ियों में घूमते मिलते हैं। इसके साथ ही कुछ लोग मास्क को व्यवस्थित रूप से न लगाकर केवल गले में टांगकर भी घूम रहे हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सभी को विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है।
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी राजीव सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा रूपसिंह स्टेडियम में बनाई गई खुली जेल में शनिवार को लगभग 20 युवाओं को बिना मास्क के घूमते पाए जाने पर लाया गया और सभी से कोरोना विषय पर निबंध लिखवाया गया। उन्होंने बताया कि शहर में प्रतिदिन चेकिंग के दौरान जो लोग भी बिना मास्क के पाए जायेंगे उन्हें खुली जेल में ले जाया जायेगा। (आईएएनएस)
अयोध्या, 6 दिसंबर| अयोध्या के धनीपुर गांव में बन रही मस्जिद का मूल खाका तैयार हो गया है। सूत्रों ने कहा है कि इसका निर्माण होने के बाद एक बार में यहां लगभग 2,000 लोग एक साथ 'नमाज' अदा कर सकेंगे। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने नई मस्जिद का खाका तैयार किया है। यह मस्जिद ध्वस्त हुई बाबरी मस्जिद के बदले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी गई जमीन पर बनाई जाएगी। ट्रस्ट ने इस जमीन पर मस्जिद, एक अस्पताल, एक इंडो-इस्लामिकरिसर्च सेंटर और एक सामुदायिक रसोईघर को डिजाइन करने की जिम्मेदारी जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर एस.एम.अख्तर को दी है। अख्तर यहां के वास्तुकला विभाग के अध्यक्ष हैं।
15 हजार स्कवायर फीट पर बनाई जा रही इस मस्जिद की डिजाइन के अनुसार इसे एक आधुनिक रूप दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि इमारत का आकार अंडाकार है, वहीं छत एक गुंबद होगा जो कि पारदर्शी होगा। मस्जिद में सोलर पैनल भी लगाए जाएंगे। (आईएएनएस)
बरेली (उप्र), 6 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किए जाने वाले पहले युवक के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने युवक के पिता को बल प्रयोग करके और उनका उत्पीडऩ करके बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था। पुलिस ने 71 वर्षीय पिता मोहम्मद रफीक का एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया है, जिसमें उन्हें 3 गवाहों के सामने लिखित बयान को दोहराने के लिए कहा गया था। यह तब सामने आया जब समाचार रिपोटरें में दावा किया गया कि रफीक ने आरोप लगाया है पुलिसकर्मियोंने उसे पीटा और धमकाया है।
पुलिस ने स्वीकार किया कि उन्होंने रफीक को कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया था क्योंकि उन्हें उसकी सुरक्षा को लेकर डर था। क्योंकि लड़की के लापता होने के बाद पिछले साल स्थानीय लोगों ने उसे पीटा था।
बरेली रेंज के डीआईजी राजेश पांडे ने कहा, पिता को ग्रामीणों ने तब पीटा था जब लड़की पिछले साल भाग गई थी। हम नहीं चाहते थे कि ऐसी किसी भी स्थिति की पुनरावृत्ति हो इसलिए उसे पुलिस निगरानी में एक सुरक्षित स्थान पर रखा गया। हमें खुफिया टीमों से जानकारी मिली थी और हमारी प्राथमिकता कानून और व्यवस्था को बनाए रखने की थी क्योंकि गांव में दोनों समुदायों के लोग रहते हैं।
रफीक ने बयान में यह भी कहा कि लड़की अपने परिवार के सदस्यों के साथ मतभेदों के चलते भागी थी।
लड़के के पिता ने संवाददाताओं से कहा, मेरा बेटा निर्दोष है, उसे लड़की के परिवार ने फंसाया है। पिछली बार भी जब लड़की को छोड़ दिया गया था तब उसने बयान दिया था कि उसने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मतभेद के कारण उन्हें छोड़ा था।
एएसपी (ग्रामीण) संसार सिंह ने कहा, इस मामले में कई चश्मदीद गवाह हैं, जिन्होंने आरोपी को लड़की और उसके पिता को धमकाते हुए देखा। उसने लड़की के उसके पति के साथ रिश्ते को खराब करने की भी कोशिश की। हमने कानून के मुताबिक कार्रवाई की है।
गांव में आरोपी और शिकायतकर्ता दोनों के घरों के पास पुलिस तैनात है।
(आईएएनएस)
अयोध्या, 6 दिसंबर । अयोध्या के धनीपुर गांव में बन रही मस्जिद का मूल खाका तैयार हो गया है। सूत्रों ने कहा है कि इसका निर्माण होने के बाद एक बार में यहां लगभग 2,000 लोग एक साथ नमाज अदा कर सकेंगे। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने नई मस्जिद का खाका तैयार किया है। यह मस्जिद ध्वस्त हुई बाबरी मस्जिद के बदले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी गई जमीन पर बनाई जाएगी। ट्रस्ट ने इस जमीन पर मस्जिद, एक अस्पताल, एक इंडो-इस्लामिकरिसर्च सेंटर और एक सामुदायिक रसोईघर को डिजाइन करने की जिम्मेदारी जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर एस.एम.अख्तर को दी है। अख्तर यहां के वास्तुकला विभाग के अध्यक्ष हैं।
15 हजार स्कवायर फीट पर बनाई जा रही इस मस्जिद की डिजाइन के अनुसार इसे एक आधुनिक रूप दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि इमारत का आकार अंडाकार है, वहीं छत एक गुंबद होगा जो कि पारदर्शी होगा। मस्जिद में सोलर पैनल भी लगाए जाएंगे।
(आईएएनएस)
श्रीनगर, 6 दिसंबर। जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में बादल छाए रहने के कारण रविवार को फिर से न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी हुई, वहीं दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में सोमवार को बारिश और बर्फबारी की संभावना बढ़ गई। मौसम विभाग ने जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में 7 से 8 दिसंबर के बीच हल्की से मध्यम बर्फबारी का अनुमान लगाया है।
घाटी के अधिकारियों ने बर्फ की निकासी मशीनों और आपातकालीन कर्मचारियों को मौसम की वजह से किसी भी तरह की घटना से निपटने के लिए तैयार रखा है, हालांकि इस अवधि के दौरान मैदानी इलाकों में भारी बर्फबारी का कोई अनुमान नहीं है।
मौसम विभाग के अनुसार, 12 से 13 दिसंबर के बीच जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में रविवार को बादल छाने के कारण रात के न्यूनतम तापमान में वृद्धि देखी गई।
