रायगढ़
नाम अंकित करने शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 26 जुलाई। सारंगढ़ मल्टीपरपज हाई स्कूल आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है, रियासत काल से बना यह स्कूल और स्कूल की बिल्डिंग इनका परिसर और इनका विशालकाय हरा खेल भाटा मैदान जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है और सारंगढ़ के मुख्य पहचान में इनकी गिनती शुमार होती है।
इसका महत्व केवल इसकी भौगोलिक स्थिति को देखकर ही नहीं लगता बल्कि यह विद्यालय एकमात्र कृषि विषय अध्ययन के लिए जाना जाता है साथ ही इस विद्यालय से पूर्व में निकले अध्ययनरत छात्र अंचल के छात्रों के आइडियल के रूप में स्मरणीय है तो बहुत से वर्तमान छात्रों एवं युवा पीढ़ी को पूर्व में यहां अध्ययनरत रहे छात्रों जिनमें मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व राज्य मंत्री, मुख्य सचिव, न्यायधीश, आईएएस, डॉक्टर, आईपीएस, आईएफएस, अधिवक्ता कुलपति रजिस्टार जैसे सर्वोच्च पदों पर आसींन रहने की भी प्रेरणा मिलती है।
गौरतलब हो कि मल्टीपरपज स्कूल बिल्डिंग जिसे अब आत्मानंद स्कूल के नाम से भी जाना जाता है कुछ दिन पूर्व इसमें हिंदी मीडियम की भी कक्षाएं प्रारंभ हुई और छात्र प्रवेश भी ले रहे हैं मगर विडंबना यह है कि जैसे ही इसे आत्मानंद स्कूल घोषित किया गया, प्रशासन इसकी लिपाई पुताई में जुट गया।
स्कूल के प्रवेश द्वार के बरामदे में स्कूल के पूर्व प्रतिभावान छात्रों के नाम सूचना पटल में अंकित थे, जिनमें राजा नरेश चंद्र सिंह जी पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन के साथ पूर्व मुख्य सचिव शरद चंद्र बेहार, विजय शंकर चौबे आई पी एस, कैलाश चंद्र चौबे उपकुलपति, पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ शक्राजीत नायक, हरिदास भारद्वाज विधायक, डमरुधर देवांगन आईएस, दिनेश उपाध्याय आई एफ एस, सुरेंद्र बेहार आईएएस, चंद्रहास बेहार आईएएस, यतींद्र गुरु न्यायाधीश, रामकृष्ण बेहार प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय, डॉ नारायण नन्दे सिविल सर्जन, तारणी प्रकाश नायक हाई कोर्ट न्यायधीश, आकाश मगरिया आईपीएस, रामा प्रसाद नायक मुख्य सचिव मध्य प्रदेश जैसे बहुत ही नामचीन होनहार प्रतिभावान छात्रों ने यह अध्ययन किया जो आज के समय के अंचल के छात्र-छात्राओं युवाओं के लिए आइडियल है जो कि छात्र हित और जन भावनाओ के सम्मान का विषय है। जिसे विलोपित नहीं किया जाना चाहिए कांग्रेस के नेताओं ने सारंगढ़ खंड शिक्षा अधिकारी राम कश्यप मुकेश कुर्रे एबीईओ तथा उक्त स्कूल प्राचार्य को पत्र सौंपते हुए कहां है कि उक्त विद्यालय में उक्त पूर्व प्रतिभावान छात्रों के नाम पूर्व की तरह यथावत अंकित करें, जन भावनाओं का सम्मान करें। जिस पर शिक्षा अधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया है।