कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 8 अप्रैल। तीन अप्रैल से अंतागढ़ से शुरू हुई बस्तर रेल आंदोलन पदयात्रा कल शाम कोण्डागांव जिला पहुंची। ग्रामीणों ने आगे आकर स्वयं से समर्थन देते हुए पदयात्रियों का हौसला बढ़ाया और तन मन से सहयोग करते हुए आगे बड़े उमरगांव में सर्व समाज के पदाधिकारियों व स्थानीय ग्रामीणजनों की उपस्थिति में स्वागत सम्मान के साथ एक छोटी सी सभा का आयोजन हुआ। पदयात्रियों ने विशाल रैली भी निकाली।
ज्ञात हो कि बस्तर रेल आंदोलन जो कि सर्वसमाज और गैर राजनितिक संगठनों के नेतृत्व में 93 वर्षीय पद्मश्री धर्मपाल सैनी की अगुवाई में 3 से 12 अप्रैल तक अंतागढ़ से जगदलपुर तक पदयात्रा के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चला रहे हैं।
सभा के पश्चात कदम से कदम मिलाते हुए पदयात्रियों के साथ सभी जन जोंद्रापदर पहुंचे, जहां ग्रामीणों ने स्वागत किया और सर्व समाज द्वारा पदयात्रियों के विश्राम हेतु निर्धारित जगह पर छोड़ा, जहां से 8 अप्रैल की सुबह 10 बजे पुन: पदयात्रियों का काफिला जोंद्रापदर से कोण्डागांव जिला मुख्यालय की ओर निकला। रास्ते में सर्व समाज पदयात्रियों की बाट जोह रहा था। पदयात्रियों के पहुंचते ही पारम्परिक मांदरी बाजा व बैंड बाजे के साथ उनका स्वागत करते हुए सभा स्थल पहुंचे, जहां पर पहले से ही सामाजिक जन मौजूद थे।
कार्यक्रम स्थल पर मंच में सभी अतिथियों व पदयात्रियों को स्थान दिया गया। जबकि कार्यक्रम आयोजक मंडल सर्व समाज के पदाधिकारी आमजन के साथ बैठे। कार्यक्रम में फूलमाला से स्वागत करना पूर्ण वर्जित था। चावल व तिलक चंदन लगाकर अभिनन्दन करते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। स्वागत भाषण सर्व समाज अध्यक्ष धंसराज टंडन ने दिया।
प्रमुख वक्ता के रूप में गोंडवाना समाज जिलाध्यक्ष मनहेर कोर्राम ने कहा कि सरकार किसी की भी हो, हम बस्तरवासियों को सिर्फ छला गया है। हम अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे। बस्तर में रेल लाकर रहेंगे। अगर पदयात्रा से सरकार नहीं मानी तो आगे भी लड़ाई जारी रहेगी।
सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक सी आर कोर्राम ने कहा कि बस्तर के साथ छलावा बहुत हुआ अब बस्तरवासी जाग गए है बस्तर के हितों को भलीभांति समझ रहे हैं जिसका परिणाम है बस्तर रेल आंदोलन।
नीलकंठ शार्दुल ने कहा जमीन के ऊपर कि सम्पदा को सरकार ने खत्म कर दिया है। जमीन के अंदर कि खजाने का भी लगातार दोहन किया जा रहा है। बस्तर कि सम्पत्ति से प्राप्त राशि का अगर दो प्रतिशत भी बस्तर में खर्च होता है तो बस्तर किसी सुविधा से वंचित नही रहेगा। बस्तरवासियों के विकास से कोई लेना देना नहीं। अगर अब तक कि सरकारें बस्तरवासियों के हितों की सोची होती तो अब तक बस्तर में रेल दौड़ती हम बस्तरिया लोगों को रेल के नाम पर सिर्फ लॉलीपॉप पकड़ाई है। अब तक ज्ञापन और मुलाकात के कागजों से दो अलमारी भर चुकि है पर अब कागजों से बात नहीं होगी अब सीधे आर पार कि लड़ाई होगी चाहे रेल मिले या जेल ज़ब तक बस्तर में रेल नहीं दौड़ेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगी।
सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग अध्यक्ष दसरथ कश्यप ने कहा कि बस्तर में रेल नहीं होने से सबसे ज्यादा प्रभावित है तो वह है आदिवासी वर्ग। आज भी कई आदिवासी सामाजिक बंधु हैं, जिन्होंने आज तक रेल में चढऩे की बात दूर रेल देखा तक नहीं है। बस्तर में रेल लाना होगा, सरकार को बस्तरवासियों के हित में कदम उठाना होगा।
बस्तर चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष मनीष शर्मा ने कहा बस्तर मे रेल आने से आम जन मानस को इसका सीधा लाभ मिलेगा किसी भी प्रकार कि जीवन उपयोगी वस्तुओं के दाम में फर्क दिखेगा। बस्तर में रेल न होने से आज बस्तर संभाग राजधानी से दो दशक पीछे जी रहा है। बस्तर में रेल सेवा तत्काल शुरु होनी चाहिए।
किशोर पारख पूर्व चेम्बर अध्यक्ष ने कहा कि 70 सालों से सरकारों ने केवल धोखा ही दिया है। आज सरकार आजादी के अमृत महोत्सव मना रही है और बस्तर में रेल कि पटरी तक नही यह बस्तर का दुर्भाग्य है बस्तरवासियों का दुर्भाग्य है। अब नही अब रेल होंगी हमारी लड़ाई सिर्फ इसी लिए है।
कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन सर्व समाज संरक्षक शांति लाल सुराना ने किया। उसके बाद पदयात्रियों की अगुवाई में मान्दरी बाजा व बैंड बाजे के साथ मौजूद सभी सामाजिकजन व विभिन्न संगठनों के लोगों की मौजूदगी में विशाल रैली निकाली गई, जो फारेस्ट ऑफिस के समीप मर्दापाल चौक में भोजन के साथ समाप्त हुई, फिर पदयात्री भोजन के बाद बनियागांव के लिए निकले, जहां पर जिले के पत्रकारों द्वारा दूधगांव में पदयात्रियों के लिए मठा- छाछ की व्यवस्था की गई। आज के कार्यक्रम व रैली में सर्व समाज के सभी सामाजिक जनों के साथ विभिन्न संगठनों के लोग मौजूद रहे।