श्रीनगर में रविवार को न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि पहलगाम और गुलमर्ग में क्रमश: 2.8 और शून्य से 3.0 दर्ज किया गया।
लद्दाख के लेह शहर में रात का न्यूनतम तापमान शून्य से 6.4 दर्ज किया गया।
जम्मू शहर में आज न्यूनतम तापमान 12.9, कटरा में 11.2, बटोटे में 7.1, बनिहाल में 5.2 और भद्रवाह में 3.7 तापमान दर्ज किया गया।
गौरतलब है कि 40 दिनों की कठोर सर्दियों की ठंड को चिल्लई कलां कहा जाता है, वह 21 दिसंबर से शुरू होती है और 31 जनवरी को समाप्त होगी।
इस अवधि के दौरान बर्फबारी के कारण जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के बारहमासी जल जलाशयों में जल स्तर भरपूर हो जाता है।
चिल्लई कलां के दौरान अधिकतम तापमान में गिरावट आती है और इन 40 दिनों के दौरान अधिकांश समय घाटी में अधिकतम तापमान 6-7 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 6 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी को विधान परिषद चुनाव में दो सीटों पर हार मिली है। दोनों सीटें, जिनमें से एक शिक्षकों के लिए आरक्षित है और दूसरी स्नातक के लिए आरक्षित हैं, दोनों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
समाजवादी पार्टी के आशुतोष सिन्हा ने वाराणसी स्नातक की सीट जीती, वहीं उनकी ही पार्टी के सहयोगी लाल बिहारी यादव ने शिक्षकों की सीट पर जीत दर्ज की।
वाराणसी के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में समाजवादी विजेता लाल बिहारी यादव ने कहा, "यह पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है। मैं परिणाम से बहुत खुश हूं।"
दो सीटों के परिणाम अभी भी लंबित हैं, भाजपा ने 11 में से चार सीटों पर, समाजवादी पार्टी ने तीन और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो पर जीत दर्ज की है।
सत्तारूढ़ पार्टी के लिए एक अनुकूल रैली के बावजूद भाजपा के गढ़ में समाजवादी पार्टी की जीत ने कई लोगों को आश्चर्यचकित किया है।
उत्तर प्रदेश भारत के छह राज्यों में से एक है, जिसमें द्विसदनीय विधायिका है, जिसके दो सदन हैं- विधानसभा और विधान परिषद। राज्य में विधान परिषद में 100 सदस्य हैं।
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 11 सीटों के लिए 1 दिसंबर को स्नातक की पांच सीटों और शिक्षकों के निर्वाचन क्षेत्र में छह सीटों के लिए मतदान हुआ था।
सदस्यों का कार्यकाल 6 मई को समाप्त हो गया था, लेकिन महामारी के कारण चुनाव स्थगित करना पड़ा था।
--आईएएनएस
कोलकाता, 6 दिसंबर | तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी के बाद, पश्चिम बंगाल के एक और मंत्री ने शनिवार को पार्टी के कामकाज पर सवाल उठाया और कहा कि पार्टी में भ्रष्ट तत्व राजनीतिक गतिविधियों में सबसे आगे हैं। राज्य के वन मंत्री राजीब बनर्जी ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, यदि आप एक यस मैन हैं तो आप पार्टी में आगे रहेंगे। मैं ऐसा नहीं कर सकता। नतीजतन, मेरा स्कोर कम है। मैं अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा नहीं कह सकता।
उन्होंने कहा कि एसी कमरों में बैठने वाले लोग अब पार्टी का नेतृत्व संभाल रहे हैं।
मैं राज्य मंत्रिमंडल और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य के रूप में ये बात कह रहा हूं। मैं अभी भी एक मंत्री और एक पार्टी सदस्य हूं। भविष्य में, अगर मुझे पार्टी में कुछ भी कहना है, तो मैं कहूंगा। लेकिन मैं अभी मीडिया से इस बारे में चर्चा नहीं करना चाहता।
हावड़ा के डोमजुर निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के विधायक, बनर्जी ने कहा कि पार्टी नेताओं की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुवेंदु अधिकारी पार्टी छोड़ते हैं, तो यह तृणमूल के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा।
इससे पहले इसी साल जुलाई में, बनर्जी ने अपनी ही पार्टी में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा, ''छोटी मछलियों को पकड़ने से कोई फायदा नहीं होगा अगर भ्रष्टाचार को पार्टी से बाहर निकालना है तो बड़ी मछलियों को पकड़ना होगा।''
बनर्जी के विवादास्पद बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्य के शहरी विकास और नगर मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, राजीब एक अच्छे इंसान हैं। वह हमारे मंत्री हैं और वह मेरे भाई की तरह हैं। वह अच्छा काम कर रहे हैं।
हालांकि, पंचायत मामलों के मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि इस तरह के पार्टी विरोधी बयान की बिल्कुल जरूरत नहीं है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने कहा, राजीब एक अच्छे मंत्री हैं। वो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने जो भी कहा वह तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की एक सामान्य भावना है।
--आईएएनएस
केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हरियाणा-यूपी से लगती दिल्ली की सीमा पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है.
शनिवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुई पाँचवें दौर की बैठक भी बेनतीजा निकली. अब अगले दौर की बातचीत के लिए किसानों को 9 दिसंबर को बुलाया गया है.
इस बीच प्रदर्शन स्थलों पर ठंड में भी किसानों का जोश क़ायम है. शनिवार को किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू एकता-उगराहां) ने सिंघू बॉर्डर पर पांच प्रदर्शन स्थलों का नामकरण किया.
सिंघू बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर दिल्ली-हरियाणा की सीमा है, जहाँ पर किसानों का प्रदर्शन कई किलोमीटर तक फैल चुका है. इन प्रदर्शन स्थलों को चिह्नित करने के लिए किसान संगठन ने पांच प्रसिद्ध हस्तियों पर इन जगहों के नाम रखे हैं.
यह नाम हैं, बाबा बंदा सिंह नगर, चाचा अजीत सिंह नगर, बीबी गुलाब कौर नगर, शहीद भगत सिंह नगर और शहीद साधू सिंह तख़्तुपुरा नगर.
