गरियाबंद

मेरे बेटे का देह जलेगा नहीं, पढ़ाई के काम आएगा
14-Apr-2022 4:29 PM
मेरे बेटे का देह जलेगा नहीं, पढ़ाई के काम आएगा

यूपीएससी की तैयारी कर रहे बेटे की दिल्ली में मौत

 पिता ने मेडिकल कालेज को किया पार्थिव शरीर दान 

लीलाराम साहू

नवापारा राजिम, 14 अप्रैल (‘छत्तीसगढ़’  संवाददाता) समाज सेवा लिए नेत्र दान व अंग दान किए जाने के कई मामले सामने आते रहतेे हैं, लेकिन जिले में मेडिकल विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए अपनी पुत्र का देहदान करने का यह संभवत: पहला मामला सामने आया है। एक सेवानिवृत्ति शिक्षक ने समाज सेवा का उत्कृष्ट संदेश समाज को दिया है। बुधवार को आवश्यक कार्रवाई के बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने अंचल के होनहार छात्र निखिल वर्मा अभनपुर विकासखंड के ग्राम पोड़ निवासी का पार्थीव शरीर विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए ले लिया है।

जिला के लिए संभवत: पहला अवसर
जिले में पिता द्वारा पुत्र का देह दान का यह पहला मामला है। ग्राम पोड़ निवासी पूर्व गृहमंत्री राम सेवक पैकरा के निज सहायक रहे सेवानिवृत्ति शिक्षक एवं अधिवक्ता टीआर वर्मा के इकलौते पुत्र निखिल वर्मा (24) जो कि नई दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, अचानक तबीयत बिगड़ जाने के कारण उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां ईलाज के दौरान निखिल ने अंतिम सांसे ली, पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। उनके निधन के बाद आवश्यक कार्रवाई एवं अंतिम विदाई की रस्म अदा करने के बाद  उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज रायपुर को सौंप दिया गया है।

मेडिकल कॉलेज में स्व. निखिल की पार्थिव देह को विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। मेडिकल कॉलेज ले जाने के बाद इनकी देह पर विशेष दवाओं का प्रयोग किया जाएगाा साथ ही पोरमलिन नामक लिक्विड के के टैंक में शव को रखा जाएगा। जिससे देह सुरक्षित रखा जा सकता है।

क्या कहते हैं पिता
निखिल एवं उनके माता पिता के इच्छा के अनुरूप मेडिकल कॉलेज रायपुर को उनके शरीर को देहदान किया गया। निखिल के पिता टी आर वर्मा का कहना है कि वह भी शिक्षक रहे है और मेरी सोच है कि मृत्यु के बाद शरीर को जलाने के बजाय मेडिकल कॉलेज में दान कर देने से वहां अध्ययनरत मेडिकल छात्रों को अध्ययन करने में उपयोगी होगी और उन पर रिसर्च कर बहुत कुछ ज्ञान प्राप्त करेंगे, उन्होंने कहा कि मैं इस माध्यम से सभी समाज के लोगों को प्रेरणा देना चाहता हूं कि मेरे बच्चे के मृत हो जाने के बाद उनका देह मेडिकल छात्रों जो उनका शरीर पर अध्ययन कर सकें उनके लिए अति उपयोगी होगी, इस सोच के अनुरूप यह निर्णय लिया गया।

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