गरियाबंद

विशेष जनजातीय समूह के बालक बालिकाओं का पारम्परिक खेल मड़ई का आयोजन
23-Jul-2022 4:29 PM
विशेष जनजातीय समूह के बालक बालिकाओं का पारम्परिक खेल मड़ई का आयोजन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबन्द, 23 जुलाई। 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ के पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने का लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान समय मे बच्चे मोबाइल कम्प्यूटर में खेल का उपयोग कर रहे है इसलिए राज्य सरकार द्वारा पुन: पारम्परिक खेलों को पुनर्जीवित करने एवं लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से जि़ले में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों का खेल प्रतियोगिता खेल मड़ई का आयोजन किया गया।

शुक्रवार को  आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा आयोजित इस खेल मड़ई का आयोजन बालक हाई स्कूल प्रांगण में किया गया। जहाँ जिले के विशेष जनजाति समूहों के बालक बालिकाओ ने अपने पारम्परिक खेल कबड्डी, खोखो, फुगड़ी, गिल्ली डंडा, भौंरा सहित अन्य कई खेल, सहज ही दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया।

इस खेल मड़ई में छत्तीसगढ़ के कई ऐसे पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया  जिसे लोगों ने भुला दिया था। खेल मड़ई में होने वाले पारंपरिक खेलों को लेकर लोगों में अच्छा खासा उत्साह रहा।  
खेल मड़ई के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यअतिथि ग्वाला सिंह शोरी भूँजिया विकास अभिकरण अध्यक्ष एवं सुखचंद कुमार कमार विकास अभिकरण बद्री सुखदेवे सहयक आयुक्त आदिवासी विकास एवं खेल एवं युवा कल्याण विभाग की संचालक दीनु पटेल, की उपस्थिती में सम्पन्न हुआ।

तीरन्दाजी , खोखो, फुगड़ी, गिल्ली डंडा, भौंरा सहित अन्य कई खेल, सहज ही दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है। प्रदेश की संस्कृति से जुड़े ये सभी खेल विलुप्ति के कगार  पर इन खेलों को पुनर्जीवित कर जीवनदान देने के लिए गरियाबंद की खेल मड़ई संजीवनी बन गई है।

मड़ई में चल रहे इन खेलों को देखकर बुजुर्गजन अपने किशोरावस्था को याद करने लगते हैं, जबकि नई पीढ़ी के युवाओं को छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेलों को जानने और सीखने का अवसर मिल रहा है। एक दिवसीय इस आयोजन में संपूर्ण जि़ले के करीब 200 खिलाडी करीब 9 पारंपरिक खेलों में भाग ले रहे हैं।  परियोजना अधिकारी बी.के सुखदेवे ने बताया कि खेल प्रतियोगिताओं में विभिन्न जनजातीय समुदाय तथा विशेष रूप से कमजोर जनजाति समुदाय द्वारा पारम्परिरिक रूप से खेले जाने वाले खेल जैसे-तीरंदाजी, गुलेल, मटका दौड़, गिल्ली डंडा, गेड़ी दौड़, भौंरा, फुगड़ी (बालिका वर्ग), बिल्ला (बालिका वर्ग), कबडडी, रस्सीखींच, सत्तुल (पिठुल), भारा दौड़, बोरा दौड़, सुई धागा दौड़, (बालिका वग), मुदी लुकावन (गोटी लुकावन), तीन टंगड़ी दौड़ तथा नौकायन (वयस्क वर्ग हेतु) आदि खेल शामिल है।

इसके अलावा इनमें कुछ खेल तो ऐसे है, जिन्हें पहली बार लोगों को देखने और सुनने का मौका मिल रहा है।वही मंच का संचालन सहायक कोच आनंद झा ने किया
- विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिए पारंपरिक खेल प्रतियोगिता 2022 (खेल मड़ई) में उपस्थित मुख्य अतिथिगणों की  ग्वाल सिंह सोरी, अध्यक्ष, भुंजिया विकास अभिकरण गरियाबंद  सुखचंद कमार, अध्यक्ष, कमार विकास अभिकरण गरियाबंद  नरेन्द ध्रुव, युवा अध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज गरियाबंद  बद्रीश सुखदेवे, परियोजना अधिकारी कमार / भुजिया विकास अभिकरण गरियाबंद  पिलेश्वर सोरी, सदस्य, कमार विकास अभिकरण गरियाबंद  अगनु राम कमार, सदस्य, कमार विकास अभिकरण गरियाबंद दुखराम सोरी, सदस्य, कमार विकास अभिकरण गरियाबंद  मैतूराम सोरी, सदस्य, कमार विकास अभिकरण गरियाबंद  टिकम नागवंशी, सदस्य, भुंजिया विकास अभिकरण गरियाबंद. रामेश्वर, सदस्य, भुंजिया विकास अभिकरण गरियाबंद  परस राम मरकाम, सदस्य, भुंजिया विकास अभिकरण गरियाबंद अवध राम, सदस्य, भुजिया विकास अभिकरण गरियाबंद ,अलबट चोबे संजीव साह आनंद झा , सूरज महाडिक, नंद कुमार रात्रे कैलाश साहू , निलेश देवांगन.  देवेन्द्र कुमार , भाग रिंग, गंगा साहू, माहेश्वरी मंडल योगेश्वरी देवांगन, उपस्थित रहे।
 

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