बीकेयू (एकता-उगराहां) के महासचिव शिंगारा सिंह मान और हरिंदर कौर बिंदु ने इन नामों के रखने के पीछे की वजह को भी प्रेस के साथ साझा किया. इसके साथ एक प्रेस गैलरी भी बनाई गई है जिसका नाम स्वतंत्रता आंदोलनकारी अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ान के नाम पर रखा गया है.
बाबा बंदा सिंह बहादुर
बाबा बंदा सिंह बहादुर एक मशहूर योद्धा थे जिन्होंने 1710 में मुग़ल सेना को हराकर सतलज नदी के दक्षिण में सिख राज्य की स्थापना की थी.
1670 में जम्मू के एक हिंदू परिवार में उनका जन्म हुआ था. सिखों के दसवें गुरु और खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरु गोबिंद सिंह के प्रभाव में आकर उन्होंने सिख धर्म स्वीकार कर लिया था.
गुरु गोबिंद सिंह ने ही उन्हें बाबा बंदा सिंह बहादुर नाम दिया था. गुरु गोबिंद सिंह के बच्चों की हत्या के बाद उन्होंने पंजाब में मुग़ल सल्तनत के ख़िलाफ़ कूच किया जिसमें उन्हें कामयाबी मिली.
हालांकि, यह शासन ज़्यादा दिन नहीं चल सका और 1715 में मुग़ल बादशाह फ़र्रुख़सियार की फ़ौज ने उन्हें ग़िरफ़्तार कर लिया और 1716 में उन्हें मार दिया गया.
बीकेयू (एकता-उगराहां) का कहना है कि बाबा बंदा सिंह बहादुर किसानों के एक महान नायक थे जिन्होंने उन्हें उनका ज़मीन का हक़ दिलवाया. बाबा बंदा सिंह बहादुर ने किसानों को बड़े-बड़े जागीरदारों और ज़मींदारों की ग़ुलामी से मुक्त कराया.
चाचा अजीत सिंह
सरदार अजीत सिंह के भाई और भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह (तस्वीर चमनलाल ने उपलब्ध करवाई है)
1881 को पंजाब के खटकड़ कलां में जन्मे सरदार अजीत सिंह ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ 'पगड़ी संभाल जट्टा' जैसा आंदोलन चलाने के लिए जाने जाते हैं. वो भगत सिंह के चाचा थे.
सरदार अजीत सिंह के भाई और भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह (तस्वीर चमनलाल ने उपलब्ध करवाई है)
वो एक राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन चलाया. उन्होंने पंजाब औपनिवेशिकरण क़ानून और पानी के दाम बढ़ाने के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किए.
उनके प्रदर्शनों से घबराई भारत की ब्रिटिश सरकार ने 1907 में उन्हें लाला लाजपत राय के साथ तत्कालीन बर्मा के मांडले में निर्वासित कर दिया लेकिन बाद में सरकार को इस फ़ैसले को वापस लेना पड़ा.
सरकार उन्हें लंबे समय तक जेल में डालने की योजना बना रही थी लेकिन वो 1909 में ईरान चले गए और 1947 तक अलग-अलग देशों में रहे.
बीकेयू (एकता-उगराहां) के महासचिव शिंगारा सिंह मान कहते हैं कि चाचा अजीत सिंह एक शानदार साम्राज्यवादी विरोधी आंदोलन 'पगड़ी संभाल जट्टा' के संस्थापक थे जो आंदोलन संघर्षशील जनता के लिए एक प्रेरणा बना हुआ है.
बीबी गुलाब कौर
गुलाब कौर ब्रिटिश भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थीं. 1890 में पंजाब के संगरूर में जन्मीं गुलाब कौर अपने पति के साथ फ़िलीपींस के मनीला में थीं जहां पर वो ग़दर पार्टी में शामिल हुईं.
गुलाब कौर को 'ग़दर दी धी' यानी 'ग़दर की बेटी' भी कहा जाता है. मनीला से वो वापस भारत लौट आईं और यहां स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई. इस दौरान उन्हें दो साल की जेल भी हुई.
मान कहते हैं कि 'गदरी गुलाब कौर साम्राज्यवादी विरोधी आंदोलन का हिस्सा थीं और वर्तमान में जारी प्रदर्शनों में शामिल महिला प्रदर्शनकारी उनका प्रतिनिधित्व करती हैं.'
शहीद भगत सिंह
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में भगत सिंह का एक अहम स्थान है.
वर्ष 1927 में पहली बार गिरफ़्तारी के बाद जेल में खींची गई भगत सिंह की फ़ोटो
27 सितंबर 1907 को भगत सिंह का जन्म लायलपुर (पंजाब पाकिस्तान) में स्वतंत्रता आंदोलनकारियों के परिवार में हुआ था. उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे.
एएसपी सैंडर्स की हत्या और दिल्ली की केंद्रीय एसेंबली में बम फेंकने की घटना में वो शामिल थे. इन घटनाओं ने ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था.
सैंडर्स हत्या मामले में 23 मार्च 1931 को लाहौर की जेल में उन्हें उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई.
बीकेयू (एकता-उगराहां) की हरिंदर कौर बिंदु कहती हैं कि 'शहीद भगत सिंह ने शोषण और उत्पीड़न से मुक्त एक समाज का सपना देखा था और वो जारी किसान आंदोलन की प्रेरणा हैं, उनकी तस्वीरें किसानों, मज़दूरों, महिलाओं और युवाओं को प्रेरित करती हैं.'
शहीद साधू सिंह तख़्तुपुरा
भारतीय किसान यूनियन (एकता) के नेता साधू सिंह तख़्तुपुरा की 2010 में कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. राज्य की तत्कालीन अकाली दल-बीजेपी सरकार एक विवादित ज़मीन से किसानों को हटा रही थी जिसके ख़िलाफ़ वो प्रदर्शन कर रहे थे.
कथित तौर पर 16 फ़रवरी 2010 को अमृतसर में 15 लोगों ने लोहे के सरियों और डंडों से पीटकर उनकी हत्या कर दी.
17 मार्च 2010 को पंजाब पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि तख़्तुपुरा की मौत हार्ट अटैक से हुई थी.
बिंदु कहती हैं कि तख़्तुपुरा संघर्षरत समाज को राह दिखाते थे जिनकी भू-माफ़ियाओं ने हत्या कर दी और उनकी 'शहादत ने संगठन को जनता के मुद्दों पर जनांदोलन करने के लिए प्रेरित किया है.'
