गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 15 मार्च। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिला स्वसहायता समूह की महिलाएँ अब सब्जी की खेती से निरंतर स्वावलंबी होती जा रही हैं। महिलाओं के स्वसहायता समूह को सरकारी योजनाओं में काम और भागीदारी देकर सरकार ने स्वावलंबन से उनके हाथों को खूब मजबूत किया।
राजिम क्षेत्र के ग्राम लोहरसी की जय माँ शीतला स्वसहायता समूह की महिलाएं गाँव में ही पांच एकड़ भूमि पर करेला, बरबट्टी, तरबूज, टमाटर, मुंगफली, कद्दू, ककड़ी जैसे फसल लेकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। इससे महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण होने से उनके जीवन स्तर में भी परिवर्तन देखा जा सकता है, वह स्वावलंबी होने के साथ अपने परिवार परिवारों की समृद्धि में सहायक बनी हुई है।
जय माँ शीतला महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि बाड़ी विकास योजना से क्रमश: धीरे-धीरे सब्जी की इस खेती की ओर हाथ आजमाया, आज पाँच एकड़ जमीन पर हमारे द्वारा विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की जा रही है इसमें समूह आर्थिक रूप से प्रगति भी होगी और घर के पुरूष सदस्यों की भागीदारी भी इस कार्य में सुनिश्चित हो रही है। जिससे रोजगार सृजन के नए अवसर गांव में ही निकटतम स्थान पर मिल रहा है और आर्थिक सबलता से महिला स्वसहायता समूह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं।
इस कार्य में गौरी साहू, मुकेश्वरी साहू, कामिनी धु्रव, यशोदा साहू, निर्मला बाई, देवकी बाई, रानू बाई, मनेश्वरी यादव, सरस्वती पटेल, दीपक साहू, हमेश्वरी साहू, झरना साहू, खिलेश्वरी, पूजा निषाद आदि महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
समूहों के माध्यम से स्वावलंबी बन रही महिलाएं - चंद्रशेखर
जय माँ शीतला स्वसहायता समूह द्वारा किए जा रहे खेती व प्रबंधन के अवलोकन में पहुंचे जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू ने कहा कि स्वसहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं, रोजगार की दिशा में यह एक बेहतर सार्थक प्रयास है। जिससे महिलाओं को अधिक संख्या में जुडऩा चाहिए। यह संतोषजनक बात है कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं जुडक़र अपना व्यवसाय कर रहीं हैं और घर के पुरुष सदस्य भी इसमें सहयोग कर रोजगार सृजित कर रहे हैं। सामूहिक संकल्पशक्ति के साथ महिलाएं एकता को सुदृढ़ कर रही हैं जो एक अच्छा संदेश है। अन्य गांवों में भी महिला स्वसहायता समूहों को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।