दुर्ग
आईसीएफएआई विवि में आई टेक-साईंस अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुम्हारी, 11 अक्टूबर। आईसीएफएआई विश्वविद्यालय, कुम्हारी के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तकनीकी विभाग द्वारा आई टेक- साईन्स 2021 अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन 8 व 9 अक्टूबर को आयोजित किया गया।
प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में इस अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. शिव वरण शुक्ला एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. उमेश कुमार, मिश्रा छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय आयोग के सदस्य उपस्थित थे। विशेष अतिथि के रूप में प्रो. डॉ. रमा पांडे (भूतपूर्व आचार्य, रसायन शास्त्र) पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर रहे। इस आयोजन में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सत्यप्रकाश दुबे एवं कुलसचिव डॉ. रविकिरण पटनायक उपस्थित थे।
डॉ. मनोरंजन दास ने इस अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। आज वैज्ञानिक युग में तकनीकी काल हमारे समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है, ये वास्तव में चितंन का विषय है। इसलिए दो दिवसीय सम्मलेन में देश से नहीं वरन् विदेशों से भी विषय विशेषज्ञ जानकारी देंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. एस. पी. दुबे ने अपने उद्बोधन में शिक्षा, विज्ञान और तकनीक की हमारे जीवन में क्या भूमिका है, इस पर प्रकाश डाला तथा कहा कि कोविड-19 ने हम सभी को एक नये स्वरूप में जीना सिखाया हैं। इसलिए विज्ञान और तकनीक का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
मुख्य अतिथि डॉ. शिव वरण शुक्ला ने कहा कि जीवन संस्कृति से विज्ञान पुष्पित और पल्लवित होता है। आज हम विज्ञान युग में जी रहे हैं। विज्ञान में अपडेट भी आवश्यक है, लेकिन संस्कृति को साथ लेकर, ना कि उसे किनारे रखकर। वैज्ञानिक अनुसंधान, मशीन, सभी का सकारात्मक प्रयोग जीवन में विज्ञान के साथ संस्कृति और भौतिकता को जोडऩा ही हमें सफलता के चरमोत्कर्ष पर पंहुचा सकता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. उमेश कुमार मिश्रा ने विज्ञान एवं तकनीकी शब्दों का विस्तार से वर्णन किया। डॉ. उमेश कुमार मिश्रा ने कहा कि हर एक टूल्स हमारे सामाजिक पंरपराओं के साथ चलते जाते है। जिनका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में विविध क्षेत्रों में करते है।
अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के कन्वेनर डॉ. रवि श्रीवास्तव ने अत्यंत संक्षेप में विषय की भूमिका और महत्व पर प्रकाश डाला।
विशेष अतिथि प्रो. डॉ. रमा पांडे ने विज्ञान की प्राचीन एवं आधुनिक उपयोग एवं अंतर बताते हुए कहा कि विज्ञान की आज की पंरम्परा में विविध औषधियों का निर्माण सहजता से हो रहा है। उन्होने कैन्सर जैसे भयावह रोग के लिए अपने द्वारा बनाये प्रोजेक्ट को उदाहरण सहित बताया। इसमें 51 शोधपत्र 135 पंजीकरण 40 शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र पढ़ें। इ स अन्तरर्राष्ट्र्रीय सम्मेलन में यू.एस.ए, जर्मनी, डेनमार्क, म्यांमार, वांरगल, दिल्ली, पुणे, हैदराबाद, बैंगलुरू, रुडक़ी, पटना, उदयपुर, जयपुर, इंदौर, बी आई टी एस पिलानी सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थान, कांकेर, दुर्ग, रायपुर से विषय विशेषज्ञों में डॉक्टर प्रो. रमा पांडे ने पी.पी.टी सह व्याख्यान देते हुए अपने विचार विषय पर साझा किए।
सम्मलेन के प्रथम दिवस मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. डॉ. रमा पांडे व प्रो. रमेश सी. बंसल, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, यूनिवर्सिटी ऑफ़ शारजाह, यू. ए. इ., से उपस्थित रहे। प्रथम दिवस विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के 25 शोधपत्र शोधार्थियों द्वारा पढ़े गए।
द्वितीय दिवस सम्मलेन के प्रथम सत्र में मुख्या वक्ता के रूप में श्री सुरेश कुमार बसेटटी, प्रोजेक्ट मेनेजर, टेक्ग्लोब इंक, शिकागो, यू.एस,ए. से वर्चुअल माध्यम से जुड़ कर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। सम्मलेन के द्वितीय सत्र में डॉ. जगजीत कौर सलूजा, प्रो. एवं विभाग प्रमुख, भौतिकी विभाग, साइंस कॉलेज, दुर्ग उपस्थित हो कर लुमिनिसेंस के क्षेत्र में अपना संबोधन प्रस्तुत किया।
तृतीय सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में सुश्री अमिथा कन्यामल्ला, प्री–साइ वेलिडेशन इंजिनियर, एन.टी.ई.एल. टेक्नोलॉजी्थस, मलेशिया, ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। द्वितीय दिवस के सम्मलेन में विभिन्न विभागों के 9 शोध पत्र शोधार्थियों द्वारा पढ़े गए।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अंजनी कुमार शुक्ला, भूतपूर्व अध्यक्ष, विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, रायपुर उपस्थित रहे। डॉ. अंजनी कुमार शुक्ला ने कहा कि इस तरह से उच्च स्तर के आयोजन निश्चित रुप से शिक्षा जगत के लिए सराहनीय कदम हैं। समाज शास्त्र के साथ विज्ञान के आधुनिक ज्ञान को समावेश करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि विज्ञान का इस्तेमाल समस्या के समाधान के लिए किया जाये तथा पर्यावरण के सेहत का ख्याल रखा जाना भी अत्यंत आवश्यक है।
इस सम्मेलन में दो शोधार्थियों को अतिविशिष्ट पेपर अवार्ड प्रदान किया गया। अवार्ड के रूप में दो हज़ार रुपये एवम प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया । साथ ही आठ शोधार्थियों को विशिष्ट पेपर अवार्ड प्रदान किया गया, जिसमे एक हज़ार रुपये एवम् प्रशस्ति पत्र सम्मिलित हैं।
आयोजन में कुल 34 प्रतिभागी एवं विषय विशेषज्ञों ने ऑनलाईन जुडक़र पेपर प्रेजेटेशन किया। साथ ही देश एवं विदेश से लगभग 150 शिक्षक शोधार्थी एवं छात्र-छात्राओं ने इस सम्मेलन में ऑनलाईन माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ।
मुख्य अतिथि अंजनी कुमार शुक्ल द्वारा इस सफल आयोजन के लिए विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की पूरी टीम को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
कुलपति डॉ. सत्य प्रकाश दुबे एवं कुलसचिव डॉ. रविकिरण पटनायक ने इस सफल आयोजन के लिए पूरी टीम को बधाइयां दी ।
दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापकगण, एवं अतिथि सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।