किसान नेताओं का कहना है कि इन प्रदर्शन स्थलों के नाम इन हस्तियों के नाम पर रखना कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष चरित्र को दिखाता है.
वे कहते हैं कि संघर्षरत जनता द्वारा बनाए गए गौरवशाली इतिहास के साथ निरंतर आंदोलन जारी है और यह इतिहास किसानों, मज़दूरों, महिलाओं और युवाओं को अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता है. (bbc)
पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते सरकार और विपक्षी महागठबंधन के बीच रस्साकशी, कुलभूषण जाधव, अफ़ग़ानिस्तान शांति प्रक्रिया और कोरोना से जुड़ी ख़बरें सुर्ख़ियों में थीं.
सबसे पहले बात कुलभूषण जाधव की.
पाकिस्तान का कहना है कि भारत के ज़िद्दीपन के कारण पाकिस्तान में जासूसी करने के आरोप में सज़ा काट रहे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत कुलभूषण जाधव के लिए वकील पर ऐतराज़ जताकर कुलभूषण जाधव पर चल रहे मुक़दमे की क़ानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ने नहीं देना चाहता है.
कुलभूषण जाधव का परिवार
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय उच्चायोग को कहा गया कि वो कुलभूषण जाधव के लिए कोई वकील करें लेकिन उन्होंने कुलभूषण जाधव के लिए वकील करने से इनकार कर दिया.
पाकिस्तानी प्रवक्ता के अनुसार, पाकिस्तान भारतीय उच्चायोग को दो बार काउंसलर एक्सेस दे चुका है और तीसरी बार कुलभूषण जाधव तक एक्सेस देने की पेशकश मौजूद है.
पाकिस्तानी प्रवक्ता के अनुसार इस मामले पर दोबारा विचार करने के संबंध में सभी ज़रूरी क़दम उठाए गए हैं.
भारतीय उच्चायोग ने मांगा वक़्त
भारतीय उच्चायोग ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट को सूचित किया है कि कुलभूषण जाधव के लिए क़ानूनी प्रतिनिधि नियुक्त करने के संबंध में दिल्ली में बातचीत जारी है और इस आशय का फ़ैसला अगले दो-तीन हफ़्ते में कर लिया जाएगा.
कुलभूषण जाधव के बारे में पाकिस्तान का दावा है कि वो भारतीय नौसेना के मौजूदा अधिकारी हैं जिन्हें 2016 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान से गिरफ़्तार किया गया था.
पाकिस्तान एक लंबे अर्से से भारत पर आरोप लगाता रहा है कि वो बलूचिस्तान में सक्रिय पाकिस्तान विरोधी चरमपंथी गुटों की मदद करता है.
भारत इन आरोपों से इनकार करता रहा है और कुलभूषण जाधव के बारे में भारत का कहना है कि वो एक रिटायर्ड अधिकारी हैं और वो अपने बिज़नेस के सिलसिले में ईरान गए थे और पाकिस्तान-ईरान सीमा पर उनको अग़वा किया गया था.
पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में कुलभूषण जाधव को जासूसी और दहशतगर्दी के आरोप में दोषी क़रार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी.
इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ भारत ने मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) का दरवाज़ा खटखटाया था और माँग की थी कि कुलभूषण जाधव की सज़ा ख़त्म की जाए और उनकी रिहाई के आदेश दिए जाएं.
लंबी सुनवाई के बाद साल 2019 में आईसीजे ने भारत की इस माँग को तो ठुकरा दिया था लेकिन पाकिस्तान को आदेश दिया था कि वो जाधव को काउंसलर एक्सेस दे और उनकी सज़ा पर पुनर्विचार करे.
अदालत ने ये भी कहा था कि जब तक पुनर्विचार याचिका पर फ़ैसला नहीं आ जाता कुलभूषण जाधव को फाँसी न दी जाए. (बीबीसी)
श्रीनगर, 6 दिसंबर | जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने दो युवकों को पकड़ा है जो गांदरबल जिले में आतंकी गिरोह में शामिल होने जा रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि दोनों युवाओं को काउंसलिंग के बाद उनके माता-पिता को सौंप दिया गया। पुलिस ने कहा कि आतंकी गिरोह में शामिल होने जा रहे दो युवकों के बारे में विश्वसनीय जानकारी के आधार पर गांदरबल पुलिस ने कार्रवाई की और श्रीनगर शहर से जिले के वुसान इलाके से दोनों को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार युवकों को गांदरबल पुलिस, एक मनोचिकित्सक और उनके माता-पिता की उपस्थिति में अन्य विशेषज्ञों द्वारा उचित परामर्श दिया गया। बाद में उन्हें उनके माता-पिता को सौंप दिया गया, ताकि वे उनकी दैनिक गतिविधियों पर नजर रख सकें।
पुलिस ने कहा कि सीमा पार से चल रहे राष्ट्रविरोधी तत्व कश्मीर के भोले-भाले युवाओं को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भेज रहे हैं और उन्हें उग्रवाद में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
--आईएएनएस
भुवनेश्वर, 6 दिसंबर | राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) ने शनिवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर ओडिशा में दोपहिया वाहन पर बैठे दूसरे व्यक्ति (पिलर राइडर) ने हेलमेट नहीं पहना होगा तो चालक का ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) रद्द कर दिया जाएगा। एसटीए ने कहा कि दोपहिया वाहन चलाने वाले व्यक्ति (राइडर) के साथ-साथ पिलर सवार के लिए भी हेलमेट अनिवार्य कर दिया गया है।
एसटीए ने ट्वीट किया, "अगर राइडर और उसके साथ बैठने वाले दोनों लोगों में कोई भी हेलमेट नहीं पहनता है, तो डाइविंग लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा। कृपया अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनें।"
एसटीए की चेतावनी कटक में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा 42 डीएल निलंबित करने और यातायात नियम उल्लंघन करने वालों को दंडित करने के एक दिन बाद जारी की गई है।
प्रावधानों के अनुसार, राज्य में दोपहिया वाहन चलाने वाले राइडर के साथ ही पिलर राइडर के लिए भी हेलमेट अनिवार्य कर दिया गया है।
ओडिशा में वर्ष 2019 में 2018 के मुकाबले ड्राइविंग के दौरान हेलमेट का उपयोग न करने के कारण सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में बिना हेलमेट के 1423 दोपहिया वाहन सवार की मौत हो गई, जबकि 2018 में 1341 लोगों की मौत हुई है।
--आईएएनएएस
पटना, 6 दिसंबर | मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात के बाद बिहार में राजनीतिक समीकरण एक नया मोड़ ले सकता है। रालोसपा के आधिकारिक प्रवक्ता भोला शर्मा ने पटना में दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक की पुष्टि की है।
शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "दोनों नेताओं के बीच गुरुवार को मुलाकात के बाद बिहार में नए राजनीतिक समीकरण बनने की संभावना है। हमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ कोई दिक्कत नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले एक साथ काम किया है और अगर राजग सरकार सामाजिक न्याय एवं बिहार के लोगों के कल्याण का काम करेगी तो हम इसके साथ जाएंगे।"
शर्मा ने हालांकि रालोसपा के जनता दल युनाइटेड (जदयू) में विलय की संभावनाओं से इनकार कर दिया।
सूत्रों ने कहा कि बिहार विधानसभा सत्र के आखिरी दिन 27 नवंबर को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव की आलोचना करने के बाद नीतीश कुमार कुशवाहा से खुश हैं। उस दिन नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस हुई थी और कुशवाहा ने मुख्यमंत्री पर निजी हमला करने के लिए तेजस्वी की आलोचना की थी।
नीतीश के साथ संबंधों में खटास पैदा होने से पहले तक कुशवाहा जदयू के एक महत्वपूर्ण नेताओं में से एक थे। भाजपा की ओर से बिहार में सरकार बनाने के लिए जदयू के साथ हाथ मिलाने के बाद उन्होंने 2016 में केंद्रीय मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था।
कुमार के साथ कुशवाहा की मुलाकात के बड़े राजनीतिक निहितार्थ हैं। जेदयू ने हाल ही में बिहार चुनाव में पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच नीतीश कुमार की लोकप्रियता को कम करने के साथ राजनीतिक आधार खो दिया है। पार्टी को सीमांचल क्षेत्र में गंभीर नुकसान उठाना पड़ा है। जदयू वर्तमान राजग सरकार में राजनीतिक रूप से कमजोर है, क्योंकि इसे हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में महज 43 सीटें मिली हैं। वहीं अभी तक राज्य में छोटे भाई की भूमिका में रही भाजपा ने इस पर विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 74 सीटें जीती हैं। एक प्रकार से कह सकते हैं कि भाजपा के बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से ही नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बन पाए हैं।
दूसरी ओर कुशवाहा ने चुनाव में एआईएमआईएम और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से हाथ मिलाया। हालांकि कुशवाहा की पार्टी चुनाव में एक भी सीट जीतने में असमर्थ रही, लेकिन उसके गठबंधन के सहयोगियों ने विशेष रूप से एआईएमआईएम ने अच्छा प्रदर्शन किया और पांच सीटें जीतीं। बसपा भी एक सीट जीतने में सफल रही। इसके अलावा इन पार्टियों ने जदयू, राजद और भाजपा जैसी पार्टियों के वोट भी काटे।
नीतीश कुमार कुशवाहा के जरिए खोई जमीन हासिल करना चाहते हैं। सूत्रों ने कहा है कि उन्हें जदयू के कोटे से एमएलसी के रूप में चुना जा सकता है और मंत्री पद भी मिल सकता है।
--आईएएनएस
तिरुवनंतपुरम, 5 दिसंबर | केरल में शनिवार को पिछले 24 घंटों के दौरान 60,503 लोगों की कोरोना जांच की गई, जिनमें से 5,848 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने यह जानकारी दी। शैलजा द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, "शनिवार को 5,820 लोग नेगेटिव पाए गए, जिससे राज्य में इस महामारी से रिकवर हुए लोगों की कुल संख्या 5,67,694 हो गई। वर्तमान में राज्य में 61,393 सक्रिय मामले हैं।"
शनिवार को कुल 32 कोरोना रोगियों ने दम तोड़ दिया, जिससे केरल में इस महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,390 हो गई। वर्तमान में राज्य में 444 हॉटस्पॉट हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसम्बर | सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से अक्षम एवं मंद बुद्धि लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी के साथ न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आरोपी ने लड़की की मानसिक विकलांगता और पीड़िता के कम आईक्यू का लाभ उठाया है।
पीठ ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के सितंबर, 2016 के फैसले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति की अपील यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसने पीड़ित महिला की मानसिक बीमारी का बेजा फायदा उठाते हुए उसका शोषण किया था। उसे बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था और उसे दुष्कर्म का दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई थी।
शीर्ष अदालत ने डीएनए रिपोर्ट पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया है कि आरोपी पीड़िता के बच्चे का जैविक पिता है। पीठ ने कहा कि यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह एक पीड़िता पर यौन हमले का मामला है, जिसका आईक्यू 62 है और वह मानसिक रूप से मंद है और आरोपी ने पीड़ित की मानसिक बीमारी का अनुचित लाभ उठाया है।
पीठ ने कहा, "मानसिक रूप से बीमार लोगों को विशेष देखभाल और प्यार की जरूरत होती है, उनका शोषण नहीं किया जाना चाहिए।" इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मानसिक रूप से दिव्यांग महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा।
मामले में प्राथमिकी 2008 में पीड़िता के पिता द्वारा दर्ज कराई गई थी। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने अपनी मां को बताया था कि जब वह मवेशी चराने गई थी तो आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि डर और मानसिक कमजोरी के कारण पीड़िता ने शुरूआत में किसी के साथ घटना का खुलासा नहीं किया था। (आईएएनएस)
ईटानगर, 5 दिसंबर | सेना ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के बलिदान और वीरता को याद करने के लिए अरुणाचल प्रदेश के किबिथु और वालोंग वार मेमोरियल में कुमाऊंनी सैनिकों की प्रतिमाएं स्थापित की हैं। एक रक्षा प्रवक्ता ने शनिवार को यह जानकारी दी। जनरल ऑफिसर कमांडिंग स्पीयर कॉर्प्स, कुमाऊं और नागा रेजिमेंट्स के कर्नल एवं कुमाऊं स्काउट्स लेफ्टिनेंट जनरल आर. पी. कालिता ने शुक्रवार को 'कुमाउनी सोल्जर' की प्रतिमाओं का अनावरण किया।
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पी. खोंगसई ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की सबसे पूर्व में पड़ने वाली घाटी वालोंग को 1962 के युद्ध के दौरान हुए रक्तपात के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। इसे 'वालोंग की लड़ाई' के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने कहा, "इस लड़ाई को कई चुनौतियों के बावजूद भारतीय सेना के सैनिकों द्वारा प्रदर्शित फौलादी संकल्प, वीरता और अद्वितीय बहादुरी के लिए याद किया जाता है।"
