गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 6 मई। गोबरा नवापारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ.तेजेंद्र साहू ने एक जानकारी में बताया कि अमेरिकन सोसाइटी ऑफ हेमेटोलॉजी के पब्लिकेशन के अनुसार वैक्सीन से साइड इफेक्ट का खतरा 10 लाख लोगों से 3 से 15 को ही होता है। इनमें भी 90 फीसदी ठीक हो जाते हैं। इसमें मौत की आशंका सिर्फ 0.00013फीसदी ही है।
यानी 10 लाख में 13 को साइड इफेक्ट है, तो इनमें से जानलेवा रिस्क सिर्फ एक को होगी। जिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के चलते खून का थक्का जमता है, इसके केस कोविड वैक्सीन लगने के पहले भी आ रहे थे। जो कोविड पेशेंट भर्ती हुए, उनकी जांच में ब्लड थिन होने या क्लॉट बनने की बात सामने आई थी। इसलिए यह नहीं कह सकते कि कोविशील्ड के कारण ऐसा हुआ। हालांकि अब डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि किसी भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट 6 महीने में दिख जाते हैं, लेकिन अब दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है,ऐसे में किसी जान लेवा रिस्क होने के चांस कम हैं। रही बात खून पतला होने या टीटीएस के मामलों की तो यह समस्या पोस्ट कोविड इफेक्ट हो सकती है, न कि पोस्ट वैक्सीनेशन, क्योंकि कोविड में शरीर के कई हिस्से प्रभावित हुए थे। वैक्सीन ने सिर्फ संक्रमण का प्रभाव कम किया था, लेकिन डोज लगने के पहले वायरस से जो अंग डैमेज हो चुके थे, वो वैसे ही हैं। बहरहाल किसी प्रकार डर वाली बात नहीं है।