गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 3 मई। कलेक्टर नम्रता गांधी के निर्देशानुसार अक्षय तृतीया के विशेष अवसर पर बाल विवाह की संभावना को देखते इसके रोकथाम हेतु जिला स्तरीय विशेष टीम का गठन किया गया है। टीम को अक्षय तृतीया के अवसर पर जिले के विकासखण्डों में बाल विवाह रोकथाम हेतु कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये है। यह अभियान 4 मई 2022 तक चलेगा।
ग्राम पंचायतों में विवाह पंजी संधारण करने हेतु पंचायत सचिव एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को निर्देशित करना जिसमें पंचायत में होने वाली सभी विवाहों का रिकार्ड हो। प्रत्येक ग्राम पंचायत के ग्रामों के कोटवार को बाल विवाह नहीं करने, बाल विवाह कानूनन अपराध होने के संबंध में मुनादी कराने हेतु निर्देशित करना ताकि सभी ग्रामीण जनों को पता चले कि बाल विवाह करना अपराध है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं विकासखण्ड स्तर पर बाल संरक्षण समितियों का गठन किया गया है। इस समिति से पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि, स्वयं सहायता समूह के सदस्य, विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि सम्मिलित है। यह समिति संभावित बाल विवाहों की निगरानी करने एवं बाल विवाह रोकथाम में सहयोग करने के संबंध में निवेदन, अनुरोध करना। बाल विवाह रोकथाम के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जावें।
ग्राम पंचायत सचिवों को दीवाल लेखन करवाने हेतु प्रेरित करें। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बाल विवाह रोकथाम हेतु मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस योजना का ग्रामीण जनों तक लाभ पहुंचाने हेतु उक्त योजना का प्रचार-प्रसार करना।
विवाह के लिये बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बालिका की आयु 18 वर्ष एवं लडक़े की आयु 21 वर्ष पूर्ण होना चाहिये। निर्धारित आयु से कम आयु में महिला, पुरुष का विवाह करने या करवाने की स्थिति में सम्मिलित व सहयोगी सभी लोग अपराध की श्रेणी में आते है। जिन्हें 2 वर्ष तक का कठोर कारावास एवं 01 लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। उक्त के संबंध में पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति व नगरीय निकाय में वार्ड स्तरीय समिति गठित है।