79 वर्षीय सूबेदार (मानद कप्तान) के. एस. ताकुली (सेवानिवृत्त) की उपस्थिति ने शुक्रवार के इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया। ताकुली 6-कुमाऊं रेजिमेंट के उन बहादुर सैनिकों में से थे, जिन्होंने 58 साल पहले इसी स्थान पर वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी थी।
लेफ्टिनेंट कर्नल खोंगसई ने कहा कि नागरिक प्रशासन के प्रतिष्ठित लोगों के साथ युद्ध के दिग्गजों, मेयोर और मिश्मी गांवों के स्थानीय मुखिया, कुमाऊं रेजिमेंट के दिग्गज और कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एवं जवानों की की मौजूदगी में 6-कुमाऊं रेजिमेंट के बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई।
लेफ्टिनेंट जनरल कालिता ने मीडिया से बातचीत करते हुए इस आयोजन के महत्व के बारे में बताया और कहा कि 6-कुमाऊं रेजिमेंट उन पांच इन्फैन्ट्री बटालियनों में से एक है, जिन्होंने उस लड़ाई के दौरान प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएं 6-कुमाऊं के बहादुरों की साहसीता का प्रतीक हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी दुश्मन का सामना करते हुए वीरता का परिचय दिया। (आईएएनएस)
जम्मू, 5 दिसंबर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) ने 21 किलोग्राम हेरोइन जब्त करने और 1.35 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी से संबंधित मामले में दायर अपनी चार्जशीट में सहकारी बैंक के एक शाखा के 40 वर्षीय पूर्व प्रबंधक, एक लाइनमैन और प्रखंड विकास अधिकारी समेत छह लोगों के नाम शामिल किए हैं। एनआईए की जांच से पता चला है कि आरोपी जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में सीमा पार से तस्करी और मादक दवाओं की आपूर्ति करते थे। आरोपी पाकिस्तान सहित विदेशों में स्थित अपने सहयोगियों से इनचीजों की खरीद करते थे।
हेरोइन की बिक्री से प्राप्त राशि को आरोपियों ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की आतंकवादी गतिविधियों के लिए आगे बढ़ाया था।
जम्मू में एक विशेष एनआईए अदालत में चार्जशीट दाखिल करते हुए, एनआईए ने अफाक अहमद वानी (हंदवाड़ा में बारामुला केंद्रीय सहकारी बैंक में शाखा प्रबंधक), अब्दुल मोमिन पीर (हंदवाड़ा में सहायक लाइनमैन के रूप में कार्यरत), सैयद इफ्तिखार अंद्राबी (कुपवाड़ा में प्रखंड विकास कार्यालय में एक गांव-स्तरीय कार्यकर्ता) और इस्लाम-उल-हक पीर (एक सैनिटरी दुकान के मालिक) के नाम शामिल किए। ये उन छह आरोपियों में शामिल हैं, जो हिरासत में हैं।
इसके अलावा एनआईए ने सलीम अंद्राबी (समाज कल्याण विभाग के तहत हंदवाड़ा में बाल आश्रम में कार्यरत) और मुनीर अहमद बंदे (हंदवाड़ा में एक सीमेंट दुकान के मालिक) के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की है। सभी आरोपियों पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपपत्र दायर किया गया है।
यह मामला 11 जून को कैराना पुल पर हंदवाड़ा पुलिस द्वारा वाहनों की जांच के दौरान सामने आया। अब्दुल मोमिन के क्रेटा वाहन को 'पुलिस नाका पार्टी' ने रोक दिया था और उसकी तलाशी ली गई थी।
एनआईए ने कहा, "वाहन की तलाशी ली गई और 20,01,000 रुपये की नकद राशि और 2 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई। अब्दुल मोमिन को गिरफ्तार किया गया और उसके खुलासे के बाद, 50 वर्षीय आरोपी सैयद इफ्तिखार और 20 वर्षीय इस्लाम-उल-हक को गिरफ्तार किया गया।" (आईएएनएस)
कोलकाता, 5 दिसंबर | दक्षिणी कोलकाता के कस्बा इलाके में शनिवार को 22 वर्षीय एक महिला ने ऊंची इमारत से कूदकर खुदकुशी कर ली। वह तीन महीने की अपनी बेटी की सेहत को लेकर काफी चिंतित रहती थी। यह जानकारी पुलिस ने दी। राजकुमार गुप्ता नामक शख्स की पत्नी खुशबू कुमारी गुप्ता (22) अपने पति के जमशेदपुर जाने के बाद खुदकुशी कर अपनी जान दे दी।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, ये दोनों अपनी तीन महीने की बेटी की सेहत को लेकर काफी चिंतित थे, जो किसी गंभीर बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती है। इसके चलते खुशबू बेहद तनाव में रह रही थी, इसलिए केटरिंग का बिजनेस चलाने वाले राजकुमार जब हावड़ा स्टेशन के लिए रवाना हुए, तो खुशबू कथित तौर पर छत पर चली गई और फिर नीचे नहीं आई।
कुछ देर रात खुशबू के ससुरालवाले उसकी तलाश करने लगे, जिसके बाद वह खून से लथपथ इमारत के नीचे कोने में पड़ी मिली। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हम मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या बच्ची की सेहत को लेकर उनके परिवार में कोई समस्या थी या इसकी कोई और वजह रही होगी।"
इन दोनों की शादी पिछले साल ही हुई थी। (आईएएनएस)
अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 5 दिसम्बर | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा है कि भारत में किसानों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें ऐसा करने की अनुमति देनी चाहिए।
डुजारिक से शुक्रवार को जब एक पत्रकार ने भारत सरकार द्वारा पेश किए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "हम लोगों को अपने लिए आवाज उठाते देखना चाहते हैं।" उन्होंने कहा, "मैं आपसे वहीं कहूंगा जो मैंने दूसरों से इन मुद्दों के बारे में कहा है कि लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है, और अधिकारियों को उन्हें ऐसा करने देने की जरूरत है।"
प्रवक्ता की टिप्पणी तब आई जब दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमाओं पर किसान पिछले नौ दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान इस साल के शुरू में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं और उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे, जिससे किसान बड़े कॉर्पोरेट घरानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे।
सरकार ने कहा है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे। इसने विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है। (आईएएनएस)
