बस्तर
अजय सरस्वती श्रीवास्तव
जगदलपुर, 21 जुलाई(‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। जिला प्रशासन और नगर पालिक निगम की लचर व्यवस्था के कारण जिला मुख्यालय में ही अवैध प्लाटिंग का जगह-जगह खेल चल रहा है। जिसमें नियम कानून को ताक पर रख कर शासन को करोड़ों के राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है। जिम्मेदार जानकर भी आँख मूंदे बैठे हैं। ताजा मामला शहर के धरमपुरा नंबर 3 में सामने आया है, जिसमें भू माफियाओं ने लगभग 3 एकड़ जमीन पर अवैध प्लाटिंग का काम शुरू कर उसे बेच रहे हैं।
इन माफियाओं ने आबादी भूमि को भी कब्जा करने की पूरी तैयारी कर ली है। इस मामले की शिकायत वार्डवासियों ने कई बार कलेक्टर, एसडीएम और नगर निगम कमिश्नर से की, पर भूमाफियाओं पर कोई ठोस कार्रवाई न होने की वजह से इनके हौसले बढ़े हुए हैं।
महिला समूह के द्वारा लगाया बोर्ड भी भूमाफियाओं ने उखाड़ फेंका
धरमपुरा के लाइफ स्टाइल कालोनी मार्ग के दाहिने तरफ एक शमशान घाट है उसके पीछे कई एकड़ नजूल जमीन है और जिस पर इन भूमाफियाओं ने राजनीतिक संरक्षण से कब्जा प्राप्त कर रखा है।
इसी जमीन पर एक आंगनबाड़ी केंद्र भी है जिसके पीछे महिला समूह द्वारा सामुदायिक भवन हेतु भूमि आरक्षित का एक बोर्ड लगाया था जिसे भूमाफियाओं ने उखाड़ फेंका। जिसकी शिकायत लेकर महिलाओं ने कलेक्टर बस्तर और संसदीय सचिव रेखचंद जैन से शिकायत कर दी जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और तहसीलदार जगदलपुर मौके पर मुआयने के पहुंचे।
वार्ड पार्षद दयाराम कश्यप ने बताया कि जमीन खरीदी बिक्री की शिकायत उनको प्राप्त हुई थी, जिसके बाद उन्होंने आरआई और पटवारी के साथ मौके पर जाकर लोगों से बात की तो आसपास के लोगों ने खरीदी बिक्री की बात तो स्वीकारी और बेचने वाले का नाम शंकर माली बताया, परंतु खरीदने वाले की जानकारी नहीं दे पाए। मैंने इस संदर्भ में राजस्व विभाग को कार्रवाई करने का निवेदन किया था।
प्रशासनिक अनदेखी का फायदा उठाते हैं भूमाफिया
नजूल जमीन को लेकर स्थिति साफ नहीं जहां कोई सरकारी प्रोजेक्ट आता है और उसके लिए जमीन की जरूरत पड़ती है। तो प्रशासन वहां का रिकॉर्ड खंगाल कर जमीन की तलाश शुरू करता है, तब जाकर प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाता है। नजूल भूमि को लेकर सरकार का रवैया राजनीतिक नफे नुकसान के गुणा भाग के आधार पर तय होता है।
लिहाजा कभी सख्ती नहीं बरती जा सकी। यही वजह है कि सरकार चाहते हुए भी अब तक नजूल की जमीन के सर्वे का काम पूरा नहीं करा पाई है। नतीजा आज शहर व आसपास की 90 फीसदी जमीन पर कब्जा हो चुका है।
अतिक्रमण के लिए राजस्व विभाग के अफसर जिम्मेदार
विगत तीन-चार वर्षों में तेजी से शासकीय भूमि पर अतिक्रमण हुआ। पूरा नगर जानता है कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कहाँ हो रहा है ऐसे में राजस्व विभाग का जमीनी अमला इससे अनभिज्ञ रहा। अब सवाल उठता है कि जिस प्रकार से नगर के जमीनों में अतिक्रमण हुआ निश्चित रूप से इसमें संरक्षण राजस्व विभाग के जमीनी अमला का रहा। ऐसे में सवाल उठता है कि उनके विरुद्ध कार्यवाही कब होगी?
इस संबंध में निगम जगदलपुर के आयुक्त दिनेश कुमार नाग ने कहा कि तहसीलदार के नेतृत्व में एक टीम बनवाकर कर मामले की जांच करवाएंगे और जो भी इस मामले में में दोषी पाया जाएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
तहसीलदार ने कहा- होगी कार्रवाई
जगदलपुर के तहसीलदार पुष्पराज पात्र ने कहा कि उन्होंने कब्जे वाली जगह का मुआयना कर लिया है, जहां कतिपय लोगों ने अवैध रूप से मकान और बाउंड्री बना रखी है, मकान को छोडक़र सारे अवैध निर्माण को एक हफ्ते के अंदर हटाया जाएगा।