राजनांदगांव
डॉक्टर्स मरीजों को जेनेरिक दवा लिख उपयोग करने करें प्रेरित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 जुलाई। नगर निगम आयुक्त आशुतोष चतुर्वेदी ने लोगों और मरीजों से जेनेरिक दवा का लाभ लेने की अपील की। साथ ही डॉक्टरों को भी जेनेरिक दवा लिखकर इसका उपयोग करने मरीजों को प्रेरित करने का आह्वान किया।
निगम आयुक्त डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने जेनेरिक मेडिकल स्टोर के संबंध में कहा कि आम जनता को ब्रांडेड जेनरिक दवाईया एवं सर्जिकल आइटम्स सस्ती दरों पर सुलभता से यहां पर प्राप्त तो हो रही है और लोग इसका लाभ भी ले रहे हैं, लेकिन अभी भी लोगों को जेनेरिक दवाई के बारे में जानकारी नहीं है।
उन्होंने बताया कि जेनेरिक दवा वह दवा है, जो बिना किसी पेटेन्ट के बनायी और वितरित की जाती है। जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पेटेंट हो सकता है, किन्तु उसके सक्रिय घटक पर पेटेंट नहीं होता। जेनेरिक दवाईयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के ब्रांडेड दवाईयों से कम नहीं होती तथा ये उतनी ही असरकारक है, जितनी की ब्रांडेड दवाईयां। यहां तक कि उनकी मात्रा (डोज), साइड इफेक्ट, सक्रिय तत्व आदि सभी ब्रांडेड दवाईयों के जैसे ही होते हैं। जेनेरिक दवाईयों को बाजार में उतारने का लाईसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
आयुक्त डॉ चतुर्वेदी ने बताया कि किसी रोग विशेष की चिकित्सा के लिए तमाम शोधो के बाद एक रसायनिक तत्व व यौगिक विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस तत्व को अलग-अलग कम्पनियां अलग-अलग नामों से बेचती है। उन्होंने बताया कि जेनेरिक दवाईयों का नाम उस औषधि में उपस्थित सक्रिया घटक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी भी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता हैै। जेनेरिक दवाईयों के मूल्य निर्धारण पर सरकारी अंकुश होता है, इसलिए यह सस्ती होती है और पेटेंट दवाईयों की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक सस्ती होती हैै।
उन्होंने कहा कि यदि डॉ मरीज को जेनेरिक दवाईयों की सलाह देने लगे तो व्यय पर 70 प्रतिशत तक कमी आएगी। उन्होंने सभी चिकित्सकों से अपील करते कहा है कि वे मरीजो को जेनेरिक दवाईयों का उपयोग करने की सलाह दे और उनके पास आने पर बीमारी संबंधी जेनेरिक दवाई ही लिखे, ताकि लोग जेनेरिक दवाई का उपयोग कर स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी ले सके।