पटना, 5 दिसंबर| गांधी मैदान के अंदर धरना देने की अनुमति देने से इनकार के बाद राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "गोडसे को पूजने वाले लोग पटना पधारे हैं। उनके स्वागत में अनुकंपाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में गांधी मूर्ति को कैद कर लिया, ताकि गांधी को मानने वाले लोग किसानों के समर्थन में गांधी जी के समक्ष संकल्प ना ले सकें।"
उन्होंने कहा, "नीतीश जी, वहां पहुंच रहा हूं। रोक सको तो रोक लो।"
गांधी मैदान में धरना शनिवार सुबह 10 बजे से होने वाला था। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने के कारण, तेजस्वी यादव सुबह 11.45 बजे तक कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंच सके थे।
इससे पहले, पटना के डीएम कुमार रवि ने आईएएनएस को बताया कि गांधी मैदान के अंदर धरने की अनुमति नहीं है। इसलिए, जिला प्रशासन ने राजद के आवेदन को खारिज कर दिया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसंबर| किसानों की मांगों और शिकायतों के समाधान के संकेत के साथ केंद्र सरकार और 32 से अधिक किसान यूनियनों के 40 से अधिक किसान नेताओं के बीच यहां शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत चल रही है। दोनों पक्षों ने यहां दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में बैठक की, जिसमें किसानों के विरोध प्रदर्शन का हल निकालने के लिए विचार-विमर्श किया गया, ताकि दिल्ली की सीमाओं पर बाधित ट्रैफिक सुचारु हो सके।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय राज्यमंत्री सोम प्रकाश और कृषि सचिव संजय अग्रवाल सरकार की ओर से बातचीत में शामिल हुए हैं। वहीं भारतीय किसान यूनियन, भारतीय किसान संयुक्त मोर्चा और क्रांतिकारी किसान यूनियन सहित 32 किसान संगठनों के प्रतिधिनि बैठक में शामिल हुए।
ऐसा बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने का फैसला किया है और सितंबर में लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों में संशोधन करने के लिए भी सरकार सहमत है।
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है। इसके लिए सरकार किसानों की मांग को एक कार्यकारी आदेश के तहत आश्वासन देने को तैयार है, मगर सरकार इसका रास्ता कानून के जरिए नहीं निकालना चाहती।
इससे पहले, शनिवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भाग लिया।
सूत्रों का कहना है कि मोदी ने अपने मंत्रियों के साथ डेढ़ घंटे तक चली बैठक के बाद कहा है कि सरकार कृषि कानूनों में संशोधन को स्वीकार कर सकती है, जिसे किसान 'काले कानून' और 'किसान विरोधी' बता रहे हैं।
इससे पहले, राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र और किसान प्रतिनिधियों के बीच हुई चार बार की वार्ता अनिर्णायक रही है।
किसानों ने पांच-सूत्री मांगें रखीं हैं, जिनमें एमएसपी पर एक विशिष्ट कानून का निर्धारण, पराली जलाने पर कोई सजा न हो, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना, प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) अधिनियम, 2020 के बारे में आपत्तियों का निपटारा और एमएसपी पर लिखित आश्वासन शामिल हैं।
पहले की वार्ता में किसान यूनियन के प्रतिनिधियों ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। किसानों ने कहा कि ये कानून केवल बड़े व्यवसायी और कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाएंगे।
चंडीगढ़, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले पांच स्थानों पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली की सीमाओं को अवरुद्ध कर दिया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसम्बर| एयर इंडिया की इकाई-एलायंस एयर ने शनिवार को कहा कि उसने मुम्बई और गोवा के बीच सीधी दैनिक उड़ान शुरू कर दी है। एयरलाइन के मुताबिक उद्घाटन फ्लाइट ने शुक्रवार को उड़ान भरी और इसमें सौ फीसदी यात्री सवार थे।
कम्पनी कहा है कि गोवा में उत्सव का मौसम शुरू होने वाला है और इसी को देखते हुए उसने लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नई उड़ानें संचालित करने का फैसला किया है।
एयरलाइन ने कहा है कि उड़ानों के संचालन के लिए वह सरकार द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीज्योर का पालन कर रही है। (आईएएनएस)
शेख कयूम
नई दिल्ली, 5 दिसंबर| भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण चुग ने शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से लद्दाख में चीन की घुसपैठ और आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भागीदारी के बारे में बात करने के बजाय इस पर विचार करने को कहा है कि किस तरह से पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर फिर से हासिल किया जाए।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चुग ने कहा, "लद्दाख में चीन की घुसपैठ और आतंकवाद व अलगाववाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भागीदारी के बारे में बात करने के बजाय नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को किस तरह से हासिल किया जाए इस पर बात करें।"
उन्होंने कहा कि नेकां और पीडीपी कभी एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी थे और आज ये भाजपा के खिलाफ एकजुट हो गए हैं।
चुग ने आरोप लगाते हुए कहा, "भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को वंशवादी नेताओं ने बढ़ावा दिया है, जिसने जम्मू और कश्मीर में विकास को रोका है। सत्ता में आने के बाद दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बात की थी, लेकिन उन्होंने भी कभी नेशनल कॉन्फ्रेंस में बड़ी मछलियों के खिलाफ काम नहीं किया।"
चुग ने आगे कहा, "यह एक संकेत है कि जम्मू और कश्मीर में वंशवादी राजनीति का समय अब खत्म हो गया है। मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि गांव से बाहर निकलकर आने वाले स्थानीय उम्मीदवारों को भी मतदान देने के लिए लोग अब बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसंबर| केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की बातचीत शनिवार दोपहर को होने जा रही है और केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है। साथ ही सितंबर में बनाए गए 3 नए कृषि कानूनों में विवादास्पद संशोधनों पर सहमत होने के लिए भी तैयार है। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लिखित आश्वासन देने के लिए किसानों की मांग को 'कार्यकारी आदेश, ना कि कानून द्वारा' स्वीकार करने का फैसला किया है।
यह जानकारी शनिवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक होने के बाद सामने आई है, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हुए।
सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री के साथ डेढ़ घंटे की बैठक के बाद सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन की बात स्वीकार कर ली है, जिसे किसान 'काले कानून' और 'किसान विरोधी' कानून करार दे रहे हैं।
ये कानून- कृषि उत्पाद व्यापार व वाणिज्य कानून-2020, मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून-2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020 हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र और किसान प्रतिनिधियों के बीच पहले हुईं 4 वार्ताओं के बाद भी अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। अब पांचवें दौर की वार्ता मध्य दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 2 बजे शुरू होगी। इस बैठक में लगभग तीन दर्जन किसान नेताओं का एक समूह भाग लेगा।
बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय राज्यमंत्री सोम प्रकाश और कृषि सचिव संजय अग्रवाल बैठक में शामिल होंगे।
किसानों ने पांच-सूत्री मांगें रखीं, जिनमें एमएसपी पर एक विशिष्ट कानून का निर्धारण, अवशिष्ट-जलाने पर कोई सजा नहीं, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना, प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) अधिनियम, 2020 के बारे में आपत्तियों का निपटारा करना और एमएसपी पर लिखित आश्वासन देना शामिल है।
बता दें कि 10 दिनों से हजारों प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली की सीमाओं को कई जगहों से बाधित किया हुआ है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में आपूर्ति श्रृंखला चरमरा रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसम्बर| किसान आंदोलन को सुलझाने के लिए भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे नरेश सिरोही ने सरकार को 5 अहम सुझाव भेजे हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून सिर्फ किसानों ही नहीं बल्कि देश की 138 करोड़ की आबादी को प्रभावित करने वाले हैं। ऐसे में सभी के हितों का ध्यान रखते हुए बीच का सुगम रास्ता निकालना जरूरी है। बीजेपी किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर 90 के दशक में कृषि क्षेत्र में हुए बदलाव के बाद, वर्तमान में बनाए गए तीनों कानूनों को कृषि क्षेत्र में सुधारों की बड़ी पहल माना जाना चाहिए। इन कानूनों से केवल किसान ही नहीं, उपभोक्ता सहित कृषि का व्यापार करने वाले बड़े कॉरपोरेट ,खाद्य प्रसंस्करण में लगी इंडस्ट्री ,थोक विक्रेता, सामान्य खुदरा विक्रेता सहित सभी लोग प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा, "ये तीनों कानून देश में उत्पादित लगभग 30 करोड़ टन खाद्यान्न, लगभग 32 करोड़ टन फल सब्जी, लगभग 19 करोड़ टन दूध सहित लगभग एक अरब से ऊपर कृषि उत्पादों के बाजार वाली कृषि क्षेत्र से जुड़ी अर्थव्यवस्था ही नहीं, समस्त 12 हजार अरब रुपए की खुदरा बाजार की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले हैं।"
नरेश सिरोही ने सरकार को 5 प्रमुख सुझाव पर अमल कर किसान आंदोलन का समाधान निकालने की बात कही है। पहला सुझाव मंडी के अंदर और बाहर एक समान व्यवस्था और पंजीकरण सिस्टम का है। उन्होंने कहा है कि, "किसानों की एपीएमसी मंडियां बंद होने की आशंका निर्मूल नहीं है। वर्तमान मंडियों में फसलों की खरीद पर अलग-अलग राज्यों में छ प्रतिशत से लेकर साढे आठ प्रतिशत तक टैक्स लगाया जा रहा है। परंतु नई व्यवस्था में मंडियों के बाहर कोई टैक्स नहीं लगेगा, इससे मंडियों के अंदर और बाहर कृषि व्यापार में विसंगति पैदा होंगी। जिसके कारण इस तरह की परिस्थितियां निर्माण होगी कि मंडियां बिना कानून के स्वत: ही बंद होती चली जाएंगी। एक तरफ सरकार संपूर्ण देश में एक देश-एक टैक्स व्यवस्था को लागू करने के लिए जीएसटी जैसा मजबूत कानून लेकर आती है तो दूसरी ओर कृषि उत्पादों के व्यापार में विसंगतियां पैदा होने के खतरे को पैदा कर रही है। इसलिए कृषि व्यापार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करने के लिए मंडियों के अंदर और बाहर एक समान टैक्स व्यवस्था तथा मंडियों के अंदर व्याप्त विसंगतियों को दूर कर उन्हें सुदृढ़ करने के लिए अपेक्षित उपाय किए जाने चाहिए।"
उन्होंने कहा कि किसान यह भी चाहते हैं कि मंडियों के बाहर कृषि का कारोबार करने वाले किसी भी व्यक्ति का केवल पैन कार्ड ही नहीं उसका पंजीकरण भी अवश्य होना चाहिए।
उन्होंने दूसरा सुझाव एमएसपी की गारंटी का दिया है। कहा कि, "देश का किसान घाटे की खेती कर रहा है इसलिए किसानों की मांग है कि निजी क्षेत्र द्वारा भी कम से कम एमएसपी पर खरीद की वैधानिक गारंटी चाहते हैं, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य )से नीचे फसलों की खरीद कानूनी रूप से प्रतिबंधित हो। "
तीसरा सुझाव कृषि न्यायालय का है। किसानों और व्यापारी के बीच में विवाद निस्तारण के लिए एसडीएम कोर्ट की स्थान पर कृषि न्यायालय बनाए जाने चाहिए।
नरेश सिरोही ने चौथे सुझाव के तौर पर सरकार से कहा है कि, "कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग में भी एमएसपी से नीचे किसी भी समझौते को मान्यता नहीं मिलनी चाहिए। एमएसपी के दायरे में आई हुई फसलों के अलावा, बाकी फल सब्जियों सहित अन्य फसलों के लिए भी सी 2 प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले के तहत बाकी फसलों की लागत का भी आकलन व्यवस्था होनी चाहिए।
बीजेपी नेता नरेश सिरोही के मुताबिक, "आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करते हुए सरकार ने अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज सहित सभी खाद्य पदार्थो को अब नियंत्रण मुक्त किया है। कुछ विशेष परिस्थितियों के अलावा अब स्टॉक की सीमा समाप्त हो गई हैं। लेकिन उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने परिस्थितियों के हिसाब से कुछ नियंत्रण अपने पास रखे हैं। लेकिन इसमें और पारदर्शिता लाने के हिसाब से केंद्रीय स्तर पर एक पोर्टल बनाने की आवश्यकता है, जिसमें व्यापारी द्वारा खरीद और गोदामों में रखे गए और गोदामों से निकाले गए खाद्य पदार्थो का विवरण दिन प्रतिदिन अपडेट होता रहे।" (आईएएनएस)